दूरदर्शन मेरा प्यारा मनोरंजन
सबके मन को भाता,
घर बैठे बैठे ही मुझको, दुनिया भर की सैर कराता
ना बाहर जाने का सर दर्द,
ना पैकिंग का झंझट,
जहाँ चाहो वहाँ पहुँचता
दूरदर्शन मेरा प्यारा मनोरंजन
दूरदर्शन सबका प्यारा मनोरंजन…
सन १९२५ में एक नया अविष्कार हुआ
Jhon logie baierd ने अपना सपना साकार किया
बच्चे , बूढ़े और जवान
सबका बढ़ाता , है ये ज्ञान
कुछ सुनाता है , कुछ दिखाता है
दुनिया भर की नई बात बताता है
कुछ अच्छा… कुछ अच्छा , तो कुछ बुरा
कुछ को लाता बुरे रास्ते पर ,
तो कुछ को नई बात सिखाता है
दूरदर्शन मेरा प्यारा मनोरंजन
दूरदर्शन सबका प्यारा मनोरंजन…
तुम पर है, इससे क्या सीखोगे
कैसे खुद को, और बच्चों को रोकोगे
इसमें बसती सबकी जान
दिन में देखें , रात को देखें ,
कुछ तो हो चुके काफी परेशान..?
नई नई फिल्म दिखाता है
चलचित्र के नाम से भी जाना जाता है
पहली चलचित्र “आलमआरा” थी
बुनियाद और हमलोग पर दुनिया वारी थी
“मिले सुर मेरा तुम्हारा”, हर प्रोग्राम के बाद आता था
व्योमकेश बक्शी और देख भाई देख, हमको खूब भाता था
बच्चों को ये अति प्यारा था
शनिवार , रविवार का यही सहारा था
करते थे सब बेसब्री से इंतजार
रामायण और महाभारत ने तो बंद करा दिए थे बाजार
दूरदर्शन मेरा प्यारा मनोरंजन
दूरदर्शन सबका प्यारा मनोरंजन…
खट्टी मीठी याद जुडी है
क्या क्या तुम्हे बताये
छुट्टी छुट्टी याद है मुझको , डक टेल्स भी ना छोड़ा जाता था
चित्रहार से आँख खुलती थी और जंगल बुक बहुत याद आता था
चंद्रकांता , बेताल पच्चीसी सीरियल्स अजब निराले थे
आजकल तो बस , भेड़चाल है , पुराने दिन मतवाले थे
इस मनोरंजन की तो , है बात निराली
समय यूँ ही कट जाता है खाली
दूरदर्शन है मेरा प्यारा मनोरंजन
दूरदर्शन सबका प्यारा मनोरंजन…
और अंत में –
हर चीज की, अति है भारी
भले ही वो हो, कितनी भी प्यारी
चश्मा भी चढ़वा देती है
रोग भी लगवा देती है
अफरा तफरी में आ करके
जाने क्या क्या करवा देती है
बस रखना तुम थोड़ा सा ध्यान
देती हूँ इतना सा ज्ञान
दूरदर्शन है प्यारा मनोरंजन…
दूरदर्शन सबका प्यारा मनोरंजन….❤️❤
-रूचि जैन
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