Pearl In Deep
Passion to write

तेरे जैसा प्यार कहाँ part -1

******
प्रिये पाठको,
यह कहानी एक सस्पेंस से भरी प्रेम कथा हैं ,,,,,,,,आपको यहाँ रिश्ते भी मिलेंगे और उनके बीच प्यार भी , जिज्ञासा भी और तकरार भी,,,,,,कहानी को एकजुट होने में थोड़ा सा समय जरूर लगेगा बस आप धैर्य बनाये रखे और कहानी के कम से कम १० भाग जरूर पढ़े ,,,,,,,,😊🙏

धन्यवाद
रूचि जैन
*******

मोहाली , पंजाब का एक ज़िला, जिसे संक्षिप्त में अजीतगढ़ ज़िला भी कहते हैं, चण्डीगढ़ का एक प्रमुख उपनगर और यही रहता है आन्या का परिवार।
ये कहानी है एक प्यारी सी , सुन्दर सी , सीधी सी लड़की आन्या की जो इसी जगह पली बढ़ी हैं ।
कद ५ फुट ४ इंच , तीखे नैन नक्ष, गोरा रंग और आवाज तो ऐसी की बोलो तो फूल झरते हो … मन इतना शांत जैसे कोमल पत्ते , जरा सा कुछ दिल को बुरा लगा नहीं के तुरंत आंख में आंसू आ जाते थे …

मन की चंचल और नाजुक आन्या के बी ए की द्वितीय वर्ष की परीक्षा देते देते रिश्ते आने शुरू हो गए थे।
कभी कभी उसकी दादी कहती “बिटिया थोड़ा मजबूत बन, क्या बात बात पर रो देती है … ऐसे आगे कैसे चलेगा , रिश्ते आने लगे है तेरे, आगे परिवार की बागडोर भी तो सम्भालनी है , उसके लिए तुम्हारा सहज और मजबूत होना बहुत जरुरी है ..”
और ये सब सुन कर आन्या केवल हंस देती , ” ओफ्फो, मेरी प्यारी दादी… आप भी न , आप सब हो न मेरा ख्याल रखने के लिए …”

मगर वो कहते है न की वक़्त सब कुछ सीखा देता है … आन्या भी सीख जाएगी …सोचकर दादी भी मुस्कुरा देती थी …

अब ये किसको पता था कि एक दिन वक़्त का पहिया , इस कोमल सी आन्या की जिंदगी में ऐसा घूमेगा कि उसकी पूरी जिंदगी ही एक जंग का मैदान बन जाएगी।

****

आइये पहले मिलते है आन्या के परिवार से …..

उसके पिता पुरुषोत्तम कुमार उसूलो के बहुत पक्के हैं। सरकारी नौकरी से रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपना केटरिंग का एक छोटा सा बिज़नेस शुरू किया था। जो अब शहर में काफी अच्छे से फ़ैल चुका हैं। आन्या के पिता की शहर में काफी अच्छी रेपोटेशन हैं।
घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं हैं।
आन्या की माँ साध्वी बहुत ही खुले विचारो की सभी कार्यो में दक्ष महिला हैं। पूरे घर को उन्होंने काफी अच्छे से संभाल रखा हैं।

आन्या बहुत लाड प्यार में पली बढ़ी थी पर दिल की बहुत शांत और सरल हैं। उसके सपने बहुत बड़े बड़े हैं। कभी कभी वो अपने पिता की बिज़नेस में हेल्प भी कर दिया करती हैं।
उसके अलावा उसकी फॅमिली में एक छोटी बहिन रियाना और एक छोटा भाई अनूप भी हैं।
दोनों ही आन्या से काफी छोटे हैं।
रियाना १०वी की परीक्षा दे रही हैं और अनूप आठवीं कक्षा में हैं। दोनों को ही आन्या बहुत लाड प्यार करती हैं।
आन्या की तरह ही साध्वी ने अपने बाकि दोनों बच्चो को भी बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं। जो अभी से दिख रहे है ..बड़ो की इज्जत करना , सबकी बात मानना , अपना सब काम समय से करना…

आन्या की दादी बहुत रोबीली और सधी हुई औरत है। जिनका बोलना मतलब किसी पत्ते का न हिलना। पर बहुत हितकर और मृदुभाषी महिला। घर की सबसे बड़ी बेटी होने के कारन आन्या उनकी लाडली बिटिया है…उनके दिए संस्कारो की कड़ी आन्या में भी दिखाई देती थी।
दादा जी के जाने का बाद घर की मुखिया की डोर उन्होंने ही थमी हुई थी।

