घाव तन पर नहीं , पर मन के गहरे थे
भेडियो की खाल में छुपे न जाने कितने चेहरे थे..
वक़्त ने क्या चोट दी , जैसे सब कुछ सीखा दिया
प्यार और नफरत का मतलब बता दिया।।
इन्दर ने वहाँ से निकलते ही मौसी को कॉल करके वो सब बता दिया, जितना उसे पता था और उनको जल्द से जल्द घर पहुंचने को कहा।
पूरा रास्ता इन्दर के लिए आज मीलो लम्बा सफर जैसा था , कहा तो उसे आन्या के साथ वक़्त बिताने के लिए , इतनी दूरी भी कम ही लगती थी और कहा आज आन्या की ऐसी हालत देख, यही रास्ता उससे कट ही नहीं रहा था। पूरा रास्ता वो आन्या के बारे में ही सोचता रहा।
उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि आन्या जैसी मासूम और भोली लड़की का भी कोई दुश्मन हो सकता हैं, जो उसे इस तरह छुपकर चोट पहुँचायेगा।
“मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा आन्या, मैं पता लगाकर ही रहूँगा कि ये सब किसने किया तुम्हारे साथ और इसकी क्या वजह है। काश! तुम मुझे बता पाती कि आज आखिर हुआ क्या ? और ये सिर्फ तुम और सिर्फ तुम ही बता सकती हो। “, इन्दर मन ही मन पूरा रास्ता यही सब सोचता
रहा।
फिर अचानक से उसे उस दिन नहर(लेक) के पास हुई फायरिंग का याद आता है तो वो तुरंत अपने पापा को कॉल लगा देता है।
इन्दर के पापा आकाश फ़ोन उठाते है और इन्दर से उसका हाल चल पूछते हैं। इन्दर को समझ ही नहीं आ रहा था कि अपने पिता से बताये तो बताये क्या ? वो वहाँ क्यों और किसके साथ गया था ? फिर कुछ सोचते हुए वो इस बारें में अपने पापा से बात ना करने का निर्णेय लेता हैं और नार्मल बात कर कॉल कट कर देता है। मगर उसके दिल की परेशानी और चिंता और ज्यादा बढ़ती ही जा रही थी।
“उस दिन हुई फायरिंग और आज की घटना का आपस में कोई कनेक्शन है क्या ? और अगर हैं तो हमे जल्द से जल्द पुलिस में कंप्लेंट करनी ही पड़ेगी। मैं आन्या की जान अब और खतरे में नहीं डाल सकता। “, इन्दर ने मन ही मन सोचा । “
तभी ब्रेक लगने की आवाज और जीप के रुकने से लगे झटके ने उसका ध्यान तोडा।
“इन्दर हम पहुंच गए आन्या के घर , आ चल पहले इसे अंदर ले चलते है “, रवि ने जीप से उतरते हुए इन्दर से कहा।
जीप की आवाज सुन मौसी भी घर के बाहर आ गयी । वो तेजी से कदम बढाकर आन्या की तरफ आई और आन्या के माथे की चोट और उसकी हालत देख घबरा गयी। आन्या भी मौसी के गले लगकर फिरसे सिसकने लगी।
“इन्दर , क्या है ये सब ? क्या हुआ आन्या को। ये,,,,ये चोट कैसे लग गयी इसे ? “, मौसी ने आन्या को सँभालते हुए पूछा।
“मौसी , पहले आन्या को अंदर लेके चलते है। “, इन्दर ने बात बदलते हुए कहा।
इन्दर के पास अभी मौसी की बातों का कोई जवाब नहीं था और वो अभी आन्या के सामने वो सब बातें करना भी नहीं चाह रहा था।
इसीलिए वो बिना कुछ कहे आन्या को अंदर ले जाता है और कमरे में ले जा कर पलंग पर लिटा देता हैं। आन्या भी चुपचाप लेटकर आँखें बंद कर लेती हैं। मौसी आन्या से कुछ पूछने को होती है तो इन्दर “ना ” में सर हिलाकर चुप रहने का इशारा करता हैं , फिर सब लोग कमरे से बाहर लॉबी में आकर बैठ जाते हैं।
