भ्रष्टाचार

हास्य व्यंग कविता-
भ्रष्टाचार भाई तेरा खेल अजब निराला है
हर किसी के खून को पानी कर डाला है
जैसे डलता है आटे में नमक, उतना भी काफी न था…