कुंवारा बाप
चारो और जश्न का शोर था हर कोई अपने अपने कामो में लगा था , मैं पंडाल की लाइट लगवा रहा था कि तभी किसी ने पीछे से आकर मेरे कंधे पर हाथ रखामैंने पलट कर देखा , अरे रमेश तुम , यहाँ कब आये“आ तो काफी दिन पहले गया था मगर तुमसे बिना मिले वापिस जा न सका ..कैसे हो तुम ” , रमेश ने राघव की ओर मुस्कुराते...