जिक्र जब उनका छिड़ा महफ़िल में , तो वो बेदाग ना निकले।
महल अरमानो के, बनने से पहले ही बिखर गए ।।
मोहाली का एक फेमस कॉफ़ी शॉप-
एक लड़की बैठी किसी का इन्तजार कर रही हैं , उसके चेहरे की बैचेनी बता रही हैं कि वो काफी देर से किसी का इन्तजार कर रही हैं।
वह बार बार अपना मोबाइल उठती हैं उसमें टाइम देखती हैं और रख देती हैं।
तभी शॉप में एक हैंडसम , स्मार्ट थोड़ा स्टाइलिश सा लड़का आँखों पर गॉगल्स लगाए , अपनी उंगलियों पर कार की चाबी को घुमाता हुआ दाखिल होता हैं।
उसे देखते ही वो लड़की उठ कर खड़ी हो जाती हैं और उसके पास जाकर गुस्से से बोलती हैं , “मानव ये क्या टाइम हैं तुम्हारे आने का , आधे घंटे से इन्तजार कर रही हूँ तुम्हारा, तुमने मुझे समझ क्या रखा हैं।। “
“ओह चिल रिया , इतना शोर मत मचाओ , आ तो गया हूँ ना ये क्या कम हैं और अगर तुमको ऐसे ही बखेड़ा करना हो तो बता दो मैं अभी वापिस चला जाता हूँ ,,,,,,”, मानव ने उल्टा टशन दिखाते हुए कहा तो रिया चिल्लाई , “ओह, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे ,,,,,,एक तो तुम देर से आये और ऊपर से मुझे ही आँखें दिखा रहे हो।।। “
“कूल बेबी कूल , आओ वहाँ चलकर बैठते है,,,,”, मानव ने एक सीट की तरफ इशारा करके कहा और फिर वेटर को आवाज लगायी ,” वेटर मैडम को एक गिलास ठंडा पानी लाकर दो ,,,,,”, ये सुनकर रिया और ज्यादा चीड़ गयी।
“रहने दो , तुम ही पियो मुझे नहीं पीना ,,,,,”, रिया ने गुस्सा होते हुए कहा तो मानव तिरछा मुस्कुराया।
******
रिया (मानव की गर्ल फ्रेंड ) – कद ५ फुट ३ इंच , गेहुआ रंग , तीखे नैन, स्टाइलिश सी दिखने वाली लड़की…
मानव – कद ५ फुट १० इंच , गोरा , स्टाइलिश , हैंडसम
******
रिया (थोड़ा झल्लाकर ) – मानव आजकल तुम बहुत कम मिलने लगे हो तुम मुझसे , क्या बात है ?, मुझे बात करनी है तुमसे…
मानव (मुस्कुरा कर ) – हाँ बोलो , मना किसने किया ? और वैसे भी मैं अभी भी तुम्हारे साथ ही तो बैठा हूँ डिअर ♥
रिया (फ़्रस्ट्रेट होकर) – हाँ, साथ बैठे हो, मगर साथ हो नहीं …
मानव – मतलब क्या है तुम्हारा ?
रिया – कितने दिन से देख रही हूँ बस इग्नोर कर रहे हो मुझे…
मानव – इगनोर करता तो यहाँ नहीं बैठा होता, समझी
रिया- हम्म वो तो सब समझ आता हैं मुझे , आज भी जानकार लेट आये ना , बहुत अच्छा लगता हैं न तुमको, मुझे परेशान करना,,,,,,
मानव – ऐसा बस तुमको लगता हैं जो सच नहीं हैं।
रिया – वो मुझे कुछ नहीं पता मानव , मगर तुम्हारा व्यवहार बहुत बदल गया है… तुम पहले जैसे नहीं लगते…
मानव – (रिया की तरफ घूरते हुए) क्या पहले जैसे नहीं लगते ? आजकल तुम मुझे बहुत इर्रिटेट करने लगी हो रिया , क्या तुम्हारा आल टाइम शुरू हो जाता है , जब से आया हूँ कुछ ना कुछ बोले ही जा रही हो , जस्ट चिल पिल बेबी…कूल
रिया – क्या जस्ट चिल पिल मानव , पहले मुझे ये बताओ तुम्हारे मन में है क्या ? हम लोग एक साल से साथ है मगर तुमने मुझे कभी शादी के लिए प्रोपोज़ नहीं किया ..
