मातृत्व का एहसास
मातृत्व का एहसास –
तेरी नाजुक हथेलियों को छूती हूँ जब भी,
हौले से एक मुस्कान आ जाती है मुख पे
तेरे नन्हे नन्हे पाँव चलते है जब भी ,
एक मीठी सी आह छा जाती…
February 1, 2015
मातृत्व का एहसास –
तेरी नाजुक हथेलियों को छूती हूँ जब भी,
हौले से एक मुस्कान आ जाती है मुख पे
तेरे नन्हे नन्हे पाँव चलते है जब भी ,
एक मीठी सी आह छा जाती…
मातृत्व का एहसास एक ऐसा एहसास है जिसे शब्दों में बयान कर पाना आसान नहीं हैं… और अगर कोई किसी कारण से इस एहसास से वंछित रह जाये तो….वक़्त के साथ घाव भर जाते है मगर कुछ एहसास ऐसे होते है जो जिंदगी भर नहीं भूले जाते … उनहीं भावनाओ को इन पंक्तियों में उतIरा है … बेपनाह दर्द है दिल में, किसी को दिखाया नहीं जाताअपनी आंख का आंसू हमसे,...