अब तक आन्या काफी हद तक शांत हो चुकी थी.. इन्दर भी नजदीक ही बैठा था और आन्या से सब कुछ जानने के लिए बेचैन था….आन्या ने पानी का गिलास एक साइड रखा और एक गहरी लम्बी सांस ली और खुद को थोड़ा रिलैक्स किया…
“कहाँ से शुरू करू इन्दर, कहने को तो कुछ भी नहीं मेरी जिंदगी में और देखो तो तकलीफ ही तकलीफ भरी हुई हैं, पता नहीं क्या और कैसे बताऊ तुमको….”, आन्या ने मन ही मन सोचा…
उसको इतना शांत और असमंजस में देख इन्दर ने उसके हाथो को अपने हाथो में थाम लिया और उसकी तरफ देख धीरे से बोला, “बोलो आन्या, मैं सब कुछ जानने के लिए उत्सुक हूँ…तुम बेझिझक सब कुछ मुझसे कह सकती हो….”
यह कहकर इन्दर ने आन्या को ढाढस बंधाया….
“इन्दर , मानव भी मोहाली का ही रहने वाला है, आज से ३ महीने पहले उसका रिश्ता मेरे लिए आया था और हमारा रिश्ता पक्का हो गया था,,,,,,,,,,,शादी भी हो ही जाती अगर उस दिन अर्थ, मानव को उसकी गर्लफ्रेंड के साथ रेस्टोरेंट में ना देखता तो… हम लोग थोड़ा अलग सोच के लोग है इन्दर……मेरे परिवार के लोग इतने भी अधिक खुले विचारो के नहीं हैं कि यह सब जानकर भी शांत रहते और मेरी शादी उससे हो जाने देते…… मेरे बाउजी को जब पता चला तो उन्होंने हमारा रिश्ता तोड़ दिया …
शायद ये बात मानव और उसके परिवार को नागवार गुजरी…हालाकि उन्होंने कुछ नहीं कहाँ, मग़र मानव मेरे कॉलेज पहुंच गया …. मैं भी इसके लिए शायद तैयार नहीं थी और हमारी वहां आपस में झड़प हो गई.. मानव मुझसे शादी करना चाहता था इसीलिए तरह तरह की दलील दे रहा था मगर मेरे लिए मेरे बाउजी क्या चाहते है , ये ज्यादा मायने रखता था इसीलिए मैंने इंकार कर दिया…
मेरी सहेलियों ने भी उसे काफी कुछ कह दिया……धीरे बात बढ़ी और मानव बत्तमीजी पर उतर आया तो मैंने उसे थप्पड़ मार दिया….उस वक़्त मेरे लिए ये बात अहम नहीं थी….मैं गुस्से में थी मगर बाद में डर गई…. इसीलिए ये बात मैंने आज तक किसी को नहीं बताई थी… घरवालों को भी नहीं……बस…. उसके बाद मैं उससे वहाँ कभी नहीं मिली… ” , आन्या ने अपनी बात कहकर इन्दर की तरफ देखा…. जो पहले से ही आन्या के चेहरे को ध्यान से देख रहा था….
“और तुम क्या चाहती थी तब….क्या तुम मानव से शादी करना चाहती थी ?”, इन्दर के इस सीधे और विचित्र सवाल ने एक पल के लिए आन्या को बिलकुल शांत कर दिया…उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे…. क्योकि सच तो कही न कही तब यही था…
“तुम मुझे बेझिझक बता सकती हो आन्या….”, कहकर इन्दर ने रुआंसी सी आवाज में अपना सवाल दुबारा दोहराया , “क्या तुम भी चाहती थी उस वक़्त उसे….”
