“कुर्सी पर क्यों गुस्सा उतार रहा हैं”, धीरज ने मानव को देखते हुए कहा , जो लाल सुर्ख आँखों से अभी भी दूर पड़ी कुर्सी को ही देख रहा था, उसका जबड़ा और मुट्ठिया गुस्से के कारण भिंची हुई थी।
उसको इतना व्याकुल और व्याग्र देख कर धीरज उसके पास जाता हैं और उसको शांत करने की कोशिश करता हैं , “तू शांत हो जा मानव , और मैं अभी भी यही कहूंगा के भूल जा आन्या को……… अरे ! हजारो लड़किया मिल जाएँगी तुझे आन्या जैसी,,,,,,,,”
“मगर आन्या तो नहीं ना ,,,,,,”, मानव ने एकदम से धीरज की ओर घूरकर देखते हुए बोला।
“तेरी सुई आन्या पर क्यों अटक गयी हैं मुझे ये समझ नहीं आता , वो किसी और से प्यार करती हैं , ये समझ ही नहीं रहा हैं तू , बस जिद अड़ा कर बैठ गया हैं बच्चो की तरह ,,,,,,”, धीरज ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए समझाया।
“हाँ ,,,,,हाँ,,,,,,,,हाँ,,,,,,,,जिद है वो मेरी, जूनून है वो मेरा,,,,,”, धीरज की बात सुनकर मानव चिल्लाया।
“प्यार करता हैं क्या तू उससे ? बोल ? नहीं ना,,,,,,बस एक ज़िद और तेरी ये जिद हम सब पर भारी पड़ने वाली हैं और खासकर तेरे ऊपर , समझा तू , पुलिस ढूढ़ रही हैं उसे जिसने उसे पार्किंग में बुलाया था। जानता भी है कुछ , अभी सब देखकर आ रहा हूँ मैं कैसे वो इंस्पेक्टर आन्या को और बाकि सबको स्केच दिखा दिखा कर छानबीन कर रहा था , वो तो अच्छा हुआ मेरी बुद्धि सही समय पर काम कर गयी थी उस दिन , नहीं तो अभी हम दोनों ही जेल में बैठे होते और आन्या पर गोली चलवाने का नारियल भी हमारे सर ही फूट जाता , फिर न तो हम पुलिस को ये समझा पाते कि हम बेक़सूर हैं और ना ये साबित कर पाते के वो गोली चलाने वाला हम नहीं कोई और ही था। समझा तू ,,,,,,,” , धीरज ने गुस्से में लगभग चीखते हुए मानव को जवाब दिया।
इस बार मानव का कोई रिएक्शन नहीं था , ये देखकर धीरज थोड़ा रुक कर इस बार थोड़ा आराम से बोला “आ इधर बैठ और थोड़ा पानी पी ले,,,,, “,यह कहकर धीरज ने पानी का गिलास मानव की ओर बढ़ा दिया। मानव ने पानी का गिलास पकड़ा और फिर पूरा का पूरा पानी एक सांस में पी गया।
अभी वो थोड़ा रिलैक्स भी लग रहा था , शायद धीरज की कही बात इस बार उसके दिमाग में थोड़ा तो घुसी थी और फिर वो वही पास पड़े सोफे पर बैठ गया मगर अभी भी उसका मन बहुत ज्यादा शांत नहीं था। उसने अपनी जेब से वही आन्या की फोटो निकली और उसे देखने लगा। यह देख धीरज भी जाकर उसके पास ही बैठ गया और बोला , “अभी कुछ टाइम के लिए ही सही मगर भूल जा इसे , बात मान मेरी “
मानव ने कुछ पल धीरज की और देखा और फिर वापिस आन्या की तस्वीर अपनी जेब में रख ली।
“थैंकस , यार , अपने दोस्त की बात रखने के लिए “, धीरज ने मानव के कंधे पर हाथ रखते हुए साइड से गले लगते हुए कहा तो जवाब में मानव बस तिरछा मुस्कुरा दिया। जैसे उसके दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा हो।
धीरज अब उसके पास से उठकर खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया और कुछ देर बाहर की ओर देखता रहा फिर एक सिगरेट निकालकर जलाते हुए मानव की ओर देखकर बोला ,
“अब तू बिलकुल बेफिक्र हो जा दोस्त, पुलिस को तो मैं संभाल लूंंगा , इतना भी आसान नहीं हमारे दामन तक पहुंचना। “, धीरज ने तिरछी कुटिल हसी हॅसते हुए सिगरेट का एक कश लगाया तो उसकी बात सुनकर मानव भी धीरज के करीब पहुंच कर खिड़की पर अपनी कोहनी टिका कर खड़ा हो गया और फिर उसके हाथ से सिगरेट लेकर कश लेते हुए बोला, “क्यों अब ऐसा क्या कर दिया तूने ?”