प्यार करती हूँ मै तुमसे … शादी भी करना चाहती हूँ…समझे तुम….रिया थोड़ा तेज आवाज में चिल्लाई ,,,,,,
मानव (उसकी आँखों में घूरते हुए )- डोंट बी इमोशनल बेबी… एंड डोंट शॉउट ओके….सी अराउंड यू , वेयर वी आर…
रिया (थोड़ा शांत होते हुए) – देखो मानव , सॉरी,,,,,, , मगर मुझे कुछ ठीक नही लग रहा.. डर लगता है तुमसे और तुम्हारे बिहेवियर से…
अच्छा ठीक है लीव ईट…. आओ मूवी चलते है … ओके ,,,,,, रिया ने मानव के बिगड़े मिजाज देख वातावरण को सामान्य करने के लिए कहा
(मानव की गर्लफ्रेंड रिया उससे मूवी चलने की जिद करती है मगर वो टाल देता है कि उसे बिज़नेस के किसी काम से बाहर जाना है।)
मानव – मैं बिजी हूँ आज , ऑफिस का काम है कुछ ओके
अभी बाय डिअर …ये कहकर मानव वहां से उठकर चला जाता है मगर रिया वही बैठी रहती है और गुस्से से मानव को जाता देखकर मेज पर हाथ मारती हैं , “विल सी यू लेटर मानव … देखती हूँ मुझसे कैसे दूर जाते हो तुम… बात क्या है आखिर मैं पता लगा ही लूगी ….”
*****
आर्य मेंशन (मानव का घर )
एक खूबसूरत बंगला, मानव के जैसे ही स्टाइलिश , बाहर बड़ा और खूबसूरत बगीचा… बीच में एक बड़ा सा फव्वारा और एक साइड पूल… आज के हिसाब का, सब सुख सुविधाओं वाला बेहतरीन घर.. घर का नक्कासीदार प्रवेशद्वार ऐसा कि सबका मन मोह ले… अंदर बड़ी सी लॉबी जिसके बीचोबीच शानदार सोफे पड़े है…
जहां मानव की माँ आरती आर्य बैठी किसी से फ़ोन पर बात कर रही है …
******
आइये मानव के घर के लोगो से मिलते है….
मानव की माँ, मिसेज आरती आर्य एक बेहद ही खुले विचारो वाली स्टाइलिश महिला ….
मिस्टर प्रकाश आर्य , मानव के पिता शहर के जाने माने बिज़नेसमैन और २ राईस मिल के मालिक (शांत और सिंपल )
दिया मल्होत्रा , मानव की बड़ी बहिन ( जस्ट मानव की उलटी , जहा मानव बिगड़ा हुआ, स्टाइलिश और गुस्सेबाज तो वही दिया शांत, समझदार और सिंपल बिलकुल अपने पापा की तरह )
अनुराग मल्होत्रा , मानव के बहनोई
****
रिया से बौखलाया मानव बहाना बनाकर घर लौट आता हैं। मानव को घर में प्रवेश करते हुए देखकर आरती अपना फ़ोन रख देती है। मगर मानव बिना कुछ बोले सोफे पर बैठ जाता है तो आरती पूछती हैं।
आरती – क्या हुआ स्वीटहार्ट ? बड़े गुस्से में दिख रहे हो …
मानव – कुछ नहीं माँ बस ऐसे ही … फिर कुछ पल रूककर मुस्कुरा कर पूछता हैं , ” आप बताओ क्या कर रही थी ?”
” चन्द्रिका से बात”, आरती ने मुस्कुराकर कहा तो मानव झल्लाकर बोला ,”माँ अब ये चन्द्रिका कौन है..?”
“तुम वो सब रहने दो… तुमको एक खुश खबर देती हूँ… तुम्हारे लिए जो रिश्ता देख रहे थे उनके यहाँ २ दिन बाद जाना है लड़की देखने….समझे ? तो उस दिन फ्री रहना और ये क्या हालत बना रखी हैं अपनी , हुलिया सुधारो थोड़ा , प्रकाश आर्य के बेटे हो तुम , ए रॉयल बिज़नेस किंग , आरती ने थोड़ा टशन दिखाते हुए कहा।
“ओह मॉम, बट व्हाई मी? आप खुद देख आओ ना”, मानव ने आरती की बात सुनकर थोड़ा झुझलाकर कहा तो आरती हसते हुए बोली , “डिअर ये तुम अभी बोल रहे हो , मगर जब उसका फोटो देखोगे ना तो बेसब्र हो जाओगे उससे मिलने के लिए , ये वादा हैं मेरा ,,,,”
“अच्छा , ऐसा क्या ?”, मानव आश्चर्य से भोहे उचकाते हुए बोला तो आरती बोली , “हम्म , रुक तुझे उसका फोटो दिखती हूँ “
ये कह कर आरती मानव को उसका फोटो दिखाती है …
आन्या का फोटो देखकर मानव उसे देखता रह जाता है… आन्या ने फोटो में पीले रंग का सूट और लाल दुपट्टा लिए हुआ था बाल खुले और हल्की सी स्माइल , जिसमें वो बहुत ही खखूबसूरत लग रही थी… कुछ पल के लिए मानव ठगा सा रह जाता है..
