हवा बादल चार बहादुर दोस्त– एक जंगल में चार बहादुर दोस्त रहते थे। मोती हाथी, भोलू बन्दर, चीकू खरगोश और सोना हिरन। चारो बहुत ही पक्के दोस्त थे।
एक साल जंगल में बारिश नहीं हुई। चारो और अफरातफरी मच गई। सब पानी के लिए इधर उधर दौड़ने लगे। धीरे धीरे सारे झरने , नदियाँ और तालाब सूखने लगे। जंगल में सूखा पड़ते देख सारे जानवर जंगल छोड़ने के लिए सोचने लगे। कुछ जानवरो ने तो जंगल से जाना भी शुरू कर दिया ।
जब चारो दोस्तों के माता पिता ने भी जंगल छोड़ने की बात की तो, चारो दोस्त बहुत ही ज्यादा उदास हो गए।
मोती हाथी बोला , “मैं ये जंगल छोड़ कर नहीं जाना चाहता हूँ। “
भोलू बन्दर ने भी हाँ में हाँ मिलाई, ” हाँ ! मैं भी नहीं जाना चाहता हूँ। “
सोना हिरन ने कहा , “मेरे पिता भी झुंड के साथ जंगल छोड़ने की बात कर रहे थे। अब हम क्या करेंगे। मैं भी अपने इतने अच्छे दोस्तों को छोड़ कर नहीं जाना चाहता हूँ। ”
अब चीकू खरगोश की बारी थी। सब उसकी तरफ देखने लगे। पर वह तो कुछ और ही सोच रहा था और कुछ बोल ही नहीं रहा था।
“तुम चुप क्यों हो चीकू ?, तीनो ने एक साथ पूछा। “
चीकू खरगोश बोला , “हम सब कही नहीं जायेंगे , हम यही रहेंगे और बाकि सब जानवर भी। हम सोहन दादू के पास चलते है वो बहुत बूढ़े है पर बहुत चालक भी है। उनके पास कुछ न कुछ उपाय जरूर होगा जिससे हमारी ये समस्या सुलझ जाएगी।”
सोहन एक बूढा खरगोश था जो पुराने बरगद के पास रहता था। वह इस जंगल में बहुत पुराने समय से रह रहा था और बहुत ही समझदार और चालक भी था।
सोहन खरगोश की तरकीब-
चारो दोस्त सोहन खरगोश के पास पहुंच गए। उनको देखकर सोहन खरगोश बोला, “कैसे हो बच्चो, बोलो मेरे पास क्यों आये हो। “
चीकू खरगोश ने उनको सारी बात बताई ।, “दादा कोई उपाय बताओ न, हम यह जंगल छोड़ कर नहीं जाना चाहते है। “
सोहन खरगोश बोला , “बच्चो जाना तो मैं भी नहीं चाहता हूँ । मेरे पास एक उपाय भी है पर क्या तुम सब वह कर पाओगे?”
“हाँ , हम करेंगे , आप जल्दी बताओ क्या उपाय है “, सारे एक साथ ख़ुशी से चिल्लाये।
सोहन खरगोश बोला , “उत्तर दिशा में जाओ। दो जंगल पार करने के बाद वहाँ से थोड़ा आगे तुमको एक सुन्दर तालाब दिखाई देगा।
वहाँ मेरे बादल दोस्त रहते है। जाओ उनको अपने जंगल में बुला लाओ।
उनके आते ही बारिश होने लगेगी और ये जंगल फिर से हरा भरा हो जायेगा।
फिर कोई भी जानवर यह जंगल छोड़ कर नहीं जायेगा। “
चारो दोस्त यह सुनकर बड़े ख़ुश हुए और उत्तर दिशा की तरफ चलने लगे।
चारो थोड़ा घबराये हुए थे क्योकि वो इससे पहले कभी जंगल से अकेले दूर नहीं गए थे।
पर चारो के मन में एक जूनून था कि हम अपने जंगल को फिर से हरा भरा बनाकर ही रहेंगे।
इसीलिए वो निडर होकर चले जा रहे थे।
दो जंगल पार करने के बाद, थोड़ा दूर चलने पर उनको एक बहुत सुन्दर तालाब दिखाई दिया।
जहाँ चारो तरफ हरियाली ही हरियाली थी।
चारो दोस्त समझ गए कि यह वही तालाब है जिसका जिक्र सोहन दादा ने किया था।
चारो बगीचे तक पहुंच गए-
वहाँ पहुंच कर चारो बादलो को ढूढ़ने लगे। थोड़ा आगे चलकर उनको तालाब के ऊपर बहुत सारे काले बादल दिखाई दिए।
चारो दोस्त बड़े ख़ुश हुए और बादलो से बोले , “क्या आप हमारे जंगल चलोगे ?”
