वो बिना पीछे मुड़े भागती रही भागती रही और सीधा घर के अंदर घुस कर ही रुकी।
उसके शरीर में अब इतनी सी भी जान शेष नहीं रह गयी थी। और गेट के अंदर घुसते ही बेहोश होकर गिर पड़ी।
धम्म की आवाज सुनकर आन्या के मौसाजी भागते हुए आये।
“आन्या , आन्या क्या हुआ तुमको ?”, कहते हुए मौसाजी ने आन्या को गोद में उठा लिया और अंदर ले जाकर कमरे में बेड पर लिटा दिया।
वो लगातार उसके गालों पर थपकी दे रहे थे पर जब उसको होश नहीं आया तो उन्होंने ध्रुव से पानी लाने को कहा।
ध्रुव भागकर पानी ले आया। मौसाजी ने उसके मुँह पर पानी के छींटे मारे।
कुछ मिनट बाद –
“आह ! आह ! मौसी , आह ! मुझे बचालो मौसी —“, आन्या गफलत में बस यही बड़बढ़ाये जा रही थी।
मौसाजी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। उन्होंने तुरंत मौसी को फ़ोन लगाया।
“हेलो ! श्रद्धा कहा हो तुम ? आन्या को क्या हुआ है ?”, मौसाजी ने थोड़ा विचलित होते हुए पूछा।
“हुआ है मतलब ? क्या हुआ है ? कहा है आन्या ? वो तो यहाँ से मुझे ये बोल कर निकली थी की मेरी तबियत ठीक नहीं और मैं घर जा रही हूँ। वो पहुंची नहीं क्या ?”, मौसी ने थोड़ा घबराते हुए पूछा।
“वो यही है पर बेहोश है। “
“बेहोश ? बेहोश क्यों हो गयी , वो ठीक तो है न , आप जल्दी से डॉक्टर को फ़ोन कीजिये। मैं आती हूँ। “, कहकर मौसी ने फ़ोन रख दिया।
मौसाजी डॉक्टर को फ़ोन करते है। थोड़ी देर बाद डॉक्टर आ जाता है। पीछे पीछे मौसी भी आ जाती है।
ध्रुव अपनी माँ को देखते ही रोने लगता है , “मम्मी , दीदी को क्या हुआ है ? वो कुछ बोलती क्यों नहीं… “, श्रद्धा के पास तो खुद ही जवाब नहीं था तो वो ध्रुव को क्या बताती…. ध्रुव को इस तरह रोता देख उसकी आँखों में भी नमी आ गयी…. उसने ध्रुव को अपने सीने से लगा लिया और समझाते हुए बोली….
“कुछ नहीं हुआ आपकी दीदी को बेटा, वो अभी ठीक हो जाएँगी। डॉक्टर अंकल आ गए है ना , वो दीदी को बिलकुल ठीक कर देंगे। आप रो मत , जाओ दूसरे कमरे में जाकर टीवी देख लो। “, जैसे तैसे ध्रुव को चुप करा कर मौसी भी डॉक्टर के पीछे पीछे कमरे में घुस गयी जहाँ आन्या बेहोशी में थी।
डॉक्टर आन्या का चेकअप करता है।
“इनको काफी तेज बुखार है। ये काफी डरी हुई भी लग रही है। डर में भी अक्सर काफी बार ऐसा हो जाता है। आप चिंता मत कीजिये मैंने नींद का एक इंजेक्शन दे दिया है इनको आराम करने दीजिये। माथे पर ठन्डे पानी की पट्टियां रखिये। जब बुखार थोड़ा कम होगा तो इनको धीरे धीरे होश आ जायेगा। तब जो मैंने दवाइयाँ लिखी है वो देते रहिएगा। ये कुछ दिनों में बिलकुल ठीक हो जाएँगी। “,
कहकर डॉक्टर वहाँ से चला जाता है।