माँ (हसकर छेड़ते हुए ) – क्या हुआ ? देखा,,,,, फोटो देख कर ही बोलती बंद हो गई ना तेरी , फिर तब क्या होगा जब वो सामने होगी, हम्म?
“चल तू फ्रेश हो जा मैं तेरे लिए चाय भिजवाती हूँ ….”, कहकर आरती वहां से चली जाती है …
मानव (आन्या के फोटो को गौर देखते हुए ) – वाकई कुछ तो बात है इसमें माँ…तुम्हारी पसंद वाकई माननी पड़ेगी……………..
(अपनी माँ को दाद देते हुए वो मन ही मन मुस्कुराता है। और फिर आन्या के फोटो को देखते हुए कहता हैं ,,,,,,)
तैयार रहना मैडम , हम आ रहे है …
*****
उधर आन्या के घर लड़का देखने आने वालो की तैयारियां शुरू हो जाती है। घर पर पकवान बन रहे है , साज – सफाइयाँ हो रही है।
आन्या की बहिन , काकी और सहेलिया उसके लिए ड्रेस पसंद कर रही है और साथ साथ उसे छेड़ भी रही है। पर आन्या ने अभी तक भी लड़के का फोटो नहीं देखा है।
काकी – आन्या तू सूट पहनेगी या साड़ी , बोल?
आन्या- सूट काकी , साड़ी मेरे बसका नहीं के मैं संभाल पाऊ…
काकी (थोड़ा डाँटते हुए) – और शादी के बाद ? तब भी सूट ही पहनेगी क्या ? साड़ी तो पहननी ही पड़ेगी एक दिन तुझे, आज नहीं तो कल…तब ? क्या करेगी बोल ?
आन्या- (हंसकर) ओफ्फो मेरी प्यारी काकी…तब की तब देखेंगे , क्या पता मेरे ससुराल में कोई कहे ही नहीं साड़ी पहनने को…
काकी (हसतें हुए)- हाँ, हाँ मॉडर्न ससुराल मिलेगी तेरे को तो, हैं न … अभी पता चल जायेगा वो तो कि कौन कैसा है…चल मैं जाती हूँ मुझे और तैयारी भी देखनी है …तू भी एक अच्छा सा सूट पसंद कर ले।
ये बोलकर काकी आन्या के कमरे से चली जाती हैं और उसकी सहेलिया उसकी अलमारी से सूट पसंद करने में उनकी मदद करती हैं।
आन्या और मानव दोनों के ही घर में किसी को भी मानवकी गर्लफ्रेंड रिया के बारे में कुछ भी नहीं पता है।
इसी बीच इन २ दिनों में रिया कई बार मानव को फ़ोन करती हैं और उससे मिलने को भी बोलती हैं मगर हर बार मानव या तो फ़ोन काट देता था या फिर फ़ोन ही बंद कर देता था , वो पूरी तरह से उसे इग्नोर करने की कोशिश कर रहा था , वैसे भी अभी तो उसपर आन्या से मिलने का भूत सवार था।
ऐसे में रिया उसे आँख में चुभती किंकरी के जैसे लग रही थी। जिससे वो जल्द से जल्द पीछा छुड़ाना चाहता था। मगर रिया थी कि उसे बार बार मैसेज या कॉल किये जा रही थी आखिरकार परेशान होकर उसने अपने दोस्त धीरज से उसे ये कहलवा दिया था कि मानव मोहाली में २ दिन से हैं ही नहीं , वो बिज़नेस के काम से बाहर गया हुआ हैं। तब जाकर रिया का कॉल आना बंद हुआ। फिलहाल के लिए तो मानव ने झूट बोलकर रिया से पीछा छुड़ा ही लिया था मगर ये तो वक़्त ही बताएगा कि ये रिया उसकी आने वाली जिंदगी में क्या भोकाल लेके आने वाली हैं।
२ दिन बाद –
मानव के घर वाले आन्या के घर आते है। सबकी नजर मानव पर होती है। मानव कार से उतरता है , मानव सबको बहुत स्मार्ट और स्टाइलिश लगता है। उसे देखकर अनु और दीप्ति भागकर अंदर आन्या के पास जाती हैं और उसे छेड़ने लगती है…
अनु – हाय मर जावा!
