कुछ छुपाया भी नहीं जाता ,
कुछ बताया भी नहीं जाता
हमारी ये कैसी मुहोब्बत हैं
कुछ समझाया भी नहीं जाता ।।।।
इन्दर चला जाता हैं मगर संध्या अभी भी वही बैठी हैं और अपने अलग ही ख्यालो में खोई कप से सिप ले रही हैं …
“वाओ, यह सब कुछ कितना रोमांटिक होता है ना, काश! मेरी जिंदगी में भी ये पल आ जायें….” और फिर ना चाहते हुए भी संध्या दुबारा से मानव के ख्यालों में खो जाती हैं …
तभी पीछे से उसके सर पर एक धप्पी होती हैं तो वो हड़बड़ा जाती है , “तुझे नहीं सोना क्या मोटी”, इन्दर की आवाज सुनकर उसने पीछे मुड कर देखा। , “हाँ भाई सोती हूँ ना”, कहकर संध्या ने ऐसे नजर चुराई जैसे उसकी कोई चोरी पकड़ी गयी हो —
“और तू यहाँ बैठी क्या सोच रही हैं , हम्म , कहाँ खोई हैं ?”, इन्दर के अचानक से पूछे सवाल ने उसे असहज कर दिया।
“कुछ भी तो नहीं भाई , ब,,,,बस,,,स,,, ऐसे ही भाभी के बारे में सोच रही थी।। “, संध्या ने बात बदलते हुए मुस्कुराते हुए कहा।
“हा हा हा , ओके ओके , इतना मत सोच चल सो जा।।। उसके लिए मैं हूँ ना —“, इन्दर ने हंसकर आँख मारते हुए कहा और फिर वहाँ से चला गया। संध्या भी मुस्कुराकर अपने सर पर हाथ मारते हुए मन ही मन बोली , “संध्या तू भी न मरेगी किसी दिन, चल निकल ले यहाँ से “, और फिर मन ही मन मुस्कुराते हुए वो भी सोने चली जाती हैं।
*****
आर्य मेंशन (मोहाली)
रात के १०:३० बजे हैं , आरती अपने कमरे में प्रवेश करती हैं , मिस्टर प्रकाश सो चुके हैं , तभी आरती के मोबाइल की घंटी बजती हैं , आरती कमरे की खिड़की के पास जाकर मोबाइल उठाती है।
“हेलो ! “, आरती ने मोबाइल कान पर लगाते हुए धीरे से कहा।
“मैं धीरज बोल रहा हूँ आंटी”, दूसरी साइड से आवाज आई।
“तुमने इस समय क्यों किया कॉल , ऐसा क्या अर्जेंट आ गया ?”, आरती ने एक नजर मिस्टर प्रकाश पर डालते हुए दबी आवाज में कहा।
“आंटी , मुझे मानव और आन्या के बारे में कुछ बात करनी हैं “, धीरज ने कहा तो आरती जी लम्बी साँस भरते हुए बोली ,”हम्म , जल्दी बोलो।”
“आंटी, मुझे माफ़ कर दीजिये, मगर मैं मानव को आन्या से मिलने से रोक नहीं पाया और —“, धीरज ने कहा तो आरती बीच में ही बात काटते हुए बोली , “वो तो मुझे पता था , कि तुम्हारे बसका कुछ नहीं हैं। एक काम ठीक से नहीं कर पाओगे तुम। “
“आंटी, ऐसा कुछ नहीं हैं , मैंने उसे रोकने की बहुत कोशिश की मगर आप मानव को तो जानती हैं ना, उसने तो उल्टा मुझे ही चुप करा दिया।
मगर अभी उलझन ये नहीं कुछ और हैं “, धीरज ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा।
“अब कौन सी उलझन”, आरती ने पूछा।
“आंटी , बातो बातो में मानव और आन्या की झड़प हो गयी थी और मानव ने गुस्से में कार का शीशा फोड़ दिया जिससे उसके हाथ में चोट आ गयी, और आन्या के सर पर भी थोड़ी चोट आयी थी। “, धीरज ने थोड़ा डरते डरते कहा।
“क्या,,,या,,,या”, आरती ने दबी सी आवाज में दाँत भींचते हुए कहा मगर धीरज ने बोलना चालू रखा।
