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सोशल मीडिया और नेटवर्किंग का हमारी जिंदगी पर अच्छा या बुरा असर / Gud n bad impact of social media n networking in our life

आज का विषय “सोशल मीडिया और नेटवर्किंग का हमारी जिंदगी पर अच्छा या बुरा असर / Gud n bad impact of social media n networking in our life” 

टेक्नो फ्रेंडली होना और उसके आधीन हो जाना दोनों में बहुत अंतर है..
हम अपनी सुविधा और एक्सपोज़र के लिए इन सब चीजों का इस्तेमाल बहुत ज्यादा करते है…
ये अच्छा और बुरा दोनों हो तरह का हो सकता है जो कि पूर्णतया हमारे ऊपर निर्भर करता है… 

ये जोड़ने का माध्यम है तो, तोड़ने का भी है…
ये पास लाने का माध्यम है तो, दूर करने का भी है… 
ये सुख का साथी है तो, दुःख का कारण भी है…
ये जानकारी (इनफार्मेशन) इकठ्ठा करने का माध्यम है तो लीक करने का भी है..
ये खुद को व्यक्त करने का माध्यम है तो, उपेक्षाओ का कारण भी हैं…

दूसरे शब्दों में कहो तो-
अति हर चीज की बुरी ही होती है…”

अभी बात करते है इसके अच्छा या बुरा होने की.. हमारे जीवन को ये कैसे और कितना प्रभावित करता है… 

पहले ये जाने कि मीडिया, सोशल मीडिया और सोशल नेटवर्किंग में भी अंतर है… 

जब बात केवल मीडिया (Media) की आती है तो हमारे दिमाग में जो चीज़ें सबसे पहले आती है वो है टेलीविज़न,  समाचारपत्र और मैगज़ीन….
मगर जब इसके आगे एक शब्द सोशल (Social) लग जाता है तो इसकी परिभाषा ही बदल जाती है…जिसके लिए इंटरनेट की आवश्यक्ता होती हैं …..

असल में सोशल मीडिया मतलब कंटेंट, यह इनफार्मेशन (जानकारी) को अपलोड या ब्रॉडकास्ट(प्रसारित) करने का प्लेटफार्म है… जो बहुत फ्लेक्सिबल  होता है जहा से हम कभी भी अपनी सुविधा और समयनुसार जानकारी कंज्यूम (उपभोग) कर सकते  हैं… उसे लाइक , कमेंट और शेयर भी कर सकते है…..जैसे ब्लोग्स , वीडियो, पॉडकास्ट , समाचार आदि

जबकि सोशल नेटवर्किंग किन्ही २ या ज्यादा लोगो के बीच कम्युनिकेट (संवाद) करने का साधन हैं… इसकी टू-वे (आदान-प्रदान) प्रकृति होती है...ये एक ऐसा प्लेटफार्म है जिसका उपयोग लोग सामाजिक रिश्ते (रिलेशन्स) बनाने में करते हैं…यह हमे दूसरे लोगो से जुड़ने में मदद करता हैं…जैसे फेसबुक, ट्विटर,  व्हाट्सप्प आदि….

अब आते हैं प्रभाव पर-

अगर हम बोल रहे है या ऐसा महसूस कर रहे है की हम अब इसके बिना नहीं जी सकते तो वो एडिक्शन है जो कि नहीं होना चाहिए… यही तो गलत है..

पहले व्हाट्सप्प की बात करते है..
हम फ़ोन पर सबसे कनेक्ट नहीं रह सकते इसीलिए ये एक अच्छा माध्यम है बल्कि आजकल के टाइम में हम सब इसी के द्वारा अपनों से जुड़े हुए है.. 
ये दूर को पास लाने का साधन है… पास को दूर करने का नहीं..
मगर हम ये क्या कर रहे है…क्यों पूर्णतया इसके आधीन हो गए है? 
हर रिश्ता व्हाट्सप्प पर नहीं निभाया जा सकता..
मुझे शिकायत है व्हाट्सप्प से क्योंकि जबसे ये आया है नजदीकी रिश्तो में मधुरता कम और फॉर्मेलिटी ज्यादा आ गई है.. 
दुःख-सुख में भी लोग कॉल करने के बजाये केवल एक मैसेज करके अपना पिंड छुड़ा लेते है… 
इ-कार्ड्स , बर्थडे विश , इनविटेशन आदि एक फॉर्मेलिटी मात्र रह गया है.. 
और इसी कारण रिश्तो में और ज्यादा शिकायतों का जन्म हो गया है.. रिश्ता तो है मगर केवल नाम का जिसमें शायद कोई मिठास नहीं….
जुड़ना अच्छी बात है पर इस डिवाइस पर इतना भी निर्भर न  रहे क्यूंकि कुछ नजदीकी रिश्ते और दोस्त इससे कही ज्यादा ऊपर है..🙏🙏

