अब तक आपने पढ़ा कि –
आन्या एक बहुत ही अच्छे और संपन्न परिवार में पली बढ़ी सुन्दर और शांत स्वाभाव की लड़की है जिसके लिए मानव नाम के एक लड़के का रिश्ता आता है।
मानव एक रईस घर का बिगड़ा हुआ लड़का है जिसकी आलरेडी एक गर्लफ्रेंड है।
वो लोग आन्या को देखने आते है और रिश्ता पक्का हो जाता है। आन्या का भाई अर्थ अगले दिन मानव को उसकी गर्लफ्रेंड के साथ देख लेता है और वो लोग रिश्ता तोड़ देते है। आन्या बहुत दुःखी है इसीलिए उसके पिता उसे उसकी मौसी के यहाँ मनाली भेज देते है। मौसी का एक कैफे है जहाँ उसकी मुलाकात इन्दर और उसके दोस्तों से होती है। इन्दर आन्या को रिझाने की कोशिश करता है फिर एक दिन अचानक इन्दर कैफे आना बंद कर देता है।
अब आगे –
अगली सुबह अचानक इन्दर की दोस्त आलिया कैफे पर आती है। आन्या उसे देख कर मन ही मन खुशी से फूली नहीं समाती।
आलिया सीधे आन्या कि पास पहुँचती हैं ओर आन्या को एक लेटर देती है और फिर उससे पूछती है क्या तुम मेरे साथ चलोगी?
आन्या लेटर खोल कर पढ़ती है और चुप हो जाती है –
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आन्या
जब तुमको ये लेटर मिलेगा पता नहीं तुम मेरे बारे में क्या सोचोगी। आन्या मेरा तुमको कोई लेटर भेजने का हक़ तो नहीं बनता क्युकी मैं तो तुम्हारा दोस्त भी नहीं मगर फिर भी मेरा मन हुआ कि तुमको बताऊ कि जिस दिन मैं कैफे से लौट रहा था हमारी जीप एक बड़े पत्थर से टकरा गयी थी और मुझे पैर में थोड़ा चोट आई थी , मैं कुछ दिन से मनाली हॉस्पिटल में आराम फरमा रहा हूँ। ये लोग मुझे कैफे आने ही नहीं दे रहे , मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ , क्या तुम आओगी ?
-इन्दर
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आलिया आन्या से दुबारा पूछती है, “क्या तुम मेरे साथ चलोगी?”
आन्या कुछ देर सोचती है और जाने से इंकार कर देती है। वो नहीं चाहती थी कि उसके मन की भावनाये इन्दर के सामने उजागर हो।
अगर वो जाती तो इसका मतलब के इन्दर के चोट लगने से उसको फर्क पड़ता है। इसीलिए वो आलिया को मना कर देती है कि वो उसके साथ नहीं आ सकती।
यह सुनकर आलिया वहाँ से चली जाती है।
हलाकि आन्या अंदर ही अंदर बहुत ज्यादा दुखी भी होती है और उसका मन इन्दर के लिए बहुत चिंतित भी होता है मगर फिर भी वो अपनी भावनाओ को दबा लेती है।
रात का समय है आन्या अपने रूम की बालकनी में खड़ी है।
उसकी मौसी उसके पास आती है।
“आन्या मैं कुछ दिनों से देख रही हूँ कि तुम बहुत परेशान हो। क्या कारण है ? मैं तुम्हारी मौसी ही नहीं बल्कि मित्र भी हूँ। अगर तुम मुझे बताओगी तो शायद मैं कोई समाधान निकाल पाऊ। “
मौसी की बातें सुनकर आन्या अपनी परेशानी और ज्यादा छुपा नहीं पाती और जोर जोर से रोने लगती है।
“अरे आन्या मेरी बच्ची क्या हुआ ? ऐसे क्यों रो रही हो। बताओ मुझे। “, अचानक से रो पड़ी आन्या को देख मौसी ने घबराकर आन्या के सर पर हाथ फेरते हुए पूछा।
“मौसी , पता नहीं मेरे साथ ये सब क्या और क्यों हो रहा है , मैं कुछ भी समझ नहीं पा रही हूँ। वहाँ घर पर मेरे साथ क्या हुआ था ये तो आप सब जानती ही हो न , अब मैं किसी को भी खुद को हर्ट करने नहीं देना चाहती हूँ। किसी को कोई हक़ नहीं जो आये और मेरे सपनो को कुचल कर चला जाये।”, आन्या ने रोते हुए बोला।
मौसी (आन्या के सर पर हाथ फेरती है ) – मगर हुआ क्या ? कौन तुमको हर्ट कर रहा है और कौन तुम्हारे सपनो को कुचल रहा हैं? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा आन्या , मुझे पूरी बात तो बताओ ?