“आंटी इतना ही नहीं , जब कांच टूटने की आवाज सुनकर मैं वहां पंहुचा तो मैंने पाया की कोई और भी वहाँ था जिसका मुँह कपडे से ढका था और वो आन्या पर निशाना साध रहा था, उस वक़्त तो मैंने दोनों को धक्का देकर बचा लिया , मगर मैं उस इंसान का चेहरा नहीं देख पाया क्युकी वो काफी दूर था और मेरे पहुंचने से पहले ही भाग चुका था।”, धीरज ने एक सांस में बिना रुके पूरी की पूरी बात आरती को बता दी।
आरती ख़ामोशी के साथ धीरज की बात सुन रही थी मगर उसके मन में कुछ और ही चल रहा था, “(मन ही मन दाँत भींचते हुए ) तुम्हे किसने कहा था धीरज बीच में कूदने के लिए , अच्छा खासा काम निपट जाता उस लड़की का , बनता काम बिगाड़ दिया।”, फिर खुद पर काबू करते हुए धीरज से बोली , “और कुछ ? अब किस बात की परेशानी हैं जब कुछ हुआ ही नहीं हैं तो।”
“आंटी अगर पुलिस केस हुआ तो ? कही मानव का नाम ना आ जाये बस इसी बात का डर लग रहा हैं।”, धीरज ने कहा तो आरती मुस्कुराती हुई बोली , “तुम चिंता मत करो ,आन्या मानव का नाम नहीं लेगी , जितना मैं उसे जानती हूँ और अगर ले भी लिया तो वो सब मैं देख लूँगी। तुम बस मेरे मानव का ध्यान रखो।” कहकर आरती फ़ोन कट कर देती हैं।
फिर कुछ पल खिड़की के पास खड़ी कुछ सोचती रहती हैं और फिर तिरछा मुस्कुराते हुए चाँद की और देखते हुए कहती हैं , “भगवान कसम क्या किस्मत लेके आई हो तुम आन्या,,,,, तुमसे तो मौत भी अपनी वफ़ा निभा रही हैं,,,,,,,मगर जो भी हो हमे खुशी बहुत हो रही हैं तुमको इस तरह तड़पते देख कर,,,,, हम भी ऐसे ही तड़पे थे एक दिन अपने बेटे को देखकर,,,,,,तुमको बता नहीं सकते कितना सुकून मिल रहा हैं हमको।।”
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उधर आन्या अब तक थोड़ा सहज हो चुकी थी , वो अपने कमरे की बालकनी में खामोश खड़ी आसमान में आ जा रहे बादलो को निहारे जा रही थी।
“मेरी जिंदगी भी इन बादलो की तरह ही हो गयी हैं , कब बिखर जाती हैं पता ही नहीं चलता, मन कर रहा हैं खूब जोर जोर से रो पडू, बस कैसे भी यहाँ से कही दूर भाग जाऊ जहाँ कोई भी मुझ तक न पहुंच सके, इतनी पीड़ा अब और नहीं सही जा रही। “, आन्या खड़ी खड़ी अपने मन में यही सब सोच रही थी। रह रह कर आंसू उसकी आँखों से निकलते और उसके गलो पर लुड़कते हुए कही विलीन हो जाते।
“मैं क्यों नहीं समझ पाई वो साया कौन था , मैं क्यों नहीं जान पाई की वो मानव भी हो सकता हैं , मैंने क्यों उसे इस हद तक पहुंचने दिया , क्यों क्यों ? क्या कहूँगी अब इन्दर से , पता नहीं वो क्या समझेगा और सब कुछ जानने के बाद, इस बात का कैसे यकीन करू की वो मुझे गलत नहीं समझेगा। “, अनायास ही आन्या के मुँह से निकला और वो फफक पड़ी।
तभी उसने अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस किया तो वो पलटी ,”मौसी आप ?”, उसको विस्मित देख मौसी ने कहा , “हाँ मैंने सब सुन लिया हैं आन्या, मगर मुझे ये समझ नहीं आ रहा कि तुमने इतनी बड़ी बात छुपाई क्यों , पुलिस से भी, इन्दर से भी , यहाँ तक की मुझसे भी, मगर क्यों ?”