आन्या के एक काका और काकी भी है शांत और सरल , काका आन्या के पिता के साथ ही बिज़नेस में लगे हुए है।
आन्या का चचेरा भाई अर्थ आन्या से दो साल छोटा है, तब भी उनके बीच दोस्ती सा रिश्ता है , पूरा टाइम लड़ना, झगड़ना , मस्ती और शिकायते बस…उनको साथ देखकर कोई भी नहीं कह सकता था की वो उसकी सगी बहिन नहीं है …

भरा पूरा परिवार है आन्या का , जहाँ रिश्तो की कदर है और रिश्तो में बहुत प्यार है।बस अब चाह थी तो आन्या के लिए एक अच्छे रिश्ते की।
आन्या की दादी चाहती थी कि आन्या को भी एक अच्छा और भला परिवार मिले जहाँ रिश्तो की और भावनाओ की कद्र होती हो। रिश्तो में अपनापन हो …जहा साथ बैठ कर लगे की हम तुमसे जुदा नहीं …

आन्या पूरा दिन घर में एक पंछी की तरह इधर उधर उड़ती रहती थी। घर के नौकरो चकरो तक से वो काका और काकी कहकर बातें बनाया करती थी। उसकी हर एक बात पर घर का कोई भी व्यक्ति जान लुटाने को तैयार रहता था। सही मायनो में वो घर की जान ही तो थी। सबसे बड़ी होने के कारण सबकी लाडली भी थी।
बी ए त्रितया वर्ष की परीक्षा देते देते उसके लिए दो रिश्ते आये। लड़के देखने में बहुत अच्छे थे और अच्छे रईस परिवार से भी थे।
अब देखना यह था कि आन्या के पिता को कौन सा रिश्ता भायेगा।

******

सुबह सुबह घर में धमाचौकड़ी मची थी , आगे आगे आन्या और पीछे पीछे अर्थ ,,,,
“दादी मुझे बचाओ , देखो अर्थ को ,,,,” , अर्थ से बचने के चक्कर में दादी को पकड़कर गोल गोल घुमाती आन्या चिल्लाई।
“आन्या छोड़ मुझे मैं गिर जाउंगी , तुम बच्चे भी ना कितने बड़े हो जाओ मगर बचपना अभी तक नहीं गया ,,,,,”, दादी ने हसते हुए कहा तो अर्थ चिल्लाया ,”दादी गलती दी की हैं इन्होने मेरे टंगड़ी अढ़ाई,,,,”, “चल जा झूठे ,,,, देख कर तो चलता नहीं खुद , गिर गया तो मुझे बोल रहा हैं ,,,,”, आन्या ने जीभ चिढ़ाते हुए कहा और दादी को छोड़ साध्वी को पकड़ लिया।
“माँ , बोलो इससे जाने को ,,,,”, आन्या ने अर्थ से बचते हुए साध्वी से कहा मगर अर्थ अभी भी उसे पकड़ने की नाकाम कोशिश कर रहा था।
“अरे अब जाने भी दे अर्थ , बड़ी बहिन हैं तेरी ,,,,चलो अब बहुत हो गया पूजा घर चलो , भोग तैयार हैं “, दूसरी तरफ से आती सुनैना ने बोला।

“क्या माँ आप भी ना दी की साइड ही हो जाती हो और बाकि सब भी , और बिगाड़ो इनको ,,,,,”, बड़बड़ करता हुआ अर्थ वहां से अपने कमरे में चला जाता हैं तो आन्या खिलखिलाते हुए वही पास पड़ी कुर्सी पर बैठ जाती हैं और सुस्ताने लगती हैं , इतनी देर से भागदौड़ करने के कारण उसकी साँसे काफी तेज चल रही थी ,,,,,,,,
“ले पानी पी चल , पता नहीं क्या क्या करती रहती हैं , छोटा भाई हैं तेरा तब भी लड़ती है उससे पूरा दिन ,,,,,”, साध्वी ने पानी का गिलास आन्या को पकडाते हुए गुस्सा दिखाते हुए कहा। , “क्या माँ , कोई छोटा वोटा नहीं है वो , देखो तो कितना ताड़ जैसा हो गया हैं ,,,”, आन्या ने अपने मुँह पर हाथ रखकर अपनी हसी दबाते हुए कहा तो साध्वी ने उसे आँख दिखते हुए बोला , “बस चुप कर , चल जा नहा ले, यहाँ भोग भी तैयार हो गया और तुम लोग ऐसे ही बैठे हो ,,,,,,इतनी बड़ी हो गयी पर नादानी नहीं गयी,,,, अब तो सुधर जा रिश्ते आने लगे हैं तेरे,,,,,,,,,,”, साध्वी बोलते हुए आन्या की ओर मुड़ी मगर आन्या तो साध्वी के बोलना शुरू करते ही नदारद हो चुकी थी। साध्वी हसकर दादी से बोली , “देखा माँ भाग गयी ,,,,,,जहा शादी की बात की नहीं एक दम गायब हो जाती हैं ” , “ऐसा ही होता हैं साध्वी बहु , ,,,,बच्ची है समझ जाएगी ,,,,हँस खेल लेने दे जी भर के फिर तो परायी ही हो जानी हैं , जीने दे उसे अपनी जिंदगी,,,,,,चलो आओ हम भोग लगा लेते हैं।।।।। “, दादी ने हसकर बोला और पूजा घर में चली गयी।

