Pearl In Deep
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Category: Hindi Poems

हिंदी मेरी पहचान

हिंदी दिवस पर मैंने कुछ पंक्तियाँ लिखने का प्रयास किया है. आशा है आप सभी का प्रोत्साहन मिलेगा. .मेरी कलम से यूँ तो अनेकों भाषाएँ है इस धरती पर,पर हिंदी मेरा अभिमान है. ..हिन्द से जुड़े मेरे जीवन की,हिंदी ही तो एक पहचान है… अजब, अनोखे शब्दों से परिपूर्ण ,स्वर, व्यंजन , अलंकारों से पूर्ण,अंग- चन्द्रबिन्दु से सजी-सवरी ,मेरी संस्कृति का वरदान है. ..हिंदी मेरी राजभाषा ,हिंदी मेरी शान है....

गर मेरे जीवन का एक मोड़ बन जाओगे तुम

पल पल टूट कर ,तेरी बाहों में बिखर जायेंगे हमगर, प्यार के मोती बिखराओगे तुम,बेचैन निगाहों को कैसे रोकेंगे हमगर, प्यार का समुन्दर बहाओगे तुम , हाथों में मेहँदी लाल तब रचाएंगे हमजब चुटकी भर सिन्दूर , उठाओगे तुमहोंठों पे बंद चुप्पी खोलेंगे तबजब पास बैठ, वो तीन लब्ज़ बोल जाओगे तुम तेरी हर याद अपने मन में बसायेंगे हमगर , प्यार के चंद पल बन जाओगे तुमदूर जाकर भी...

मैं रक्षा बंधन मनाने गई थी

मैं प्यार के दीये जलाने गई थीरिश्तो की डोर निभाने गई थीहाथो में बंधा जो वो प्यार है हमारामैं रक्षा बंधन मनाने गई थी ना खत लिखा था , ना पैगाम कोईमेरे भाई का लिखा है दिल पे नाम कहीआज वो मेहँदी हाथो में लगाकरतेरी बलइया उतारने गई थी…हाथो में बंधा जो वो प्यार है हमारामैं रक्षा बंधन मनाने गई थी एक अनोखा रिश्ता है ये हमाराजैसे नदी की बहती...

तिरंगे में लिपटा भी शान हूँ मैं

मैं वीर खड़ा हूँ सरहद पर , आँखों में शोले धधक रहेदुश्मन के पूरे दस्ते पर , मैं भारी पड़ने वाला हूँ कोई खौफ नहीं मेरे दिल में , बढ़ता जाऊ अग्निपथ परअपने पाषाण से सीने पर, मैं गोली खाने वाला हूँ दृण निश्चयी हूँ , मतवाला हूँ , हिम्मत मुझमें है भरी पड़ीइन पथरीली राहो पर, मैं नग्गे पाँव भी चलने वाला हूँ जज्बे का मेरे कोई तोड़ नहीं...

तुमसे मिलना अच्छा लगता हैं…

सावन की बरसती फुआरों मेंकुहुकती कोयलिया की आवाज के साथअमुवा की पेड़ की डाली के तलेखिलखिला कर तेरा वो मुस्कुरानामुझे अच्छा लगता हैं… जब तू ओढ़ लेती है सर पर दुपट्टा शरद मेंऔर दुपक जाती है सकुचाके मेरी बाहो मेंतेरी ठण्ड से लाल हुई नाक, गालो का गुलाबीपनऔर तेरा वो उंगलियों से उंगलियों को दबानामुझे अच्छा लगता है …. फूल झरने लगते है जब भीऔर नई कोपले फूट पड़ती हैचहचहाती...

बिखरे पन्नें

बिखरे पन्नो को समेट लूँहर खुशी को मुट्ठी में कैद कर लूँमेरी जिंदगी की किताब है येइसमें चाहत के रंग भर लूँ अक्सर सोचती हूँ मैंबिखरे मोतियों को देखकरएक धागे से इनका प्रेम कितना हैजुड़ा साथ तो बन गई प्रेम की मालाऔर जो छूटा साथ तो ये एक मोती भी अकेला है हर लम्हा, हर पल तुझपे जान निसार कर दूँतमाम उम्र मैं अपनी तेरे नाम कर दूँ।। -रूचि जैन

क्युकी माँ तो बस माँ होती है

माँ तो बस माँ होती हैकभी हंस देती हैतो कभी अपने आँचल में समेट लेती हैकभी बरसाती है प्यार बेइंतहातो कभी सारे गमो को पी लेती हैजो आ जाये गुस्सा तो भीएक लगा के या तो खुद रो लेती हैया मुस्कुरा के फिर से मना लेती हैलुटा देती है सब कुछ अपना हमारे ऊपरनोनिहार , दुलार और ढेर सारा प्यारक्युकी माँ तो बस माँ होती है … करती रहती है...