“मेरी बच्ची तुझे क्या हो गया अचानक से, अगर दीदी को ये सब पता लगा तो मैं दीदी को क्या बोलूंगी “, दुखी होते हुए आन्या की मौसी खुद से ही कुछ कुछ बड़बड़ा रही थी और पानी की पट्टी रखते हुए धीरे धीरे आन्या के सर पर अपना हाथ भी सहला रही थी।
२ घंटे बीत गए थे…अभी रात के ११ बज रहे थे –
आन्या का बुखार भी काफी कम हो गया था। उसके सिरहाने बैठे बैठे ही मौसी की भी आँख लग गयी थी।
“आह ! मौसी , मौसी “, आन्या की आवाज सुनकर मौसी की नींद खुल गयी। आन्या अब होश में आ रही थी। मौसी ने उसके माथे पर हाथ रखकर देखा। बुखार भी हल्का था।
“कैसी है आन्या ?” मौसी ने उसका माथा सहलाते हुए पूछा।
“मौसी आप यहाँ “, आन्या ने मौसी की तरफ देखते हुए कहा।
“मैं यहाँ कब आई। मैं तो भाग रही थी। घर पास ही तो था। फिर मुझे कुछ याद नहीं। “, आन्या ने डरते हुए कहा। उसके माथे पर पसीने की बूंदे साफ़ दिखाई दे रही थी। उसको इतना हैरान परेशान देख मौसी ने पहले उसे थोड़ा शांत किया और फिर उसका सर सहलाते हुए प्यार से पूछने लगी….
“तुम क्यों भाग रही थी आन्या ? , और किससे?
फिर उसकी आँखों में झाकते हुए बोली….मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा हैं आन्या। क्या ऐसा कुछ है जो तुमने हमसे छुपाया है?”, आन्या की मौसी थोड़ा चिंतित होकर बोली।
मौसी की बात सुनकर आन्या शाम की बात याद करने की कोशिश करने लगी कि कैसे वो भाग रही थी और उसके पीछे कोई था जिसने उसका नाम पुकारा था। उसका सर बहुत दर्द करने लगा था और उसे काफी घबराहट भी महसूस हो रही थी… ऐसा लग रहा था जैसे सबकुछ अभी दुबारा उसके साथ होता उसे महसूस हो रहा हो…
आन्या एक दम से चीख पड़ी और उठ कर बैठ गयी…. उसने चारो और नजरे घुमाई जैसे किसी को ढूढ़ रही हो….उसकी धड़कने तेज तेज धड़क रही थी और वो जोर जोर से हाफ रही थी….
मौसी उसे देखकर काफ़ी घबरा गई थी…
“आन्या तुम शांत हो पहले , कुछ मत सोचो और लेट जाओ , हम इस बारे में बाद में बात करते है। ठीक है। “, आन्या की मौसी ने उसे शांत करते हुए कहा तो आन्या ने रोना शुरू कर दिया….और रोते रोते बोली…
“मौसी …….. मौसी… , मैंने कुछ नहीं छिपाया मौसी , मुझे नहीं पता वो कौन है जो मुझे परेशान कर रहा है। आज शाम भी उसने मेरा पीछा किया और इसीलिए मैं भागी थी और घर पहुंच कर पता नहीं कब बेहोश हो गयी…. शायद उस दिन भी उसी ने पत्थर मारकर मेरे कमरे का कांच तोडा था।
उस पत्थर के साथ एक लेटर भी था।”, कहकर आन्या मौसी से लिपट कर जोर जोर से रोने लगी…..
“क्या ? लेटर ? तुमने मुझे बताया क्यों नहीं ? कहा है वो लेटर ?” मौसी को तो जैसे कोई सदमा सा ही लग गया हो….
