मनाली की खूबसूरत वादियां और चारो ओर खिलखिलाती हुई धूप मानो सूरज भी प्रकृति को सलाम कर रहा हो। अक्टूबर का महीना यानि अपने आप में ही दिलकश मौसम, इसी सुहाने मौसम में एक लड़की लॉन्ग कोट और हैट लगा कर सड़क के साइड साइड पैदल जा रही है, जो बेखबर इन वादियों में घूम रही है और अपने मन को वहाँ की शांति से शांत करने की कोशिश कर रही है। ये आन्या ही है जो अपनी मौसी के यहाँ मनाली आई हुई है।
आन्या का रिश्ता तोड़ने के बाद उसके पिता उसके दुःख को देख नहीं पाते … उनको लगा के शायद आन्या यहाँ आकर कुछ सामान्य हो जाये इसीलिए वो आन्या को उसकी मौसी के पास छोड़ जाते है…
आन्या की मौसी श्रद्धा का एक छोटा सा प्यारा सा कैफ़े है जहाँ सारे पर्यटक आकर कॉफी का लुफ्त उठाते है और साथ ही साथ वादियों का भी। मौसी का एक छोटा सा प्यारा बेटा ध्रुव जिसके साथ खेलना आन्या को कोई सुकून देता हो… उसे देख कर उसे अपने छोटे भाई की कमी महसूस नहीं होती है …
मौसी पूरा दिन कैफे पर रहती थी तो आन्या का घर पर मन नहीं लगता था , इसीलिए वो थोड़े समय के लिए अपनी मौसी के कैफे पर चली जाती थी , इससे उसका मन भी लग जाता था और मौसी की थोड़ी मदद भी हो जाती थी। मौसी का घर कैफे से बहुत दूर नहीं था , हलाकि आस पास बहुत ज्यादा घर नहीं थे तो आस पास जंगल सा ही लगता था और वो एरिया भी बहुत शांत रहता था।
घर नजदीक होने के कारण वो लोग घर से कैफे के लिए पैदल भी निकल जाते थे ,अच्छी चलती सड़क थी और बीच में इक्का दुक्का ढाबा और चाय की टपरी भी पड़ती थी इसीलिए रास्ता बहुत ज्यादा सुनसान भी नहीं लगता था।
अभी भी आन्या अपनी मौसी की कैफ़े में हेल्प करने के लिए ही जा रही है।
दोपहर का समय है , लोग कैफे पर बैठे है और मौसम का लुफ्त उठा रहे है…वैसे तो मौसी का कैफ़े उस एरिया का सबसे फेमस कैफे था और बहुत चलता भी था … मगर इन दिनों की तो कुछ बात ही अलग थी…मौसम में ठंडक के कारण कैफे पर अच्छी भीड़ थी और कुछ लोग वेटिंग में भी खड़े थे…
तभी एक जीप कैफ़े के आगे आकर रूकती है और उसमें से ४ दोस्त निकल कर कैफ़े की तरफ बढ़ते है।
इन्दर, रवि, मीता और आलिया
चारो मनाली घूमने आये हुए है। भीड़ देखकर वो लोग भी वेट करने लगते है …
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आइये अपने इन दोस्तों से मिल लेते हैं ,,,, 🙂
इन्दर एक ५ फुट ११ इंच का हैंडसम लड़का , गोरा रंग , स्टाइलिश जो देखे देखता रह जाये…देखने में गंभीर, बोलने में माहिर , पर यारो का यार…दोस्तों के बीच उससे मजाक मस्ती कितनी ही करा लो …
रवि – ५ फुट १० इंच , मस्त मोला, इन्दर का दोस्त या कहो उसकी जान, फुल मस्त , आल टाइम इन्दर का सपोर्टिव और मीता से लड़ते रहने वाला
मीता एंड आलिया – सुन्दर नैन नक्श , स्टाइलिश और इन्दर और रवि की कॉलेज फ्रेंड्स (साथ घूमने आई है …), मीता थोड़ा चुलबुली किस्म की, थोड़ा गुस्सेबाज और मुंहफट लड़की हैं जिसकी आल टाइम रवि से बहस होती रहती हैं , जबकि आलिया थोड़ा शांत और काम से काम रखने वाली लड़की।।।
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वो लोग थोड़ी देर कैफे के बाहर ही प्रतीक्षा में खड़े रहते हैं तभी उनके पास एक वेटर आता हैं।
वेटर- हेलो सर , हाउ मैनी सीट्स ?
