मन की बात
अपर्णा चुपचाप खिड़की पर बैठी थी। पता नहीं क्या सोच रही थी की अचानक किसी की आवाज ने उसका ध्यान खींच लिया। “आ गए आप,?”
अपर्णा चुपचाप खिड़की पर बैठी थी। पता नहीं क्या सोच रही थी की अचानक किसी की आवाज ने उसका ध्यान खींच लिया। “आ गए आप,?”
Mind conflicts, Conflicts of a mind/Inner conflict sketch made by Ruchi Jain. In this sketch I show , internal conflicts of a mind.
This sketch made by Ruchi Jain. In this sketch, I show, Indian fighters are fighting at Indian borders.
आज विश्व पुस्तक दिवस पर – मेंरी जिंदगी भी तो एक खुली किताब ही है
कुछ किताबें अलमारी से, झाँक कर बोली
मुझे क्यों कर दिया बंद, दरख्तों के पीछे
बिना किसी गलती के सजा भुगतना उसको गलत महसूस हो रहा था | उसके मन में बार बार वही अन्तर्द्वन्द्व चलने लगता था …
मेरी प्यारी माँ- कभी कभी हमे जिंदगी में अपने किसी विशेष रिश्ते को ये बोलने का टाइम नहीं मिलता की हम उसे कितना चाहते है,
आज मैं अपनी माँ को बोलना चाहती हूँ..
माँ, क्या तुम वाकई चली गयी हो – मेरी ये कविता मैं मेरी सासु माँ को समर्पित करती हूँ | जो कि अब हमारे बीच नहीं है।
माँ, आप, जो कभी हमारे पास थी
जिनके होने..
कौन कहता है , हम आसमां छू नहीं सकते
लम्बा है सफर , अभी पूरी, उड़ान बाकि है
फ़ैलने दो पंख खुली हवा में ,
अभी तो पूरा आसमान बाकि है…
The sun is going down for tomorrow…
stars and moon are glowing in a row…
all the birds are going back to nest…
विश्व कैंसर दिवस पर विशेष –
कुछ घाव हरे थे, कुछ पुराने हो चले थे
कुछ घाव गहरे थे , कुछ अब तक मिट चुके थे
पर मैं जीतूंगा , ये यकींन मेरे जज्बे में था
स्वतंत्रता दिवस पर विशेष : महापुरुषो का सन्देश
कथा पुरानी महापुरुषो की देती है सन्देश हमे
सत्य, अहिंसा पथ न छोड़ो,लेश मात्र ना द्वेष करे
जीवन जीने का आधार, बड़ा ही दृण बनाना है
A drop of water comes down…
I felt the sky was crying…
I asked the sky…
he said, my son, it might…
who is your son?
छोटा सा एक पेड़ लगा दो : एक चिड़िया उपवन में खेल रहे एक छोटे बच्चे से क्या बोल रही है इस कविता में वही भाव व्यक्त की कोशिश की है..आशा है आपका प्रोत्साहन मिलेगा … मेरी कलम से नन्ही चिड़िया बोली मुझसे,छोटा सा एक पेड़ लगा दोमेरे बच्चे कहा रहेंगे,उनका भी एक घर बना दो… तपती धरती, तपता अम्बर,कही जगह न छुपने की अबठंडी छाया वाली मुझको,हरे पेड़ की...
थल सेना को समर्पित : पूछती है वादियाँ
एक सैनिक की जुबानी उसके दिल की बात..
गरजता और बरसता , बस यूँ चला जा रहा हूँ मैं,
दुश्मनो के सीने को, चीरने की तमन्ना दिल में हैं
Deeper sea and dark night
I saw there a bright light
I am sailing in the waves
hold me so tight…
this sea is like…
Don’t forget me,
I am the wonder of God…
Living with all the blessing,
I always thought so…
We are similar, We are equal,
2020 शिकायतें कम शुक्रिया ज़्यादा या शुक्रिया कम शिकायतें ज़्यादा – पूरे वर्ष को एक कविता के माध्यम से व्यक्त करने का मेरा प्रयास … आशा है आप सभी उत्साहित करेंगे… शिकायतें कम करुँ या शुक्रिया ज़्यादाया शुक्रिया कम करुँ शिकायतें ज़्यादारह रह कर सोच रहा है मनएक एक मोती शुरू से पिरो रहा है मन माह जनवरी, फरवरी और मार्च: जनवरी और फरवरी की तो बात ही निराली थीअजब...
हास्य व्यंग कविता-
भ्रष्टाचार भाई तेरा खेल अजब निराला है
हर किसी के खून को पानी कर डाला है
जैसे डलता है आटे में नमक, उतना भी काफी न था…
दूरदर्शन मेरा प्यारा मनोरंजन
सबके मन को भाता,
घर बैठे बैठे ही मुझको, दुनिया भर की सैर कराता
ना बाहर जाने का सर दर्द,
ना पैकिंग का झंझट,
जहाँ चाहो वहाँ…
मातृत्व का एहसास –
तेरी नाजुक हथेलियों को छूती हूँ जब भी,
हौले से एक मुस्कान आ जाती है मुख पे
तेरे नन्हे नन्हे पाँव चलते है जब भी ,
एक मीठी सी आह छा जाती…