इन्दर के दुबारा से यही प्रश्न पूछने पर आन्या थोड़ा गुस्से और आश्चर्य से धीरे से बुदबुदाई , “ये क्या पूछ रहे है आप……मेरी बात सुनो इन्दर,,,,,,, दोनों ही बातो में फर्क है……
माना मैं उससे रिश्ता होने पर बहुत खुश थी और रिश्ता टूटने पर मुझे दुःख भी हुआ था मगर मैं उसे चाहती नहीं थी , सिर्फ पसंद करती थी……और वो भी केवल रिश्ता टूटने के पहले तक….पसंद और चाहत में बहुत फर्क होता है इन्दर…..” , आन्या ने अपने अंदर दबे हुए एक डर के साथ भर्राई सी आवाज में जवाब दिया और फिर इन्दर के चेहरे के भावो को पढ़ने की कोशिश करने लगी…
“फिर ,,,,, फिर क्या हुआ ? ” , इन्दर ने आन्या को देखते हुए बहुत शांत लहजे में पूछा, वो बहुत ध्यान से उसकी बातें सुन रहा था और सब कुछ समझने की कोशिश कर रहा था…. वो उग्र होकर या किसी जल्दबाजी में आन्या को दुबारा असहज नहीं करना चाहता था….
“फिर,,,,, फिर इस बात के २ महीने ही बीते थे और मैं यहाँ मनाली आ गयी, फिर आप मुझसे मिले…. इस बीच मानव कहा था उसके साथ क्या हुआ , वो ऐसा क्यों कर रहा है,,,,,, मुझे कुछ भी नहीं पता इन्दर….. शायद वो उस थप्पड़ का ही बदला ले रहा हो…..”, आन्या ने थोड़ा भारी आवाज में रुंधे गले से कहा तो इन्दर कुछ सोचकर बोला , “ऐसा कैसे हो सकता है आन्या कुछ तो और भी होगा जो तुम भूल रही हो बताना….. अपने दिमाग पर जोर दो थोड़ा…. क्या तुम उसके बाद वाकई उससे नहीं मिली…”, इन्दर ने ये बात बहुत साधारण तरीके से आन्या से कारण जानने के मकसद से की थी मगर ये आन्या के दिल पर जा लगी….उसे लगा इन्दर उस पर शक कर रहा है और उसका गला भर आया…. उसने अपने अंदर के भावो को छुपाने की बहुत कोशिश की मगर आंसू उसकी आँखों से लुढ़क ही आये….
उसे रोता देख इन्दर उसे शांत करता हुआ बोला , “ओफ्फो, शक नहीं कर रहा हूँ बस इसीलिए पूछ रहा था कि मेरे दिमाग में अचानक वो फायरिंग वाली बात आ गई…. तो मुझे लगा कि , ये कही मानव ही तो नहीं जो तुम पर फायरिंग करवा रहा हो…’अरे क्या थप्पड़ के बदले वो तुम्हारी जान ही ले लेगा ? ‘
अगर ऐसा हुआ तो मैं उसे छोडूंगा नहीं …..” , इन्दर गुस्से में चिल्लाया….
“नहीं वो मानव नहीं है….”, इन्दर की बात सुनते ही आन्या ने कहा तो इन्दर उसकी आँखों में देख आश्चर्य से बोला , “यह तुम्हे कैसे पता ?”,,, सुनकर आन्या थोड़ा घबरा गई और इन्दर के हाथो को अपने हाथो में लेकर बोली… “इन्दर वो,,,,वो,,,, उस दिन,,,, वो वहां उस दिन पार्किंग में मेरे साथ मानव ही था….” , कहते कहते आन्या ने डर के मारे अपनी आँखे भींच ली….
और ये बात एक ही सांस में बोल गई….
कुछ पल शांति छाई रही, इन्दर तो अभी इस बात के सदमे से बाहर ही नहीं आ पाया था….वो लगातार आन्या को ऐसे घूर रहा था जैसे उसके हाथ पर अचानक से किसी ने गरम बाँट रख दिया हो….