आन्या- क्यों क्या हुआ ?
अनु (आहें भरते हुए) – तू रहने दे मैं ही शादी कर लेती हूँ इस बांके नौजवान से तो … वाह कितना हैंडसम और चार्मिंग है….
दीप्ति – हाँ, हाँ और क्या , मै भी यही सोच रही थी …कितना हैंडसम हैं यार ,,,,,,,,
अनु – तू चुप रह …पहले मैंने देखा , और मैंने ही कहा, तो वो मेरा हैं ,,,,,,
दीप्ति – कहा पहले तूने पर देखा तो मैंने भी ना , तो फिर वो अकेले तेरा कैसे हुआ , वो मेरा भी हैं ,,,,
अनु – नहीं मेरा
दीप्ति – नहीं मेरा
आन्या (गुस्से से ) – तुम दोनों चुप होती हो या नही…
अनु और दीप्ति एक दूसरे की तरफ देखकर हंस पड़ती है … ये देखो अभी से ही इन्सेक्युरिटीज़….
उन दोनों को हसता देख , सबकुछ समझ आते ही आन्या शरमा जाती है…
आज आन्या वाकई बहुत प्यारी लग रही थी , उसने भरी कढ़ाई का मैजेंटा सूट वाइट पटियाला और दुप्पटे के साथ पहना था … माथे पर बिंदी और बाल खुले … बहुत ही खूबसूरत लग रही थी वो आज…
अनु – नजर न लगे तुझे सच्ची , इतनी प्यारी लग रही है तू आज…(कान के पीछे काला टीका लगाते हुए ) … आज तो वो बेहोश ही हो जायेगा देख कर तुझे…
दीप्ति- हाँ और उसने तो तुझे पसंद कर ही लेना हैं ये तो पक्का हैं बस अब तू अपनी सोच , ये कहकर दोनों हसने लगती है…
आन्या सुनकर २ पल के लिए खुद को आईने में निहारती है और फिर शरमा कर अपने हाथो से अपना मुँह ढक लेती है …
.
.
.
उधर आन्या के पिता सबकी आव भगत करते है…फिर चाय नाश्ते का सिलसिला शुरू होता है और फिर धीरे धीरे सवाल जवाब भी शुरू हो जाते हैं।
आन्या के घरवाले मानव से कुछ सवाल करते है तो वो बहुत स्मार्टली सबका जवाब देता है। आन्या के पिता और बाकि सब उससे काफी प्रभावित होते है।
मानव के माता पिता काफी हसमुख लोग है और धीरे धीरे बातों की महफ़िल जमनी शुरू हो जाती हैं, कुछ पुराने किस्से और यादों को सुनाती महफ़िल काफी खुशनुमा होती जा रही थी ।
मानव की निगाहे अब किसी को ढूढ़ने लगी थी। चेहरे पर हसी और बातों में लिहाज लिए मानव आज सबको प्रभावित करने में सफल हो चुका था। आख़िरकार मानव सभी को बहुत पसंद आता है पर सभी लोग उसकी गर्लफ्रेंड वाले सच से बेखबर है।
अब बस कुछ रह गया था तो वो था आन्या और मानव को एक दूसरे को पसंद करना। साध्वी जी के इशारे पर काकी आन्या के कमरे में उसे बुलाने जाती हैं , कुछ देर बाद आन्या अपनी सहेलियों के साथ आती है सकुचाई सी , शरमाई सी।
आज आन्या सजरी सवरी बेहद ही खूबसूरत लग रही थी। आन्या के माता पिता आन्या को इस रूप में देखकर थोड़ा भावुक हो जाते है।
उनको कुछ समय पहले आँगन में छुपम -छुपाई खेलती आन्या याद आने लगती है।
आन्या की दादी , काका -काकी और अर्थ भी आन्या को देखकर भाव विभोर होने लग जाते हैं , सबकी आँखों में एकाएक नमी तैर जाती हैं।
आन्या की माँ , आन्या के पिता को बहुत ज्यादा भावुक देखकर धीरे से उनके हाथ पर अपना हाथ रखती है और पलकों से खुद को सँभालने का इशारा करती है …
“आओ बेटी आन्या , मेरे पास बैठो ,,,,”, कहकर आरती आन्या को अपने पास बिठा लेती हैं। अभी आन्या एकदम मानव के सामने बैठी हैं।