इन्दर – ४ सीट्स प्लीज… वी आर वेटिंग हियर…
वेटर – ओके सर , सॉरी फॉर वेट सर , बट आल सीट्स अरे फुल दिस टाइम , प्लीज गिव मी ५-१० मिनट्स !
इन्दर – ओके , नो इशू।।।
फिर वो लोग कुछ देर और कैफ़े के बाहर वेट करते है इतने में वेटर आकर..
वेटर – सॉरी सर , नाउ सीट्स अवलेबल , प्लीज कम हियर एंड प्लीज सीट…
इन्दर मुस्कुराते हुए – थैंक यू मैंन …..
फिर चारो सीट्स पर बैठ जाते है ….वो लोग ४ कॉफी का आर्डर करते है और साथ ही कुछ स्नैक्स के लिए भी।
आन्या की मौसी दूसरे ऑर्डर्स में बिजी है तो ये आर्डर आन्या के पास जाता है।
आन्या वेटर से मुस्कुराकर बोली ,” जल्दी जल्दी हाथ चलाओ देखो कितनी भीड़ है … और कोई भी कस्टमर नाराज होकर नहीं जाना चाहिए ये हमेशा धयान रखना … ये हमारे कैफे की रेपोटेशन का सवाल हैं … ओके”
वेटर – जी मैंम…
आन्या के पापा का कैटरिंग का बिज़नेस था तो आन्या कभी कभी अपने पापा की बिज़नेस में हेल्प भी करती थी इसीलिए उसको थोड़ा एक्सपीरियंस था इन सबका… और चूँकि वो बहुत खुशमिजाज और अच्छे व्यवहार वाली सीधी साधी लड़की थी तो यहाँ कैफे पर भी सब उसे पसंद करने लगे थे , इसीलिए उसकी बात अच्छे से सुनते भी थे और मानते भी थे। आन्या ने ३-४ दिन में ही सब पर जैसे जादू सा कर दिया था।
आन्या काउंटर पर बैठी थी , और बाकि सब ऑर्डर्स को भी बराबर से देख रही थी , वेटर इन्दर का आर्डर लेकर जाता है और इन्दर और दोस्तों के आगे कॉफ़ी सर्व करता हैं।
इन्दर अपने दोस्तों के साथ कॉफ़ी और वादियों का लुफ्त उठाने लगते है कि आन्या एक वेटर को आवाज लगाती हैं और इन्दर की नजर काउंटर पर बैठी आन्या के ऊपर पड़ती है। बाहर चल रही ठंडी हवाओं के कारण आन्या के बाल बार बार उसके गालो पर ऐसे आ रहे थे जैसे काली घटाए बादलो को छू कर निकल जाती हैं और वो वेटर से बात करते करते बार बार उनको अपने कानो के पीछे सरका देती थी , सब कुछ इतना मन मोहनिये था कि इन्दर के लिए तो २ पल के लिए आसमान और धरती सब रुक जाते है और वो आन्या को देखकर कॉफी पीते पीते खड़ा हो जाता और बस उसकी तरफ ही निहारता रहता है , उसे इस तरह खोया खोया खड़े देख कर कैफे पर बैठे बाकि सब लोग इन्दर को देखने लगते है।
इन्दर के दोस्तों की नजर भी उसपर पड़ती हैं तो रवि उसके बाजु पर अपनी ऊँगली से थपथपा कर पूछता हैं , “अबे खड़ा क्यों है….?”