“इन्दर , अब तुम ही बताओ मुझे, ये सब हुआ कैसे ?”, मौसी ने इन्दर की तरफ देखकर फ़िक्र करते हुए कहा। उनके चेहरे पर चिंता की रेखाएं साफ़ दिखाई दे रही थी। मौसी की बात सुनकर इन्दर उठकर मौसी के पास जाकर बैठ जाता हैं और उनका हाथ थामते हुए धीरे से बोलता हैं ,
“ये तो मुझे भी नहीं पता मौसी, कि ये सब क्या और कैसे हुआ , बल्कि इनमें से किसी को भी नहीं पता। (फिर थोड़ा रुक कर) मुझे माफ़ कर दीजिये मौसी , मैं आन्या को अपनी जिम्मेदारी पर ले गया था तो मुझे उसे अकेले नहीं छोड़ना चाहिए था। आप मुझे जो सजा देना चाहे दे सकती है।
देखिये तो….. ये सब क्या हो गया , और हम कुछ भी नहीं कर पाए। “, ये कहते हुए इन्दर की आँखों में नमी आ जाती हैं।
इन्दर की बातें सुनकर मौसी की आँखों में भी नमी आ जाती हैं , फिर वो एक गहरी सांस लेते हुए इन्दर को देखती हैं और फिर बाकि सब दोस्तों को देखते हुए कहती हैं , “तुम लोग खुद को इसका जिम्मेदार मत मानो , इसमें तुम्हारा क्या कसूर , जो होना था हो गया , अब तो सिर्फ और सिर्फ आन्या ही हमे बता सकती है कि आज आखिर हुआ क्या ? और उसके माथे पर ये चोट कैसे लगी। वो कर क्या रही थी वहां पार्किंग में——? “
मौसी की बेचैनी बढ़ने लगती हैं और वो उठकर वापिस आन्या के कमरे में चली जाती हैं और उसके सिरहाने बैठकर उसका सर सहलाने लगती हैं। इन्दर और बाकि सब भी वही आ जातें हैं। आन्या आँखें खोलकर मौसी की तरफ देखती हैं तो उसकी आँखों से आंसू निकलकर उसके गाल पर लुढ़क जाते हैं।
वो उठकर बैठने लगती हैं तो मौसी उसके पीछे की साइड तकिया लगाकर आराम से बिठा देती हैं।
आन्या अपनी नजर उठाकर एक बार कमरे में उपस्थित सभी लोगो को देखती है और फिर नीचे मुँह करके सिसकने लगती हैं।
“आन्या ऐसे कब तक रोती रहेगी, मेरी बच्ची, कुछ बताएगी तभी तो हम कुछ कर पाएंगे”, मौसी ने आन्या के सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा। मौसी की बात सुनकर , इन्दर भी आन्या के करीब आकर बैठ गया और उसका हाथ अपने हाथो में लेकर बोला, “हाँ प्लीज , बताओ आन्या , अब तो मुझसे भी बर्दास्त नहीं हो रहा , मैं भी जानना चाहता हूँ —“
आन्या को समझ नहीं आ रहा था कि वो कहा से शुरुवात करे। उसे अब भी चुप देखकर इन्दर से नहीं रहा गया और उसने आन्या से पूछा , “तुम पार्किंग एरिया क्यों गयी थी आन्या ?”
“वो वहां दुकान पर एक लड़का आया था बताने कि वहाँ पार्किंग में कोई बुला रहा है , मुझे लगा शायद तुम वहां हो, इसीलिए मैं वहाँ चली गयी “, आन्या ने कहना शुरू किया। “फिर मैं वहां तुमको सब जगह ढूढ़ने लगी मगर तुम मुझे कही नहीं दिखे। फिर जैसे ही मैं वापिस आने के लिए मुड़ी तो एक गोली कार पर आकर लगी और कार का शीशा चारो तरफ बिखर गया। मैं डर कर वहां से भागना चाहती थी तो हड़बड़ाहट में मेरा पैर उलझा और मैं गिर पड़ी और मेरे माथे पर ये चोट आ गयी।।।। वहाँ जो खून टपका हुआ था शयद वो मेरा ही था। मैं बहुत ज्यादा डर गयी थी।”, आन्या ने पूरी की पूरी बात एक ही सांस में बता दी।।।। “
“गोली ?”, आन्या की मौसी के मुँह से निकला , “तुम पर किसी ने गोली चलाई आन्या ?”