आन्या पास पड़े अपने पर्स से वो लेटर निकाल कर मौसी को थमा देती है। मौसी उस लेटर को खोल कर पढ़ती है और चिंतित हो जाती है।
“ये सब क्या हो रहा है आन्या ? कौन है ये ? क्या तुम समझ सकती हो कि ये अनजान सख्श कौन है ? और क्या चाहता है ? इतना कुछ हो गया और तुमने मुझे बताना भी जरुरी नहीं समझा….” , मौसी ने थोड़ा नाराजगी और गुस्सा दिखाते हुए कहा…
“मुझे कुछ भी नहीं पता मौसी…..सच में….मैं तो खुद इतना ज्यादा परेशान हूँ। मुझे तो लगा था कि ये सब इन्दर के दोस्तों की शरारत है बस इसीलिए आपको कुछ नहीं कहा था , मगर ये तो कोई और ही है मौसी …”, आन्या ने मौसी तो थोड़ा कन्विंस्ड करते हुए कहा….
“हम्म , ठीक है … कोई बात नहीं … बस अब तुम परेशान मत हो आन्या ये जो भी है , मैं तुम्हारे साथ हूँ। अब रो मत। चलो पहले कुछ खा लो। ” मौसी यह कहकर उसके सर पर हाथ फेरने लगी….आन्या अभी थोड़ा रिलैक्स महसूस कर रही थी…
उसे थोड़ा शांत देख मौसी को भी अब थोड़ी तसल्ली हो गयी थी….
“मेरी प्यारी बच्ची क्या खायेगी जल्दी बोलो ?”, मौसी प्यार से उसका चेहरा अपने हाथ से ऊपर करके पूछती है और उसके आंसू भी पोंछ देती है।
“कुछ भी मौसी… जो भी रखा हो। आप प्लीज मेरे साथ ही रहिये न आज। “, आन्या मौसी का हाथ कसकर पकड़ कर कहती है। वो अंदर से अभी तक काफी डरी थी….
“अच्छा ठीक है , आओ साथ खाना खाते है। “, और आन्या मौसी के साथ उठ कर बाहर चली जाती है।
****
उधर होटल का रूम –
इन्दर अपने कमरे में लेटा हुआ खड़की से बाहर खुले आकाश में टीमटिमाते तारो को देख रहा था…. नींद का तो जैसे नमो निशान नहीं था। उसके आँखों के आगे चाँद है पर ख्यालो में आन्या।
“ए चाँद तू खुद पर न इतरा इतना ,
मेरा मेहबूब भी तेरे से कुछ खास है
तू चमकता है दूसरे से रौशनी लेकर
मेरा मेहबूब तो खुद ही एक चाँद है
मुझे इंतजार है बस उन लम्हो का
जब नजदीक से उनका दीदार होगा
दिल बैचैन है तड़फता है याद में उनकी
न जाने कब मेरी मुहोब्बत का आगाज होगा।”
तभी दरवाजे पर दस्तक होती है।
“कौन है ? “, इन्दर ने ख्यालो से वापिस लौटते हुए , मन ही मन मुस्कुराते हुए पूछा।
“मैं रवि — और कौन होगा मेरे मजनू की औलाद “, रवि ने दरवाजा खोलते हुए कहा..
