जीप खाई की ओर मुड़ जाती है, मगर इन्दर सही समय पर जीप से कूद जाता है और दूसरी तरफ घने पेड़ो की ओर लुढ़क जाता है नीचे ढाल पर लुड़कते लुड़कते वो वहाँ उगी घनी झाड़ियों में उलझ जाता है , उसका सर किसी चीज से टकराता है ओर वो बेहोश हो जाता है।
जीप को खाई में गिरता देख वहाँ लोग इकट्ठा होने लगते है पर इन्दर दूसरी ओर इस तरह से नीचे गिरा था कि वह किसी को दिखाई नहीं देता। वहाँ खड़े लोग समझते है कि जो जीप में था वो भी जीप के साथ खाई में ही गिर गया….सब तरफ शोर मच जाता है और इन्दर इन सब से बेखबर बेहोश पड़ा हुआ था….
थोड़ी देर बाद उसे हल्का हल्का होश आता है मगर उसका सर चोट के कारण बहुत भारी महसूस हो रहा है। उसे थोड़ी दूरी पर मच रहा शोर सुनाई दे रहा था ….मगर उसके अंदर इतनी भी ताकत नहीं थी के उठ कर कैसे भी ऊपर आ जाये या किसी को सहायता के लिए आवाज तो लगा ले। उसकी तरफ लोगो की पीठ थी और वो ढलान पर थोड़ा निचाई पर भी इसीलिए कुछ भी करना व्यर्थ ही था…
तभी उसे किसी के पदचाप सुनाई पड़ते है और कोई धुन्दला साया नजर आता है।
इंदर उसकी ओर हाथ बढ़ाता है और फिर से बेहोश हो जाता है।
उधर इस घटना के थोड़ी ही देर बाद पुलिस मौका ए वारदात पर पहुँच गई थी और जीप को भी खाई से निकालने का काम शुरू हो गया था…आस पास खड़े लोग तरह तरह की बातें कर रहे थे…पुलिस सबसे पूछताछ में लगी थी मगर ठीक से किसी को भी कुछ नहीं पता था…
*****
दूसरी तरफ एक घंटे बाद कैफे पर –
आन्या थोड़ा उदास दिख रही थी , इन्दर की राह तकते तकते सुबह से शाम होने को आई थी मगर इन्दर का कही कुछ पता नहीं था। अब तो इंतजार करते करते उसकी आंखें भी दुखने लगी थी…
“इतना नाराज हो गए तुम मुझसे इन्दर कि आज आये ही नहीं। एक मौका तो दे देते।”, उदास आन्या मन ही मन खुद से बातें कर रही थी। बेख़बर इस बात से कि इन्दर के साथ क्या हुआ।
“पता नहीं ये मैंने क्या किया?, मैं क्यों ये सब कर जाती हूँ , अब क्यों हर बात पर इतनी चिड़चिड़ाहट और इतना गुस्सा आ जाता है जबकि मैं वास्तव में ऐसी हूँ ही नहीं।”, मन ही मन खुद को कोसते हुए उसकी आँखों से आंसू छलक पड़े…कोई तो ऐसा एहसास था, जिससे वो खुद भी बेखबर थी।
“न गम छिपा पा रहे है ,
न दिल का हाल बता पा रहे है ,
क्यों बह रहे है आँखों से आँसू,
क्यों न खुद को समझा रहे है ,
क्यों अच्छा लगने लगा है कोई,
क्यों दिल को खबर नहीं कोई ,
क्यों हर पर अपनी तन्हाई को अपना,
हाले दिल सुना रहे है….“
मौसी पास खड़ी आन्या के चेहरे पर आते जाते भावो और बदलावों को महसूस कर रही थी…फिर उसे इतना परेशान देख बोल ही पड़ी , “आन्या क्या हुआ ? सब ठीक तो हैं ना ? कुछ परेशान दिख रही हो ?”, पास बैठते हुए मौसी ने पूछा।
“हाँ मौसी बस पता नहीं क्यों मन अच्छा नहीं , जी बहुत भारी हो रहा है। जैसे किसी की कमी सी हो….”, आन्या ने उदासी से कहा तो मौसी बोली, “किसकी कमी ?”