“हाँ! दूसरी बार—“,कहकर आन्या ने मौसी की तरफ देखा।
“क्या ? दूसरी बार ???? ” (मौसी का ऐसे रिएक्शन करना लाजमी था…..)
“हाँ मौसी , उस दिन जब मैं आन्या को अपने साथ ले गया था, तब भी हम पर फायरिंग हुई थी। उस वक़्त तो मुझे यही लगा था कि शायद वो फायरिंग मेरे ऊपर हुई है जिसकी वजह कोई बिज़नेस राइवल भी हो सकता हैं। इसीलिए आपको कुछ बताना सही नहीं लगा था। मैं तो सपने में भी नहीं सोच सकता था कि आन्या इतनी बड़ी मुसीबत में हैं।”
फिर इन्दर ने मौसी को उस दिन की सारी बातें बता दी। मौसी और बाकि सब दोस्त विस्मित हो इन्दर की सारी बाते सुन रहे थे किसी को भी कुछ कहते नहीं बन रहा था
“इन्दर उस दिन भी वो गोली…. मेरे लिए ही थी। कोई हैं…..जो मुझे मरना चाहता है।”, आन्या ने बहुत ही सरल और शांत तरीके से कहा।
“कौन आन्या ? मुझे लगता है हमे पुलिस को कॉल करना चाहिए।”, मीता ने आन्या की बात सुनकर अपनी राय दी।
“नहीं नहीं , पुलिस नहीं ! पुलिस को बुलाएँगे तो सबको पता चल जायेगा। माँ बाउजी को भी।”, आन्या ने थोड़ा घबराकर कहा।
आन्या की बात सुनकर मौसी थोड़ा गुस्से से बोली , “कुछ पता नहीं चलेगा आन्या , और अगर पता चल भी जायेगा तो भी कोई बात नहीं। मैं हूँ ना , सब संभाल लूंगी ओके। मगर ये जानना बहुत जरुरी है कि वो कौन है जो ये सब कर रहा हैं। वो तो भगवान का शुक्र है तुम ठीक ठाक हो। २ बार बची हो तुम। अब आगे गैरजिम्मेदार होने का क्या मतलब , बोलो ? ये सब इगनोर नहीं किया जा सकता। वो तो मुझे इससे पहले इस बारे में पता नहीं था नहीं तो मैं दूसरी बार की भी नौबत नहीं आने देती।”
“मौसी ठीक कह रही है आन्या, मैं पुलिस कंप्लेंट करता हूँ। “, ये कहकर इन्दर पुलिस स्टेशन फ़ोन मिला देता है और पुलिस को सारी जानकारी दे देता है। थोड़ी देर बाद पुलिस वहाँ पहुंच जाती हैं और आन्या का बयान दर्ज करती हैं। आन्या पुलिस को भी वही बात बताती है जो थोड़ी देर पहले उसने मौसी और इन्दर को कही थी।
“आपको किसी पर शक हैं ?”, इंस्पेक्टर ने आन्या से पूछताछ करते हुए कहा।
“जी , जी नहीं। मेरी किसी से दुश्मनी नहीं। मैं तो यहाँ इन सबके अलावा किसी को जानती भी नहीं। मैं तो बस यहाँ अपनी मौसी के घर , कुछ दिन के लिए घूमने आयी हूँ। “, आन्या ने इंस्पेक्टर को जवाब दिया।
“हम्म , ओके आन्या जी आप आराम कीजिये , हमे आपसे कुछ और जानकारी चाहिए होगी तो हम आपको दुबारा कष्ट देंगे। “, इंस्पेक्टर ने आन्या की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा और फिर पलटकर इन्दर की तरफ देखते हुए बोला , “हमको वो पार्किंग इन्वेस्टीगेशन तक सील करनी पड़ेगी। अगर जरुरत पड़ी तो आप सभी को लोकेशन पर आना पड़ेगा। तब तक के लिए आप लोग मनाली से बाहर नहीं जा सकते।”