“आ जा दरवाजा खुला है”, इन्दर ने कहा तो रवि इतराता मुस्कुराता अंदर आता है, ” भाई हम ही है अभी तो , आन्या नहीं आ जाएगी यहाँ जो इतना मुस्कुरा रहे हो….अच्छा कॉफ़ी शॉप गए हम तो ….दोस्त को ही वही छोड़ आये…”, रवि ने मुस्कुराते हुए ताना मारा….फिर बोला
“और भाई ! क्या हो रहा है , कहा खोया है ? भाभी जी के ख्यालो में ?”, रवि ने इन्दर को छेड़ते हुए कहा।
“साले मान जा……अभी तो इकरारे मुहोबत भी नहीं कर पाया हूँ। और तूने रिश्ता भी बना दिया…..”, आह भरते हुए इन्दर ने रवि की ओर देख कर कहा तो रवि कुर्सी पर टिकते हुए बोला,
“वो तो तेरे बसका है भी नहीं। आन्या को देखते ही तो तेरे होश उड़ जाते है। दिल की बात करेंगे जनाब……”
“अरे ! मौका ए दस्तूर ढूढ़ रहा हूँ यार…..फिर डर भी लगता है कही आन्या ने मना कर दिया तो क्या होगा….तू नही समझेगा…”, इन्दर ने रवि को देखते हुए कहा तो रवि चिड़चिड़ाया , “क्या नहीं समझूंगा मैं…..हम्म, अरे सब समझता हूँ मै और मौका पड़ने पर तुम्हारी पूरी मदद भी मैं ही करूँगा…..समझे….मगर तुम आगे बढ़ो तभी तो… तुम मौका ए दस्तूर ही ढूढ़ते रहो कही ऐसा न हो कि कोई और आन्या को ले उड़े और तुम बस देखते ही रह जाओ, हाहाहा…..रवि ने हॅसते हुए इन्दर से कहा….फिर कुछ सोच कर बोला, वैसे यहाँ कब तक रहने का इरादा है तुम्हारा ? भूल गए आंटी ने वापिस आने को बोला था। तुमने तो उनको कॉल भी नहीं किया। “
“हाँ ! माँ को कुछ बात भी करनी थी मेरे से , पर क्या ?…. ऐसी क्या जरुरी बात आ गयी।”, इन्दर कुछ सोचते हुए बोला….
फिर कुछ पल सोचता रहा और रवि के नजदीक आकर बैठ गया…. “सुन रवि मुझे आन्या से मिलना है अकेले में। तू कोई तरीका बता। अब और नहीं रुक सकता मैं। “, रवि की बातो पर गौर करने के बाद इन्दर ने थोड़ा विचलित होते हुए कहा…..
उसे परेशान देख रवि बोला , “इतना परेशान मत हो , कल कैफे तो जायेगा ही, उसे ही पूछ लेना अकेले कही मिलने के लिए। “
“नहीं , वो ऐसे नहीं आएगी जहाँ तक मैं उसे जनता हूँ। उससे तो अचानक ही टकराना पड़ेगा जैसे हम मंदिर में टकराये थे। चल तू जा सो जा। मैं खुद ही कुछ सोचता हूँ। तेरे अंदर दिमाग तो है नहीं सोचेगा कैसे ?”, इन्दर ने हॅसते हुए उसके सर पर टिक्की मारते हुए कहा ….
“अच्छा रुक अभी बताता हूँ तुझे”, रवि ने इन्दर को मस्ती में एक घूँसा मारकर कहा तो इन्दर ने भी उसकी टांग पकड़ ली और उसे बिस्तर पर गिरा कर दबा लिया…”अब बोल साले , बड़ा चला था मुझे मारने….. “
और फिर दोनों काफी देर तक ऐसे ही मस्ती करते हुए…. बिस्तर पर लुढ़क जाते है।
****
अगली सुबह –
सुबह के ६ बजे थे….हल्की हल्की रोशनी होने लगी थी…मगर आन्या की आँख खुल चुकी थी….
आन्या उठकर बालकनी में खड़ी हो गयी, ठंडी ठंडी मदहोश कर देने वाली हवा चल रही थी…..और अभी आन्या खुद को काफी अच्छा और हल्का महसूस कर रही थी….
तभी उसे इन्दर और उसके दोस्तों का ख्याल आता है।
“मैंने कल उन लोगो के साथ अच्छा नहीं किया। आज मैं उनसे माफ़ी जरूर मांगूंगी। “, आन्या ने मन ही मन सोचा…
“पता नहीं इन्दर मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा कि कितना बत्तमीज है ये लड़की , बिना बात चिल्लाने लगती है।
मैं भी ना, पता नहीं क्या हो गया था मुझे भी….”, आन्या ने मन ही मन सोच कर मुस्कुराते हुए अपने सर पर एक चपत जमायी…
इतने में मौसी चाय लेकर वही आ गयी….”क्या सोच कर इतना मुस्कुरा रही हो? हम्म” , मौसी ने छेड़ते हुए पूछा…
“कुछ नहीं मौसी बस ऐसे ही…..आज कितना अच्छा मौसम है ना , मैं अब ठीक हूँ मौसी…. क्या मैं भी कैफे चलू ?”, आन्या ने मौसी की तरफ देखते हुए पूछा।
“आज आराम कर लेती तो अच्छा होता।” मौसी ने कहा तो आन्या थोड़ा जिद करते हुए बोली, “मौसी प्लीज… यहाँ अकेले मन नहीं लगेगा और फिर वहाँ तो…..”, आन्या एक दम से बोलते बोलते चुप हो गयी….