“तुम उस दिन मानव के साथ थी आन्या …? और तुमने हमसे झूट कहा था… यहाँ तक की इंस्पेक्टर को भी ? “, इन्दर ने आन्या का हाथ गुस्से से झटकते हुए कहा और सर पर हाथ रखकर सोफे पर बैठ गया…,”और क्या क्या है आन्या जो तुमने हमसे छुपाया है……..मतलब तुम अभी भी मिलती हो मानव से ? और अभी अभी तो बोल रही थी कि फिर तुम उसे कभी नहीं मिली….तुम ये सब क्यों कर रही हो आन्या, कभी कुछ तो कभी कुछ….. कही ऐसा तो नहीं की तुम्हारे दिल में आज भी मानव के लिए…. “
“इन्दर……”, इन्दर की बात पूरी होने से पहले ही आन्या चिल्लाई , “बस करो , इतना भी जलील मत करो मुझे…”,,,कहकर उसकी आवाज रुंध गई , गला भर आया, वो उसके पास ही आकर बैठ गई, उसकी आँखों में आंसू भरे थे मगर फिर भी खुद को थोड़ा शांत करते हुए बोली, “मैंने कुछ नहीं छिपाया किसी से , मौसी जानती है ये सब…. बस आपको ही नहीं बता पाई,,,,,,,,,,,, मैं डर गई थी बहुत इन्दर….लगा आप पता नहीं क्या समझोगे,,,, आपको देने के लिए कोई प्रमाण नहीं मेरे पास …….ना तब था और ना अब हैं….”, कहकर आन्या फिर से सुबकने लगी , “मुझे पता था ये सब तो होना ही था , इसीलिए ही तो डर रही थी मैं कि पता नहीं आप विश्वास करोगे या नहीं…..उस दिन भी मुझे नहीं पता था कि मानव वहां पार्किंग में है ,,,,,बल्कि मुझे तो ये भी नहीं पता था कि वो यहाँ मनाली भी आ चुका है….”
फिर आन्या कुछ पल के लिए शांत हुई और आंसू पूछते हुए बोली, “जब से मैं यहाँ मनाली आई हूँ ,,,,एक साया हैं जो काफी टाइम से मेरा पीछा कर रहा था… इन्दर आपको याद भी होगा मैंने खिड़की तोड़ने पर रवि को झिड़का भी था….उस वक़्त भी मैं उस अजनबी साये से ही परेशान थी…..
उस दिन पार्किंग में भी मानव को देख मैं भी आश्चर्यचकित रह गई थी ,,,, उस वक़्त उसके वह्शीपन को देखकर मुझे भी यही लगा था कि वो ही है जो मुझे परेशान कर रहा है और मुझे मारना चाहता है मगर फिर उसी ने मुझे बताया कि कोई और है जो ये सब कर रहा है और इस बारे में मानव को भी नहीं पता था…. पार्किंग में जिस वक़्त मेरे ऊपर गोली चली उस वक़्त मानव साथ ही था तो वो गोली कैसे….”, आन्या बोले जा रही थी और इन्दर चुपचाप सुन रहा था….उसकी आँखों में गुस्से के कारण पानी भर आया था ,,,,,आन्या को मानव की तरफदारी करते देख इन्दर को अच्छा नहीं लग रहा था एक जलन नाम की चीज उसके दिल में आग लगा रही थी…इससे पहले की उसकी आँखें छलकती वो अपने आंसुओ को छुपाता हुआ वहां से उठा और बाहर की और जाने लगा तो आन्या ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और सिसकते हुए बोली……”रुको इन्दर, प्लीज… ऐसे मत जाओ, मुझे इतना भी रुसवा मत करो… मानती हूँ मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई , मुझे नहीं छुपाना था ये सब ,,,, मगर मैं बेवफा नहीं हूँ…..मैं मानव से नहीं मिलती इन्दर….मेरे मन में उसके लिए कुछ नहीं….मैं सिर्फ आपसे प्यार करती हूँ , सिर्फ आपसे…., वो तो बस मैंने ऐसे ही उसके बारे में इंस्पेक्टर को नहीं बताया क्युकी मुझे लगा वो बेक़सूर हैं तो,,,,बस इसलिए,,,, बाकि इसके पीछे और कोई कारण नहीं है इन्दर…..”
इन्दर ने आन्या का हाथ झटका,,,,” , तुम उसकी तरफदारी करना बंद करो आन्या…. “, इन्दर बीच में ही चिल्लाया….
