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तेरे जैसा प्यार कहाँ part – 22

इन्दर आन्या से बात करके फ़ोन रख देता हैं और रेस्टोबार में वापिस अंदर जाता हैं। सभी लोग अपनी अपनी जगह पर बैठे एक दूसरे से बातें बना रहे थे साथ साथ ड्रिंक्स और स्नैक्स भी चल रहा था। इन्दर को देखकर मानव मुस्कुराता हुआ पूछता हैं , “जनाब कहाँ गायब हो गए थे आप ?”, तो जवाब में इन्दर बस मुस्कुरा देता हैं….फिर सब लोगो की तरफ देख कर मस्ती भरे अंदाज में बोलता हैं , “अरे! आप सब के होते ये महफ़िल इतनी सूनी क्यों पड़ी हैं, आप सब लोग डांस नहीं कर रहे ?”

सुनकर सब मुस्कुराने लगते हैं और रवि बोलता हैं , “हम तो भई थक लिए अब तुम ही करो। “
“तूने ऐसा क्या डांस कर लिया जो इतना थक गया ?”, इन्दर ने रवि पर कमेंट करते हुए कहाँ।

“डांस इसने नहीं , डांस तो मानव और संध्या ने किया है , क्या जबरदस्त डांस था दोनों का , खासकर इनकी ट्यूनिंग,,,,,,”, मीता ने बीच में ही संध्या और मानव के डांस की तारीफ इन्दर से करते हुए चहकते हुए कहाँ तो उसकी इस हरकत पर धीरज धीरे से मुस्कुरा उठा।  उसकी निगाहे एक टक मीता पर टिकी हुई थी।
“हाँ हाँ ये तो बता दिया मगर अब इन्दर को ये भी तो बताओ कि तुमने किसके साथ किया डांस ?”, रवि ने मीता की चुटकी ली तो मीता ने एक पल को धीरज को देखा और उसे खुद को निहारता देख शरमाकर निगाहे नीची कर ली। कुछ तो था जो दोनों के ही मन में चल रहा था…..

(धीरज बहुत ही समझदार और गंभीर लड़का था और मीता उसकी बिलकुल विपरीत स्टाइलिश , नटखट और चुलबुली,,,,,अब विपरीत प्रकृति का आकर्षण होना तो लाजमी हैं ,,,,,,)

“ये देखो अब चुप हो गयी , डीजे पर देखते इन दोनों को तो,,,,,,,”, रवि ने दुबारा से मीता को छेड़ा तो डीजे पर हुयी नजदीकियों के याद आते ही मीता और धीरज भी एक दूसरे से मुस्कुराते हुए नजरे चुराने लगे।

“तू चुप रह , बिना बात कुछ भी बोले चले जा रहा हैं ,,,,,लगता हैं ज्यादा चढ़ गयी हैं तुझे ,,,,,ला ये दे मुझे,,,,,,”, मीता ने धीरे से रवि को हड़काते हुए कहां और उसके हाथ से ड्रिंक छीन ली।

(वो कहते हैं ना कि जब दिल में चोर हो तो चेहरे पर दिख ही जाता हैं , बस अब इनके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था।)
मीता हमेशा की तरह रवि से चुहुलबाजी कर रही थी और धीरज ये सब देख कर मुस्कुरा रहा था , उसे मीता की शैतानिया दिल को लुभाने वाली लग रही थी। मुस्कराहट दोनों के चेहरे पर थी मगर फ़िलहाल दोनों ही एक दूसरे के आगे अपने चेहरे के भावो और दिल के जज्बातो को छुपाने का पूरा प्रयास कर रहे थे।
अब तो ये वक़्त ही बताएगा कि इनकी भी कोई लवस्टोरी बनेगी क्या और उसका अंजाम क्या होगा।

उधर संध्या भी मीता की बातें सुन मन ही मन अपने डांस , मानव के साथ बितायी उन सुनहरी घडियो को और  उसकी छुअन को याद कर मुस्कुरा रही थी।
“तुझे क्या हुआ ? तू क्यों मुस्कुरा रही हैं बैठी बैठी ?”, रवि ने इस बार संध्या को हिलाते हुए कहाँ तो जैसे संध्या किसी नींद से जागी हो।