“वहाँ तो क्या ?” , हम्म , मौसी ने छेड़ते हुए पूछा तो आन्या शरमाई, “मौसी , क्या आप भी ना ,,,,,,,,,क्यों छेड़ती हो इतना। “
“ये देखो मैंने कब छेड़ा ? मैंने तो बस पूछा। अच्छा ठीक है चलो। जाओ अब तैयार हो जाओ अगर कैफे जाना है तो….” , मौसी ने धीमे से मुस्कुराकर कहा…..तो आन्या खुशी से चहक उठी और मुस्कुराते हुए तैयार होने चली जाती है….
थोड़ी देर बाद कैफे पर –
आन्या काउंटर पर बैठी थी , पर उसकी आँखें लगातार सड़क पर ही थी। वो भी शायद आज इन्दर का ही इंतजार कर रही थी।
उधर इन्दर होटल में तैयार होते हुए गाना गुनगुना रहा था…. आज वो बहुत एक्साइटेड था…..और हो भी क्यों ना,,, कल रात की बातो के बाद उसने आन्या को प्रोपोज़ करने का मन जो बना लिया था….बस अब उसे अंजाम देना बाकी था…..
वो लगतार यही गाना गुनगुना रहा था….
“आज मौसम बड़ा बईमान है बड़ा बईमान है , आज मौसम….आने वाला कोई तूफ़ान है….”
(आज तो मौसम वाकई में बईमान है , आज मौसम में कुछ अलग ही बात है। दोनों ही एक दूसरे की भावनाओ से अनजान थे पर एक दूसरे से मिलना भी चाहते थे और साथ साथ इंकार से डरते भी थे ….. हाँ , मगर अब आगे वाकई में क्या तूफ़ान आने वाला है ये तो किसी को भी नहीं पता था…. )
रवि – “क्या बात है ब्रो, बड़े ख़ुश नजर आ रहे हो। “
इन्दर – “तू तैयार नहीं हुआ ? कैफे नहीं जाना है क्या ?”
रवि – “सोच रहा हूँ आज नहीं ही जाऊ। जाके करूँगा ही क्या ? अब मुझे कबाब में हड्डी तो बनना नहीं है।”
इन्दर – “ठीक है फिर मैं अकेले ही चला जाता हूँ। और बाकि वो दोनों कहाँ है ?”
रवि – आज वो दोनों भी नहीं आ रही बेटा। तभी तो मैंने भी अपना प्लान कैंसिल कर दिया। आज तो तेरी पूरी लाटरी लगी है। जा आज अपने मन की बात बोल ही देना।
यह सुनकर इन्दर तैयार होकर अपनी जीप में बैठकर निकल जाता है।
आज का दिन तो उसके लिए जैसे अलग ही था…ऍफ़ एम् पर गाना बज रहा था,
“नीले नीले अम्बर पर चाँद जब आये
प्यार बरसाए, दिल को तरसाये
ऐसा कोई साथी हो , ऐसा कोई प्रेमी हो
बात दिल की कहा जाये…..”
इन्दर का दिल भी कुछ इन्ही फिजाओ में उड़ रहा था..