“मगर हम लोग क्यों नहीं जा सकते। “, रवि ने इंस्पेक्टर के पास आकर पूछा तो इंस्पेक्टर ने रवि की ओर देखकर संदेहात्मक मुस्कान के साथ कहा , “क्युकी ये इन्वेस्टीगेशन का पहला नियम हैं और वैसे भी मुजरिम अभी मिला नहीं हैं।”, ये कहकर इंस्पेक्टर वहाँ से चला जाता हैं।
इंस्पेक्टर की बात सुनकर रवि गुस्से से इन्दर को देखते हुए ,”मतलब— मतलब क्या है इसका , अजीब पागल है ये , मतलब हम पर ही शक कर रहा हैं।”
इन्दर उसे शांत करते हुए चुप रहने का इशारा करता हैं।
इंस्पेक्टर के जाने के बाद मौसी सबके लिए कुछ चाय नाश्ता बनाने चली जाती है और रवि , मीता और आलिया भी बाहर लॉबी में आ कर बैठ जाते हैं। और इधर इन्दर आन्या के पास जाकर बैठ जाता हैं।
“अब कैसी हो आन्या?”, इन्दर ने उसका हाथ अपने हाथो में लेते हुए पूछा। तो आन्या इन्दर की तरफ देख कर मुस्कुरा दी।
“ठीक हूँ अब, मैंने सबको परेशान कर दिया ना?” आन्या ने इन्दर के हाथ पर अपना दूसरा हाथ रखते हुए कहा।
“कैसी बातें कर रही हो , तुमने परेशान नहीं किया तुमने तो हमारी जान ही निकल दी थी। ” , इन्दर ने थोड़ा मजाकिया अंदाज में उसका मूड हल्का करने के इरादे से कहा तो आन्या हंस पड़ी।
“कहा निकली जान , यही तो हैं मेरे पास”, आन्या ने भी उसे छेड़ते हुए कहा।
“हम्म, आपके पास है मेरी जान ….. तभी तो डर लगता हैं, कही उसे कुछ हो न जाये…..क्युकी तुम्ही तो हो मेरी जान “, इन्दर ने आन्या की आँखों में देख़ते हुए कहा तो आन्या झेप गयी।
“बस तुम अपना ख्याल रखना आन्या ……बाकि वो कौन था, ये तो पुलिस आज नहीं तो कल पता लगा ही लेगी। “, इन्दर ने बात बदलते हुए कहा।
“हाँ रखूंगी…… एक बात कहूँ ?….”, आन्या ने इन्दर की ओर देखते हुए कहा।
“हम्म , कहो ना” , इन्दर मुस्कुराने लगा।
“आप जब ऐसे बोलते है ना……तो मुझे बहुत अच्छा लगता हैं। ऐसा लगता हैं कि कोई तो हैं जिसके लिए मेरा होना मायने रखता हैं ” , आन्या ने मुस्कुराकर शरमाते हुए कहा तो इंदर ने आन्या का चेहरा उंगली से ऊपर करते हुए कहा, “तुम मेरे लिए क्या मायने रखती हो , ये तो मेरे दिल से पूछो। “
इन्दर से नजरे मिलते ही आन्या ने शर्माकर पलके झुका ली और फिर नजरे झुकाये झुकाये ही मुस्कुराकर , “पूछने की जरुरत हैं क्या ? , मैं महसूस कर सकती हूँ आपके दिल की धड़कनो को”
“तो इन धड़कनो का ख्याल क्यों नहीं रखती , मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ आन्या , तुम्हारे बिना अब नहीं जी सकता। “, इन्दर ने अचानक से आन्या को गले लगा लिया, “बहुत डर गया हूँ मैं , जब से वो हमला हुआ हैं , तुमको खोने का डर आ गया हैं मेरे अंदर, हमारा ये इश्क मुकम्मल होगा ना आन्या ? मैं अब तुमको नहीं खो सकता। “, कहकर इन्दर की आँखों में नमी आ जाती हैं और वो आन्या को और कसकर गले लगा लेता हैं तो आन्या भी अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर लपेट लेती है।
“मैं आपकी ही हूँ इन्दर और हमे कोई जुदा नहीं कर सकता। आपको मुझपर , अपने प्यार पर विश्वास है ना ?”, आन्या ने इन्दर से भावुक होकर पूछा।