“पता नहीं”, रुंधे गले से आन्या ने कहा। फिर कुछ देर रुककर बोली, “आज इन्दर और उसके दोस्त भी नहीं आये।
मैंने सोचा था आज उनसे माफ़ी मांग लूँगी, कल की बात के लिए। शायद मुझसे कुछ ज्यादा ही नाराज हो गए वो लोग। “
“कोई बात नहीं आन्या , कल मिल लेना उनसे, हो सकता है कुछ जरुरी काम के कारण न आ पाए हो। तुम इतना क्यों सोच रही हो?”, मौसी ने उसे प्यार से समझाते हुए कहा….तो आन्या बोली , “मौसी मैं सोच रही हूँ अब वापिस मोहाली चली जाऊ। इतने दिन हो गए मुझे यहाँ आये। घर की याद भी आ रही है। “
“अरे! अचानक”, मौसी ने एकदम से रिएक्शन दिया…फिर एक लम्बी साँस खींच कर बोली , “ओह-हो….. आन्या….मेरा बच्चा , क्या हुआ ? तुम बहुत दुखी लग रही हो। बस इसीलिए ऐसा सोच रही हो….. अच्छा चलो ऐसा करते है साथ घर चलते है। ठीक हैं? फिर रास्ते में बात भी हो जाएगी। क्यों?”
“ठीक है मौसी….“, आन्या ने भी भावहीन चेहरे से मुस्कुराकर उत्तर दिया…
(मौसी मैनेजर से – ये सब समेट कर कैफे बंद कर देना मैं निकलती हूँ।
मैनेजर – ओके मैडम )
फिर आन्या और मौसी दोनों पैदल घर की तरफ निकल पड़ते है। थोड़ी दूर चलने के बाद, अभी भी आन्या को इतना शांत देख मौसी खुद ही बोलना शुरू करती है,
“हाँ! अब बताओ , क्या बात है , इतना परेशान क्यों हो? उस लेटर को लेकर ?”
“नहीं मौसी , पता नहीं कुछ समझ नहीं पा रही हूँ , कुछ अजीब सी फीलिंग्स है। “, यह कहकर आन्या चलते चलते रुक जाती है और फिर मौसी की तरफ देखकर बोलती हैं, “जब यहाँ आई थी तो किसी को जानती भी नहीं थी। एक अलग दर्द के साथ आई थी। फिर इन्दर से मुलाक़ात हुई। उसकी मजाकिया बाते ,उसकी हसीं , उसकी हरकतों में मैं अपना दर्द ही भूल गयी थी। अभी उसको सही से समझ भी नहीं पाई थी कि ये अजनबी….”
फिर एक लम्बी सास छोड़ते हुए बोली, “मेरा मन बहुत विचलित है मौसी। आपसे झूट नहीं कहूँगी पर मैं आज वाकई इन्दर का इंतजार कर रही थी , मगर उसके न आने से मेरा मन इतना दुखी क्यों हो रहा है ये समझ नहीं पा रही हूँ।
किसी काम में मन नहीं लग पा रहा। बार बार मन उसकी बातो और हरकतों को सोचने लगता है। रह रह कर उसका ही ख्याल आ रहा है और गुस्सा भी, कि वो क्यों नहीं आया “, आन्या ने मुँह बनाते हुए कहा….तो मौसी आन्या के चेहरे को हाथो में भर कर बोली , “क्या तुम वाकई ये सब नहीं समझती आन्या कि ये सब क्यों हो रहा हैं ?”
“क्या मौसी ?”, आन्या ने मासूमियत से मौसी की तरफ देखते हुए पूछा….
