आशा का दीप

कोरोना के इस टाइम में, दिल की बैचैनी को समझाती मेरी ये कविता-
कठिन समय है, चारो और, फैला घना अँधियारा है
इस अँधियारे में आशा का तू, कोई दीप जला लेना
दूरी रखना तू , पर साथ तू रहना
निराशा को तू न आने देना