आर्य फार्महाउस –
मनाली से २ किलोमीटर दूर एक बहुत खूबसूरत सा फार्महाउस।
चारो ओर से जगमगाती रौशनी करते वहां की दीवारों से सटे हुए खड़े लैम्प्स। बाहरी ओर बना खूबसूरत बगीचा जिसकी शांति में, बगीचे के बीचोबीच बने फव्वारे के पानी की मधुर आवाज किसी के भी मन को मोह ले।
फार्महाउस के मध्य भाग में बनी एक ३ कमरों की छोटी सी ईमारत पर बेहद ही खूबसूरत। सब कुछ दिल को भा जाने वाला…जो कोई भी वहां अगर एक बार आ जाये तो उसका वहां से मन ही न हो जाने का…
तभी एक कमरे से आह आह की आती आवाज ने वहाँ की शांति को एक सेकंड में ही भंग कर दिया।
आवाज सुनकर एक अजनबी आकृति कमरे में प्रवेश करती है। गोरा रंग, लम्बा कद, स्टाइलिश बाल , ब्लू टी- शर्ट और ब्लैक जीन्स….
सामने पलंग पर इन्दर लेटा हुआ करहा रहा है। उसको होश में आता देख वो अजनबी उसके करीब जाकर बैठ जाता है।
इन्दर धीरे धीरे आँखें खोलता है। दर्द के कारण उसका हाथ अपने सर की तरफ जाता है। सर पर पट्टी बंधी है ओर पूरे बदन पर कुछ गुम चोटो के निशान है जिस कारण उसको हिलने में भी दिक्कत हो रही है।
इन्दर चारो ओर देखता है ओर फिर उस अजनबी को – “आह ! मैं कहा हूँ (अपने सर पर हाथ रखता है उसे कुछ याद नहीं आ रहा। ), तुम कौन हो ? (उठने की कोशिश करता है मगर दर्द के कारण उठ नहीं पता। )”
अजनबी – “लेटे रहो। चोट लगी है तुमको। भगवान का शुक्र मनाओ सुरक्षित हो , खाई में नहीं गिरे। “
इन्दर को दिन की घटना याद आ जाती है कि कैसे सामने से ट्रक आ गया था ओर उसने गाड़ी बचने के लिए दूसरी तरफ मोड़ दी थी। पर जीप से कूदने के बाद का उसे कुछ भी याद नहीं आ रहा था।
“आह ! मैं तो जीप से कूद गया था। फिर मैं शायद बेहोश हो गया था। उसके बाद मुझे कुछ भी याद नहीं। ” कहकर वह फिर से उठने लगता है।
वो अजनबी बैठने में उसकी मदद करता है ओर उसकी कमर के पीछे तकिया लगाकर उसे अधलेटा कर देता है।
अजनबी – “बहुत देर बाद होश आया है तुमको। कुछ खाओगे ? ये तुम्हारे बराबर की टेबल पर रखा है खाना ….
ज्यादा चिंता मत करो। बस सर पर थोड़ी चोट है डॉक्टर पट्टी कर गया है और ये दवाइया है, ले लेना। थोड़ी गुम चोटे है बस। जल्दी ठीक हो जाओगे।”
(थोड़ा हंसकर) बहुत किस्मत वाले हो भई तुम तो …मतलब इतना भयंकर एक्सीडेंट हुआ फिर भी बच गए… लगता है बहुत लोगो की दुआए असर कर गई तुमको ….
इन्दर (थोड़ा हंसकर) – “जाको राखे साईंया मार सके न कोई”
अजनबी – वाह ! सही कहा बिलकुल….बड़े संजीदा लगते हो ?
इन्दर – “तुम कौन हो ? और मैं कहाँ हूँ ? और मैं यहाँ कैसे आया ?”
अजनबी – “अरे अरे एक साथ इतने सारे सवाल — चिंता मत करो सब बता दूंगा।
वैसे इस बन्दे को मानव आर्य कहते है। “
कहकर वो इन्दर की तरफ हाथ मिलाने के लिए बढ़ाता है। और आप ?
इन्दर (धीरे से हाथ मिलाने के लिए उठते हुए ) – “इन्दर राजवंशी”
(यहाँ कहानी में थोड़ा सा ट्विस्ट आता है। इन्दर मानव के फार्महाउस पर है। वही मानव जिसका रिश्ता आन्या के लिए आया था। मगर न तो इन्दर इस बात को जानता है और न ही मानव इन्दर को जानता है। )
इन्दर – “मानव , थैंक्स यार तुमने मुझे बचा लिया। वरना पता नहीं क्या होता मेरा। मगर तुम मुझतक कैसे — आह !”