“यही कि तुम मानो या ना मानो मगर तुमको प्यार हो गया है आन्या“, मौसी ने एक प्यारी सी मुस्कराहट के साथ कहा…
यह सुनकर आन्या थोड़ा सकपका गयी , “ऐसा कुछ नहीं है मौसी, चलो घर चलते है। “, और यह कहकर आन्या तेज कदम करके आगे बढ़ गयी….
मौसी हल्का सा मुस्कुरायी और फिर पीछे पीछे वो भी घर की ओर बढ़ गयी।
******
अब तक खाई से जीप निकल चुकी थी और पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंच चुके थे….
पुलिस अधिकारी (अपने जूनियर से ) – “शिंदे , जीप की नंबर प्लेट देखकर पता लगाओ ये जीप किसके नाम पर रजिस्टर है।
और उस व्यक्ति की सारी जानकारी चाहिए मुझे ? उसके जानने वालो का पता करके खबर कर दो।”
शिंदे – “सर , मालिक का पता लग चुका है ये जीप रवि सक्सेना के नाम पर रजिस्टर थी , दिए गए फ़ोन नंबर पर कॉल करके उसको बुला लिया है।
जीप उसका दोस्त चला रहा था। बाकि बातें उसके आने पर ही पता लगेगी।”
तभी रवि हड़बड़ाता हुआ वहाँ पहुँचता है , जीप की हालत और भीड़ को देख कर बदहवास सा हो जाता है और सड़क पर ही गिर पड़ता है।
“इन्दर र र र —–र–र—“, उसके मुँह से बस इतनी ही चीख निकलती है।
सबका ध्यान रवि की तरफ जाता है। वहाँ खड़े लोग उसको सँभालने की कोशिश करते है इतने में पुलिस भी वही आ जाती है।
शिंदे – “जीप से हमे अभी किसी की लाश नहीं मिली है। हमारी टीम खाई में ढूढ़ने की कोशिश कर रही है। खाई गहरी होने के कारण थोड़ा परेशानी आ रही है। अभी शाम हो चुकी है इसीलिए शायद कल तक कुछ पता लग पाए। ये जीप तुम्हारी ही हैं ना….?“
मगर रवि का कोई उत्तर नहीं आया … वो तो अभी तक बेहाल सा खड़ा था ….उसे चुप देख शिंदे बोला,
“देखिये परेशान मत होइए….हम ढूढ़ रहे है ना….जीप में जो कोई भी था उसकी जानकारी आप इनके पास लिखवा दीजिये। (शिंदे ने एक पुलिसवाले की ओर इशारा करके कहा) और फिर वह से चला गया….”
रवि अभी तक सदमे में खड़ा जीप की हालत देख रहा था। उसके मुँह में आवाज जैसे दबकर रह गई थी। कुछ बोलते नहीं बन पा रहा था और बनता भी कैसे, जीप की हालत देखकर कोई भी कह सकता था कि जो कोई भी जीप के साथ गिरा होगा उसका बचना नामुमकिन है। और ऐसा ख्याल आते ही उसके पूरे बदन में एक डरावनी कपकपी सी दौड़ जाती है।
“मैं तुझे कुछ नहीं होने दूंगा मेरे दोस्त।।” , रवि मन ही मन बुदबुदाया….लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे ?
रवि (शिंदे से ) – सर क्या आपने यहाँ आस पास भी देखा ? मेरा मतलब क्या पता वो यही आस पास ही गिर गया हो…प्लीज सर, पहाड़ी के आस पास के एरिया में भी चेक कराइये न , क्या पता वो खाई में गिरा ही ना हो।
शिंदे – देखिये हमारे लोगो ने सब जगह आस पास भी देख लिया है यहाँ हमे कुछ नहीं मिला। उसके बाद ही खाई में उतर कर ढूढ़ने की कोशिश कर रहे है।
माफ़ कीजिये , पर उम्मीद ना के बराबर है क्योकि इतना ऊपर से गिरने के बाद शायद ही कोई बच पाया हो। मगर फिर भी पुलिस अपना काम अच्छे से कर रही है। शायद कल तक कोई खबर मिल जाये।
रवि (लगभग चीखते हुए )- “कल तक क्यों ?”