पर इन्दर को कुछ भी नहीं पता वो कोई जवाब नहीं देता , उसकी नजरे तो बस आन्या पर ही टिक कर रह जाती है।
रवि – (इन्दर को जोर से हिला कर ) अबे हुआ क्या ? सुन भी रहा है कि नहीं ?
मगर इन्दर उसी हालत में उसका हाथ पकड़ कर साइड कर देता है और वैसे ही सम्मोहित सा देखता रहता है ….
आह ,,,,,,,
“दिल जो हमारा आहे न भरता।
तो दुनिया में कोई मुहोब्बत न करता।। “
इन्दर के दोस्त उस तरफ देखते है जहाँ इन्दर देख रहा होता है…काउंटर पर बैठी आन्या और आन्या को ताकते इन्दर को देख सारे दोस्त एक दूसरे को देखते हुए एक साथ चिल्लाते है …”ओह्ह्हो ,,,,,,,,,,तो ये बात हैं “,
मगर इन्दर इस कदर खोया था कि इन लोगो के चिल्लाने का भी उस पर जैसे कोई असर नहीं था। कैफे में बैठे बाकि सब भी इन्दर को देख रहे थे मगर इन्दर सबसे बेखबर बस आन्या को ही निहारे जा रहा है….
इन्दर के दोस्त और कैफ़े में बैठे सब लोग इन्दर पर हसने लगते है। सबको हँसते देखकर आन्या का ध्यान इन्दर पर जाता है तो वो काउंटर से उठकर इन्दर की ओर बढ़ती है।
इधर इन्दर को अभी भी ख्यालो में ही आन्या अपनी ओर आता दिख रही है।
“चलने लगी है हवाएं, सागर भी लहराये।
पल पल दिल मेरा तरसे, पल पल तुम याद आये। “
और जैसे वाकई हवाएं चलने लगती हैं ,,,,,,,,,,,,आन्या इन्दर के आगे आके खड़ी हो जाती है और कुछ पल उसको देखती रहती हैं , तभी हवा के एक झोके से उसको कुछ अजीब सा एहसास होता हैं जो उसे अंदर तक छू जाता हैं , कुछ पल के लिए आन्या भी कही खो सी जाती हैं मगर फिर जल्दी ही वर्तमान में आकर इन्दर कि आँखों के आगे चुटकी बजाते हुए कहती हैं — ” हेलो मिस्टर ! जो भी नाम हैं आपका , कहा खोये हो । सब लोग आपको ही देख रहे हैं चलिए नीचे बैठ जाइये। “
इन्दर एक दम जैसे नींद से जगा हो—- वो झेप कर नीचे बैठ जाता है और मुस्कुराते हुए अपना सर खुजलाने लगता है।
सब लोग फिर से हसने लगते है… आन्या चारो ओर नजर घुमाकर सब लोगो को हसता हुआ देखती हैं मगर उसको कुछ समझ नहीं आता….
फिर आन्या वापिस काउंटर पर चली जाती है।
रवि , मीता ओर आलिया इन्दर को छेड़ने लगते है।
“ये तो अब गया काम से ,,,,,इसका तो लग गया नंबर ,,,,, अब ये हमे कही नहीं घूमने वाला ,,,, देख लेना तुम सब”, मीता ने इन्दर को देख आँख मारते हुए हसकर कहा। मगर इन्दर बिना कुछ भी कहे बस चुपचाप मुस्कुराता ही रहता हैं।
वो सब लोग वापिस अपनी कॉफ़ी पीने में लग जाते हैं मगर इन्दर कॉफी पीते पीते , अभी भी आँख बचा बचा कर आन्या को ही देख रहा है।
आन्या अपने काम में बिजी है उसे इसकी कोई खबर नहीं है, पर इन्दर की नज़रे तो आन्या के भोले से चेहरे से हटने का नाम ही नहीं ले रही।
वो चारो काफी पीते है और इन्दर बिल पेमेंट करने काउंटर पर जाता है। इस वक़्त इन्दर के चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल थी जैसे वो ना जाने कितनी देर से इसी बात का वेट कर रहा हो कि कब बिल आये ओर वो काउंटर पर आन्या के नजदीक जाये।
काउंटर पर पहुंच कर इन्दर आन्या से बोलै –
इन्दर – “मैडम हमारा बिल कितना हुआ। “
आन्या – “२५० ओनली “
इन्दर – पेमेंट करता है।
फिर काउंटर पर अपनी एक कोहनी टिकते हुए थोड़ा झुक कर धीरे से बोला, “क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ? “
आन्या – “क्यों ?”