मानव (नजरे मिलाते हुए)- “बस बस अभी ज्यादा मत बोलो , डॉक्टर ने मना किया है , आराम करो तुम अभी। मैं भी यही हूँ और तुम भी … पूछ लेना बाद में आराम से … वैसे कहा के रहने वाले हो तुम और यहाँ कहा से आ गए…
इन्दर (धीरे से) – चंडीगढ़ का हूँ , घूमने आया हुआ हूँ यहाँ दोस्तों के साथ …मेरा भी फार्महाउस है यहाँ मगर फ़िलहाल होटल में रुका हूँ …
फिर से पूछता है – तुमने बताया नहीं मैं यहाँ कैसे ?
मानव (बीच में ही ..) – तुमको ऐसी हालत में बेहोश देखा तो उठा लाया यहाँ।
माना हम एक दूसरे के लिए अजनबी है पर दिल तो हम भी रखते है जनाब। (मानव मुस्कुराकर स्टाइल मारते हुए बोलता है।)
सर पर चोट थी तुम्हारे , छोड़ देता तो न जाने कितना खून बह जाता। इसीलिए किसी का इंतजार नहीं किया और उठा लाया अपने फार्महाउस पर। अब बोलो सही किया या गलत , हम्म “, झुक कर इन्दर की आँखों में देखकर पूछता है।
इन्दर (हल्का सा मुस्कुराकर ) – “ये एहसान रहेगा मुझपर तुम्हारा –“
मानव (इन्दर के पास से खड़े होते हुए)- “मानव आर्य किसी पर एहसान नहीं करता। जब वक़्त आएगा मांग लेगा तुमसे हिसाब।”
इन्दर – “हाँ जरूर क्यों नहीं — ये जिंदगी तुम्हारी उधार रही। “
फिर अपने कपडे टटोलता है , ओह मेरा फ़ोन , लगता है जीप में ही था– (एक साँस भरकर )
क्या मैं एक फ़ोन कर सकता हूँ। मेरा दोस्त परेशान हो रहा होगा।”
मानव पास ही रखे फ़ोन की तरफ इशारा करता है और उठा कर इन्दर के पास रख देता है। “ओके दोस्त मैं चलता हूँ। सुबह मिलते है। तुम इतने आराम करो।” कहकर वहाँ से चला जाता है।
इन्दर रवि को फ़ोन मिलाता है पर रवि का फ़ोन नहीं मिलता। “लगता है यहाँ नेटवर्क इशू है। थोड़ा बाहर जाकर मिलाता हूँ। “, उठने की कोशिश करता है मगर उठ नहीं पता। “आह !”, अपना सर पकड़कर फिर से पीछे टेक लगाकर बैठ जाता है।
“लगता है सुबह ही बात हो पायेगी। “
चारो और निगाहे घुमा कर पूरे कमरे को देखता है। “(मन ही मन ) काफी सुन्दर फार्महाउस है मिस्टर मानव का”
कमरे के एक ओर कांच की बड़ी खिड़की होती है जिससे चाँद से आती मंद मंद रौशनी में बाहर का नजारा साफ़ दिख रहा है। बाहर हिलते पेड़ पौधों को देखकर बाहर चल रही ठंडी हवा का भी अनुमान आसानी से लगाया जा सकता था।
इन्दर चाँद की ओर निहारता है (मन ही मन ) – “तुम्हे एक बार फिर देख लिया मैंने , तुमसे लगी शर्त तो मैं ही जीतूंगा। जिसदिन तुम मेरी आन्या से मिलोगे , तुम खुद ही चमकना भूल जाओगे, ये वादा है मेरा “
“ए चाँद खुदपर इतना रस्क ना कर
तू भी फीका है मेरे दिलबर के आगे”
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इन्दर दुबारा रवि को फ़ोन मिलता है मगर अभी भी उसका फ़ोन नहीं मिलता। इन्दर फ़ोन एक तरफ रख कर बिस्तर पर नीचे सरक कर लेट जाता है। मन ही मन काफी परेशान होता है।
“एक बार रवि को बता देता तो ठीक रहता। पता नहीं वहाँ क्या चल रहा है। क्या हाल हो रहा होगा सबका। हे भगवान ! रवि ने घर पर कुछ ना बताया हो। और और मेरी आन्या उसको भी काश कुछ ना कहा हो। कहाँ तो मैं कल के लिए क्या क्या सोच रहा था। और ये सब क्या हो गया।
भगवान की तरफ देखकर हाथ जोड़ता है फिर हंसकर – “तूने रहम कर दिया भगवान नहीं तो अभी आपकी अदालत में ही हाजरी दे रहा होता। सही समय पर उस बन्दे मानव को भेज दिया आपने। “
“ए खुदा तू मुझपर सितम कितने भी कर ले
तेरी रहमत का साया भी मुझपर ही है “
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” पर ये मानव है बहुत इंटरेस्टिंग बंदा।”, कहकर इन्दर मुस्कुरा देता है।
यही सब सोचते सोचते कब उसकी आँख लग जाती है उसे पता ही नहीं चलता।
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इन्दर के मम्मी पापा इन्दर के होटल रूम पर पहुंच जाते है।
प्रिया (रोते हुए) – “रवि , रवि , कहाँ है इन्दर ? क्या हुआ उसको ?”