“हाँ , खुद से भी ज्यादा “, इन्दर ने अलग होते हुए उसकी आँखों में देखते हुए कहा।
“एक बात पूछू ?”, इन्दर ने आन्या की आँखों में देखते देखते ही सवाल किया तो आन्या ने कहा ,”हम्म पूछो –“
“तुमने इंस्पेक्टर को तो सब कुछ बता दिया ना ? ऐसा कुछ तो नहीं जो तुम छुपा रही हो। “।
इन्दर ने पूछा तो आन्या नजरे चुराते हुए बोली, “नहीं ऐसा कुछ भी नहीं , मैंने सब कुछ बता दिया “, फिर बात बदलते हुए बोली, “पता नहीं आपको भी ना क्या क्या लगता रहता है , वैसे आपकी बहिन आने वाली थी, आ गयी ? “
“हाँ , होटल में हैं …” इन्दर ने मुस्कुराकर कहा …
“तो अब आपको भी वहां चले जाना चाहिए, वो अकेली होगी ना…….”, आन्या ने इन्दर से कहा तो इन्दर हॅसते हुए बोला
“मुझसे भगा रही हो तुम, हम्म?”
“अरे नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं…”, आन्या ने नजरे चुराते हुए कहा
” हम्म, बस अब निकल ही रहे हैं। तुम भी अब आराम करो। “, इन्दर ने आन्या के पास से उठते हुए कहा। इन्दर बार बार, अपनी नजरे चुराती आन्या का चेहरा नोटिस कर रहा था। मगर उसने कुछ कहा नहीं और फिर बाय बोलकर कमरे से बाहर चला गया।
इन्दर के जाने के बाद आन्या एक लम्बी सांस भरती है और मन ही मन कहती हैं ,”मुझे माफ़ कर दो इन्दर , मगर मैं तुमको मानव के बारें में नहीं बताना चाहती थी । मैं नहीं चाहती थी कि कोई तुम्हारे और मेरे बीच आ जाये। इसलिए मैंने तुमसे और इंस्पेक्टर से उसके बारे में जिक्र ही नहीं किया। जो हो गया सो हो गया , मैं सोच लूँगी कि मैं उससे कभी मिली ही नहीं थी , मैं तो बस यह चाहती हूँ भगवान कि अब वो कभी मेरी जिंदगी में लौट कर ना आये। “
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“बेचारी आन्या के साथ कितना कुछ हो गया , यकीन ही नहीं होता…”, होटल लौटते हुए रास्ते में आलिया ने कहा तो मीता एकदम से एक्साईटेड होकर बोल पड़ी , “हाँ, एकदम किसी थ्रिलर मूवी का सीन ही लग रहा है, हैं ना?”
रवि और आलिया उसका मुँह देखने लगे तो वो नार्मल होते हुए , “मजाक था यार “
“ये देखो… इसे ऐसे टाइम पर भी मजाक सूझ रहा हैं “, रवि ने उसकी तरफ आँखें तरेरते हुए कहा . …
इन्दर अभी भी बिलकुल खामोश बैठा था….
आलिया उन दोनों को चुप रहने का इशारा करते हुए इन्दर से बोलती हैं , “क्या हुआ इन्दर इतने खामोश क्यों हो? क्या सोच रखे हो ?”
“कुछ नहीं, बस सब चीजे समझने की कोशिश कर रहा हूँ पर कुछ समझ नहीं आ रहा… क्या सोचा था और न जाने क्या क्या हो रहा हैं”, इन्दर ने परेशान होकर कहा तो आलिया ने सांत्वना पूर्वक उसके कंधे पर हाथ रख दिया ….
अब वो लोग होटल पहुंच चुके थे…मीता और आलिया अपने कमरे में चली जाती है और इन्दर रवि से अपना सामान दूसरे कमरे में शिफ्ट करने के लिए बोलता हैं क्युकी अब संध्या भी आ गयी थी….