इन्दर – “ऐसे ही–“
आन्या – “मुझे बताने में कोई दिलचस्पी नहीं। “
इन्दर – “पर मुझे जानने में है। “
आन्या गुस्से से – लेकिन क्यु?
इन्दर प्यार से – क्युकी मुझे आप से दोस्ती करनी है ♥
आन्या तुनक कर – मगर मुझे नहीं करनी कोई दोस्ती , समझे मिस्टर xyz जो भी अआप्का नाम हैं।।।।
इन्दर मुस्कुराकर – इन्दर नाम हैं मेरा , बाकी आप प्यार से जो भी कहना चाहे ,,,,,,,
आन्या गुस्साकर कुछ कहना चाहती है कि इतने में आन्या की मौसी काउंटर पर आ जाती है तो इन्दर चुपचाप वहां से चला जाता है, काउंटर पर एक पेपर छोड़कर,,,,,,,,,
आन्या उसको घूरकर जाता हुआ देखती हैं तो वो मुस्कुराकर काउंटर पर छोड़े पेपर कि ओर उंगली से इशारा करता हैं ,,,,,,,,
आन्या पेपर देखकर सकपका जाती हैं ओर फटाफट पेपर उठा कर पढ़ती है ,“एक दिन मैं आपका नाम जानकर ही रहूँगा।“ , यह पढ़कर आन्या उसकी जीप की तरफ देखती है तो वो मुस्कुरा कर बाय-बाय का इशारा करता है।
आन्या मन ही मन बुदबुदाती है “अजीब पागल हैं मैं भी देखती हूँ मेरा नाम कहाँ से पता करता है। हुम्म “
(इस टाइम आन्या चोट खाई शेरनी की तरह है जो किसी भी लड़के को केवल शक की नजर से ही देख रही है क्योंकी मानव ने उसके साथ जो किया था उस बात को वो अब तक नहीं भुला पा रही थी ,,,,, )
आन्या की मौसी पूछती है- “क्या हुआ आन्या इतना गुस्से में क्यों हो “, तो आन्या मुस्कुरा कर कहती हैं “कुछ नहीं मौसी बस ऐसे ही —“, फिर मन ही मन बुदबुदाती हैं , “पता नहीं कहा कहा से चले आते है अजीब ही है …”
अगले दिन –
इन्दर अपने दोस्तों के साथ फिर काफी पीने आ धमकता है तो आन्या उसको दूर से देखकर सड़ा सा मुँह बनाती हैं ओर बैठने का इशारा करती हैं , तो इन्दर मुस्कुराता हुआ एक अच्छी सी सीट पकड़ कर दोस्तों के साथ बैठ जाता हैं जहा से काउंटर पर बैठी आन्या उसे साफ़ दिखाई दे।
“अरे ये तो वही सीट हैं ना , काउंटर स्पेशलिस्ट , ,,,,,,,”, हसते हुए रवि ने इन्दर के कंधे पर हाथ मारा , ” साले तू तो लग गया काम पर , अब क्या हमे रोज कॉफ़ी पिला पिला कर मारने का इरादा हैं क्या ? है है है “, तो इन्दर मुस्कुराकर बोला , “दोस्त के लिए जान भी नहीं दे सकता क्या ? वैसे जान नहीं चाहिए तेरी फिलहाल कॉफी मंगवा ,,,,,,” तो मीता ओर आलिया भी हसने लगती हैं।
वेटर आकर आर्डर लेके जाता हैं ओर आन्या वेटर से उनका आर्डर लेती है।
इधर इन्दर फिर से आन्या को छुप छुप कर देखने लगता है।