अब बात करते है दूसरे इंटरनेट माध्यम की.. 
फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्वीटर , यूट्यूब बहुत से ऐसे माध्यम है जो हमको बहुतयामि प्लेटफार्म प्रदानकर रहे है.. इनके माध्यम से हम कनेक्शन तो बना ही रहे है बल्कि काफी लोग तो इसके ही जरिये बिज़नेस भी कर रहे है… 
ये तो हुआ पॉजिटिव दृष्टिकोण….
लेकिन अब भी मैं यही कहूँगी की

“अति सब चीज की बुरी है”

ज्यादा इनटरनेट यूसेज हमारे स्वास्थय की दृष्टि से तो गलत है ही बल्कि काफी बार हमको गलत परिस्थिति में भी डाल देता है.. 
आजकल इंटरनेट से जुडी शिकायतों में अकेलापन, डिप्रेशन, स्ट्रेस, साइबर ट्रैफिकिंग, रेप, किडनेपिंग आदि बहुत सारे ड्रॉबैक्स भी देखे गए है.. 
बिना कुछ सोचे समझे हम कुछ कमैंट्स और लाइक्स के लिए अपनी सारी इनफार्मेशन लीक कर देते है… 
यहाँ अगर देखा जाये तो इंटरनेट होना गलत नहीं है बल्कि उसका जरुरत से ज्यादा यूसेज एवं यूसेज का तरीका गलत है…
हर किसी चीज के दोनों पहलू होते है …अच्छे भी और बुरे भी…उसको हम कैसे ग्रहण करे ये हमारे ऊपर है… 

अब चूँकि मैं “Blog” के माध्यम से यहाँ अपने विचार लिख रही हूँ तो काफी लोग मेरी बातो से सहमत होंगे और काफी नहीं भी होंगे… क्योंकी ये भी एक इंटरनेट (सोशल मीडिया ) माध्यम ही तो है….और यहाँ मैं ना केवल इतने नए लोगो से जुड़ी हूँ बल्कि अपनी भावनाये भी साँझा कर रही हूँ…और इसीलिए इंटरनेट के माध्यम से ही नई नई चीज़ें पढ़ भी रही हूँ..


पर आज हमारा विषय “सोशल मीडिया और नेटवर्किंग का हमारी जिंदगी पर अच्छा या बुरा असर है…” हैं ना कि “Blog इज गुड और बेड फॉर अस” 

❤️❤️ जी जी बिलकुल , सोशल मीडिया का मतलब केवल किसी एक अच्छे ग्रुप या एक्टिविटी से जुड़ना मात्र नहीं है….. बल्कि हम अपना कितना ज्यादा टाइम कहा , कैसे और किस साइट और एरिया पर व्यतीत कर रहे हैं.. ये देखना भी है.. 
हम केवल इसके एक पहलू पर विचार नहीं कर सकते कि ये हमारी लाइफ के लिए कितना अच्छा और लाभदायक है.. बल्कि इसके दूसरे बुरे पहलुओं को भी देखना बहुत जरुरी है…
क्यूंकि अगर ये १००% लाभदायक ही होता तो इस पर की गई सारी रिसर्च एंड स्टडीज इसके लम्बे समय तक किये जाने वाले यूसेज के बुरे प्रभाव को नहीं दर्शाती.. 

मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ  और अब एक ब्लॉगर/राईटर भी….. इन सबसे (वेब, साइट्स, नेट, सोशल मीडिया आदि ) बहुत ही ज्यादा संपर्क में रही हूँ…

तब भी मैं यही कहूँगी कि

“जरुरत से ज्यादा इंटरनेट एंड नेटवर्किंग का यूसेज हमारे लिए बहुत हानिकारक है”

माफ़ कीजिये अगर मैंने कुछ गलत कहा हो तो पर ये मेरा दृष्टिकोण था… 
मुझे लगता है कि हम लोग जो भी विचार रखते है वो एक मैसेज और माध्यम होता है अपनी बातो को दूसरे सभी लोगो तक पहुंचने का और उनको एक रास्ता सुझाने का… 
अगर हम केवल और केवल इसके फायदों पर ही विचार रखेगे तो उसका मतलब हम दूसरे लोगो को भ्रम में रख कर, इंटरनेट के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने के लिए ही उकसा रहे है जो की सर्वथा अनुचित है… 

अंत में बस एक लाइन 

“आवश्यकता अविष्कार को जन्म देती है… और अविष्कार हमारी इच्छाओ को, अगर इच्छाए हमारे वश में रहे तो हमे कभी कोई एडिक्शन छू भी नहीं पायेगा”

ये मेरा एक प्रयास मात्र ही है आपको कुछ तथ्यों से अवगत करने का… 

धन्यवाद


– रूचि जैन 


2 Responses

  1. Surekha Jain says:

    Very nice, 👌👌

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