आन्या- जब से मैं यहाँ आई हूँ। आपके कैफे पर एक लड़का रोज अपने दोस्तों के साथ आता है उसका नाम इन्दर है। और वो रोज काफी पीने नहीं आता बल्कि मेरे कारण आता है। वो मेरे से दोस्ती करना चाहता है , पर मौसी मैं उसकी दोस्ती का मतलब समझती हूँ। मैं इतनी अनजान नहीं हूँ इन सब से।
अब आप ही बताइये मैं क्या करू…
इतने दिन से उसको इग्नोर कर रही हूँ फिर भी वो मानता नहीं… वो इतना भी बुरा नहीं के उसे दुत्कार दू .. अजीब कश्मकश में फ़स गई हूँ …मुझे खुद उससे और उसके दोस्तों से बातें करना अच्छा लगता हैं मगर एक अजीब डर मेरे अंदर बैठ गया हैं मौसी ,,,,
दोस्ती के लिए कदम बढाती हूँ तो उसको आगे बढ़ने का रास्ता देती हूँ… कदम पीछे लेती हूँ तो उसके साथ साथ खुद की भावनाओ का भी गाला घोट रही हूँ ….”, यह कहकर आन्या चुप हो जाती हैं तो मौसी मुस्कुराते हुए कहती हैं ,
मौसी – इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है…तुम्हारा दिल जो कहता है वो करो… दिल की सुनो दिमाग को एक साइड कर दो..
आन्या- अब तक दिल की ही तो सुनती आई हूँ मौसी… क्या मिला मुझे …
मौसी थोड़ा गुस्से में मगर समझाते हुए – आन्या तुम उस बात को भूलने को क्यों तैयार नहीं हो… एक रिश्ता आया और चला गया बस … अब आगे बढ़ जाओ मेरी बच्ची…. दिल के दरवाजे बंद कर दोगी तो कोई कैसे दिल में बसेगा ? बोलो….
आन्या- मगर मौसी मुझे डर लगता है
मौसी – किससे ?
आन्या- दिल टूटने से
मौसी – पहले ही सोच लिया की दिल टूटेगा…ये सिर्फ तुम्हारे अंदर का डर है और कुछ नहीं…,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आन्या दुःख किसकी जिंदगी में नहीं होता… तो क्या सब जीना छोड़ देते है… मेरी प्यारी सी, खूबसूरत सी, नटखट सी आन्या कहाँ खोह गई है .. हम्म,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वापिस लौट आओ बेटा और खुल कर जिओ जैसे पहले जीती थी… समझी
आन्या- कोशिश कर रही हूँ मौसी..
मौसी – वैसे ये इन्दर है कौन पूरा नाम बताओ…
आन्या- वो तो नही पता मौसी … मगर शायद हर साल आता है वो यहाँ ऐसा उसके दोस्त बोल रहे थे… रोज आता था कैफे पर (एक आह भर कर ) दोस्तों के साथ कॉफ़ी पीने
मगर फिर अचनाक उसने कैफे पर आना बंद कर दिया।
मौसी मुस्कुराते हुए बोली , तो असली वजह ये है परेशानी की…हम्म
आन्या झेपते हुए – “क्या मौसी आप भी ना,,,,,”
मौसी – मैंने सही कहा ना ? (आन्या के सर पर टिक्की मारते हुए )
आन्या- हाँ मौसी ! ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा था … कई दिन से सो भी नहीं पाई ठीक से ….उसके ना आने पर मैं बेचैन हो गई थी मौसी। जो कि सही नहीं था। ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,फिर थोड़ा रूककर बोली ,
तब मैंने जाना के मेरे दिल में भी उसको लेकर कुछ बदलाव आये है, कुछ अलग जज्बात , जो मुझे दिन रात बहुत ही ज्यादा परेशान कर रहे थे।
मौसी – फिर?