रवि – “आंटी वो– इन्दर जीप से कही जा रहा था, एक ट्रक से उसका एक्सीडेंट हो गया। जीप खाई में गिर गई मगर इन्दर का कुछ पता नहीं चल रहा।”
सुनकर प्रिया रोने लगती है।
आकाश (गुस्से से चिल्लाते हुए) – “पता नहीं चल रहा मतलब ? इंस्पेक्टर को फ़ोन लगाओ , मुझे अभी बात करनी है , वो जानते नहीं इन्दर किसका बेटा है। अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो मैं किसी को भी नहीं बख्शुगा। “
प्रिया (रोते हुए)- फ़ोन पर बात करने से क्या होगा आकाश । हम लोग पुलिस थाने ही चलते है क्या पता पुलिस को कुछ जानकारी मिली हो।
हे ! भगवान मेरे बेटे को सुरक्षित रखना।
सभी लोग पुलिस थाने पहुंचते है।
आकाश को देखकर शिंदे (आश्चर्य से) – अरे ! सर आप यहाँ ? मुझे बुला लिया होता।
आकाश (कुर्सी पर बैठते हुए )- “इनसब फालतू बातो का टाइम नहीं मेरे पास है। ये इन्क्वारी चल रही है तुम्हारी ? मेरे बेटे का अभी तक कुछ भी पता नहीं चला सके तुम लोग…
“सर , आपका बेटा “, इंस्पेक्टर आश्चर्य से
आकाश (गुस्से से ) – हाँ , मेरा बेटा है वो, उसे कुछ हुआ तो—-“
शिंदे (बीच में बात काटकर ) – “सर , हमे नहीं मालूम था इन्दर आपका बेटा है। ए घनश्याम जा जल्दी से सर के लिए ठंडा पानी लेके आ।”, कहते हुए फटाफट फाइल खोलकर देखता है।
“इन्दर राजवंशी”
फाइल में पूरा नाम पढ़ते ही उसके तोते उड़ जाते है। (बनावटी हसी हंसकर फाइल बंद करते हुए ) – “हे हे—-माफ़ कीजियेगा सर ! मुझे पूरा नाम नहीं पता था। आप बिलकुल भी चिंता मत कीजिये सुबह तक हम ढूढ़ते है ना— ए पाटिल चल गाड़ी निकाल जरा जल्दी से — ओ पांडे, टीम को लेकर मौके पर पहुँचो।”
आकाश (इंस्पेक्टर को घूरते हुए ) – “यही बैठा हूँ मैं , मुझे जल्द से जल्द मेरे बेटे के बारे में पता करके बताओ , समझे कुछ “
इंस्पेक्टर – “जी सर समझ गया, आप घर जाइये ना मैं आपको फ़ोन करता रहूँगा। “, कहकर वहाँ से निकाल जाता है।
आकाश (रोती हुई प्रिया के पास आकर खड़ा हो जाता है और उसके सर पर हाथ रखते हुए) – प्रिया तुम रवि के साथ होटल जाओ। मैं यही रुकता हूँ।
प्रिया (सुबकते हुए ) – “नहीं मैं कही नहीं जाउंगी जब तक मेरे इन्दर के बारे में कुछ पता नहीं लग जाता। “
आकाश – “ठीक है हम सब चलते है। वैसे भी अभी एकदम से तो कुछ नहीं होने वाला। मैं भी कुछ बड़े अधिकारियो से बात करता हूँ। “
तीनो उठ कर वहाँ से वापिस होटल चले जाते है।
सुबह के ४ बज रहे है मगर किसी की आँखों में नींद नहीं।
जैसे जैसे टाइम बीत रहा है आकाश, प्रिया और रवि के चेहरे पर चिंता की रेखाएं उभरती जा रही है।