मानव आन्या को देखता है और उसे अपलक देखता ही रह जाता है।
“तुम तो मेरे खयालो से भी ज्यादा खूबसूरत हो आन्या,,,,,”, मानव ने मन ही मन सोचा और आन्या को देखकर मुस्कुराया।
मानव के माता पिता मानव को मुस्कुराता देख के मुस्कुराते है और उसके दिल की बात समझ जाते है।
आन्या से थोड़ा बहुत सवाल जवाब होने के बाद , मानव की माँ, मानव और आन्या को अकेले में बात करने के लिए , आन्या के पिता से स्वीकृति मांगती है तो पहले तो उसके पिता असहज होते है और अपनी माँ की तरफ देखते है … मगर फिर दादी आँखों से भेजने का इशारा करती है तो सबकी रजामंदी से दोनों को बात कराने के लिए सहेलिया छत पर ले जाती है।
आन्या बिलकुल चुप है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा कि बोले भी तो क्या बोले , एक तो वो वैसे ही शर्मीले स्वभाव की हैं , ऊपर से मानव के साथ अकेले होने के कारण उसके दिल की धड़कने भी २०० से भी अधिक की रफ़्तार से दौड़ रही थी। उसका दिल घबरा रहा था और घबराहट के कारण उसकी बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी।
इधर मानव थोड़ा चंचल किस्म का लड़का हैं वो बार बार आन्या पर इम्प्रैशन डालने की कोशिश करता है पर आन्या चुपचाप खड़ी है।
मानव – “आप मुझसे कुछ पूछना नहीं चाहती है ?”
आन्या चुप रहती है।
मानव – अरे कुछ तो जवाब दीजिये , क्या आपको मैं पसंद हूँ?
आन्या फिर भी कोई जवाब नहीं देती है।
मानव हंसकर – अच्छा चलिए कोई बात नहीं , आप कम से कम एक बार मुझे देख तो लीजिये।
इसबार मानव की बात सुनकर आन्या हौले से अपनी नजरे उठाती है, मानव को देखती है और नज़ारे फिर झुका लेती है।
अरे आप तो कुछ बोल ही नहीं रही है …कितनी शर्मीली है आप …पर फिर भी आप मुझे पसंद हैं …कहकर मानव मुस्कुरा देता है…तो आन्या भी मन ही मन मुस्कुरा जाती है ..
मानव कुछ और कह पाता , इससे पहले ही अनु और दीप्ति हसते हुए आती है और दोनों को वापिस नीचे ले जाती है।, “चलिए अब मिलन का टाइम ख़तम ,,,,”, कहकर दोनों हंस पड़ती हैं और मानव और आन्या झेप जाते हैं।
मानव नीचे अपने माता पिता के पास आ जाता हैं और आन्या वही से अपने कमरे में चली जाती हैं।
मानव को देख आरती इशारे से मानव से उसका जवाब पूछती हैं तो मानव भी इशारे से ही अपने माता पिता को हाँ बोलता है तो आरती चहकते हुए ये खुशख़बर आन्या के घरवालों को बताती हैं , सभी ये सुनकर बहुत खुश होते हैं मगर आन्या के पिता आन्या से पूछ कर उसका जवाब फ़ोन पर बताने की स्वीकृति लेते है।
कुछ देर बाद मानव का परिवार वापिस चला जाता है। मानव के जाने के बाद आन्या की काकी आन्या से उसके दिल की बात जानना चाहती है और उसके कमरे में चली जाती हैं …..
काकी – आन्या तुमको मानव कैसा लगा ?
आन्या कुछ नहीं बोलती बस शरमा जाती है।
काकी ये बात आकर सबको बताती हैं तो आन्या के पिता रिश्ते की हाँ समझ कर – “बधाई हो बधाई हो , मुँह मीठा कराओ ” कहने लगते है।
चारो और जश्न जैसा माहौल हो जाता है। आन्या भी बहुत खुश है , वो ऊपर से छुप छुप कर सबको गले लगते और खुश होते देखती हैं और फिर अपने कमरे में जाकर मानव के खयालो में खोने लगती है।
.
.