“बस बहुत हो गया मानव मानव मानव , मेरी जिंदगी में तूफ़ान ला दिया है इस मानव ने…. जानता हूँ उसकी कर्जदार है मेरी जिंदगी मगर मैं अब और बर्दास्त नहीं कर सकता….”, कहते कहते इन्दर की आँखों से भी आंसू टपकने लगे….
दोनों काफी देर तक ऐसे ही सिसकते रहे ,,,, आज दोनों ही अपने मन का गुबार निकाल रहे थे….जहा प्यार होता है वही शिकायते भी होती है… आज ये कहावत इन दोनों के लिए बिलकुल यथार्थ सिद्ध हो रही थी….
कुछ देर बाद इन्दर आन्या के करीब पहुंच कर भावहीन शब्दों में बोला, “तुम अगर तभी सब कुछ बता देती तो शायद आज बात इतनी ना बढ़ती आन्या,,,,,मगर तुमको तो महान बनना था….. अच्छा तुम खुद को मेरी जगह रखो और फिर सोचो कि मेरे दिल पर क्या बीत रही होगी …..सोचा कभी?
जब जब भी मैं खुद को थोड़ा सम्भालता हूँ …..तुम पर , तुम्हारी बातों पर विश्वास करना चाहता हूँ….तुम कुछ ना कुछ फिर नया बता देती हो…. “
“कब तक सँभालु बोलो….आखिर मैं भी इंसान ही हूँ….”, इन्दर ने रुंधे गले से कहा तो आन्या उसकी तरफ देख कर पछतावे के आंसू लिए सिसकने लगी…
“आखरी बार माफ़ कर दो इन्दर …..जो सजा दोगे मंजूर होगी….मगर प्लीज…..”
इन्दर का दिल एक बार फिर पसीज चुका था , उसने आन्या को गले से लगा लिया और आन्या को चुप कराते हुए मुस्कुरा कर बोला,,,, “बहुत प्यार करता हूँ मै तुमसे इसीलिए तुम बार बार फायदा उठा लेती हो… फ्यूचर बहुत भारी पड़ने वाला है लगता है… तुम गलती भी करती हो और फिर रोने भी लगती हो… फिर मनाना भी उल्टा मुझे ही पड़ता है… और सॉरी भी मुझे ही बोलना पड़ता है… ये तो गलत बात है ना और देखो बदले में मुझे कुछ मिलता भी नहीं….” , इन्दर शैतानी मुस्कान में बोला तो आन्या भी मुस्कुरा ही पड़ी….
इन्दर को अब इस बारे में और ज्यादा बात करना सही नहीं लग रहा था और अब वो सब बातो को समाप्त कर देना चाहता था ,
“चलो अब मुस्कुरा दो और सब भूल जाओ….जो हुआ , जिस कारण भी हुआ…. मगर हमारा मन तो साफ़ था ना….. धागे को ज्यादा खींचो तो धागा टूट जाता है और रिश्ते में गाँठ पड़ ही जाती है इसीलिए मैं हमारे बीच ऐसा नहीं होने दूँगा….मुझे तुमपर विश्वास है स्वीटहार्ट…अब आगे क्या करना है मैं खुद देखूंगा….” , इन्दर की बातें सुनकर आन्या को बहुत तसल्ली का अनुभव हो रहा था उसकी आँखें खुशी के आंसुओ से भरी हुई थी…फाइनली उसके और इन्दर के बीच सब ठीक हो रहा था …..वो लोग साथ बैठे काफी देर तक बातें करते रहे… गिले शिकवे दूर करते रहे… रूठते मनाते रहे…
आन्या आज बहुत खुश थी अपने दिल की बात को जाहिर करते हुए वो बोली, “मैं बहुत लकी हूँ इन्दर जो आप मुझे मिले….आपने अब तक मेरी ना जाने कितनी ही गलतियों को माफ़ किया है…..आज सच में मेरे दिल से बस यही निकल रहा है….तेरे जैसा प्यार कहाँ…. जो हर तरह से मुझे अपनाने को तैयार है …..मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ ,,,,,,,आई लव यू सो मच इन्दर….❤❤”
यह सुन इन्दर मुस्कुराया और उसकी आँखों में देखते हुए बोला, “सोच लो अभी भी टाइम है फिर कही नहीं जाने दूंगा….कभी बाद में कहो…
अभी भी अगर चाहो तो मानव के साथ….”