“नहीं कुछ नहीं , वो भाई का जन्मदिन आ रहा हैं ना तो बस उसी बारे में ,,,,,,,,”, संध्या ने ऐन मोके पर बात को घुमाते हुए कहाँ तो रवि बीच में ही एक्साइटेड होकर इन्दर से बोला , “अरे! हाँ यार तीन दिन बाद तेरा भी तो जन्मदिन आ रहा हैं ना , कहाँ दे रहा हैं पार्टी , धमाल हो जाये इस बार?, और वैसे भी २ -२ खुशी हैं इस बार तो , मस्त मज़ा आ जायेगा ,,,,,”

“२-२ खुशी ? समझा नहीं मैं ?”, मानव ने रवि की बात सुनते ही सवाल किया तो रवि एक्साइटमेंट में बोल पड़ा ,”अरे , हमारी होने वाली भाभी जी भी तो हैं इस बार,,,,,”

“जी ,,,, क्या ? समझा नहीं “, मानव ने इन्दर की तरफ देखते हुए पूछा तो इन्दर ने बात बदलते हुए कहाँ ,”अरे कुछ नहीं इसे ना बात बात पर ऐसे ही दौरे उठते रहते हैं आप ध्यान मत दो ज्यादा , चढ़ गयी हैं इसे आज।।। “, और यह कहकर इन्दर हसने लगता हैं और बाकि सब भी हसने लगते हैं।

“हम्म ,अरे वाह दोस्त जन्मदिन है तुम्हारा,,,,,,,अभी से बधाई हो तुमको”, मानव ने इन्दर को बधाई देते हुए कहां तो इन्दर मानव से बोला , “अरे ऐसे कैसे , अभी से बधाई से काम नहीं चलेगा , तुम दोनों को भी आना होगा उस पार्टी में , कुछ सोचा हुआ तो हैं मैंने, चलो इस बार हंगामा ही सही,,,,,,”

“ये ये ,,,,,ये,,,ये “, (धीरज भी आएगा ये सोचकर मीता अपनी खुशी रोक नहीं पाई और खुशी से चिल्लाई तो उसे देख कर सब हस दिए और उसने जब धीरज को हॅसते हुए देखा तो झेप गयी। )

“अच्छा जी तो अब हम चलते हैं ,,,,,” , मानव ने उन सब से विदा लेते हुए कहां तो इन्दर ने उससे उसका फ़ोन नंबर लेकर मोबाइल में सुरक्षित कर लिया ताकि उसे समय और जगह बता सके।
मानव और धीरज वहाँ से चले जाते हैं और संध्या और मीता काफी देर तक चुपके चुपके उनको जाता हुआ देखती रहती हैं।


मनाली की खूबसूरत सुबह , नवंबर का महीना लग चुका हैं और वातावरण की कशिश और खूबसूरती अपने चरम पर है , सुन्दर खिले फूल और उनको सहलाती ठंडी हवा के झोखे , चारो और फैली धुंध और ओस की मोतियों सी चादर किसी के भी मन को लुभाने के लिए काफी हैं।  ऐसे में सूरज की पहली किरण जब धरती पर उतर आये तो उन चमचमाते मोतीयो की सोंदर्येता अनायास ही आँखों में उतर आती हैं।
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“वाओ, कितना खूबसूरत है ये मनाली ,,,,”
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संध्या होटल की बालकनी में  खड़ी गरम गरम कॉफ़ी के साथ साथ वहाँ से दिखते सुन्दर सुन्दर पहाड़ो का भी आनंद ले रही थी।

“क्या हुआ मोटी, बड़ी रोमांटिक हो रही हैं सुबह सुबह “, इन्दर ने बालकनी में आते हुए संध्या से बोला, उसके हाथ में भी कॉफ़ी का कप था और वो भी संध्या की बराबर में आकर खड़ा हो गया और अपनी कॉफ़ी की सिप लेने लगा।

“मेरी छोड़ो , आप बताओ भाई ,,,,,, आपने तो मुझे पूरी बात बताई ही नहीं कि भाभी कैसे मिली आपको ,,,,,”, संध्या पूरे मूड में पास पड़ी कुर्सी सरकाकर वही जम कर बैठ गयी।

“क्या बताऊ……कुछ ऐसा खास नहीं हैं…….”, इन्दर ने संध्या को टरकाने के इरादे से कहां तो संध्या ने लगभग इन्दर को हाथ पकड़ कर पूरा नीचे की ओर खींचते हुए कहाँ , “चुपचाप बैठो यहाँ , समझे , कुछ खास नहीं हैं फिर भी वो आपकी जिंदगी में इतना खास बन गयी हम्म , क्यों ?”