आन्या की दादी और माँ कन्हैया जी की परम भक्त , कोई भी शुभ काम हो बिना कन्हैया जी के आशीर्वाद के शुरू ही नहीं होता था , सुबह के भोग से लेकर संध्या दीप तक सभी चीजों का ध्यान साध्वी ही रखती थी।।।। सुनैना भी उनके साथ लग जाती थी , उन तीनो के आपसी तालमेल और प्यार मुहोब्बत के कारण घर का माहौल बहुत ही शांत और खुशनुमा रहता था , उस दिन भी साध्वी भोग के बाद उन दोनों लड़को की फोटो घर के मंदिर में ही रख देती है।

******

“माँ मैं बाल सुखाने ऊपर जा रही हूँ ,,,,,”थोड़ी देर बाद नहाकर निकली आन्या , ऊपर छत की तरफ जाते हुए बोली।
“हाँ थोड़ा साइड में खड़े होकर सुखाना बाल , कही ऐसा न हो सूरज देवता ज्यादा ही मेहरबान हो जाये और फिर इस कल्लो मल्लो से कौन करेगा शादी ,,,,,”, अपने कमरे से निकलते अर्थ ने आन्या को चिढ़ाते हुए जोर से हसकर कहा तो वहां खड़े सभी लोग हसने लगे।
“चल चल काम कर अपना , तेरे लिए ढूढेंगे हम कल्लो मल्लो तो , समझा “,आन्या भी उसको मुँह बनाकर चिढ़ाते हुए हसती हुई  ऊपर भाग गयी।
ये देख दादी जोर जोर से हसने लगी , “ये दोनों कभी नहीं सुधरने वाले ,,,,,,,,,,,”
तभी घर पर आन्या की सहेलिया आ जाती है ….

“आंटी आन्या कहा है “

“ऊपर छत पर है वो….”, वही पास खड़ी साध्वी ने जवाब दिया।

(ओके आंटी।।।।।। कहकर आन्या की सहेलियाँ छत पर चली जाती हैं ,,,,, )
(उनमें से दीप्ति और अनु , दिखने में आकर्षक, गेहुआ रंग, तीखे नैन नक्श ,आन्या की सबसे पक्की २ सहेलियां….तीनो बचपन से साथ खेली और पढ़ी है… एक दूसरे की सच्ची हमदर्द और प्यारी सखिया….)

दीप्ति – “ये देखो वो खड़ी है मैडम”

सब की सब उसके पास पहुंच जाती है…
आन्या चुपचाप खड़ी बाल सुखा रही हैं…अपनी सहेलियों को देखकर हल्का सा मुस्कुरा देती है…

सहेलियाँ – अरे अब तुझे क्या हुआ , चुप क्यों खड़ी है … हम तो तेरे से मिलने आये और एक तू है कि इतना शांत है… बोल न क्या हुआ….
आन्या (धीरे से ) – अरे कुछ नहीं हुआ, बस ऐसे ही कुछ सोच रही थी।
दीप्ती हसते हुए – क्यों , क्या सोच रही हैं , हम्म , इतना मत सोचा कर अभी से ,,,
आन्या – अरे क्या बोलू, कुछ समझ नहीं आ रहा ..अभी थोड़ी देर पहले माँ से सुना था कुछ ,,,,,बस वही सोच रही हूँ ,,,,,, लगता है अभी से बोझ हो गयी हूँ सबके लिए …
अनु – क्यों भई, ऐसे क्यों बोल रही है…कुछ हुआ है क्या ?
आन्या (धीरे से शरमाई सी) – नहीं नहीं , वो अभी अभी अर्थ से लड़ाई कर रही थी ना मैं तब माँ बता रही थी कि दो रिश्ते आये  है मेरे लिए ..मैंने पूरा नहीं सुना , मैं तो भाग गयी थी वहां से , वरना माँ का फिर से शुरू हो जाता समझाना,,,,,,,,(आन्या ने मुँहपर हाथ रखकर हसते हुए कहा ) ,,,,,,,पर अभी मुझे नहीं करनी कोई शादी वादी…