“इन्दर….ये क्या बकवास है फिर से…. हम्म”, आन्या गुस्से में बोली….”मतलब आप अभी भी…….रहने दो कोई फायदा नहीं कुछ कहने सुनने का….”, इतना कहकर आन्या गुस्से से वहां से उठकर जाने लगी ,,,,उसकी आँख एक बार फिर भर आई थी…..
यह देखकर इन्दर ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोका और उसके पास गया और हसते हुए बोला “बुद्धू और रोंदू लड़की हो तुम एकदम…” और फिर उसके कंधो को पकड़कर सोफे पर बिठा दिया , आन्या का मुँह अभी भी बना हुआ था, ये देख वो झुककर वही नजदीक ही जमीन पर टिकते हुए बोला, “कितनी पगली हो तुम,,,,,क्या हुआ , बुरा मान गई फिर से… हम्म,,,,,,,, ओके, सॉरी बाबा , मैं तो बस मजाक कर रहा था…. अच्छा एक बार फिर सॉरी” , कहकर उसने अपने कान पकड़ लिए , “अब तो आंसू पोंछ लो… ठीक हैं नहीं कहूंगा कुछ… ओके “, मगर आन्या जब नहीं मानी तो इन्दर नाटक करते हुए वहां से उठकर जाने लगा…… तो आन्या ने उसका हाथ पकड़ लिया…..इन्दर वही का वही रुक गया….उसे लगा शायद आन्या अब कुछ कहेगी…शायद इतनी लड़ाई के बाद दुबारा से इकरारे मुहोब्बत…..🥰 सोचकर वो मन ही मन मुस्कुराया…..
आन्या उठकर इन्दर के नजदीक आई और उसके सामने आकर खड़ी हो गई और मासूमियत से बोली , “मुझे कुछ खाना है इन्दर, मुझे बहुत भूख लगी है ….”, यह सुनकर इन्दर की हसी छूट गई…. उसे हसते देख आन्या को भी हसी आ गई ,,,,
“इतना रोओंगी तो भूख लगेगी ही …. तब से गंगा जमुना बहाये जा रही हो….बोलो क्या खाना है.. कुछ रखा है क्या बना हुआ? या आज तुम बनाओगी मेरे लिए….” , इन्दर ने हंसकर आन्या को चिढ़ाते हुए कहा …. तो आन्या मुँह बनाते हुए किचन की तरफ चली गयी…. पीछे पीछे इन्दर भी वही पहुंच गया….
“हाँ तो मैडम, आप आज क्या बना रही हो मेरे लिए… “, इन्दर ने मुस्कुराकर भोये उचकाकर पूछा तो आन्या मुँह बनाकर बोली , “आपके लिए नहीं अपने लिए बना रही हूँ मैं , समझे ….”
“ओह्हो , इतना गुस्सा ,,,, बाप रे….” , इन्दर मुस्कुराया….
(आन्या की नज़ाक़ते और भोलापन देख उसे अब तो उस पर केवल प्यार ही आ रहा था… ये दिल भी क्या करे….प्यार तो बेशुमार भरा है दोनों के ही दिल में मगर हालात ही बार बार कुछ ऐसे हो जाते है कि……
खैर फ़िलहाल के लिए तो दोनों ही पेट पूजा में व्यस्त थे और बाकि दीनदुनिया , झगड़ो और तकलीफो को कुछ पल के लिए भूल चुके थे…वैसे भी कहते है ना कि खाली पेट किसी काम में मन नहीं लगता….तो शायद लड़ने में भी नहीं 🤭😉)
“अच्छा बना क्या रही हो…ये तो बता दो… माँ पूछेगी तो उनको भी तो बताना पड़ेगा ना कि क्या क्या आता है उनकी बहु को…”, इन्दर कहते हुए आन्या के नजदीक आ खड़ा हुआ तो घबराहट में आन्या के हाथ से मैगी का पैकेट छूट कर नीचे गिर गया….