“पुलिस को चकमा ,,,,,”, धीरज मुस्कुराया।
“वो कैसे ? ढंग से बता “, मानव ने अपनी भोये उचकाकर , उसे एक मुस्कराहट के साथ घूरते हुए कहा।
“मुझे पता था ये तो होगा ही होगा , इसलिए मैंने उस लड़के को बोलने से पहले ही अपना भी भेष बदल लिया था , नकली दाढ़ी, मूछ और बाल, अब ढूढ़ते रहो इस इंसान को , ये तो आसानी से नहीं मिलने वाला ,,,,,,,हाहाहा “, धीरज ने शैतानी मुस्कराहट के साथ मानव को देखते हुए कहा।
“साले,,,,,,,,,,,तू भी कम नहीं “, मानव ने भी जवाब में धीरज के कंधे पर एक हाथ मारा और मुस्कुरा दिया और फिर वो एक कुटिल मुस्कराहट के साथ कुछ सोचते हुए धीरज से कहता हैं , “अब तू देख , आज से २ दिन बाद , इन्दर को उसके जन्मदिन पर क्या सरप्राइज गिफ्ट देता हूँ मैं ,,,,,,,,,”
मानव जो कि अब तक इन्दर का दोस्त और वेलविशर था , अचानक ही उसके मन में अब इन्दर के लिए एक अजीब गुस्सा और नफरत झलकने लगती हैं।
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उधर आन्या और इन्दर कैफे पहुंच जाते हैं , मौसी अपने काम में मगशूल हो जाती है और इन्दर और आन्या कैफे का ही एक शांत कोना पकड़ कर बैठ जाते हैं।
इन्दर और आन्या आमने सामने बैठे हैं , आन्या की नजरे अभी भी खोई खोई सी हैं , वो चाहकर भी इन्दर से नजर नहीं मिला पा रही थी। उसे डर है कि कही इन्दर दुबारा उससे कुछ पूछ ना ले ।
उसके गोरे गाल और नाक , चल रही ठंडी हवा के कारण और भी लाल हो गए थे जिसे देखकर इन्दर मन ही मन मुस्कुरा रहा था।
“ऐसे ही बैठी रहोगी क्या , कुछ बोलोगी नहीं ?”, इन्दर ने मुस्कुराते हुए सामने पड़ी मेज पर अपने दोनों हाथ टिकाकर हल्का सा आगे को झुकते हुए आन्या से कहा तो आन्या ने एकदम से नजर उठाकर इन्दर को देखा।
एक बार फिर उसकी लाल हो चुकी नाक को देखकर इन्दर को हसी आ गयी।
“ऐसे क्यों हस रहे हो ? कुछ लगा हैं क्या ?”, आन्या ने अपना हाथ अपनी चेहरे पर लगाते हुए पूछा ।
“हाँ ,,,,”, इन्दर फिर हॅसते हुए बोला।
“कहाँ?,,,,,”, आन्या ने भोहे उचकाकर कहा तो इन्दर ने अपनी नाक की तरफ इशारा करते हुए समझाया , “यहाँ ,,,,,,”
आन्या अपनी नाक को छूते हुए बोली , “”क्या लगा हैं ? “
“नाक”, कहकर इन्दर जोर जोर से हसने लगा। ये देखकर आन्या को भी हसी आ गयी , “बदमाश , मेरा बुद्धू बना रहे हो , हम्म “, आन्या ने हॅसते हुए आँखें चमकाते हुए कहा ।
एक बार को ऐसा लगा मानो वो अपनी सारी दुःख तकलीफे सब कुछ भूल गयी हो ।
“अरे नहीं सच में , लाल नाक हो रही हैं तुम्हारी, तो बस सोचा थोड़ी मस्ती कर लू , चलो २ पल के लिए ही सही , तुम हसी तो सही , एक बार फिर मेरी वही आन्या मुझे दिख गयी जिससे मैं पहली बार मिला था ,,,,, “, कहकर इन्दर आन्या को देखकर हल्के से मुस्कुराया तो आन्या की आँखों में नमी आ गयी।
“तुम भी ना ,,,,”, आन्या आँखें पूछती हुई मुस्कुराई ,,,,