आन्या (रुआँसी होकर )- आज उसकी एक दोस्त कैफे पर आई थी तब मुझे पता लगा के उसको चोट लगी है और वो हॉस्पिटल में है इसिलिए नहीं आ रहा था कैफे ,,,,,,,, वो मुझे उससे मिलाने साथ ले जाना चाहती थी पर मैंने मना कर दिया मौसी। मैंने ठीक किया ना …
आन्या की सारी बातें सुनकर मौसी कुछ देर सोचती है और फिर बोलती है , “तुमने कुछ गलत नहीं किया…अच्छा किया नहीं गयी,,,,,,,..ओके…मगर अच्छा इसिलिए नहीं कि तुम नहीं गयी , अच्छा इसिलिए कि नहीं जाना तुम्हारा खुद का डिसीजन था।
मगर फिर भी अगर तुम्हारे दिल में उसके लिए जरा भी कुछ है तो तुमको उसको समझने का एक मौका देना चाहिए … उससे दोस्ती तो करो कम से कम “, देखो मुझे जो सही लगा मैंने तुमको बोला।
फिर कुछ सोचकर मौसी फिर से बोली ,
“वैसे कही तुम इन्दर राजवंशी के बारे में तो नहीं बोल रही।
वो राजवंशी इंडस्ट्री के मालिक आकाश राजवंशी का बेटा है और उसकी माँ प्रिया राजवंशी भी एक बहुत बड़ी समाज सेविका है। उनके २ बच्चे है एक बेटा इन्दर और एक बेटी संध्या” , उनको यहाँ कौन नहीं जानता,,,,,,,,,,,बहुत ही अच्छे लोग हैं वो ,,,,,,,
देखो , मैं तो बस एक इसी इन्दर को जानती हूँ अगर ये वही हैं तो…
आन्या बहुत धयान से मौसी कि बातें सुन रही थी। मौसी आगे कहती हैं ,
“ये लोग वही तुम्हारे नजदीक के ही तो है। चंडीगढ़ में इनका बड़ा कारोबार है । यहाँ मनाली में भी इनका एक फार्महाउस और एक सेवा आश्रम है और उनका बेटा हर साल यहाँ दोस्तों के साथ आता है घूमने।”
अगर जिसकी तुम बात कर रही हो आन्या, ये वो ही इन्दर है तो मेरी बच्ची तुम तो बहुत ही लकी लड़की होने वाली हो। इतना अच्छा लड़का और परिवार खुशनसीबों को मिलता हैं , और यहाँ तो खुशी खुद चलकर तुम्हारा दरवाजा खटखटाने आई हैं , और तुम हो कि रो रही हो। तुमको तो खुश होना चाहिए।
आन्या अपनी मौसी की बात सुनती है और बोलती है, “मौसी , मुझे नहीं पता वो कौन है कितना बड़ा इंसान है पर हाँ मैं इतना जानती हूँ के अब मैं किसी को भी अपने दिल से खेलने का मौका नहीं दूंगी। मुझे पता है कि मैं मन ही मन इन्दर को पसंद करने लगी हूँ। मगर इसीलिए ही मैं आज उससे मिलने भी नहीं गयी। मैं नहीं चाहती कि वो मेरी बातो का कोई और मतलब निकाले। बस ,,,,,“
यह कहकर आन्या अपने रूम में चली जाती है और अपना गेट बंद कर लेती है।
आन्या की मौसी हैरान परेशान सी उसे देखती रहती है और मन ही मन बुदबुदाती है , “तुम इन सबसे कितना भी दूर भाग लो आन्या मगर किस्मत को कोई नहीं बदल पाया हैं , अगर यही तुम्हारी किस्मत हैं तो ये तुमको मिलकर ही रहेगा , और एक दिन इस सच्चाई को तुमको एक्सेप्ट करना ही होगा आन्या। ” और फिर वो भी अपने रूम में चली जाती है ।