इन्दर हसते हुए , “ओफ्फो , मेरी माँ , ठीक है तो सुन ,,,,,,,,”, और फिर इन्दर संध्या को शुरू से लेकर, उससे मिलने , अपने एक्सीडेंट और उसके बाद उसे प्रोपोज़ करने तक की सारी बातें बता देता हैं और संध्या अपनी बड़ी बड़ी आँखें और बड़ी करके परियो की कहानियो में जैसे खोई हुई सब कुछ सुनती रहती हैं।

“वाओ……, वाओ भाई……ये सब कुछ कितना रोमांटिक हैं ना……और आप , इत…..ना..ना  रोमांटिक भी हो सकते हो ये नहीं पता था मुझे……..”, संध्या ने एक्साइटेड होकर इन्दर को छेड़ते हुए कहा।

“तुझे कैसे पता होगा , हम्म ,,,,,, ये तो आन्या को ही पता होगा ना , बुद्धू ,,,,,,”, “चल मुझे जाना हैं कही कुछ काम से , तो मैं तैयार होता हूँ ओके “, इन्दर ने वहाँ से उठते हुए संध्या के सर पर एक धप्पी मारी और वहाँ से अंदर की ओर चला गया।

इधर संध्या उसकी बाद सुनकर अपना सर खुजलाते हुए बोली , “मलतब……ब ? “, और फिर समझ आते ही मुस्कुरा उठी और फिर धीरे से बुदबुदाई , “हम्म , सही कह रहे हो भाई , पर मैं बुद्धू नहीं हूँ , सब समझती हूँ अब मैं भी , पता नहीं क्यों आपको तो अब भी मैं वही मोटू छोटू गुड़िया ही लगती हूँ,,,,,,,,,,,,”, और फिर रात की मुलाक़ात याद आते ही मुस्कुराते हुए मन ही मन बोली ,
“वैसे ये कम्बख्त प्यार हैं ही ऐसी चीज…….मिले तो भी और ना मिले तो भी, इसकी तड़प ना तो चैन से सोने देती हैं और ना चैन से जीने देती हैं।।।।।। “
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“अरे इन्दर भाई हो गए हो क्या तैयार , हो गए हो, तो चले ?”, रवि ने कमरे में घुसते हुए पुकारा तो उसकी आवाज सुनकर इन्दर बोला ,”हाँ मैं भी तैयार हूँ चल”

“कहा जा रहे हो आप दोनों?”, संध्या ने उन दोनों को देख कर पूछा।

“बस अभी आ रहे हैं , काम हैं कुछ”, इन्दर ने साधारण सा जवाब दिया तो संध्या ने उदास सा मुँह बना लिया, “मैं अकेले क्या करू यहाँ ?”

“ओफ्फो , मेरी प्यारी गुड़िया तू भी ना , अच्छा मैं मीता और आलिया को बोल दूंगा तुम्हारे पास आने के लिए , तब तो तुम बोर नहीं होगी ना, ठीक “, इन्दर ने संध्या के पास आकर उसके दोनों गालो को खींचे हुए मुस्कुरा कर कहा।

“हाँ ठीक हैं भाई , मगर अब मैं आपकी छोटी सी गुड़िया नहीं हूँ , क्या आप भी ना आल टाइम ,,,,,,,,,”, संध्या ने नाक चढ़ा कर थोड़ा लाड दिखते हुए कहा।