“मैं इन्दर को मानव के बारे में नहीं बता सकती मौसी , पता नहीं वो क्या सोचेगा , मैं उसको ये कैसे समझा पाऊँगी कि मानव मेरे लिए केवल मेरे अतीत में आया एक रिश्ता मात्र था , मैं उसे कैसे यकीन दिलाऊंगी मौसी कि मैं उसे पहले से नहीं जानती हूँ , मैं बहुत डर गयी हूँ मौसी , मैं अब ये सब और बर्दास्त नहीं कर सकूँगी। मैं इन्दर को किसी भी कीमत पर नहीं खो सकती , किसी भी कीमत पर नही। “, आन्या ने रुंधे स्वर में कहा तो मौसी उसकी बात सुनकर बोली , “चाहे तुम्हारी जान ही क्यों न चली जाये, हम्म ?”
“उसने मेरी जान नहीं लेनी चाही मौसी, वो मानव नहीं हैं “, आन्या ने मौसी की तरफ पलटते हुए कहा।
“अच्छा— और ये तुम कैसे कह सकती हो कि वो इंसान मानव नहीं , इतना सब कुछ होने के बाद भी ?”, मौसी ने आश्चर्य से आन्या को देखते हुए कहा।
“जब मुझ पर गोली चली तब मानव मेरे साथ ही था मौसी”, आन्या ने सर झुका कर नजरे चुराते हुए धीरे से कहा तो मौसी का मुँह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया , “क्या,,,या ,,,,,या”
“हाँ मौसी जिसने मुझे पार्किंग में बुलाया था वो मानव ही था , मगर तब मुझे नहीं पता था , मुझे यही लगा था कि इन्दर ने मुझे बुलाया हैं , और फिर वहाँ—“, आन्या ने मौसी को शुरू से आखिर तक सारी बातें बता दी।
आन्या की बातें सुनकर कुछ पल के लिए मौसी सन्न रह गयी और फिर अपना सर पकड़कर पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी।
“इतना कुछ हो गया ?”, मौसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो कहे क्या ?
फिर खुद को थोड़ा सय्यत करते हुए उठकर आन्या के करीब आकर बोली , “तुम उसका नाम छुपा रही हो आन्या जो तुमको कष्ट दे रहा हैं , क्या हैं ये सब ? और एक बात मुझे समझ नहीं आती कि एक तरफ तो तुम बोल रही हो कि मैं मानव को इन्दर और अपने बीच नहीं आने देना चाहती और ऊपर से मानव का नाम भी छुपा रही हो तो बाद में पता चलने पर इन्दर इस बात को क्या समझेगा बोलो , और तुम उसे क्या उत्तर दोगी बोलो? कि तुमने मानव का नाम क्यों छुपाया ?
