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Category: Poems

In this category I show you all Hindi Poems and English Poems related blog posts.

हिंदी मेरी पहचान

हिंदी दिवस पर मैंने कुछ पंक्तियाँ लिखने का प्रयास किया है. आशा है आप सभी का प्रोत्साहन मिलेगा. .मेरी कलम से यूँ तो अनेकों भाषाएँ है इस धरती पर,पर हिंदी मेरा अभिमान है. ..हिन्द से जुड़े मेरे जीवन की,हिंदी ही तो एक पहचान है… अजब, अनोखे शब्दों से परिपूर्ण ,स्वर, व्यंजन , अलंकारों से पूर्ण,अंग- चन्द्रबिन्दु से सजी-सवरी ,मेरी संस्कृति का वरदान है. ..हिंदी मेरी राजभाषा ,हिंदी मेरी शान है....

गर मेरे जीवन का एक मोड़ बन जाओगे तुम

पल पल टूट कर ,तेरी बाहों में बिखर जायेंगे हमगर, प्यार के मोती बिखराओगे तुम,बेचैन निगाहों को कैसे रोकेंगे हमगर, प्यार का समुन्दर बहाओगे तुम , हाथों में मेहँदी लाल तब रचाएंगे हमजब चुटकी भर सिन्दूर , उठाओगे तुमहोंठों पे बंद चुप्पी खोलेंगे तबजब पास बैठ, वो तीन लब्ज़ बोल जाओगे तुम तेरी हर याद अपने मन में बसायेंगे हमगर , प्यार के चंद पल बन जाओगे तुमदूर जाकर भी...

उस आईने में

उस आईने में, जब भी देखूं , अक्स तेरामेरे दिल की बेचैनी झलक जाती हैयू तो रखते है, छुपा के, गम दिल मेंपर ये नमी, आँखों से छलक जाती है कुछ तो गहरे, हैं निशान, इस दिल पेमेरे अतीत की, जैसे निशानी है कोईतुम जो मानो तो, सच है दिल कातुम ना मानो तो , कहानी है कोई सुना था जख्म , इतना, नहीं देते अपनेतुम तो कर गुजरे,  क्या...

तारे हैं बाराती

तेरे हुस्न की चर्चा , जब कभी छिड़ती है महफ़िल में,मेरी हर नज्म,  तेरे आने का इस्तकबाल करती है बना हूँ क्यों मैं आशिक क्यों दीवाना ,क्यों प्यार हुआ हमकोक्यों तमन्ना हर पहर, तेरा ही इन्तजार करती हैं छुड़ा कर साथ हमसे जब  , सब तेरी देहलीज पर आ बैठेउठा दे जब भी तू पलके , ये निगाहे कमाल करती है हर साकी की नज़रे तुझपे है , तड़पता दिल...

मैं रक्षा बंधन मनाने गई थी

मैं प्यार के दीये जलाने गई थीरिश्तो की डोर निभाने गई थीहाथो में बंधा जो वो प्यार है हमारामैं रक्षा बंधन मनाने गई थी ना खत लिखा था , ना पैगाम कोईमेरे भाई का लिखा है दिल पे नाम कहीआज वो मेहँदी हाथो में लगाकरतेरी बलइया उतारने गई थी…हाथो में बंधा जो वो प्यार है हमारामैं रक्षा बंधन मनाने गई थी एक अनोखा रिश्ता है ये हमाराजैसे नदी की बहती...

तिरंगे में लिपटा भी शान हूँ मैं

मैं वीर खड़ा हूँ सरहद पर , आँखों में शोले धधक रहेदुश्मन के पूरे दस्ते पर , मैं भारी पड़ने वाला हूँ कोई खौफ नहीं मेरे दिल में , बढ़ता जाऊ अग्निपथ परअपने पाषाण से सीने पर, मैं गोली खाने वाला हूँ दृण निश्चयी हूँ , मतवाला हूँ , हिम्मत मुझमें है भरी पड़ीइन पथरीली राहो पर, मैं नग्गे पाँव भी चलने वाला हूँ जज्बे का मेरे कोई तोड़ नहीं...

तुमसे मिलना अच्छा लगता हैं…

सावन की बरसती फुआरों मेंकुहुकती कोयलिया की आवाज के साथअमुवा की पेड़ की डाली के तलेखिलखिला कर तेरा वो मुस्कुरानामुझे अच्छा लगता हैं… जब तू ओढ़ लेती है सर पर दुपट्टा शरद मेंऔर दुपक जाती है सकुचाके मेरी बाहो मेंतेरी ठण्ड से लाल हुई नाक, गालो का गुलाबीपनऔर तेरा वो उंगलियों से उंगलियों को दबानामुझे अच्छा लगता है …. फूल झरने लगते है जब भीऔर नई कोपले फूट पड़ती हैचहचहाती...