“क्या..या.,,,, रिश्ता “, सब सहेलियाँ एक साथ हसने लगी।।। , “अरे क्या कर रही हो तुम लोग, इतना जोर से हसने की क्या बात हैं इसमें , मुझे मरवाने का इरादा हैं क्या ?”, आन्या ने उन सबको लताड़ते हुए कहा तो सब एक साथ छेड़ते हुए बोली , “हाँ जी बोलो बोलो दिल को कौन भाया है , हमारी आन्या के लिए कोई रिश्ता आया है “
आन्या – “छेड़ो छेड़ो खूब छेड़ो , जब तुम लोगो का नंबर आएगा न तब बताउंगी”
अनु – ” अजी हमारा नंबर कहा आने दोगी, तुम तो पहले ही फुर्र होने वाली हो। “

आन्या थोड़ा शरमाती है और नज़ारे झुका लेती है।
अनु – “हे देखो ! कैसे शरमा रही है , आये हाय मैं मर जावा , रंग तो देखो कैसे गुलाबी हो रहा है। शरमा भी रही हैं और मना भी कर रही हैं , कि अभी शादी नहीं  करनी ,,,,,,चंट लड़की,,,,,,”
आन्या (आँख दिखा कर हसते हुए )- “अरे क्या चंट, हम्म , अब बस भी करो तुम लोग चलो भागो यहाँ से, जब देखो,,,,। मुझे सच में नहीं करनी अभी शादी…अभी तो मैं और पढ़ना चाहती हूँ , कुछ करना चाहती हूँ ..”

(एक सहेली सीरियस होकर) , “कितने बड़े बड़े खवाब है तेरे आन्या ….मगर हम जिस समाज में रहते है वहां रहकर वही करना होता है जो उस समाज के नियम है …समझी ….अब तो देखना तू कितना भी मना कर ले पर तेरी शादी तो होकर ही रहेगी।

दीप्ति (बात काटकर गुस्सा दिखाते हुए )- ओये, तू तो रहने दे उसे मत समझा , समझी , तेरे घर का माहौल देखा है मैंने , इसके घर वाले ऐसे नहीं है बहुत प्यार करते है इससे , ये तो लाड़ली है उनकी , इसकी खुशियों के आगे जान निसार है सबकी ….समझी ,,,,,चल अब जा यहाँ से,,,,

“हाँ हाँ जाते हैं , हम्म “, और बाकि की दोनों लड़किया वहां से मुँह बनाकर निकल जाती हैं। उनके जाने के बाद अनु वही पास की मुंडेर पर बैठते हुए , “तुझे कौनसा लड़का पसंद है वैसे, देखा तूने ?”, अनु ने थोड़ा गंभीर होकर पूछा…
आन्या – “नहीं, माँ ने हमेशा की तरह वो दोनों फोटो मंदिर में रख दिए है। मैंने नहीं देखे। मैं कुछ नहीं जानती। अब तो जो भी है सब मेरे कन्हैया के ऊपर है। जहा भी मेरा भविष्य जुड़ा होगा। “
अनु – तू कितनी भोली है सच में , अरे बावली , माँ से कहकर कम से कम फोटो तो देख लेती…वो कौनसा तुझे मना कर देती ,,,,,, चल कोई नहीं जो भी बना होगा तेरे लिए स्पेशल ही होगा …तू भी तो हमारी राजकुमारी जैसी है …हम्म है ना ….अनु ने भोहे उचकाते हुए एक अंगुली से उसका चेहरा ऊपर करके, हंसकर छेड़ते हुए कहा तो आन्या कुछ नहीं कहती बस शरमाकर आँखे झुका लेती है और किसी सोच में खो जाती है…

दीप्ति (हंसकर) – मैडम सपने बाद में देख लेना , हमे भी जाना हैं अब , देर हो रही हैं , चल अब नीचे चल…
और फिर सब नीचे आकर अपने अपने घर चली जाती है और आन्या अपने कमरे में आकर ख्वाबो में खो जाती है।

