Pearl In Deep
Passion to write

- Ruchi Jain

मेंरी जिंदगी भी तो एक खुली किताब ही है

आज विश्व पुस्तक दिवस पर – मेंरी जिंदगी भी तो एक खुली किताब ही है

कुछ किताबें अलमारी से, झाँक कर बोली
मुझे क्यों कर दिया बंद, दरख्तों के पीछे

2

मेरी प्यारी माँ

मेरी प्यारी माँ- कभी कभी हमे जिंदगी में अपने किसी विशेष रिश्ते को ये बोलने का टाइम नहीं मिलता की हम उसे कितना चाहते है,
आज मैं अपनी माँ को बोलना चाहती हूँ..

2

माँ, क्या तुम वाकई चली गयी हो

माँ, क्या तुम वाकई चली गयी हो – मेरी ये कविता मैं मेरी सासु माँ को समर्पित करती हूँ | जो कि अब हमारे बीच नहीं है।
माँ, आप, जो कभी हमारे पास थी
जिनके होने..

मानव का संवाद कैंसर के साथ

विश्व कैंसर दिवस पर विशेष –
कुछ घाव हरे थे, कुछ पुराने हो चले थे
कुछ घाव गहरे थे , कुछ अब तक मिट चुके थे
पर मैं जीतूंगा , ये यकींन मेरे जज्बे में था

सन्देश

स्वतंत्रता दिवस पर विशेष : महापुरुषो का सन्देश
कथा पुरानी महापुरुषो की देती है सन्देश हमे
सत्य, अहिंसा पथ न छोड़ो,लेश मात्र ना द्वेष करे
जीवन जीने का आधार, बड़ा ही दृण बनाना है

छोटा सा एक पेड़ लगा दो

छोटा सा एक पेड़ लगा दो : एक चिड़िया उपवन में खेल रहे एक छोटे बच्चे से क्या बोल रही है इस कविता में वही भाव व्यक्त की कोशिश की है..आशा है आपका प्रोत्साहन मिलेगा … मेरी कलम से नन्ही चिड़िया बोली मुझसे,छोटा सा एक पेड़ लगा दोमेरे बच्चे कहा रहेंगे,उनका भी एक घर बना दो… तपती धरती, तपता अम्बर,कही जगह न छुपने की अबठंडी छाया वाली मुझको,हरे पेड़ की...

0

पूछती है वादियाँ

थल सेना को समर्पित : पूछती है वादियाँ
एक सैनिक की जुबानी उसके दिल की बात..
गरजता और बरसता , बस यूँ चला जा रहा हूँ मैं,
दुश्मनो के सीने को, चीरने की तमन्ना दिल में हैं

2020 शिकायतें कम शुक्रिया ज़्यादा या शुक्रिया कम शिकायतें ज़्यादा

2020 शिकायतें कम शुक्रिया ज़्यादा या शुक्रिया कम शिकायतें ज़्यादा – पूरे वर्ष को एक कविता के माध्यम से व्यक्त करने का मेरा प्रयास … आशा है आप सभी उत्साहित करेंगे…  शिकायतें कम करुँ या शुक्रिया ज़्यादाया शुक्रिया कम करुँ शिकायतें ज़्यादारह रह कर सोच रहा है मनएक एक मोती शुरू से पिरो रहा है मन माह जनवरी, फरवरी और मार्च: जनवरी और फरवरी की तो बात ही निराली थीअजब...

दूरदर्शन मेरा प्यारा मनोरंजन

दूरदर्शन मेरा प्यारा मनोरंजन
सबके मन को भाता,
घर बैठे बैठे ही मुझको, दुनिया भर की सैर कराता
ना बाहर जाने का सर दर्द,
ना पैकिंग का झंझट,
जहाँ चाहो वहाँ…

0

मातृत्व का एहसास

मातृत्व का एहसास –
तेरी नाजुक हथेलियों को छूती हूँ जब भी,
हौले से एक मुस्कान आ जाती है मुख पे
तेरे नन्हे नन्हे पाँव चलते है जब भी ,
एक मीठी सी आह छा जाती…

error: Content is protected !!