वहाँ इस साल बारिश नहीं हुई है और सूखा पड़ गया है । सारे जानवर जंगल छोड़कर जाने लगे है।
कृपया आप हमारी मदद करे। “
बादल बोले ,”हमे चलने में कोई ऐतराज नहीं है पर हम जायेंगे कैसे? , हमको तो हवा ही उड़ा कर ले जा सकती है । तुम लोग जाओ और हवा को बुला लाओ।”
चारो दोस्त फिर सोच में पड़ गए और आस पास हवा को ढूढ़ने लगे।
थोड़ा दूर चलने पर उनको एक सुन्दर बगीचा दिखाई दिया जहाँ बहुत प्यारे और सुन्दर सुन्दर फूल खिले हुए थे।
सारे फूल हवा में जोर जोर से लहरा रहे थे।
“हवा मिल गयी, हवा यही है। “, चारो एक साथ खुशी से चिल्लाये।
अब चारो हवा के पास पहुंचे और उससे बादलों को उड़ा ले जाने की प्रार्थना की।
हवा बोली , “मुझे कोई ऐतराज नहीं है , पर क्या तुम्हारे जंगल में इतने सुन्दर सुन्दर फूल है ?
मुझे ये बहुत पसंद है इसीलिए मैं इन्ही के साथ यहाँ रहती हूँ। ”
चारो दोस्तों ने फूलो से कहा की आप सब भी हमारे साथ चलो, जिससे हवा भी हमारे साथ चल पड़े।
फूलो ने कहा- “तुम हमारे बीज ले जाओ। जहाँ-जहाँ भी तुम इनको डालते जाओगे, वहाँ वहाँ हम खिल जायेंगे।”
चारो दोस्तों ने वही किया।
जंगल में वापसी-
आगे-आगे चारो दोस्त बीज डालते हुए अपने जंगल की तरफ बढ़ने लगे। पीछे पीछे हवा,बादलो को लेते हुए चलने लगी।
बादल जहाँ जहाँ से भी गुजरते, वहाँ वहाँ बारिश होने लगी और सब जगह हरियाली होने लगी।
सुन्दर सुन्दर फूल सब जगह अपनी महक बरसाने लगे। धीरे धीरे वो सब अपने जंगल पहुंच गए।
बादल जोर से गरजे ओर बारिश होने लगी। देखते ही देखते सारे तालाब और नदियाँ फिर पानी से भर गए।
सारे जानवर खुशी से नाचने गाने लगे। चारो ओर अब सूखा नहीं रहा।
अब वहाँ पर सुन्दर सुन्दर फूलो की महक सबका मन महकाने लगी।
चारो और हरियाली ही हरियाली फ़ैल गयी। जो जानवर जंगल छोड़ कर जाने लगे थे वो भी वापस आ गए।
सबने मिलकर उन चारो दोस्तों की बहुत तारीफ की और उनको धन्यवाद कहा।
अब चारो दोस्त बहुत ख़ुश थे और सोहन खरगोश को बहुत बहुत धन्यवाद कर रहे थे।
वो चारो फिर से उसी जंगल में ख़ुश होकर रहने लगे।
शिक्षा – हवा बादल चार बहादुर दोस्त- “हमे कभी भी हार नहीं माननी चाहिए ।
निरंतर किसी भी कार्य को पूरा करने का प्रयास करते रहना चाहिए।
क्योकिं कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती और एक दिन सफलता जरूर मिलती है।”
OR Moral – “Never give up because practice makes a man perfect.”
आप सभी को मेरी ये कहानी कैसी लगी? क्या चारो दोस्त वाकई बहादुर थे? अपने बच्चो की प्रतिक्रिया कमैंट्स के माध्यम से जरूर दीजिये।
आप अपने व्यूज नीचे दिए कमेंट बॉक्स में लिख कर मुझ तक पंहुचा सकते है।
-रूचि जैन
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