प्रिया (भगवान से प्रार्थना करते हुए)- पता नहीं किस हाल में होगा मेरा बेटा। कहाँ होगा। हे भगवान कुछ तो रास्ता दिखा।
आकाश के पास इंस्पेक्टर का फ़ोन आता है – सर अभी तक भी हमे कुछ पता नहीं चल पाया है। टीम दुबारा से इन्दर सर को ढूढ़ रही है।
आकाश लाचार सा होकर चुपचाप फ़ोन रख देता है।
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आन्या के घर पर –
आन्या और उसकी मौसी दोनों जाग रहे है।
“आन्या थोड़ी देर के लिए सो जाओ। तुम्हारी तबियत वैसे ही ठीक नहीं है और अगर इस तरह जागती रहोगी तो और ज्यादा ख़राब हो जाएगी। प्लीज थोड़ी देर तो आराम कर लो। देखो अपना हाल देखो , आँखें भी सूज गयी है रो रो के। “, मौसी आन्या के पास बैठते हुए बोलती है।
“मौसी , मैं क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा। मुझे तो उसकी कोई खबर भी नहीं के उसका कुछ पता चला या नहीं। क्या करू मैं ? ना नींद आ रही है ना चैन। मेरा दिल कभी इतना बैचैन नहीं हुआ। बहुत डर लग रहा है मौसी “, कहते ही आन्या के गलो पर आंसू की धरा बह जाती है।
“बस अब बस भी कर आन्या , तेरे ऐसे रोने से तो उसका कोई पता नहीं चल जायेगा। क्यों खुद को इतना कष्ट दे रही है। जिसके लिए तू इतने आंसू बहा रही है वो तो इस बात से बेखबर है अभी तक, काश! कोई चमत्कार हो जाये भगवान , मेरे से आन्या का दुःख नहीं देखा जा रहा।”
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इन्दर का होटल रूम –
रोते रोते कब सबकी आँख लग गयी पता ही नहीं चला। सुबह के ६ बज रहे है। रवि के मोबाइल की घंटी बजती है।
रवि नींद में ही फ़ोन उठाकर अपने कान से लगता है। “हेलो !”
“इन्दर र–र –रर “, रवि चौक कर उठ कर खड़ा हो जाता है।
उसकी आवाज सुनकर आकाश और प्रिया भी उठ जाते है।
इन्दर का नाम सुनकर आकाश रवि से फ़ोन छीन लेते है।
आकाश (भर्राई आवाज में)- “हेलो , इन्दर बेटा कहाँ हो तुम , देखो हम सबका क्या हाल हो गया है , तुम्हारी माँ को देखो कब से बस रोये ही जा रही है। बहुत डरा दिया तुमने हम सबको”
इन्दर – “पापा आप लोग यहाँ , रवि ने आपको सब बता दिया ? मुझे माफ़ कर दीजिये पापा , मैं ठीक हूँ। आप प्लीज आकर मुझे यहाँ से ले जाइये। “
इन्दर आकाश को एड्रेस देता है। आकाश इंस्पेक्टर को फ़ोन पर इन्दर का पता लगने की जानकारी देते है।
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आर्य फार्महाउस –
आकाश , प्रिया , रवि तीनो मानव के फार्महाउस पर पहुंचते है जहाँ मानव पहले से ही बाहर उनका इंतजार कर रहा होता है। तभी वहाँ इंस्पेक्टर भी अपनी टीम के साथ पहुंच जाता है। वो सबको लेकर इन्दर के पास जाता है।
इन्दर धीरे से पलंग से उठते हुए , “आह !”