अब वो गलत समझे या न समझे, मगर बाद में जरूर समझ लेगा और तब तुम्हारी कोई सच्चाई काम नहीं आएगी आन्या , तू समझ इस बात को और व्यावहारिक बन , तू बहुत भोली हैं मेरी बच्ची , उस मानव जैसे इंसान को और शय मत दे कि वो तेरा फायदा उठाये। “, मौसी ने आन्या को समझाते हुए कहा।
“रुक मैं अभी इन्दर को फ़ोन करके सब सच बता देती हूँ , और पुलिस को भी , और तू चिंता मत कर इन्दर को मैं समझा दूंगी सब , जब तू गलत हैं ही नहीं तो डर क्यों रही हैं मुझे ये समझ नहीं आ रहा। और मैं तुझे उस मानव के जाल में बिलकुल नहीं फसने दूंगी , समझी तू ” , कहते हुए मौसी फ़ोन मिलाने के लिए मोबाइल उठाती है तो आन्या हाथ जोड़ कर रोते हुए बोली , “प्लीज मौसी , अभी नहीं , मैं सब बता दूंगी इन्दर को मगर ऐसे नहीं , अपने तरीके से टाइम आने पर , प्लीज आप उसे अभी कुछ मत कहिये। “
कहकर आन्या सिसकने लगती है तो मन मार कर मौसी मोबाइल नीचे रख देती हैं और उसे चुप करने लगती हैं ,”ठीक है , नहीं कर रही , अब तू चुप हो जा प्लीज , मुझसे और नहीं देखा जाता, चल अब सो जा , ऐसे तो बीमार हो जाएगी “
कहकर मौसी उसे कमरे में ले आती हैं और बिस्तर पर लिटा देती है और धीरे धीरे उसका सर सहलाने लगती हैं , (मन ही मन ) “हे भगवान इस भोली सी बच्ची को सद्बुद्धि दे , इसे नहीं पता कि ये क्या कर रही हैं , इसे इन सब समस्याओ से आजाद करा दे भगवान “
कुछ ही देर में आन्या की आँख लग जाती हैं तो खुद भी उसी के पास सो जाती हैं।
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अगले दिन –
पार्किंग स्पेस (मनाली )
पुलिस ने पार्किंग को सील कर दिया था और वहाँ पर पुलिस के अधिकारी अपनी जाँच पड़ताल कर रहे थे। कुछ ही देर में इन्दर और रवि भी वहाँ पहुंच जाते हैं।
“सर आपने हमे बुलाया ?”, इन्दर ने इंस्पेक्टर से पूछा तो इंस्पेक्टर ने बोला, “हाँ , चलिए मेरे साथ मुझे एग्जेक्ट लोकेशन दिखाइए कि उस दिन कहा क्या हुआ था , मिस आन्या आपको कहा मिली थी और उस टाइम यहाँ की क्या स्थिति थी ? हम चाहते तो मिस आन्या को भी बुला सकते थे मगर फ़िलहाल उनकी ये हालत देख कर हमने उनको परेशान करना ठीक नहीं समझा….इसीलिए वी नीड योर फुल कोऑपरेशन –ओके “
“जी सर , थैंक यू , अच्छा हुआ आपने आन्या को नहीं बुलाया , हमे जितना पता हैं हम आपको वो सब बता देंगे। हम आपके साथ फुल कोआपरेट करेंगे , डोंट वरी”, इन्दर ने इंस्पेक्टर को जवाब दिया। और फिर उनको लेकर वही पहुंच गया जहाँ आन्या उनको मिली थी , फिर जितना उनको पता था वो सब बता दिया।
“थैंक यू मिस्टर इन्दर , हम लोग अन्वेषण (जाँच पड़ताल) जारी रखेंगे , कुछ भी जानकारी मिलते ही आपको सूचित किया जायेगा। अभी हमको वो लड़का नहीं मिल पाया हैं जिसने आन्या जी को पार्किंग में जाने की बात कही थी शायद वो पहचानता हो कि गोली चलाने वाला कौन था।
जैसे ही उसके बारे में कुछ पता चलता हैं उसकी शिनाख्त के लिए हमे आन्या जी को बुलवाना पड़ेगा।
और हम आप लोगो से भी यही अपेक्षा रखते है कि आप छोटी से छोटी जानकारी भी हमे बताएंगे और कुछ भी ऐसा न हो जो आपने हमसे छिपाया हो।”, ऐसा कहकर इंस्पेक्टर उन लोगो के पास से चला जाता हैं।
इंस्पेक्टर की बातें सुनकर इन्दर को आन्या का नजर चुराना और बातें बदलना याद आने लगता हैं , “कुछ तो हैं जो आन्या हमसे छुपा रही हैं। मगर क्या ?”, इन्दर को सोच में देख रवि उसे झकझोरते हुए बोलता हैं , “तू कहा खोया है ? कोई परेशानी हैं क्या ?”