“क्या.. ये खिलाओगी मुझे… तुमको कुछ आता भी है या नहीं…”, इन्दर ने अपने मुँह पर हाथ रखकर हॅसते हुए कहा तो आन्या थोड़ा चिढ़ती हुई बोली ,,,,” सब आता हैं मुझे…कोर्स किया हुआ है मैंने….समझे आप “
“किसका ? मैगी बनाने का….. वो तो मुझे भी आती है…”, इन्दर फिर से कहकर मुस्कुराया तो आन्या गुस्से में दोनों पैकेट उसके हाथ में थमाते हुए बोली , “लीजिये तो अब बनाइये आप ही…हम्म “, और फिर वही पास ही स्लैब पर उचककर बैठ गई…..
“बाप रे इतना तेवर….”, कहकर इन्दर ने कमान संभाली और गैस जलाने की कोशिश करने लगा , फिर कुछ देर कोशिश करता रहा….आन्या तिरछी नजरो से झांक झांक कर सब देख रही थी और मन ही मन मुस्कुरा भी रही थी….
“हे भगवान ये कहा फसा दिया….”, इन्दर मन ही मन बड़बड़ाया तो आन्या को हसी आ गई… , “रहने दीजिये मैं बना देती हूँ…आये बड़े कुक कही के…गैस तो आती नहीं जलाना और मेरी मजाक ले रहे थे….”
उसे हसते मुस्कुराते देख इन्दर भी मुस्कुराया और बिना कुछ बोले सामान वापिस से उसे पकड़ाकर , कंधे उचकाता हुआ पीछे हट गया…. आन्या की तो जैसे हसी ही नहीं रुक रही थी…
उसने गैस जलाया और बनाना शुरू किया मगर बार बार इन्दर का गैस जलाना याद आते ही उसकी हसी छूट जाती थी….
“बस बस कितना हसोगी अब यार….हद होती है… “, इन्दर ने मुँह बनाते हुए कहा मगर आन्या थी कि हसे ही जा रही थी…
“अच्छा , तो ऐसे नहीं मानोगी तुम…”, कहकर इन्दर ने आन्या को अपनी और खींचकर बाहो में भर लिया… अचानक हुई नजदीकियों के एहसास से आन्या की हसी एकदम से ही रुक गई और अब हसी की जगह शरमाहट और हिचक ने ले ली थी….
“छोड़िये….छोड़िये ना…..मुझे मैगी बनानी है…”, आन्या ने थोड़ा शरमाते और मचलते हुए कहा तो इन्दर ने मुस्कुराते हुए उसे तुरंत छोड़ दिया….खुद को इन्दर की गिरफ्त से आजाद देख आन्या एक पल को तो कुछ समझ ही नहीं पाई…फिर मुँह बनाते हुए गैस की तरफ पलटी और मन ही मन बड़बड़ाई , “पगलेट कही का, कहते ही छोड़ भी दिया….”