“हा हा हा , अच्छा अच्छा, चल बाय , आता हूँ जल्दी,,,,,,”, और यह बोलकर दोनों कमरे से निकल जाते हैं, और चलते चलते इन्दर  मीता को फ़ोन लगाकर संध्या के पास जाने के लिए बोल देता है……

“चल जल्दी चल , इंस्पेक्टर ने बुलाया हैं , आन्या के घर”, इन्दर ने फ़ोन जेब में रखते हुए जल्दी जल्दी होटल से पार्किंग की ओर कदम बढ़ाते हुए कहा।

“सुबह सुबह क्यों ?”, रवि ने लगभग भागते हुए कदम से कदम मिलाते हुए पूछा।

“ये तो ठीक से मुझे भी नहीं पता , सुबह ही कॉल आ गया था उसका “, इन्दर ने रवि की बात का जवाब चलते चलते ही दिया।

“अच्छा तो हम भाभी जी के घर जा रहे हैं , पर तूने ये बात संध्या को क्यों नहीं बताई , उसे ये बता सकता था ना?”, रवि ने इन्दर से पूछा, अब वो लोग पार्किंग में पहुंच चुके थे , इन्दर जीप के पास पहुंच कर रुक गया और रवि की तरफ देखते हुए बोला, “तू जानता नहीं है क्या उसे , अगर उसे ये बताता कि मैं आन्या के घर जा रहा हूँ तो वो साथ लटक लेती हमारे ,,,,,, फिर ?
(फिर थोड़ा रिलैक्स होते हुए बोला..)
मैं नहीं चाहता की उसे ये सब चीजे पता चले। न जाने वो क्या क्या समझ लेती , वो अब तक ना तो आन्या से मिली हैं और ना उसे जानती हैं , ऐसे में उसके लिए वो क्या पता अपनी क्या राय बना ले।
वैसे भी आन्या के मामले में मैं बहुत सेंसिटिव हूँ और उसकी छवि किसी की नजरो में भी ख़राब हो ये मैं बर्दास्त नहीं करूँगा।”, इन्दर ने जीप में बैठते हुए कहा और जीप स्टार्ट कर दी।

“हम्म , बात तो सही कह रहा हैं तू …….मेरा ही दिमाग पता नहीं इतना क्यों नहीं दौड़ता “, रवि ने अपना सर खुजलाते हुए जीप में बैठते हुए कहा तो इन्दर हंस पड़ा , “हा हा हा , चल बैठ , तेरा भी चलने लगेगा जब तुझे कोई मिलेगी। “

“नहीं तब शायद और बंद हो जायेगा चलना……हा हा हा “, रवि ने हसते हुए कहा।

(अब तक इन्दर जीप आन्या के घर की तरफ मोड़ चुका था।)

“वैसे अभी तो मैं ये सोच रहा हूँ कि इंस्पेक्टर ने बुलाया क्यों हैं , वैसे सच बताऊ तो मुझे वो इंसान कतई पसंद नहीं ,,,,,”, रवि ने मुँह बनाते हुए कहा।

“शायद वो चाय वाला लड़का मिल गया हैं , उसे लेकर आन्या के घर पहुंच रहा हैं इंस्पेक्टर,,,,,,, शायद आज ये पता लग जाये कि वो कौन आदमी था जिसने आन्या को पार्किंग में बुलाया था। “, इन्दर ने कुछ सोचते हुए कहा….

“क्या,,,,,या, बड़ी जल्दी मिल गया , चलो अच्छा हैं जल्दी से ये सब पचड़ा ख़तम हो तो अब हम भी मनाली से जाये , अभी तो उस बददिमाग इंस्पेक्टर ने कही भी जाने को मना किया हैं।  “, रवि ने सड़ा सा मुँह बनाते हुए कहा तो इन्दर बोला , “आज तू थोड़ा शांत ही रहना वहां, अब और बखेड़ा नहीं चाहता मैं नया कुछ , वैसे ही क्या परेशानियाँ कम हैं , ये लोग ऐसे ही होते हैं इनसे प्यार से बात करनी पड़ती हैं , अकड़ से नहीं , समझा तू…..”