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उधर आलिया जाकर इन्दर को बोलती है कि आन्या ने आने से मना कर दिया है। इन्दर सुनकर बहुत हर्ट होता है , उसे आन्या कि तरफ से सारे रास्ते बंद होते नजर आते हैं फिर भी वो मुस्कुराकर बुदबुदाता है। “कोई बात नहीं मिस आन्या , आपको ऐसे तो मैं नहीं छोडूंगा। अगर आप जिद्दी है तो मैं भी कुछ कम जिद्दी नहीं। आपकी ना को हाँ में बदलवा कर ही रहूँगा एक दिन । “
तभी इन्दर की मदर प्रिया का कॉल आता है –
प्रिया – “कैसे हो इन्दर बेटा , केयरटेकर बता रहा था के तुमको चोट आई है। तुम ठीक तो हो न। क्या हम लोग वहाँ पर आये या तुम यहाँ आ रहे हो। “
इन्दर अपनी माँ की बात सुनकर हड़बड़ा जाता है –
इन्दर – “अरे ! नहीं माँ मैं बिलकुल ठीक हूँ। बहुत हलकी सी चोट लगी हैं मगर ये रवि हैं ना , लेकर मुझे हॉस्पिटल में फसा दिया , और वो डाक्टर छुट्टी भी नहीं दे रहा , बोलता हैं यही आराम करो , अब तो ४ दिन हो चुके है। आपको यहाँ आने की कोई जरुरत नहीं। मैं कल ही होटल रूम चला जाऊंगा। और एक बात और बतानी थी माँ , मैं भी अभी नहीं आ रहा हूँ।
मैं अभी तक कहाँ घूम पाया हूँ कुछ माँ ? आप तो जानती ही हो मुझे यहाँ आना कितना पसंद है। मेरे दोस्त भी यो साथ ही है न फिर चिंता क्यों?
फिर इन्दर कुछ सोचकर मुस्कुराते हुए राजदार तरीके से अपनी माँ को बोलता है, “और अब तो मुझे मनाली और भी खूबसूरत लगने लगा है।“,
प्रिया हसते हुए – “ठीक है बेटा जो तुमको ठीक लगे। करो ,,,,,, पर मुझे फ़ोन करते रहना और मुझे तुमसे कुछ जरुरी बात भी करनी है। “
इन्दर – “जी माँ बोलिये -“
प्रिया – “अभी नहीं , पहले तुम ठीक हो जाओ तब। ओके बाय बेटा , गुड नाईट, लव यू”
इन्दर – “बाय माँ! लव यू 2”
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२ दिन बाद –
वही कैफे , वही दोपहर , वही आन्या , वही सुहाना मौसम , एक जीप आकर रूकती है। और इन्दर अपने दोस्तों के साथ कॉफी पीने आता है।
मगर इस बार कुछ अलग है। इन्दर थोड़ा ऐंठ में हैं 😉
इस बार इन्दर की जगह आलिया कॉफी का आर्डर देती है। और इन्दर बिना आन्या की तरफ ध्यान दिए उसकी तरफ पीठ करके बैठ जाता है।
आन्या का ध्यान पूरा इन्दर की तरफ है, मगर उसे इन्दर का इगनोर करना अच्छा नहीं लग रहा। मगर फिर भी वो शांत बनी रहती है।
कॉफी पीकर आलिया कॉफी का पेमेंट कर देती है , वो लोग कुछ देर वह बैठे रहते हैं मगर आज इन्दर शांत हैं कुछ ज्यादा नहीं बोल रहा , ये बात आन्या भी महसूस करती हैं और फिर थोड़ी देर बाद वो लोग वहाँ से चले जाते है।
आन्या की मौसी भी ये सब नोटिस करती है वो आन्या की ओर देखती है मगर आन्या भी ऐसे रियेक्ट करती है जैसे उसे कोई फर्क ही न पड़ता हो। मगर आन्या की मौसी ये सब देख कर मन ही मन मुस्कुरा जाती है।