“क्या मैं भी ना,,,,,,, हम्म “,, इसबार इन्दर ने मेज पर रखे आन्या के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए , उसकी आँखों में देखते हुए कहा तो आन्या ने शरमाकर , “कुछ नहीं “, कहते हुए ना में गर्दन हिलाई।
“बस तुम यू ही हसती मुस्कुराती रहा करो और अपनी सब परेशानिया मुझे दे दो आन्या ,,,,”, आन्या का हाथ अपने हाथो में पकड़ते हुए इन्दर ने कहा।, “ऐसे हॅसते हुए बेहद खूबसूरत लगती हो तुम , देखो तो तुम्हारे गाल तो शरम से और भी ज्यादा गुलाबी हो गए हैं, कही ऐसा न हो कि मैं एक बार फिर अपना दिल हार जाऊँ “, इन्दर ने आन्या की आँखों में आँखें डालते हुए कहा और फिर उसके हाथ पर एक किस कर दिया।
इन्दर के होंठो का स्पर्श पाकर आन्या ने शरमाकर अपनी आँखें बंद कर ली तो इन्दर उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा उठा।
“कितना शरमाती हो तुम अभी भी” , इन्दर ने हसकर कहा मगर आन्या की नजरे अभी भी शरम के मारे इन्दर से कतरा रही थी।
“अच्छा ये बताओ, क्या उपहार दे रही हो तुम मुझको मेरे जन्मदिन पर , हम्म ?”, इन्दर ने माहौल को सामान्य करते हुए बात बदली। ,”देखो कोई ऐसा वैसा उपहार नहीं चलेगा , समझी , मुझे तो ऐसा उपहार चाहिए जो मुझे जिंदगी भर याद रहे ,,,,,,”, इन्दर ने आन्या से बातें मिलाते हुए कहा।
(तभी एक वेटर उनके सामने २ कप कॉफ़ी रखकर चला जाता है , इन्दर वही बैठे बैठे मौसी की तरफ देखकर इशारे से थैंक यू कहता हैं तो मौसी भी जवाब में मुस्कुरा देती हैं )
“क्या उपहार चाहिए , आप ही बता दीजिये ना?”, इस बार आन्या ने इन्दर की तरफ देखते हुए कहा।
“अरे ! अगर मैं बता दूंगा तो क्या मजा रहेगा ? तुम खुद ही सोचो ? मुझे तो एक अच्छा सा सरप्राइज चाहिए बस,,,,,,”, इन्दर ने अपने दोनों हाथ बांधते हुए मस्ती में कहा। , “और सुनो , हमारे साले साहब को भी लेती आना ,,,,,,,”, इन्दर ने मुस्कुरा कर कहा तो आन्या ने घबराहट में इन्दर की तरफ देखते हुए कहा , “मतलब , अब अर्थ को भी सब पता चल जायेगा ?, हे भगवान “
“तो क्या हुआ , वो तो तुम्हारा छोटा भाई और दोस्त दोनों हैं ना, तो उससे क्या छुपाना ,,,,, “, इन्दर ने हॅसते हुए कहा तो आन्या थोड़ा गुस्साते हुए बोली , “आपको हसी आ रही हैं और मेरी जान हलक में आकर अटक गयी हैं । “
“तुम कितना टेंशन लेती हो आन्या , चिल , मैं और मौसी हैं ना , सब हो जायेगा ,,,,चलो कॉफी पीओ ,,,”, कहते हुए इन्दर एक कप आन्या की ओर बढ़ा देता हैं और फिर अपनी कॉफी का सिप लेता हैं।
आन्या भी अभी थोड़ा सामान्य महसूस कर रही थी। जैसा कि उसको डर था मगर इन्दर ने दुबारा आन्या से उस बारे में कोई सवाल जवाब नहीं किये थे , इससे आन्या काफी खुश थी और कॉफ़ी पीते पीते वो यही सब सोच रही थी कि तभी रवि भी वहाँ आ जाता हैं।
“अब चले इन्दर , हो गयी तुम दोनों की मुक्का लात (मुलाक़ात)?”, रवि ने कुर्सी पर बैठते हुए हसकर अपने दाँत दिखाते हुए कहा। तो आन्या और इन्दर को भी हसी आ गयी।