अचानक आन्या की नजर इन्दर पर पड़ती है। इन्दर अपनी नजरे हटा के दोस्तों से बात करने का नाटक करता है मगर आन्या उसे खुद को ताकते महसूस कर लेती हैं और थोड़ा असहज महसूस करती है।
वो लोग काफी देर कैफे में बैठे रहते हैं।
थोड़ी देर बाद इन्दर उठकर काउंटर पर जाता हैं। काउंटर पर इन्दर फिर से आन्या का नाम पूछता है।, “प्लीज बता दीजिये ना , नाम बताने में क्या जाता हैं ?” तो आन्या फिर से गुस्साके इन्दर को जवाब देती है।
“देखो मुझे परेशान करना बंद करो… क्यों आ जाते हो बार बार तंग करने…”
इन्दर हंसकर – क्योंकी मज़ा आता है , पगला गया हूँ मैं
आन्या- मतलब?
इन्दर – कुछ नहीं , बस आप नाम बता दीजिये
आन्या- कभी नहीं
इन्दर – ठीक है फिर मैं यही खड़ा वेट कर रहा हूँ
आन्या झीक कर – करते रहो ,,,,,,
इन्दर सच में कटर पर कमर टिका के खड़ा हो जाता हैं , कुछ लोग आते हैं पेमेंट करके चले जाते हैं , मगर इन्दर ऐसे ही खड़ा रहता है तो आन्या ओर ज्यादा खीजकर बोलती हैं ,
आन्या – देखो मिस्टर अगर तुमको लगता है कि इन सब पैतरों का मुझपर कोई असर होगा , तो तुम गलत हो… खड़े रहो मगर (खीज कर ) मैं …अपना …नाम ….नहीं … बताउंगी… समझे तुम …
आन्या कि तेज आवाज सुन आस पास के सब लोग काउंटर की ओर देखने लगते हैं तो इन्दर थोड़ा असहज होकर चारो और देखता है फिर , “ओके ओके , चिल,,,,,नो प्रॉब्लम बस आप गुस्सा मत कीजिये “, कहकर वहां से चला जाता है …
मगर उसको चैन कहा था , वो होटल जरूर चला जाता था मगर दिल तो उसका जैसे कैफे में ही छूट गया था।
अब तो इन्दर का ये रोज का काम हो गया था। इन्दर रोज दोस्तों के साथ कॉफी पीने आता और आन्या को देखता रहता। अब तो उसके दोस्त भी अपना सर पकड़ लिए थे , मगर मारते क्या न करते , दोस्त को छोड़ भी नहीं सकते थे अकेले तो वो भी बिचारे रोज काफी पीने साथ आ धमकते थे।
इधर इन्दर कभी उससे उसका नाम पूछता तो कभी मजाक करता , कभी उसकी सुंदरता की तारीफ में शेर जड़ देता तो कभी वादियों की तारीफे ।
अब तो आन्या को भी जैसे आदत सी हो गयी थी मगर अपने अंदर के किसी अनजाने डर के कारण उससे बचती फिर रही थी , मन ही मन कभी कभी उसे इन्दर की बातें बहुत ही प्यारी लगने लगती तो कभी कभी वो जान कर अपने मन को तकलीफ देती ओर इन्दर को लताड़ देती। उस दिन भी यही हुआ। आन्या अपने अतीत की सोच में खोई थी और बहुत दुखी थी तभी इन्दर कैफे पर आ जाता हैं , वेटर आकर खोई आन्या को आर्डर बोलता हैं तो इन्दर पर धयान जाते ही उसे बहुत ज्यादा गुस्सा आ जाता हैं और वो इन्दर के टेबल पर पहुंच जाती है।