“पता नहीं मगर ऐसा लगता हैं कुछ तो ऐसा हैं जो हमको नहीं पता हैं।”, इन्दर ने परेशानी से अपना सर खुजलाते हुए कहा तो रवि उससे आश्चर्य से पूछता है , “तेरा मतलब आन्या ने हमसे कुछ छुपाया ?”
“श,,,श,,,,श,,,,, अबे क्या कर रहा हैं धीरे बोल, इंस्पेक्टर ने सुन लिया तो बिना बात आन्या के पीछे लग जायेगा, ऐसा हैं या नहीं ये तो मुझे नहीं पता पर मुझे ऐसा लगता हैं कि कुछ तो हैं जो हमे नहीं पता।, अब चल यहाँ से, मैं अपने तरीके से भी छान बीन करवाऊंगा , केवल पुलिस पर डिपेंड नहीं रह सकता मैं—-“, इन्दर ने बेचैनी से रवि से कहा और फिर वो दोनों वहाँ से निकल गए।
वहाँ से निकल कर इन्दर आन्या को फ़ोन मिलाता हैं और उससे उसका हाल चाल पूछता हैं।
इन्दर – “कैसी हो आन्या”
आन्या (धीरे से)- “अभी ठीक हूँ “
इन्दर – “लग तो नहीं रही………मैं आऊं ?”
आन्या (मुस्कुराकर )- “अरे नहीं नहीं ,,, मैं बिलकुल ठीक हूँ, आप परेशान मत हो “
इन्दर – अरे परेशानी कैसी , वैसे भी मैं बाहर ही हूँ।
आन्या – अच्छा कुछ काम होगा ?
इन्दर (जानबूझकर बताने के लिए ) – पुलिस ने बुलाया था पार्किंग प्लेस , वही आया था , कुछ पूछना था उनको।
आन्या (थोड़ा असहज होकर ) – अच्छा…., कुछ पता चला ?
इन्दर – नहीं अभी तक तो नहीं , मगर जांच जारी हैं , (थोड़ा रुक कर जानबूझकर ये बात छेड़ते हुए ) इंस्पेक्टर बोल रहा था कि आपका फुल कोऑपरेशन चाहिए और आपसे एक्सपेक्ट करते हैं कि आपने कोई जानकारी न छुपाई हो।
आन्या – (घबराकर ) फिर ?
इन्दर – क्या फिर ? (हंसकर संदेहात्मक तरीके से टोंट मारते हुए ) वो तो तुमको ही पता होगा न कि तुमने सब बता दिया या कुछ छुपाया भी हैं ?
आन्या – (बात बदलते हुए ) – इन्दर,,,, मैं,,,, वो ,,,,मौसी बुला रही हैं शायद —
इन्दर (मन ही मन ) – अब तो मुझे पूरा यकीन हो गया आन्या , अब मैं सब पता लगा कर ही रहूँगा।
फिर आन्या से (मुस्कुराकर ) हम्म , चली जाना , पहले मुझसे बात करो ना , अब तो तुमसे मिलना बातें करना जैसे एक जंग हो गया हैं , कहकर हसने लगता है तो आन्या भी उधर हंस पड़ती हैं
इन्दर (प्यार से )- डेट्स लाइक माय बेबी ।।। हसतें हुए कितनी प्यारी लगती हो तुम , ऐसे ही हसती रहा करो
सुनकर आन्या मुस्कुरा देती हैं , “हम्म….. जी “
इन्दर – क्या जी ? हम्म, अच्छा सुनो आज शाम मिलोगी ? रेस्टोबार जाऊंगा संध्या और दोस्तों के साथ। अगर तुम भी आ सको तो ?