आशा का दीप

कोरोना के इस टाइम में, दिल की बैचैनी को समझाती मेरी ये कविता-
कठिन समय है, चारो और, फैला घना अँधियारा है
इस अँधियारे में आशा का तू, कोई दीप जला लेना
दूरी रखना तू , पर साथ तू रहना
निराशा को तू न आने देना

तेरी बेपनाह मोहब्बत का क्या हिसाब लिखूँ

मन में उठ रहे प्रश्नो का क्या जवाब लिखूँ
तेरी बेपनाह मोहब्बत का क्या हिसाब लिखूँ…
मेरी धड़कने, मेरी आरजू, मेरे जज्बात का क्या हाल लिखूँ
तेरी…

मेंरी जिंदगी भी तो एक खुली किताब ही है

आज विश्व पुस्तक दिवस पर – मेंरी जिंदगी भी तो एक खुली किताब ही है

कुछ किताबें अलमारी से, झाँक कर बोली
मुझे क्यों कर दिया बंद, दरख्तों के पीछे

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मेरी प्यारी माँ

मेरी प्यारी माँ- कभी कभी हमे जिंदगी में अपने किसी विशेष रिश्ते को ये बोलने का टाइम नहीं मिलता की हम उसे कितना चाहते है,
आज मैं अपनी माँ को बोलना चाहती हूँ..

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माँ, क्या तुम वाकई चली गयी हो

माँ, क्या तुम वाकई चली गयी हो – मेरी ये कविता मैं मेरी सासु माँ को समर्पित करती हूँ | जो कि अब हमारे बीच नहीं है।
माँ, आप, जो कभी हमारे पास थी
जिनके होने..

मानव का संवाद कैंसर के साथ

विश्व कैंसर दिवस पर विशेष –
कुछ घाव हरे थे, कुछ पुराने हो चले थे
कुछ घाव गहरे थे , कुछ अब तक मिट चुके थे
पर मैं जीतूंगा , ये यकींन मेरे जज्बे में था

सन्देश

स्वतंत्रता दिवस पर विशेष : महापुरुषो का सन्देश
कथा पुरानी महापुरुषो की देती है सन्देश हमे
सत्य, अहिंसा पथ न छोड़ो,लेश मात्र ना द्वेष करे
जीवन जीने का आधार, बड़ा ही दृण बनाना है

छोटा सा एक पेड़ लगा दो

छोटा सा एक पेड़ लगा दो : एक चिड़िया उपवन में खेल रहे एक छोटे बच्चे से क्या बोल रही है इस कविता में वही भाव व्यक्त की कोशिश की है..आशा है आपका प्रोत्साहन मिलेगा … मेरी कलम से नन्ही चिड़िया बोली मुझसे,छोटा सा एक पेड़ लगा दोमेरे बच्चे कहा रहेंगे,उनका भी एक घर बना दो… तपती धरती, तपता अम्बर,कही जगह न छुपने की अबठंडी छाया वाली मुझको,हरे पेड़ की...

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पूछती है वादियाँ

थल सेना को समर्पित : पूछती है वादियाँ
एक सैनिक की जुबानी उसके दिल की बात..
गरजता और बरसता , बस यूँ चला जा रहा हूँ मैं,
दुश्मनो के सीने को, चीरने की तमन्ना दिल में हैं

2020 शिकायतें कम शुक्रिया ज़्यादा या शुक्रिया कम शिकायतें ज़्यादा

2020 शिकायतें कम शुक्रिया ज़्यादा या शुक्रिया कम शिकायतें ज़्यादा – पूरे वर्ष को एक कविता के माध्यम से व्यक्त करने का मेरा प्रयास … आशा है आप सभी उत्साहित करेंगे…  शिकायतें कम करुँ या शुक्रिया ज़्यादाया शुक्रिया कम करुँ शिकायतें ज़्यादारह रह कर सोच रहा है मनएक एक मोती शुरू से पिरो रहा है मन माह जनवरी, फरवरी और मार्च: जनवरी और फरवरी की तो बात ही निराली थीअजब...

दूरदर्शन मेरा प्यारा मनोरंजन

दूरदर्शन मेरा प्यारा मनोरंजन
सबके मन को भाता,
घर बैठे बैठे ही मुझको, दुनिया भर की सैर कराता
ना बाहर जाने का सर दर्द,
ना पैकिंग का झंझट,
जहाँ चाहो वहाँ…

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