इन्दर अभी भी पीछे खड़ा उसके हाव भाव देख मुस्कुरा रहा था… और आन्या अपने काम में बिजी थी…
वो मुस्कुराते हुए एक बार फिर आन्या के नजदीक आन्या और पीछे से उसे दुबारा बाहो में भर लिया…आन्या एकदम से सहम गई…. और उसने आँखें बंद कर ली …..उसके दोनों हाथ आन्या के पेट पर बंधे थे , होंठ आन्या के कानो के करीब थे और ठोड़ी उसके कंधे पर पर थी… इन्दर मुस्कुराते हुए शैतानी के साथ उसके कानो में बुदबुदाया , “इस बार छोड़ने के लिए मत बोलना… देखो नुकसान तुम्हारा ही होगा…. “, सुनकर आन्या के अधरों पर भी मुस्कराहट आ गई और उसने शरमाकर गरदन झुका ली…. तो इन्दर ने धीरे से उसकी गर्दन पर एक किस कर दिया…. इन्दर के होंठो के स्पर्श से आन्या अंदर तक सिहिर गई…वो घबराकर इन्दर की तरफ पलटी…उसकी साँसे तेज तेज चल रही थी और होंठ कपकपा रहे थे…. जुल्फे भी चेहरे पर बिखर आई थी….इन्दर ने उसकी बिखरी लटों को अपनी उंगलियों से हटा कर उसके कान के पीछे सरका दिया…. दुबारा से इन्दर की उंगलियों के स्पर्श से आन्या बहुत ज्यादा रोमांचित हो गई थी…
एक तो इतनी नजदीकियां और ऊपर से अकेलापन दोनों के ही दिलो को बेकाबू करने के लिए काफी था….अभी अभी जिस जद्दोजेहद और तकलीफो से वो दोनों गुजरे थे उस समय में ऐसे कमजोर पलो को उन पर हावी होते देर नहीं लगी…
इन्दर ने आन्या को कमर से पकड़कर अपनी और खींचा और थोड़ा आगे बढ़कर उसे रसोई की दीवार से सटा दिया…
आन्या की आँखें झुकी हुई थी और साँसे दुगनी गति से चल रही थी…. इन्दर ने उसके दोनों हाथ दीवार से सटा कर पकडे हुए थे और धीरे धीरे खुद को उसके और करीब ला रहा था… आन्या के होंठ कपकपा रहे थे और इन्दर की निगाहे उसके होंठो पर ही थी….धीरे धीरे इन्दर अपने होंठो को उसके होंठो के करीब लाने लगा…दोनों के ही दिल में जैसे कोई तूफ़ान उमड़ आया था…
मगर कुछ ख्याल आते ही आन्या ने खुद को सम्भाला और एकदम से चेहरा घुमा दिया तो इन्दर के होंठ आन्या के होंठो की जगह गालो से टकराये….
यह देख दोनों के चेहरे पर एकदम से मुस्कराहट आ गई… वो एक नाजुक क्षण था , जब आन्या ने उन दोनों को ही सम्भाला लिया था….
“अभी नहीं,,,,,, अभी नहीं , प्लीज ,,,, शादी के बाद,, इन्दर…”, आन्या नजरे झुकाये झुकाये ही बुदबुदाई…..उसकी साँसे अभी भी तेज थी….
“हम्म….” , इन्दर ने हलके से उसके गालो को चूमा और फिर पीेछे हटते हुए बोला, “सॉरी आन्या, मगर इसके लिए नहीं रोक पाया खुद को….” , मगर हाँ बाकि “जैसा तुम कहोगी …”
और यह कह कर वो मुस्कुराता हुआ किचन से बाहर निकल आया और लॉबी में सोफे पर बैठ गया … उसके दिल में भी अभी तक हलचल मची थी….दोनों ही अपनी अपनी जगह खुद को संयत करने का प्रयास कर रहे थे….
कुछ समय बाद दोनों ही नार्मल थे और आन्या भी मैगी बनाकर बाहर ही ले आई थी…
उसे देखकर इन्दर मुस्कुराया तो आन्या ने झेपते हुए बात बदलते हुए कहा , “लीजिये….हमारी सुपर डुपर डिश रेडी है…”
सुनकर दोनों ही एक साथ हंस पड़े….
शाम के ४ बज चुके थे और अब मौसी के आने का भी समय होने वाला था… दोनों के ही बीच अब तक गिले शिकवे दूर हो चुके थे….
अब बस उन्हें इन्तजार था तो उस इंस्पेक्टर का जो उस केस के बारे में बात करने आने वाला था ….जिस केस ने अब तक सभी को काफी परेशान कर दिया था….
क्रमश:
–रूचि जैन
🤩🤩 comments ki prateeksha रहेगी….. 😉😉😁🥰