आन्या हलके से चिल्लाकर – “आपको क्या लगता है मुझे कुछ समझ नहीं आता है। हम्म, सब समझती हूँ मैं ,,,,,, “
इन्दर भोला बनकर –“क्या समझ नहीं आता। और आप क्या समझती हैं ?“
आन्या – “यही के आप रोज रोज यहाँ कॉफी पीने क्यों आते है। “
इन्दर मुस्कुराते हुए – “क्योकि मुझे आपका नाम जानना है और आपकी कॉफी भी बहुत अच्छी है इसीलिए “
आन्या — “जी नहीं , आप इसीलिए नहीं आते। आप ,,,,,,,आप ,,,,,,,,,,,,,कुछ कहते कहते रुक जाती हैं और फिर ऊँगली दिखाते हुए—मान जाओ वरना,,,,,”
इन्दर आन्या का हाथ पकड़ते हुए – “वरना क्या ?,,,,,,,,,,,,फिर तिरछा मुस्कुराकर -अरे तो आप ही बता दीजिये। मैं क्यों आता हूँ ,,,,,,,,,,”
आन्या कुछ नहीं कहती और अपना हाथ छुड़ा कर पैर पटकती हुई वापिस चली जाती है।
इन्दर मुस्कुराने लगता है। और बाकि सब दोस्त हसने लगते हैं।
तभी आन्या की मौसी उसे आवाज लगाती है , “आन्या तुम्हारे लिए घर से फ़ोन है। “
इन्दर उसका नाम सुनके दोहराता है “ओह्हो आन्या , तो ये नाम है मैडम का”
आन्या उसके घूरते हुए फ़ोन अटेंड करने चली जाती है।
इन्दर – “बाप रे इतना गुस्सा —- ”
रवि- अबे ये सब क्या चल रहा है … हमे भी कुछ बताएगा या नहीं …
इन्दर – अरे कुछ होगा तभी बताऊंगा न …दोस्ती तो हो जाने दे साले .. फिर अपनी एंट्री करना , ,,,,,,इतने मामले से दूर रहो समझे ,,,, और फिर सरे हसने लगते हैं।
मीता – हम्म तो ये बोल ना ,,,,,,,,,,.. बड़ी लकी है ये लड़की तो… वरना तुम पर कॉलेज की इतनी लड़कियों ने प्रोपोज़ मारा मगर तुमने तो किसी को भाव नहीं दिया … बेचारी वो लड़किया ,,,,,,,,
इन्दर हसते हुए – यार किसी ने दिल में घर नहीं किआ था अभी तक , मगर इसकी एक नजर काम कर गई …फिर मीता को घूरते हुए , तुझे बहुत तरस आ रहा हैं उन् लड़कियों पर हम्म ,
रवि बीच में टपकते हुए – अबे आशिक अब चले यहाँ से , थोड़ा मनाली भी घुमा दे….तू तो यहाँ हर साल आता है …बेचारी मीता अलिया को तेरी लव स्टोरी से क्या मतलब… है न , हसकर है हे हे
इन्दर – (हँसते हुए )चल भाई चल
फिर इन्दर भी अपने दोस्तों के साथ वहाँ से चला जाता है।
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आन्या के घर सब उससे बात करके खुश होते है।
आन्या की मौसी उसकी माँ को बताती है कि अब आन्या पहले से कॉफी बेटर है और उसका यहाँ मन लग गया है। इसीलिए मैं उसे कुछ और समय के लिए रोक रही हूँ …वो मेरी कैफे में भी बहुत मदद कर रही है ….