शिंदे – “देखिये सर , शाम हो चुकी है और इतने अँधेरे में किसी को नीचे ढूढ़ पाना मुश्किल है। इसीलिए हम लोग आगे की प्रोसेसिंग कल सुबह ही कर पाएंगे। आप चाहे तो उनके घर वालो को खबर कर सकते है। “ यह कहकर इंस्पेक्टर वहां से चला गया…
घरवालों का नाम सुनते ही रवि के शरीर में एक कम्पन सा हुआ।
“नहीं , नहीं , मैं किस मुँह से आंटी को ये सब कहूंगा। नहीं मुझसे ये नहीं हो पायेगा। पर बताना तो पड़ेगा ही। हे भगवन मेरे दोस्त की रक्षा करना। अब सब तुझपर ही है। “, रवि हाथ जोड़ कर मन में बुदबुदाया।
रवि बहुत ज्यादा तनाव में था पर इन्दर की बॉडी न मिलने के कारण खुद को बस यही समझा रहा था कि नहीं इन्दर बिलकुल ठीक होगा। उसे कुछ भी नहीं हुआ होगा।
ऐसे वक़्त में बस एक आस ही होती है जो साथ होती है।
इन्दर का एक्सीडेंट कैफे से बहुत ज्यादा दूरी पर नहीं हुआ था। वो जगह कैफे और घर के रास्ते में ही थी…
आन्या और उसकी मौसी तब उधर से ही गुजर रही थी और इतनी भीड़ देखकर रुक जाती है और वहाँ खड़े लोगो से पता करने की कोशिश करती है की आखिर बात क्या है , पर कुछ खास पता नहीं चलता।
“आन्या चलो , अँधेरा होने को आया है , घर पहुंचते है , शायद किसी का एक्सीडेंट हुआ है। वो देखो एक जीप , कितनी बुरी हालत हो गयी इसकी….“, मौसी आन्या का हाथ पकड़कर भीड़ से हटाते हुए कहती है।
“जीप….” , सुनकर आन्या चौंकती है और उसकी नजरे इधर उधर किसी को ढूढ़ने लगती है।
“क्या हुआ आन्या , अब चलो भी….“, मौसी ने लगभग आन्या को खींचे हुए कहा तो , “एक मिनट मौसी”, कहकर आन्या भीड़ में घुस जाती है। और उसकी नजर थोड़ा दूर खड़े रवि पर जाती है।
रवि को वहां देख आन्या अपने दोनों हाथों से अपना सर पकड़ कर उस ओर भागती है। पीछे पीछे मौसी भी भागती है , “क्या हुआ आन्या ? कहाँ जा रही हो ?” भागते भागते मौसी चिल्लाई….
रवि के पास पहुंच कर आन्या रुक गई ….उसका दिल तेज तेज धड़क रहा था और कुछ भी गलत सुनने को बिलकुल भी तैयार नहीं था….
“रवि”, आन्या ने धीमे और मरे से शब्दों में पुकारा।
आन्या की आवाज सुनकर रवि पलटकर देखता है और आन्या को सामने देखकर ,“आन्या…… आन्या वो इन्दर….“, कहकर रोने लग जाता है।
“इन्दर कहाँ है रवि ? क्या हुआ है उसको ?”, आन्या ने थोड़ा घबराई हुई आवाज में पूछा….तो रवि भर्राई सी आवाज में बोला, “वो जीप खाई में गिर गई….मगर….मगर इन्दर का कुछ पता नहीं चल रहा। “
आन्या यह सुनते ही गश खाकर गिरने को होती है कि तभी मौसी उसे संभाल लेती है।
शिंदे – “आप लोग कौन है ?”
