बिखरे पन्नो को समेट लूँ
हर खुशी को मुट्ठी में कैद कर लूँ
मेरी जिंदगी की किताब है ये
इसमें चाहत के रंग भर लूँ
अक्सर सोचती हूँ मैं
बिखरे मोतियों को देखकर
एक धागे से इनका प्रेम कितना है
जुड़ा साथ तो बन गई प्रेम की माला
और जो छूटा साथ तो ये एक मोती भी अकेला है
हर लम्हा, हर पल तुझपे जान निसार कर दूँ
तमाम उम्र मैं अपनी तेरे नाम कर दूँ।।
-रूचि जैन