“हाल दिल का मेरे खुद मेरा दिल समझ नहीं पाता है
हाँ कहे या न कहे कुछ समझ नही आता है
कौन है मेंरे सपनो का सहजादा
जो करेगा ख्वाब मुक्कमल मेरे
जुड़ जायेगा जिंदगी से मेरी ,
मेरी जिंदगी की बहार बनके
जो आएगा लेने मुझे श्वेत घोड़े पर
जिसकी हो जाउंगी मैं एक पल में
जो कभी मुझसे मिला नहीं
उसकी राहे क्यों ये आँखें तकती है
आज उसके आगे ये दुनिआ , क्यों बेमानी सी लगती है “
तभी अनु और दीप्ति उसे छेड़ते हुए वहाँ आ जाती है। उनके पास मानव का फोटो है
दीप्ति – ये देखो हमारे पास क्या है ? और उसे फोटो दिखा कर चिढ़ाने लगती हैं तो अनु चिल्लाती हैं ,”अरे क्यों दिखा रही है मत दिखा ना…”
आन्या दीप्ति के हाथ से फोटो छीनने की कोशिश करते हुए कहती हैं ,” दिखा ना क्या है …”, तो दीप्ति फोटो ले कर दूर भाग जाती है …और पलंग पर चढ़कर “ले ले ” कहकर उसे और ज्यादा चिढ़ाने लगती हैं।
आन्या भी पलंग पर चढ़ जाती है और , ” अरे दे दे ना …”, बोलकर फोटो छीनने ही वाली होती हैं कि दीप्ति फटाफट फोटो नीचे खड़ी अनु को पकड़ा देती है …अनु फोटो ले कर उसे चूमने का नाटक करती हैं तो आन्या भागकर फोटो छीन लेती है …”चल पीछे हट, आई बड़ी ,,,,,”
“ओये होये ये देखो,,,,,,मतलब अब तो हम इसके कुछ रहे ही नहीं ” ये कहकर दोनों हंसने लगती है….
तभी आन्या की माँ आ जाती है , “क्या हो रहा है यहाँ , चलो भागो यहाँ से …मुझे आन्या से काम हैं कुछ ,,,,” , और वो दोनों फोटो को वही कमरे में छोड़ के चली जाती है।
माँ को देखते ही आन्या अपने हाथ में पकडे फोटो को जल्दी से पास पड़े तकिये के नीचे छुपा देती है…
“आन्या, बेटा देखो तो जरा ये सारी साड़ियाँ कैसी है ….”, आन्या की माँ ने अपने हाथ में पकडे साड़ी के बण्डल को पलंग पर रखते हुए कहा तभी नीचे से सुनैना साध्वी को आवाज लगाती है, “दीदी पहले नीचे आ जाओ , आपको माँ जी बुला रही है “
“अच्छा आती हूँ ,,,,,”, ये कहकर साध्वी वहां से उठ कर नीचे चली जाती है …
आन्या धीरे से उठती है और बाहर की और झांककर देखती हैं फिर किसी को आसपास न पाकर तुरंत तकिये के नीचे से फोटो निकल कर देखती है और फोटो से बातें करने लग जाती है।
“आन्या लो बेटा इतने खाना खा लो “, काकी की आवाज सुनकर आन्या घबरा जाती हैं , इतने में काकी खाना लेकर कमरे में आती है तो वो फिर से फोटो तकिये के नीचे छुपा देती है और मुस्कुराने लगती है….”जी काकी ,,,,,,”
****
आर्य मेंशन –
अगले दिन मानव के घर आन्या के घर से “हाँ ” का फ़ोन आता है।
मानव की माँ आरती काफी खुश है। वो यह खुशखबरी मिस्टर प्रकाश को सुनाती हैं , “जी सुना आपने कुछ मानव के पापा , हमारे मानव का रिश्ता पक्का हो गया है…”
सब मानव को बधाई देने लगते है….
मानव के पिता – ” बधाई हो बरखुरदार,,,,,, ” और उसकी पीठ थपथपाते है
मानव – थैंक यू पापा कहकर झुककर पैर छूने लगता है तो मिस्टर प्रकाश (हसकर ) – “ये इतनी फॉर्मेलिटी कब से करने लगा… भई हमे तो ये कोई जादू सा लग रहा है … मतलब अभी बहुरानी आई भी नहीं और इतना असर…”
सुनकर मानव झेप जाता हैं और मुस्कुराकर अपना सर खुजलाने लगता हैं तो आरती बोलती हैं ,”अरे बस भी करो , मेरे बेटे को परेशान मत करो…हीरा हैं मेरा बेटा हीरा “
प्रकाश हसते हुए बोले , “हाँ भई अब हीरा हो या सोना , ये तो तुम्हारा ही लाडला है .. मेरा कोई है…”
तभी , “आपकी लाड़ली ये रही पापा”, कहते हुए मानव की बहिन घर में प्रवेश करती है …
अरे वाह मेरी बिटिया रानी भी आ गयी कहकर प्रकाश मानव की बहिन दिया को अपने गले से लगा लेते हैं , “भई ये हैं मेरी लाड़ली तो ,,,,,,”
सुनकर सब हसने लगते हैं और फिर दिया सबके लगे लगती है और मानव को बधाई देती है…
तभी मानव को किसी का फ़ोन आता है और मानव २ पल के लिए कुछ सोचता है और फिर बात करने के लिए बाहर चला जाता है।
****
थोड़ी देर बाद –
(मानव एक रेस्ट्रा में अपनी गर्ल फ्रेंड रिया के साथ बैठा है। )
मानव – हाँ बोलो रिया, क्यों फ़ोन किया था मुझे , ऐसा क्या जरुरी काम आ गया जो तुमने कहा कि अभी तुरंत आओ …. बोलो…
रिया – ये तो मुझे तुमसे पूछना चाहिये….क्या चल रहा है तुम्हारी लाइफ में ….क्या छुपा रहे हो तुम मुझसे …जो की मुझे पता होना चाहिए ….