वो लोग कमरे में पहुंचते हैं तो संध्या बहुत बैचनी से उनकी प्रतीक्षा कर रही थी , उन लोगो को देखते ही उसके प्रश्नो की झड़ी लग जाती है….
“भाई कहाँ थे, कितना लेट कर दिया….” , संध्या ने गुस्सा दिखाते हुए कहा…
“तेरी भाभी से मिलने गया था मोटी”, इन्दर ने मुस्कुराते हुए उसके गालो को खींचते ♥ हुए कहा ….
“क्या…या…या….. माय गॉड… गजब भाई 👌 कब? कहा ? कैसे ? फटाफट सब बता दो मुझे वो भी बिना पूछे… 😬😬 मुझे सब जानना हैं”, संध्या के चेहरे पर उसके दिल की ख़ुशी फूट फूट के निकल रही थी…
“बड़ी बेसब्री है तू , जा नहीं बताऊंगा , तूने घर पर बता दिया तो”, इन्दर ने संध्या से मस्ती ली और पीठ फेर कर हंसने लगा…🤭
“क्या भाई , प्लीज प्लीज , ऐसे मत करो वरना पूरी रात मेरे पेट में दर्द होता रहेगा….. मैं किसी को नहीं बताउंगी….”पक्का…..”, संध्या सब कुछ जानने के लिए बैचेन हुई जा रही थी… वैसे भी उसके लिए ये प्यार मुहोब्बत, किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं था….और जिसमें उसे बहुत इंटरेस्ट था… 😉
इन्दर ने प्यारी सी मुस्कराहट के साथ एक गहरी सास ली और बालकनी में जाकर खड़ा हो गया… और अपनी पहली मुलाक़ात याद आते ही मुस्कुराने लगा… “यही मनाली में एक कैफ़े में मिला था मैं उससे, उसकी मौसी के कैफे में, कितनी प्यारी लग रही थी वो उस दिन , भोली सी , मासूम, खूबसूरत और बहुत प्यारी , तीखे नैन , पंखुड़ी से होंठ… वही काउंटर पर बैठी थी, जब बोले तो ऐसा जैसे फूल झड़ जाये….. मैं तो उसे देखते ही खड़ा का खड़ा रह गया था….”
“वाओ , सो रोमांटिक 😍, इतनी हसीन वादियां, हसीन मौसम, कॉफ़ी की चुस्की और हम-तुम, वाओ वाओ सुपर्ब भाई”, संध्या इतनी एक्साईटेड थी की जाकर २ कप कॉफ़ी ही बना लाइ….
मुस्कुराकर एक कप इन्दर को पकड़ाते हुए, “लो भाई , फील आना चाहिए…” 😉
फिर सिप लेते हुए , “आगे क्या हुआ भाई, आपने जाकर आई लव यू बोल दिया?” , संध्या ने अपनी आँखें बड़ी बड़ी करते हुए पूछा….
“हाँ , वो मेरा ही तो वेट कर रही थी कि इन्दर जी आएंगे और ये सब कहेंगे…. पगली मोटी….”, इन्दर ने संध्या को चिढ़ाते हुए हलके से सर पर मारते हुए कहा तो संध्या बच्चो की तरह चहकते हुए उसके कंधे पर सर रखते हुए , ” क्या भाई , आप भी ना”
इन्दर उसके कंधे को एक हाथ से पकड़ कर हग करते हुए बोला, “बाकि सब फिर कभी बताऊंगा डिअर ♥ , और उससे मिलवाऊंगा भी, ठीक…..चल अभी सोता हूँ , थकान हो रही है, और तुम भी सो जाओ ” , यह कहकर वो वहां से चला जाता है…मगर संध्या अभी भी वही बैठी हैं और अपने अलग ही ख्यालो में खोई कप से सिप ले रही हैं …
“वाओ, यह सब कुछ कितना रोमांटिक होता है ना, काश! मेरी जिंदगी में भी ये पल आ जायें….” और फिर ना चाहते हुए भी संध्या दुबारा से मानव के ख्यालों में खो जाती हैं …
क्रमश:
–Ruchi Jain
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