Pearl In Deep
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Category: Short Stories

कुंवारा बाप

चारो और जश्न का शोर था हर कोई अपने अपने कामो में लगा था , मैं पंडाल की लाइट लगवा रहा था कि तभी किसी ने पीछे से आकर मेरे कंधे पर हाथ रखामैंने पलट कर देखा , अरे रमेश तुम , यहाँ कब आये“आ तो काफी दिन पहले गया था मगर तुमसे बिना मिले वापिस जा न सका ..कैसे हो तुम ” , रमेश ने राघव की ओर मुस्कुराते...

परिवर्तन

चारो तरफ जश्न का शोर था। और मैं अपने एक अलग ही खुशी के खुमार में थी।मेरी बेटी को अपनी पहली फिल्म जो मिली थी।मेरी बेटी रावी एक बाल कलाकार थी। ४ साल की रावी दिखने में बहुत खूबसूरत और प्यारी थी।मुझे आज भी याद है की मैंने कैसे कैसे हाथ-पैर मारकर उसे वो २-३ Ads दिलवाये थे। आज पुरे २ साल बाद जब वो ६ साल की हो गई...

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सपनों के देश में

बचपन से ही मन में एक ख्वाब ले कर जीने वाली मैं,सुकन्या,आज जिस जगह आकर खड़ी हो गई हूँ, वो मेरे सपनो का देश ही तो हैं।

मन की बात

अपर्णा चुपचाप खिड़की पर बैठी थी। पता नहीं क्या सोच रही थी की अचानक किसी की आवाज ने उसका ध्यान खींच लिया। “आ गए आप,?”

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अन्तर्द्वन्द्व

बिना किसी गलती के सजा भुगतना उसको गलत महसूस हो रहा था | उसके मन में बार बार वही अन्तर्द्वन्द्व चलने लगता था …

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