प्रिया भागकर उसके पास जाती है और उसे पकड़ लेती है।
इन्दर अपनी माँ को देखकर “माँ !”, कहकर उनके गले लग जाता है।
“मुझे माफ़ कर दो माँ , मैंने आप सबको बहुत परेशान कर दिया ना। आप प्लीज अब मत रो (प्रिया के आंसू पूछते हुए ), देखो मैं बिलकुल ठीक हूँ। आपका प्यारा नन्हा गुगु “
सुनकर प्रिया हंस देती है और इन्दर के माथे को चूमते हुए उसे बाहो में भर लेती है।
“तेरे बिना तो मैं अपनी जिंदगी सोच भी नहीं सकती पगले ! कल शाम से आज सुबह तक का समय हमने कैसे बिताया है तुम सोच भी नहीं सकते। इतने समय में हम ना जाने कितनी बार मरे होंगे तेरे बिना , ना तेरी कोई खबर ना कोई आस, अगर तुझे कुछ हो जाता तो —मैं —“, कहकर प्रिया इन्दर से लिपटकर रोने लग जाती है।
“कैसे हो जाता कुछ आंटी , आपका ये बेटा भी तो है अभी, वो कुछ होने ही नहीं देता। “, मानव मुस्कुराकर बीच में बात बदलते हुए स्टाइल मारते हुए कहता है।
प्रिया पलटकर मानव की तरफ देखती है। फिर उसके नजदीक जाकर उसके सर पर हाथ रखते हुए – “ख़ुश रहो बेटा , तुमने मेरे बेटे की जिंदगी बचाकर इस माँ पर बहुत उपकार किया है। “
इंस्पेक्टर – “मिस्टर मानव क्या अब हम आपके बारे में जान सकते है ? क्या अब आप हमे पूरी बात बताएंगे—कब क्या हुआ और कैसे हुआ। “
मानव – “जी सर बिलकुल , मेरा नाम मानव आर्य है मैं मोहाली का रहने वाला हूँ। हमारी खुद की कुछ राईस मिल्स है और मेरे पिता मोहाली के जाने माने बिज़नेसमैन है।”
(मोहाली सुनते ही इन्दर को आन्या का ध्यान आता है और वो इशारे से रवि को अपने पास बुलाता है। सभी लोगो का ध्यान मानव की बातों पर होता है।
इन्दर धीरे से रवि से – आन्या कहाँ है ? तूने उसे तो कुछ ? मुझे मिलना था उससे आज , कुछ जरुरी काम था। पर मम्मी पापा आ गए है तो , लगता नहीं मिल पाउँगा।
रवि – भाई माफ़ कर दे। पर तुझे उससे मिलना ही पड़ेगा। क्योकि वो इस एक्सीडेंट के बारे में जानती है। उसने कुछ बोला तो नहीं था पर उसका हाल भी मुझे कुछ ठीक नहीं लगा था।
इन्दर (अपने सर पर हाथ रखते हुए )- ओह गॉड ! , अच्छा फिर तू मेरा एक काम करेगा ? कहकर इन्दर उसके कान में कुछ बुदबुदाता है। )
इंस्पेक्टर (मानव से) – इन्दर आपको कहाँ मिले ? जबकि आस पास के एरिया में हमने भी काफी ढूढ़ा पर हमको वो वहाँ पर नहीं मिले थे।
मानव – “सर आप लोगो के आने से पहले ही शायद मैं इन्दर को वहाँ से ले जा चुका था। हुआ ये था कि मैं उस दिन कही से लौट रहा था कि मेरी आँखों के सामने ही इन्दर की गाड़ी की टक्कर ट्रक से हुयी , मैंने इन्दर को जीप से कूदते हुए देख लिया था। लोगो का ध्यान खाई में गिरती जीप पर था और मेरा इन्दर पर। बस मैं फटाफट वहाँ ढलान पर पहुंच गया जहाँ इन्दर झाड़ियों में बेहोश पड़ा था। और उसे उठाकर यहाँ फार्महाउस ले आया।
सर पर चोट थी, छोड़ देता तो न जाने कितना खून बह जाता।इसीलिए किसी का इंतजार नहीं किया और उठा लाया अपने फार्महाउस पर।
जनाब बेहोश थे तो मुझे इनके बारे में कुछ पता भी नहीं था इसीलिए मैं किसी को कोई खबर भी नहीं कर पाया। आई थिंक इतना काफी होगा इंस्पेक्टर आपके लिए?”
इंस्पेक्टर – “जी बिलकुल मानव जी , हमने आपका बयान नोट कर लिया है — कोशिश करेंगे आपको ज्यादा कष्ट ना दे आगे। आपका बहुत धन्यवाद !” कहकर इंस्पेक्टर वहाँ से निकाल जाता है।
आकाश (अपना कार्ड देते हुए ) – “मानव बेटा हम लोग चंडीगढ़ में रहते है , घर जरूर आना जबभी उधर की साइड आओ। और आपका बहुत शुक्रिया , आप सोच भी नहीं सकते कि आपने हमारे लिए क्या किया है।”
मानव – “थैंक यू अंकल –“
इन्दर – “ओके दोस्त चलता हूँ , फिर मिलेंगे जल्दी ही अगर भगवान ने चाहा तो —“
इन्दर के घरवाले मानव को बहुत शुक्रिया बोलते है और फिर वो लोग भी वहाँ से चले जाते है। —-
क्रमशः
प्रिय दोस्तों , मेरी रचना पसंद करने के लिए आभार… यह मेरी प्रथम सीरीज है ..आप सभी का उत्साहवर्धन मेरे लिए अनमोल है .. गलतियों को क्षमा करे और समीक्षा द्वारा मार्ग दर्शन करे …. पार्ट अच्छा लगे तो रेटिंग्स एवं समीक्षा जरूर दे ..
धन्यवाद
-रूचि जैन