मातृत्व का एहसास
मातृत्व का एहसास –
तेरी नाजुक हथेलियों को छूती हूँ जब भी,
हौले से एक मुस्कान आ जाती है मुख पे
तेरे नन्हे नन्हे पाँव चलते है जब भी ,
एक मीठी सी आह छा जाती…
मातृत्व का एहसास –
तेरी नाजुक हथेलियों को छूती हूँ जब भी,
हौले से एक मुस्कान आ जाती है मुख पे
तेरे नन्हे नन्हे पाँव चलते है जब भी ,
एक मीठी सी आह छा जाती…
मातृत्व का एहसास एक ऐसा एहसास है जिसे शब्दों में बयान कर पाना आसान नहीं हैं… और अगर कोई किसी कारण से इस एहसास से वंछित रह जाये तो….वक़्त के साथ घाव भर जाते है मगर कुछ एहसास ऐसे होते है जो जिंदगी भर नहीं भूले जाते … उनहीं भावनाओ को इन पंक्तियों में उतIरा है … बेपनाह दर्द है दिल में, किसी को दिखाया नहीं जाताअपनी आंख का आंसू हमसे,...
क्या फल मिलता है- मेरी कलम से सरहदो के उस पार एक वतन है ,सरहदों के इस पार एक वतन हैरहते है जब इंसा ही दोनों तरफ तो, कैसे पहचाने क्या अंतर हैमत लड़ो तुम, मत कटो तुम,मत करो जमी से मक्कारीतुम लोगो के झगड़ो में, मेरी जन्नत(कश्मीर) देखो हारी… क्या फल मिलता है हम सबको, इस कौम की लड़ाई मेंजहाँ कटते है इंसा इंसा कश्मीर की जुदाई में, भारत...
एक मीठी सी हंसी का दीदार कर रहे है
प्यार कर रहे है हम प्यार कर रहे है…
बेचैन निगाहों से, अपनी मुहोब्बत का इजहार कर रहे है
प्यार कर रहे है…
उजले हुए चमन में , बिजली से चमके घन की,
ठंडी चली पवन की, मीठी सी एक चुभन
करती है ढ़ेर बातें, जग- जग के सारी रातें ,
ना तू रुला किसी को, जो मन में हो किरण …