आन्या की माँ दादी से पूछ कर अनुमति दे देती है …
आन्या का भाई उससे अच्छे अच्छे गिफ्ट लाने की डिमांड करता है — आन्या फ़ोन पर ही उसके बहुत लाड करती है और बोलती है के वो उसके लिए बहुत अच्छे अच्छे उपहार लेकर आएगी।
आन्या की दादी आन्या को खुश देखकर बहुत खुश है और घर के मंदिर में जाकर भगवान से प्रार्थना करती है कि मेरी बच्ची के सब दुःख हर ले भगवान् और उसे उसके सच्चे जीवन साथी से जल्दी ही मिला दे।
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जैसे जैसे दिन बीत रहे थे , मौसम अपना खुमार दिखा रहा था , आधी ठण्ड आ चुकी थी और पहाड़ो पर तो वैसे भी सुबह को मौसम बिना ठण्ड के भी सुहाना ही होता हैं।।।।।।।
ऐसे आन्या सुबह सुबह अपने हाथो को बांधे अपने आप में थोड़ा सुकड़ते हुए घर से कैफ़े की ओर पैदल चली जा रही थी कि तभी उसे दूर कोई खड़ा दिखाई देता है।
आन्या ध्यान से देखती है “इन्दर यहाँ “, उसके मुँह से निकला और वो थोड़ा घबरा जाती है। मगर फिर भी रूकती नहीं और चुपचाप आगे बढ़ती रहती हैं
जैसे ही वो नजदीक पहुँचती है इन्दर उसको रोक लेता है,,,,,,,,
आन्या उसे घूरते हुए – “बोलो क्या बात है , मुझे क्यों रोका ?” तो इन्दर एक सफ़ेद गुलाब का फूल उसकी तरफ बढ़ा देता है।
आन्या – “ये सब क्या है ? देखो मैं कोई ऐसी वैसी लड़की नहीं हूँ। आप गलत समझ रहे हैं , चलिए मेरा रास्ता छोड़िये। “
इन्दर – “आन्या तुम गलत समझ रही हो, ये सफ़ेद गुलाब हमारी दोस्ती के लिए है। और प्लीज मुझे माफ़ करना मैंने इतने दिन तुमको परेशान किया। “
आन्या फूल लिए बिना आगे बढ़ जाती है। उसकी चाल तेज है।
इन्दर भी उसके साथ साथ चाल से चाल मिलाकर चलने लगता है।
आन्या – “मुझे किसी की दोस्ती नहीं चाहिए , ये गुलाब आप अपने पास रखो। “
इन्दर – “मगर क्यों ? , हम दोस्त क्यों नहीं हो सकते ? देखो ये गुलाब तो आपको लेना ही पड़ेगा आज नहीं तो कल “
आन्या (रुक जाती हैं और उसकी तरफ देखकर )– “अजीब जबरदस्ती है। प्लीज जाओ यहाँ से कैफ़े आने वाला है। किसी ने देख लिया तो। “
इन्दर – “देखने दो। पर मैं तब तक नहीं जाऊंगा जब तक आप ये गुलाब नहीं लेंगी । “
आन्या ये सुनकर पैर पटकते हुए वहां से जाने लगती हैं तभी आन्या को ठोकर लगती है और वो एक दम से गिरने को होती है। पर इन्दर उसे अपनी बाहो में थाम लेता है। दोनों की नजरे एक दूसरे से टकराती है , इन्दर आन्या की अनकही आँखों में डूबता चला जाता है और आन्या इन्दर को ऐसे देखती है जैसे उसे बरसो से जानती हो।
बैकग्राउंड म्यूजिक।।।।। “कितना सोना तुझे रब ने बनाया , जी करे देखता रहू।,,,,,,,,,, “
कुछ देर तक वो दोनों एक दूसरे की आँखों में खोये रहते है कि तभी पीछे से हॉर्न बजने की आवाज से उनका ध्यान टूट जाता है और हड़बड़ी में इन्दर के हाथ से आन्या छूट कर सड़क पर गिर जाती है , ये देखकर इन्दर के दोस्त हसने लगते है।