रवि – “सर , ये भी इन्दर के दोस्त है। पास ही कैफे है इनका, इन्दर कैफे ही जा रहा था जब ये सब हुआ। “
यह सुनकर आन्या सुन्न हो जाती है और उसके आँखों से आंसू निकलने लगते है मगर वो कुछ बोल नहीं पाती।
“चलिए चलिए अब सब लोग अपने अपने घर जाइये। हमे अपना काम करने दीजिये। “, पुलिस भीड़ को वहाँ से हटाते हुए कहती है।
अँधेरा काफी हो चुका था और अब किसी को वहाँ ढूढ़ पाना आसान नहीं था इसीलिए धीरे धीरे भीड़ भी वहाँ से छटने लगती है।
“मैडम आप लोग भी अपने घर जाइये “, शिंदे ने आन्या और उसकी मौसी से कहा तो मौसी भी आन्या को वहाँ से लेकर चली जाती है। आन्या बिलकुल खामोश थी, उसे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि ये सब क्या और कैसे हो गया।
अभी तो कहा वो इन्दर की राह तक रही थी और यहाँ इन्दर…
यह सोच उसके मासूम से चेहरे पर आंसुओ की धारा बहे जा रही थी बस।।।
“खुद को सम्भालो आन्या —“, घर के अंदर ले जाकर उसे बिठाते हुए मौसी ने कहा तो आन्या फफक फफक कर रोने लगी…. “
“आन्या स्टॉप इट— ऐसे रोना बंद करो। तुम पहले से ही बीमार हो। “, मौसी आन्या को झकझोरते हुए कहती है।
“मौसी , ये सब क्या हो गया। हमेशा मेरे साथ ही ये सब क्यों…..“, कहकर आन्या वहाँ से उठ कर भाग कर अपने कमरे में चली जाती है और दरवाजा बंद करके बिस्तर पर गिर पड़ती है और अपना मुँह तकिये के बीच छुपा कर रोने लग जाती है।
मौसी चाहकर भी उसे रोक नहीं पाती। और मन ही मन इन्दर की सलामती की प्रार्थना करती है।
*******
राजवंशी हाउस –
इन्दर की माँ प्रिया आराम से लॉबी में बैठी थी कि तभी उनके फ़ोन की घंटी बजती है….
प्रिया – “हेलो ! प्रिया राजवंशी स्पीकिंग”
“ऑन्टी मैं रवि बोल रहा हूँ , आप जल्दी मनाली आ जाइये , इन्दर का एक्सीडेंट हुआ है।”
प्रिया सुनकर खड़ी हो जाती है – “क्या ? कैसे ? वो ठीक तो है न ?”, उनकी आवाज भारी हो गई थी और आंखे भर आई थी…
रवि – “हाँ सब ठीक है आंटी…..बस आप प्लीज पहले यहाँ आ जाइये फिर सब कुछ बता दूंगा।”
रवि ने फ़ोन पर उनको कुछ भी बताना सही नहीं समझा और वैसे भी अभी तक तो उसे खुद भी नहीं पता था कि इन्दर कहा और किस हाल में हैं…
“ठीक है ! हम पहुंचते है रवि बेटा इतने तुम उसका ख्याल रखना….“, प्रिया ने थोड़ा चिंतित होते हुए कहा और फ़ोन रख दिया….वो काफी घबराई हुई थी…
प्रिया , मिस्टर राजवंशी को कॉल लगाकर सब बताती है और रोने लगती हैं…
इन्दर के एक्सीडेंट की बात सुनकर वो भी काफी घबरा जाते हैं मगर फिर प्रिया की स्थिति समझकर उसे समझते हुए कहते हैं ,
“आप चिंता मत कीजिये हम निकलते है यहाँ से ,, आप जाने की तैयारी कीजिये…”
यह सुनकर प्रिया फ़ोन रख देती है और आंसू पोछते हुए आवाज लगाती है , “ड्राइवर गाड़ी निकालो…”
****
आन्या की मौसी का घर –