मानव (झुझलाकर खड़े होकर गुस्से से )- क्या पता होना चाहिए? मतलब? मेरी जिंदगी में दखल देने वाली तुम हो कौन…. गर्लफ्रेंड हो कोई मेरी बीवी नहीं … (उंगली दिखाकर ) और बनने के सपने भी मत देखना, समझी तुम…
बाए चांस तभी उसी रेस्ट्रा में आन्या का छोटा भाई अर्थ अपने फ्रेंड्स के साथ आ जाता है। “आज तो ट्रीट लेंगे तेरे से तेरी दी का रिश्ता जो हो गया “, अर्थ के दोस्त अर्थ से पार्टी मांग रहे थे।
खड़े हुए मानव की निगाह अर्थ पर जाती हैं तो वो घबरा जाता हैं , अचानक से अर्थ को वह देखकर उसे समझ ही नहीं आता कि वो क्या करे , वो अर्थ को देख कर चेहरा झुका कर छुपने की कोशिश करता है पर मानव की गर्ल फ्रेंड उस पर चिल्ला शुरू कर देती है –
रिया – “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे धोखा देने की। तुम्हारी शादी पक्की हो गई और मुझे पता भी नहीं। तुमने मुझे समझा क्या है।”
“इतनी जल्दी इसे कैसे पता चला “, मानव घबराकर मन ही मन सोचता हैं और फिर रिया को शांत करते हुए प्यार से बोलता हैं ,“प्लीज अभी शांत हो जाओ ऐसा कुछ नहीं है मैं सब बताता हूँ। , प्लीज चिल्लाओ मत। “
तभी अर्थ वहाँ आ जाता है और बोलता है , कौन नहीं चिल्लाये मानव ? कौन है ये लड़की ?
मानव कुछ कहने के हालत में नहीं होता। रिया मौके को भाँप जाती हैं और अर्थ से बोलती हैं , ” इससे क्या पूछते हो , मैं बताती हूँ मैं कौन हूँ…”
मानव चिल्लाकर – “तुम चुप रहो , ख़बरदार जो जरा भी बकवास की तो ….”
अर्थ मानव को हल्का सा धक्का देते हुए – क्या ,,,,,, क्या छुपा रहे हो तुम? हम्म बोलो?
रिया – “यही के मैं इसकी गर्लफ्रेंड हूँ ….”
“नहीं अर्थ ऐसा कुछ भी नहीं हैं , ये लड़की पागल हैं एक दम, मेरी बात तो सुनो,,,,,,,,,,” , मानव के इतना बोलते ही बिना कुछ सुने अर्थ एक जोरदार पंच मानव के मारता है।, “तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहिन आन्या के बारे में सोचने की भी धोखेबाज “
अर्थ के दोस्त उनको छुड़ाने भागते है।
थोड़ी देर की हाथापाई के बाद , अर्थ के दोस्त उसको वहां से खींच कर बाहर कि और ले जाते हैं , अर्थ गुस्से में चिल्लाता हुआ वहां से चला जाता हैं तो मानव और रिया भी वहाँ से चले जाते है।
अर्थ जब घर पहुँचता है तो उसकी हालत देखकर सब उससे कारण पूछते है। अर्थ सब कुछ अपने घर वालो को बता देता है। अर्थ की बातें सुनकर आन्या के घरवालों को यकीन ही नहीं होता ।
आन्या के पिता मानव के घरवालों से इस बारे में बात करने का विचार करते है और दादी से कहते हैं ,”हो सकता है कुछ ग़लतफहमी हुई हो , मैं बात करता हूँ उनसे, नई पीढ़ी है , आजकल बच्चे ये सब कर जाते हैं ,,,, “, तो दादी पुरुषोत्तम जी से यह कहकर मना कर देती हैं कि , “जब अर्थ ने अपनी आँखों से मानव को उस लड़की के साथ देखा हैं तो फिर बात करने या पूछने का क्या मतलब ,,,,,,और माना नई पीढ़ी हैं गलतिया हो जाती हैं , तो भी शादी पक्की हो जाने के बाद भी उससे मिलने का क्या मतलब ? हम आँखो देखी दूध में पड़ी मक्खी नहीं निगल सकते पुरुषोत्तम ,,,,,,बेटी का मामला हैं , जरा सोच ,,,,,”