आन्या (मिलने से बचते हुए ) – “नहीं इन्दर , आज नहीं , और रात को मौसी अभी मानेगी भी नहीं , खासकर ये सब होने के बाद। आज तुम लोग एन्जॉय करो।”, कहकर मुस्कुरा देती हैं।
इन्दर (सड़ा सा मुँह बनाते हुए ) – ओके , ठीक हैं तुम आराम करो , हम कर लेंगे एन्जॉय अकेले — इतने नखरे दिखाने लगी हो के बस पूछो मत
“क्या नखरे, आप भी ना ——– वैसे अकेले कहा हैं आप , हम्म……..सब दोस्त हैं तो, और फिर संध्या भी तो हैं “, आन्या ने छेड़ते हुए कहा।
“हाँ , मगर तुम नहीं हो ना”, इन्दर ने रोमांटिक होते हुए कहा।
“मैं फिर किसी और दिन , और अभी संध्या से भी तो मिलना हैं मुझे “, आन्या ने बात बदलते हुए कहा तो इन्दर मुस्कुराकर बोला ,”ओके…….ठीक हैं , अभी तुम आराम करो।।।। फ़ोन करूँगा रात में , ओके , लव यू “
आन्या शरमाकर धीरे से बाय बोलकर फ़ोन रख देती हैं।
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शाम का समय हैं , इस वक़्त मौसम काफी ठंडा हैं ,
इन्दर अपनी बहिन संध्या , रवि , मीता और आलिया के साथ रेस्टोबार जाता हैं।
संध्या ने आज ब्लू कलर वन पीस ड्रेस पहनी हुई थी , साथ में लॉन्ग कोट , बूट्स , खुले बाल और लाइट मेकअप , बेहद खूबसूरत लग रही थी वो।
मीता और आलिया ने भी ऑफ शोल्डर वूलेन टॉप एंड जीन्स पहनी हुई थी। जिसमें वो दोनों भी गजब लग रही थी।
“कितना ठंडा और प्यारा मौसम हैं ना , वाओ , कितना मजा आने वाला हैं आज तो” , संध्या ने एक्साइटेड होकर कहा।
तभी उसकी नजर थोड़ा दूर ड्रिंक काउंटर के पास बैठे मानव पर जाती हैं , जो अपने दोस्त धीरज के साथ उसी रेस्टोबार में आया हुआ था।
संध्या मानव को देखकर पहचान लेती हैं और सबकी नजरे बचाकर धीरे धीरे छुप छुप कर उसे देखने लगती हैं।
“आओ वहाँ बैठते हैं संध्या “, मीता की आवाज ने संध्या का ध्यान तोडा जोकि उस वक़्त चुपके से मानव को ही देख रही थी।
“हाँ , हाँ …..”, संध्या ने कहा तो मीता उसी दिशा में देखते हुए बोली, “उधर क्या देख रही थी?”, फिर उधर मानव को देखकर , “ओह्हो , नॉट बैड , हम्म “, कहकर मीता संध्या को देखकर मुस्कुरा देती हैं।
“नो , नो, नो , तुम गलत समझ रही हो मीता , मैंने तो बस ऐसे ही उधर देखा। “, संध्या ने कहा तो मीता हसने लगी।
“कोई बात नहीं इट्स ओके , यहाँ ये सब चलता हैं “, मीता ने कहा तो सुनकर संध्या धीरे से मुस्कुरा दी।
तभी इन्दर और रवि ड्रिंक्स लेकर वहाँ पर आ जाते हैं और फिर शुरू होता हैं धमाल —-
और डी जे पर सांग…… “अभी तो पार्टी शुरू हुई हैं।।।।——“
क्रमशः
-Ruchi Jain
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