शाम का समय है –
थोड़ी देर बाद आन्या के पिता और काका घर आते हैं , संध्या दीप का समय हैं वो हाथ पैर धोकर मंदिर में आते है , सभी मिलकर आरती करते है और उसके बाद रात का खाना खाते है। खाना खाते खाते ही पास खड़ी साध्वी बोलती हैं ,”जी सुनिए वो आज चन्द्रिका (जो रिश्ते बताती हैं) कोई २ रिश्ते लाइ थी… मैंने मंदिर में रखे है फोटो , अगर आप देख लेते तो …”, “हम्म ठीक है ….”, आन्या के पिता ने खाना खाते खाते ही उत्तर दिया।
सभी लोग खाना ख़तम करते हैं और अपने अपने कमरों में चले जाते हैं। आन्या के पिता भी मंदिर में जाकर दोनों फोटो उठा लेते हैं , एक पल गौर से देखते हैं और अपने कमरे में चले जाते है। आन्या भी थोड़ा दूर छुपकर खड़ी हुई अपने पिता को फोटो अपने कमरे में ले जाता देख कर भोलेपन से हाथ जोड़ कर प्रार्थना करते हुए बोली , “कन्हैया जी रक्षा करना ,,,,,” , और फिर अपने कमरे में भाग जाती हैं ,,,,,

इधर आन्या की माँ भी अपने सारे काम निपटाकर पुरुषोत्तम जी के लिए कमरे में दूध लेकर जाती है तो पुरुषोत्तम जी साध्वी को फोटो दिखा कर पूछते है “आपको इनमें से कौनसा लड़का पसंद है?” इसपर आन्या की माँ मुस्कुराके बोलती है , “जो भी आपको और माँ जी को ठीक लगे। आन्या तो लाडली है आप सबकी उसके लिए ऐसा वैसा रिश्ता तो कोई चुनोगे नहीं आप। “, ये सुनकर पुरुषोत्तम जी हंस पड़ते हैं फिर उठकर साध्वी जी के नजदीक आकर बैठ जाते हैं और उनकी आँखों में देखकर बोलते हैं , “अरे कैसी बातें करती हैं आप , आप तो हमारे घर की हाई कमांड हो आप का हुकुम सराखों पर, फिर यहाँ तो बेटी का मामला हैं , बिना आपकी राय जाने हम कैसे कुछ कर सकते हैं ,,,,,”, तो आन्या की माँ मुस्कुरा देती है…

अगली सुबह –
सभी लोग नाश्ते की मेज पर बैठे हैं।
दादी – “अरे पुरुषोत्तम बेटा, कोई लड़का किया पसंद ?”
पुरुषोत्तम – “नहीं माँ अभी तक तो नहीं , आप भी देख लेती तो ठीक होता। जहाँ बेटी का मामला होता हैं दिल में घबराहट हो जाती हैं कि कौन सा लड़का अच्छा हैं कौन सा नहीं। “
काका – “अरे हमारी बिटिया रानी से ही पूछ लो। “

(सभी आन्या को देख के मुस्कुराने लगते हैं और आन्या शरमा कर वहाँ से अन्दर भाग जाती हैं।)

दादी – लो जी , बिटिया तो ऐसे ही शरमा गई। पूछेंगे उससे भी पूछेंगे पर पहले खुद तो देख लो घर परिवार , लड़का , वो तो हमको ही देखना हैं। फिर जब सब कुछ भा जायेगा तो उससे भी उसकी पसंद पूछेंगे , बिना आन्या की पसंद के किसी को कुछ नहीं करने दूंगी मैं , हाँ सुन लो सारे,,,,,,
पुरुषोत्तम हंसकर ,”जी माँ , जानते है लाड़ली है वो आपकी , जैसे आप कहेंगी वैसे वैसे ही होगा। फिर थोड़ा रुक कर वो दोनों फोटो दादी को दिखाते हुए बोले , “माँ , ये दो लड़के है।
एक का नाम अभिनव हैं , इनका कपडे का व्यपार हैं ये भी काफी अच्छे घर परिवार से हैं और दूसरे लड़के का नाम मानव हैं, इसके पिता की राईस मिल हैं ये लोग भी अच्छे बड़े कारोबारी हैं।, आप जिससे बोलो मिलने का कार्यक्रम तय कर लेते हैं।”

(दादी दोनों फोटो को ध्यान से देखती हैं और मानव के लिए हाँ बोलती हैं जिनके राईस मिल हैं। ) ये ज्यादा सुन्दर लग रहा है मेरी आन्या के लिए , क्यों हैं न , जरा देखो तो (सबको फोटो दिखती है )

सब फोटो देख कर मुस्कुरा देते है ” हाँ “
२ दिन बाद लड़के वालो से मिलने का कार्यक्रम तय होता हैं।
साध्वी बहु चन्द्रिका से बोल देना उन तक खबर पंहुचा देंगी। दादी ने कहा तो साध्वी ने मुस्कुराकर हाँ में गर्दन हिला दी।
.
.
.

क्रमशः


-रूचि जैन

Leave your valuable Comment

error: Content is protected !!