“जी माँ , आप सही बोल रही हैं “, दादी की बातों पर पुरुषोत्तम जी ने हामी भरी।
फिर दादी भगवान की तरफ हाथ जोड़ते हुए कहती हैं , “हे भगवान ! तेरी कृपा हो गई जो समय रहते सब पता चल गया ,,,,”
दादी की बात सुनकर आन्या की माँ साध्वी सिसकते हुए बोली ,”अब क्या होगा मेरी आन्या का,,,,,, “
पुरुषोत्तम – “क्या होता आन्या की माँ , अब ये शादी नहीं हो सकती। मानव के घर फ़ोन करवा दीजिये कि हम ये रिश्ता तोड़ते है। “
आन्या जो की उस वक़्त वही खड़ी थी सबकुछ सुन कर बहुत दुखी होती है और रोते हुए अपने कमरे में चली जाती है।
पीछे पीछे उसकी माँ और काकी भी उसे समझाने के लिए जाते है।
(आन्या अपने कमरे में उदास बैठी हैं , और माँ को देखकर उनके गले लग जाती है और जोर जोर से रोने लगती है। )
“माँ , ये क्या हो गया मेरे साथ। मैंने ऐसा तो नहीं सोचा था।”, आन्या ने रोते हुए अपनी माँ से कहा।
“अच्छा ही हुआ मेरी बच्ची, समय रहते सब पता लग गया वरना क्या होता। मैं तो यही सोच के घबरा रही हूँ।”, माँ और काकी लगातार आन्या को समझा रही थी।
आन्या चुप तो हो जाती है पर अभी भी उदास है उसे अपनी किस्मत पर रोष है , वो मन ही मन बोलती है “क्या कोई इतना मतलबी हो सकता है के किसी की जिंदगी धोखे से ख़राब कर दे। उसने क्यों किया ऐसा , क्यों की मुझसे शादी के लिए हाँ ,,,,,” , उसे रह रह कर मानव पर गुस्सा आ रहा था और उसका भोला चेहरा और बातें याद आ रही थी।
इस घटना के २ महीने बाद –
इस बात को २ महीने निकल गए थे मगर आन्या अभी भी चुप और उदास थी वो खिलखिलाती हुई आन्या कही खो गई थी , उसके मन में एक डर बैठ गया है कि अगर अगली बार भी ऐसा ही कुछ हुआ तो।
आन्या के पिता आन्या को इतना उदास देखते है तो वो आन्या को कुछ दिन के लिए उसकी मौसी श्रद्धा के पास भेजने का निर्णय लेते है।
आन्या की सबसे छोटी मौसी उम्र में उससे ज्यादा बड़ी नहीं थी। इसीलिए आन्या की अपनी मौसी से बहुत पटरी खाती थी।
आन्या जाने की तैयारी करती है।
मनाली की खूबसूरत सुबह –
कुछ दिन पहले ही असमय बर्फ पड़ी है। सड़क के दोनों ओर पेड़ बर्फ की चादर से ढके हुए और उनपर उगते सूरज की किरणे ऐसे जान पड़ते है जैसे कुदरत का कोई नूर आसमान से धरती पर गिरा हो।
एक लड़की लॉन्ग कोट और हैट लगा कर सड़क के साइड साइड पैदल जा रही है। बहुत ही सुहावना मौसम है।
कौन है वो लड़की जो बेखबर इन वादियों में घूम रही है और अपने मन को वहाँ की शांति से शांत करने की कोशिश कर रही है।
क्रमशः
प्रिय दोस्तों , मेरी रचना पसंद करने के लिए आभार… यह मेरी प्रथम सीरीज है ..आप सभी का उत्साहवर्धन मेरे लिए अनमोल है .. गलतियों को क्षमा करे और समीक्षा (comments) द्वारा मार्ग दर्शन करे …. पार्ट अच्छा लगे तो रेटिंग्स एवं समीक्षा जरूर दे ..
आपकी रेटिंग्स और समीक्षा का इन्तजार रहेगा। 😊
धन्यवाद
रूचि जैन