“हम्म,,,,”, इन्दर की बात सुनकर रवि ने जवाब में बस इतना ही कहा और फिर शांत बैठ गया।

उधर आन्या अपने घर में बेचैनी के साथ घूम रही थी , जब से इंस्पेक्टर का फ़ोन आया था आन्या की हालत ख़राब थी , “वो लड़का मिल गया , अब क्या होगा , उसने मानव के बारे में बता दिया तो ? उसी ने तो बुलाया था मुझे….वो लड़का पहचानता होगा उसे…..हे! भगवान क्या करू…… , आज तो इन्दर को भी सब पता चल जायेगा और अगर वो वही मानव हुआ जो कल उसके साथ था तो……”, वो घबराहट के कारण मन ही मन कुछ कुछ बड़बड़ाये जा रही थी और उसकी आंखे डबडबा रही थी।

थोड़ी देर में ही इन्दर और रवि भी आन्या के घर पहुंच जाते हैं , इंस्पेक्टर वहाँ पहले ही पहुंच चुका था और जीप में बैठा घर से थोड़ा पहले उन लोगो का ही वेट कर रहा था।
इन्दर को देख कर वो अपनी जीप से उतर कर इन्दर के पास पहुंच जाता हैं , उसके पीछे एक १६-१७ साल का लड़का भी हैं जिसे एक हवलदार ने पकड़ा हुआ हैं।
“आइये अंदर चले , हम आप लोगो का ही इन्तजार कर रहे थे” , इंस्पेक्टर ने कहा तो इन्दर ने उत्तर में , “जी ” कहा और आन्या के घर की ओर कदम बढ़ा दिए।

घर की घंटी बजाते ही दरवाजा खुला और आन्या अपनी मौसी के साथ उन लोगो के सामने खड़ी थी। 
“माफ़ कीजिये , सुबह सुबह तकलीफ दी। “, इंस्पेक्टर में मौसी की तरफ देखते हुए कहा तो मौसी ने बिना कुछ कहे उनसे अंदर आने का इशारा किया।
“नहीं जी , बस यही ठीक हैं हम लोग , ये लड़का मिला है चाय वाला , इसी ने बोला था ना आपको आन्या जी पार्किंग में जाने के लिए , जरा पहचानो तो इसे,,,,,”, कहते हुए इंस्पेक्टर ने उसे कालर से पकड़कर खींचते हुए आगे किया…..”
वैसे हमने इससे सब उगलवा लिया है , मगर वो क्या हैं ना हमे बहुत सारी औपचारिकता निभानी पड़ती है …..”, इंस्पेक्टर ने हसते हुए आन्या की तरफ देखते हुए कहा।

“जी,,,, जी यही हैं “, आन्या ने धीरे से उत्तर दिया तो वो लड़का आन्या की तरफ देखते हुए बोला , “दीदी मुझे माफ़ कर दो , मुझे बचा लो , मैंने कुछ नहीं किया , मैंने तो बस ५० रुपए के लालच में आप तक वो सन्देश पहुंचाया था जो उस आदमी ने मुझे बोलने को कहा था , मैं बहुत गरीब हूँ दीदी , मुझे इन सब से बचा लो दीदी”, कहकर वो लड़का जोर जोर से रोने लगा….तो हवलदार ने वही खड़े खड़े उसकी कनपटी पर २ चपत जमा दिए ….

“काम तो हम अपना सारा करके आये हैं मैडम ” , इंस्पेक्टर ने मुस्कुराते हुए अपना प्रभाव जमाते हुए कहा….”बाबूलाल जरा वो स्केच तो निकालना, जो इस लड़के के बताने पर बनवाया है…..”,  इंस्पेक्टर ने हवलदार से कहा तो सुनकर आन्या के माथे पर पसीने की बूंदे झलक आई…..

इन्दर वहां खड़ा आन्या का चेहरा ही पढ़ रहा था , इतने ठन्डे मौसम में माथे पर पसीना…. उसने मन ही मन सोचा …..

बाबूलाल लिफाफे से वो स्केच निकालकर इंस्पेक्टर को पकड़ा देता हैं ……और इंस्पेक्टर जब वो स्केच आन्या को दिखाता हैं तो उसकी आँखें खुली की खुली रह जाती हैं ……

क्रमश:

-Ruchi

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