Pearl In Deep
Passion to write

तुमसे मिलना अच्छा लगता हैं…

सावन की बरसती फुआरों में
कुहुकती कोयलिया की आवाज के साथ
अमुवा की पेड़ की डाली के तले
खिलखिला कर तेरा वो मुस्कुराना
मुझे अच्छा लगता हैं…

जब तू ओढ़ लेती है सर पर दुपट्टा शरद में
और दुपक जाती है सकुचाके मेरी बाहो में
तेरी ठण्ड से लाल हुई नाक, गालो का गुलाबीपन
और तेरा वो उंगलियों से उंगलियों को दबाना
मुझे अच्छा लगता है ….

फूल झरने लगते है जब भी
और नई कोपले फूट पड़ती है
चहचहाती है चिड़िया और बसंत की हरियाली खिलती है
तेरा पैरो में पैजनिया को बांधे यू थिरकना
मुझे अच्छा लगता है…..

सूरज की गर्मीं में,  वो टपकता पसीना सुखाना
चेहरे की विचलन और वो तेरा पल्लू हिलाना
खो जाता हूँ कही तेरी इन बिखरी जुल्फों में
तेरे संग अपना हर पल बिताना
मुझे अच्छा लगता है…

तेरी प्यारी बातों में खो जाना
मुझे अच्छा लगता है ….
हाँ हाँ तुमसे और बस….
तुमसे मिलना अच्छा लगता हैं…..

रूचि जैन

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