अब तो ये रोज का काम हो जाता है। इन्दर कैफे पर आता है और बिना आन्या की ओर देखे बैठकर कॉफी पीता है और थोड़ी देर बाद चला जाता है।
अब आन्या की बैचनी और गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। इन्दर का उससे न बोलना , उसकी तरफ पीठ कर के बैठना उसे अखरने लगता है।
ओर वो दूसरे लोगो पर झल्लाने लगती है। आग इधर भी बराबर लगी हैं मगर आग पर पानी डालने वाला खुद अपने दिल में आग लिए बैठा हैं तो मामला सुलझे कैसे , हा हा हा
(एक वेटर एक आर्डर पर गलती कर देता है , किसी और का आर्डर किसी और टेबल पर दे आता हैं जब कंप्लेंट आती हैं तो आन्या झल्ला उठती हैं ,,,,,,)
आन्या एक वेटर से – “तुमको समझ नहीं आता के आर्डर कहा लेके जाना था। और तुम कहा देकर आये हो। काम ठीक से करो नहीं तो मैं मौसी से तुम्हारी शिकायत कर दूंगी। “
तभी आन्या की मौसी आ जाती है – क्या हुआ आन्या ? इतना गुस्सा क्यों कर रही हो?
आन्या (गुस्से से )- “मौसी , आपने कैसे कैसे लोगो को काम पर रखा हुआ है किसी का आर्डर किसी को देकर आ रहा है। इसे बोलिये अगर ठीक से काम नहीं हो रहा तो बता दे। “
(मौसी वेटर को जाने को बोलती है और फिर आन्या की तरफ देखकर उसे शांत करते हुए ,,,,,,)
मौसी – “कोई बात नहीं आन्या ऐसा हो जाता है कभी कभी। पर तुम इस बात पर तो इतना गुस्सा कभी नहीं करोगी , जितना कि मैं तुमको जानती हूँ।
साफ़ साफ़ बोलो क्या बात है। “
आन्या (भरी आँखों से अपने आंसू छुपाते हुए ) – “नहीं मौसी , कुछ भी तो नहीं हुआ , बस ऐसे ही पता नहीं क्यों झुंझलाहट हो रही है बहुत। “
आन्या की मौसी सब कुछ समझती है इसीलिए वो आन्या कि पास बैठती है और आन्या से बोलती है , “आन्या तुम जाकर इन्दर से बात क्यों नहीं कर लेती , उसको चोट लगने पर तुम मिलने नहीं गयी थी शायद वो इसी बात से नाराज है। जाओ उनके साथ बैठ के कॉफी पी लो, हो सकता है तुम लोगो की दोस्ती हो जाये। “
आन्या मौसी की बात सुनकर बहुत ही ज्यादा आश्चर्य से उनको देखती है, पर कुछ बोल नहीं पाती।
देखलो जो तुमको ठीक लगे , मगर मुझे यही सही लग रहा हैं अभी कि हालत देखकर , आन्या की मौसी ने आन्या को समझाते हुए कहा और वापिस अपने काम में लग जाती है। और आन्या सोच में पड़ जाती है।
फिर अपने मन ही मन बुदबुदाती है , “मैं क्यों जाऊ ? मुझे क्या जरुरत पड़ी है दोस्ती करने की ? मन हो तो बात करो वरना मत करो। अगर तुम जिद्दी हो तो मैं भी जिद्दी हूँ। “
(दोनों अलग अलग समय पर एक ही बात सोच रहे है , ऐसे में उनकी बातें और मिलना कैसे होगा? )
क्रमशः
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– रूचि जैन