इन्दर आन्या को सॉरी बोलता हैं और उठने के लिए हाथ देता है…. मगर आन्या गुस्से से उसे घूरती हैं और उसके हाथ को अनदेखा करके खुद उठ जाती है… और फिर गुस्से से पैर पटक कर अंगुली दिखाते हुए … यू…..तुमको तो मैं देख लूंगी ,,,,,,,,,
रवि हसते हुए – ले , देख ले इन्दर तू हमको छोड़ के इनके लिए जल्दी भाग आया सुबह सुबह और ये तुझको धमकी दे रही हैं , है है है
इन्दर ( बात बदलते हुए )- अरे नहीं यार वो तो मैं … अरे कुछ काम था जरुरी
रवि – हाँ वो तो अभी देखा हमने कि क्या काम था,,,,,,,,
सुनकर इन्दर झेप जाता हैं और मुस्कुराता हुआ अपना सर खुजलाने लगता हैं और आन्या भी थोड़ा शरमा जाती है और तेजी से कैफ़े की ओर भाग जाती है।
इन्दर जीप पर चढ़कर रवि को मस्ती में मारने लगता है…
फिर वो लोग वहां से चले जाते है…
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कुछ दिन यही सब चलता रहता हैं , इन्दर आन्या से दोस्ती बनाने कि नाकाम कोशिश करता हैं मगर आन्या कुछ खास रेस्पोंस नहीं देती , हलाकि अब उसने इन्दर पर गुस्सा करना छोड़ दिया था , क्युकी उसे तो अब खुद इन्दर ओर उसके दोस्तों से बातें करना अच्छा लगने लगा था
मगर फिर भी वो अपने इस डरे हुए दिल कि हाथो मजबूर थी और कोई भी नया रिश्ता बनाने से डर रही थी , भले ही वो दोस्ती का रिश्ता क्यों न हो।
फिर एक दिन अचानक से इन्दर और उसके दोस्तों ने कैफे आना बंद कर दिया। अब तो आन्या को न तो दिन को चैन न रात को ,,,,,इस बात को २ दिन गुजर गए। मगर वो पता करे भी तो किससे करे , बस बैचैन होकर उन लोगो का इन्तजार ही करती रही।
आज भी आन्या बिना कुछ बोले कैफे पर बैठे बार बार सड़क की ओर देख रही थी , शायद वो आज भी इन्दर का इंतजार कर रही थी।
सुबह से शाम हो जाती है पर वो लोग नहीं आते..आन्या फिर से थोड़ा उदास हो जाती है पर जताती नहीं।
२ दिन और बीत जाते है।
आन्या को पूरी रात नींद नहीं आती। अब तो आन्या को बैचेनी होने लगती है। कि आखिर हुआ क्या। वो चारो एक दम से कहाँ चले गए, पर उसके पास न तो इन्दर का कोई नंबर था न ही कोई एड्रेस–
उसे बार बार इन्दर की बाते और मजाक याद आते रहते है।, उसे बार बार ऐसा महसूस हो रहा था कि उसने एक अच्छा दोस्त भी खो दिया , अब पता नहीं वो कैफे दुबारा आएगा भी या नहीं ,,,,,,,,,,
आन्या को बाहर टहलता देख उसकी मौसी पूछती है, “आन्या तुम सोई क्यों नहीं ? क्या हुआ सब ठीक है न ?”
आन्या – “जी मौसी सब ठीक है। बस नींद नहीं आ रही। “
फिर मन मारकर वापिस अपने कमरे में चली जाती हैं। मगर मौसी कि आगे कुछ नहीं जताती। आन्या की मौसी उसके दिल के अंदर आये बदलाव से बेखबर है।
अगली सुबह –
अचानक इन्दर की दोस्त आलिया कैफे पर आती है। आन्या उसे देख कर मन ही मन खुशी से फूली नहीं समाती।
आलिया सीधे आन्या कि पास पहुँचती हैं ओर आन्या को एक लेटर देती है और फिर उससे पूछती है क्या तुम मेरे साथ चलोगी ?
आन्या लेटर खोल कर पढ़ती है और चुप हो जाती है –
क्रमशः
–रूचि जैन