“ये कभी नहीं सुधरेगा ………………, आन्या अब इसकी सेटिंग कराने की जिम्मेदारी तुम्हारी ,,,,”, इन्दर ने हॅसते हुए आन्या से कहा। तो आन्या को भी हसी आ गयी।
“बस बस मुझे बक्श दो, अब अगर तुम्हारा दोनों का आज का हो गया हो तो हम चले ?” , रवि ने उन दोनों को हॅसते देख खीज कर पूछा।
“हाँ , हाँ ,,,,,चल , वैसे भी वहाँ वो मोटी अकेली होगी , ज्यादा देर हुई तो कच्चा ही खा जाएगी चबा चबा कर हमे,,,,,,”, इन्दर ने हॅसते हुए कहा तो रवि भी हॅसते हुए बोला , “मुझे तो ये भी संदेह है कि चबायेगी भी या नहीं , कही ऐसे ही साबूत न निगल जाये,,,,,हहाहा “
फिर सारे जोर जोर से हसने लगते हैं।
कुछ देर बाद इन्दर और रवि होटल के लिए निकल जाते हैं।
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उधर संध्या जल्दी जल्दी कमरे में घूम घूम कर गुस्से में कुछ कुछ बड़बड़ाये जा रही थी ,”आने दो फिर बताती हूँ , बोल रहे थे अभी जाकर आता हूँ , ४ घंटे हो गए , अभी तक नहीं आये”
आलिया टीवी देख रही थी और मीता अपनी मोबाइल में लगी थी।
संध्या ने एक नजर दोनों को देखा और फिर भागकर पहले टीवी का स्विच बंद कर दिया और फिर मीता के हाथ से मोबाइल छीन लिया।
“ओफ्फो , क्या यार, दे ना वापिस मोबाइल ,,,”, मीता ने वापिस मोबाइल छीनने कि कोशिश करते हुए कहा तो संध्या बोली , “यहाँ मैं परेशान हो रही हूँ और एक तुम दोनों हो कि इन सबमें लगी हो ?”
“अरे तो तुम परेशान क्यों हो, आओ तुम भी अपने मोबाइल में लग जाओ ना , किसने मना किया ?, लाओ मेरा मोबाइल मुझे दो “, मीता ने भोला सा मुँह बनाकर संध्या को उत्तर दिया।
“नहीं मिलेगा , बिलकुल नहीं , भाई इसीलिए छोड़ गए क्या तुमको मेरे पास ,,,,,,,कितनी देर से अकेली यहाँ वहाँ घूम रही हूँ, भाई को भी इतना टाइम हो गया “, संध्या ने रुआंसी सी आवाज में कहा तो मीता बोली , “ओके बाबा ठीक हैं मत दो , अब ये बोलो कि ऐसा क्या करे कि तुम्हारा मन अच्छा हो जाये ?”
“भाई के जन्मदिन की तैयारी”, संध्या ने अपनी बड़ी बड़ी आँखें चमकाते हुए कहा ,”एक सरप्राइज पार्टी प्लान कर लेते हैं ना,,,,,,, “
“हम्म ठीक हैं , रवि को आ जाने दो फिर बात करते हैं “, मीता ने कहा तो संध्या खुशी से कुशन उछाल उछाल कर चिल्लाने लगी।
तभी इन्दर और रवि वहाँ पहुंच जाते हैं , “ये क्या हाल बना डाला मेरे कमरे का?”, इन्दर ने कमरे में घुसते हुए वहाँ की हालत देखते हुए कहा।
“अच्छा आ गए , कहा गए थे हम्म ?”, संध्या ने उल्टा सवाल दागा और मुँह बना कर बैठ गयी।
“अरे अब तू मत नाराज हो , आ तो गया हूँ , वैसे इन दोनों ने बोर तो नहीं किया ?”, इन्दर ने हसकर उन दोनों की तरफ देख़कर आँख मारते हुए कहा। मगर संध्या ने कोई रिप्लाई नहीं दिया …..
“चल अब मान भी जा मेरी छुटकी,,,,”, इन्दर ने संध्या के दोनों गाल खींचते हुए कहा। तो संध्या मुस्कुरा पड़ी और फिर इन्दर के गले लग गयी।
क्रमशः
रूचि जैन
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