एक गीत सावन की फुहार के नाम

एक गीत सावन की फुहार के नाम …… मौसम ने ली अंगड़ाई , सावन की बदरी छाई जियरा हौले हौले गाये , धुन कोई मतवाली वो टप टप  करती बूंदे मेरे तन को जब छूती है सारे बचपन की यादें मेरे मन को छू लेती है छप छप करती, बच्चो की वो टुकड़ी कागज की कश्ती बनाये जियरा हौले हौले गाये , धुन कोई मतवाली कॉलेज की यादें दिल में , मीठे से तीर चलाये कॉलेज कैंटीन...

बिखरे पन्नें

बिखरे पन्नो को समेट लूँहर खुशी को मुट्ठी में कैद कर लूँमेरी जिंदगी की किताब है येइसमें चाहत के रंग भर लूँ अक्सर सोचती हूँ मैंबिखरे मोतियों को देखकरएक धागे से इनका प्रेम कितना हैजुड़ा साथ तो बन गई प्रेम की मालाऔर जो छूटा साथ तो ये एक मोती भी अकेला है हर लम्हा, हर पल तुझपे जान निसार कर दूँतमाम उम्र मैं अपनी तेरे नाम कर दूँ।। -रूचि जैन

क्युकी माँ तो बस माँ होती है

माँ तो बस माँ होती हैकभी हंस देती हैतो कभी अपने आँचल में समेट लेती हैकभी बरसाती है प्यार बेइंतहातो कभी सारे गमो को पी लेती हैजो आ जाये गुस्सा तो भीएक लगा के या तो खुद रो लेती हैया मुस्कुरा के फिर से मना लेती हैलुटा देती है सब कुछ अपना हमारे ऊपरनोनिहार , दुलार और ढेर सारा प्यारक्युकी माँ तो बस माँ होती है … करती रहती है...

कशमकश

जंगलो में घूमता फिर रहा था रात दिन
रास्ता मुझको कोई समझ आया नहीं
गुम था मैं इन दरख्तों की घानी आबादी में कही
होश काफिर को अब तलक आया नहीं

आशा का दीप

कोरोना के इस टाइम में, दिल की बैचैनी को समझाती मेरी ये कविता-
कठिन समय है, चारो और, फैला घना अँधियारा है
इस अँधियारे में आशा का तू, कोई दीप जला लेना
दूरी रखना तू , पर साथ तू रहना
निराशा को तू न आने देना

तेरी बेपनाह मोहब्बत का क्या हिसाब लिखूँ

मन में उठ रहे प्रश्नो का क्या जवाब लिखूँ
तेरी बेपनाह मोहब्बत का क्या हिसाब लिखूँ…
मेरी धड़कने, मेरी आरजू, मेरे जज्बात का क्या हाल लिखूँ
तेरी…

Mother Earth

Don’t ignore her, we are a part of her
Love her the way you love your mother
She births all the beings
She loves us
She gives rives and seas.

Beautiful golden heart

My dearest love and my sweetheart,
you never showed your past,
kept everything inside you,
you have a beautiful…

मेंरी जिंदगी भी तो एक खुली किताब ही है

आज विश्व पुस्तक दिवस पर – मेंरी जिंदगी भी तो एक खुली किताब ही है

कुछ किताबें अलमारी से, झाँक कर बोली
मुझे क्यों कर दिया बंद, दरख्तों के पीछे

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मेरी प्यारी माँ

मेरी प्यारी माँ- कभी कभी हमे जिंदगी में अपने किसी विशेष रिश्ते को ये बोलने का टाइम नहीं मिलता की हम उसे कितना चाहते है,
आज मैं अपनी माँ को बोलना चाहती हूँ..

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माँ, क्या तुम वाकई चली गयी हो

माँ, क्या तुम वाकई चली गयी हो – मेरी ये कविता मैं मेरी सासु माँ को समर्पित करती हूँ | जो कि अब हमारे बीच नहीं है।
माँ, आप, जो कभी हमारे पास थी
जिनके होने..

उड़ान बाकि है

कौन कहता है , हम आसमां छू नहीं सकते
लम्बा है सफर , अभी पूरी, उड़ान बाकि है
फ़ैलने दो पंख खुली हवा में ,
अभी तो पूरा आसमान बाकि है…

I am thinking of you

The sun is going down for tomorrow…
stars and moon are glowing in a row…
all the birds are going back to nest…

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