दिल में खुशी के अलग ही गुब्बारे फूट रहे थे…😍
रह रह कर आन्या का छलावा कभी जीप में साथ बैठा दिख रहा था तो कभी पीछे , कभी सड़क के किनारे तो कभी जीप के बोनेट पर… और हर बार उसे छूने की कोशिश करने के चक्कर में जब वो एकदम से गायब हो जाता था तो इन्दर भी मुस्कुरा उठता था….
“आन्या को कैसे प्रोपोज़ करू?, किसी खास के लिए तो कुछ खास ही होना चाहिए…मतलब कुछ ऐसे कि वो दिन उसके लिए कुछ खास बन जाये….”, इन्दर ने मन ही मन सोचा और फिर कुछ दिमाग में आते ही मुस्कुरा पड़ा…
बीच में वो एक बहुत ही फेमस होटल पर रुकता है जो कि एक बहुत ही सुन्दर जगह पर बना है। जहाँ एक तरफ खूबसूरत पहाड़ है तो दूसरी तरफ खूबसूरत वैली —
वहां से मनाली का नजारा देखते ही बनता है.. सबसे ऊपर खुला टेरेस… जहा से बर्फ से ढके पहाड़ बहुत ही खूबसूरत दिखाई पड़ते है … इतनी शांत और सुन्दर जगह पर कोई अपने दिल की बात ना भी कहना चाहे तो भी कह जाये ….
बस वही हालात इन्दर के भी थे….☺
उसे तो बस उन हसीन लम्हो का ही इंतजार था जब आन्या उसके बहुत करीब होगी और वो उसे अपनी बाँहों में लेकर अपने दिल का हाल कहेगा….और इससे अच्छी जगह और क्या होगी…..🥰😍
उसे वो जगह अपने मन की बात बोलने के लिए बहुत ही खूबसूरत लगी….इसीलिए वो वहां का सबसे ऊपरी फ्लोर (टेरेस) अगले दिन के लिए पूरा का पूरा बुक कर देता है और उसे सजाने का भी आर्डर दे देता है।
वो अपने दिल की बात आन्या को बहुत ही खूबसूरत अंदाज में कहना चाहता था…. “बस आन्या यहाँ आने के लिए मान जाये।” , उसने मन ही मन सोचा….
जगह बुक करने के बाद इन्दर कैफे की तरफ चल पड़ा….अब एक बार फिर उसकी जीप हवा से बाते करने लगी ….
मन खयालो में खोया था…कल ये करूँगा , ऐसा करूँगा , वैसा करूँगा… जीप की स्पीड भी काफी तेज थी और मन में आन्या से मिलने की बेकरारी….
“मुझे बस कल के ४ बजने का इंतजार है और मेरे दिल की बात मेरी जुबा पर होगी आन्या , बस तुम हाँ बोल देना। “, इन्दर मन ही मन सोचता हुआ आन्या के ख्यालो में कैफे की और बढ़ा जा रहा था….
“आज दिन कितना हसीन लगता है ,
मेरे जज्बात मेरे दिल में कही ,
मेरा हर रोम तेरी राह तकता है
आज मेरे हालत मेरे काबू में नहीं।।”
और इधर आन्या कैफे पर बहुत बेसब्री से इन्दर की राह तक रही थी…दोनों का ही हाल एक जैसा था…बस कोई समझ रहा था तो कोई अनजान था…❤😁
उधर इन्दर सारी तैयारियां करता हुआ उसी की ओर बढ़ा चला आ रहा था कि अचानक सामने से टर्न पर एक ट्रक तेजी से मुड़ता है। इन्दर एक दम से घबरा जाता है उसे एकदम से कुछ समझ नहीं आता और वो जीप को बचाने के लिए जीप को दूसरी साइड मोड़ देता है। उधर काफी लम्बी ढलान थी …जीप एक पत्थर से टकराती है और थोड़ा उछाल कर खाई की ओर मुड़ जाती है।
क्रमशः
कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स के माध्यम से मुझ तक जरूर पहुचाइए। आपकी कमेंट मेरे लिए बहुत अनमोल है।
– रूचि जैन