रात के खाने का समय हैं…मौसी आन्या को भी खाने के लिए आवाज लगाती है। पर आन्या कोई जवाब नहीं देती। मौसी उसकी स्थिति समझ रही थी इसीलिए वो सबको खाना खिलाकर सोने के लिए भेज देती है और खुद थोड़ी देर बाद खाना लेकर आन्या के कमरे में जाती है।
मौसी दरवाजा पीटते हुए – “आन्या , दरवाजा खोलो , मैं खाना लेकर आई हूँ। “
आन्या उठकर दरवाजा खोल देती है। उसकी आंखे सूजी हुई थी और चेहरा उतरा हुआ था…
मौसी के हाथ में खाने की थाली देख आन्या भरी आवाज में अपने आंसू पूछते हुए बोली, “मौसी मेरा बिलकुल भी मन नहीं हो रहा कुछ खाने का। आप प्लीज जिद मत करना। “
मौसी – “मैं सब समझ सकती हूँ आन्या। भगवान में यक़ीन रखो और इन्दर की सलामती की प्रार्थना करो। प्रार्थना में बहुत शक्ति है। देखना वो बिलकुल ठीक होगा। तुम भी अब थोड़ा सा खाना खा लो…. “
“मौसी मैं तो शाम से अपने कन्हैया जी से यही प्रार्थना किये जा रही हूँ मगर मेरा मन बहुत घबरा रहा है , इन्दर अभी तक नहीं मिला है। पता नहीं वो कैसा होगा किस हाल में होगा। मुझसे एक भी निवाला नहीं खाया जायेगा मौसी। ” , यह कहकर आन्या सिसकने लगती है…
मौसी , आन्या के गाल पर प्यार से हाथ फेरकर बोली , “यानि मैं एकदम सही थी, हम्म ?………आज तुमको सही मायनो में वो एहसास हुआ है जिससे तुम इतने दिनों से बचकर भाग रही थी।……. हैं ना?”
मौसी की बात सुनकर आन्या उठकर खिड़की पर चली जाती है और थोड़ी देर शांत बने रहने के बाद बोलती है , “हाँ मौसी शायद ……” , फिर एक लम्बी सांस लेकर मौसी की और देखती है और फिर बोलती हैं , “मौसी , जब मैंने वहाँ इन्दर की जीप देखी और रवि को वहाँ देखा तो मुझे ऐसा लगा जैसे मुझसे कुछ छूट रहा हो। , जैसे मेरे पैरो के नीचे से किसी ने जमीन ही खिसका ली हो।…..आज मैंने महसूस किया की किसी को खोने का डर क्या होता है। इंदर जब तक सामने था मुझे उसकी फीलिंग्स की कोई परवाह नहीं थी। मैं खुद को यही तसल्ली देती रहती थी के ऐसा कुछ नहीं है हम तो दोस्त भी नहीं है।
मगर आज जबकि वो मेरे सामने नहीं है और पता नहीं कल क्या होने वाला है , एक अजीब सा डर मुझ पर हावी होता जा रहा है। मैं उसकी कमी अपने दिल में बहुत ज्यादा महसूस कर रही हूँ। मुझे ऐसा एहसास हो रहा है जैसे मेरा कोई अजीज मुझसे बिछुड़ रहा हो। आप शायद ठीक कह रही थी कि मैं उससे प्यार करने लगी हूँ मौसी। मगर अब इस एहसास के क्या मायने रह जायेंगे अगर वो प्यार ही नहीं रहेगा तो…….
हे भगवन ! उसकी रक्षा करना।”, कहकर आन्या जोर जोर से सुबकने लगती है।
मौसी उसके करीब जाकर उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहती है , “अपने प्यार पर विश्वास रखो आन्या, ऐसा प्यार कहाँ मिलता है जो अपनी अनुपस्थिति में भी अपने होने का एहसास करा दे। देखना इंदर को कुछ भी नहीं होगा और वो तुमसे जल्द ही मिलेगा।”
मौसी की तसल्ली भरी बातें सुनकर आन्या मौसी के गले से लिपट जाती है।
“काश! ऐसा ही हो मौसी……“
क्रमशः
-रूचि जैन