दर्द का रिश्ता क्यों जुड़ गया हमसे
हमने तो बस थोड़ा सा प्यार चाहा था
खुद चुन लिया अपने, दिल की राहों को
बस कसूर इतना सा, दिल ने बरपाया था।।
आन्या डर और दर्द के कारण बुरी तरह सहम रही थी।
मानव का जूनून थोड़ा शांत होता है तो वो उसकी और बढ़ता है तो वो उठकर पीछे की ओर बढ़ती है , “ये क्या कर रहे हो मानव , देखो मुझे जाने दो , क्यों क्यों कर रहे हो ये सब , मुझसे इतनी नफरत कि मेरी जान तक लेना चाही तुमने?”
ये सुनकर मानव आगे बढ़कर उसके गाल अपने दोनों हाथो में लेकर उसकी आँखों में घूरते हुए कहता हैं , “ये क्या बोल रही हो स्वीटहार्ट, हम्म , जान और मैंने लेनी चाही? वो भी तुम्हारी,,,,,,,पसंद करता हूँ तुमको , शादी करना चाहता हूँ तुमसे,,,,,,,,, तो जान से क्यों मारूंगा, हम्म “
आन्या उसका हाथ अपने गालो पर से झटकते हुए बोली , “बस करो , बंद करो ये नाटक , क्या तुम ही नहीं हो जो मेरे घर के पास झाड़ियों में खड़े होकर मेरे ऊपर नजर रखे हुए थे ,
क्या तुम्ही नहीं हो जिसने मेरी खिड़की का कांच तोडा था और वो लेटर पत्थर के साथ अंदर फेंका था ,
क्या तुम्ही नहीं हो जिसने मेरे कैफे से लौटते वक़्त मेरा पीछा किया था और
क्या तुम ही नहीं हो जिसने मेरे ऊपर कल बन्दूक चलाकर मेरी जान लेनी चाही ? बोलो, बोलते क्यों नहीं “
आन्या के मन में डर के साथ साथ ढेर सारे प्रश्न भी थे जो उसे रह रह कर परेशान कर रहे थे।
ये सुनकर मानव थोड़ा परेशान होते हुए अपने सर पर हाथ रखते हुए ,
“यार मैंने पीछा किया वो सही ,
मैंने पत्थर मार के कांच भी थोड़ा वो भी सही ,
मैंने पत्थर पर बाँध के लेटर अंदर फेका वो भी सही क्योकि मैं तुमसे मिलना चाहता था , तुमसे अपने दिल की बात कहना चाहता था।
(फ़्रस्ट्रेटे होकर चिल्लाते हुए ) मगर ना तो कभी मैंने खुद तुम्हारे घर के पास छुपकर तुम पर नजर रखी और ना मैंने तुम पर गोली चलवाई , समझी तुम , अरे तुम तो मुझे पहचानती हो न फिर मैं तुम्हारे घर के आस पास क्यों आऊंगा ?
(फिर आन्या के करीब जाकर उसके चेहरे को घूरते हुए उसके माथे से गाल की तरफ अंगुली फेरते हुए) मैं तो तुमको अपना बनाना चाहता हूँ , तुमको पाना चाहता हूँ , मारना नहीं , समझी तुम (आन्या इस वक़्त इतना डरी हुई थी कि उसकी आँखें डर के कारण मानव की उंगली को घूरते हुए उसके साथ साथ ही घूम रही थी)
अचानक मानव आन्या के कंधो को पकड़ कर अपनी ओर खींचता है और, “तुम ये जो गोली मारने वाली मनगढंत बात मुझे बोल रही हो ना , तुमको क्या लगा मैं डर जाऊंगा , हम्म , तुमको मारके मुझे मिलेगा क्या ? बोलो ?”
आन्या अपने हाथो से मानव को पीछे की ओर धकेलते हुए भर्राई सी आवाज में बोलती हैं , “दूर हटो मुझसे , तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की?”
” तुमको क्या लग रहा हैं मैं झूट बोल रही हूँ, गोली चली हैं मुझ पर, और ये सच हैं। मैं क्यों झूट बोलूंगी…..बोलो, क्यों बोलूंगी…… , मैं तो खुद ही इतना परेशान हूँ। “, कहते कहते रोते हुए कार से सटे सटे ही सरककर नीचे बैठ जाती है।
उधर आन्या के दोस्त उसको शॉप पर ना पाकर आस पास की शॉप्स में ढूढ़ने लगते है , रवि आन्या को फ़ोन मिलाता हैं मगर फ़ोन स्विचेड ऑफ आ रहा हैं। (दरअसल मानव के साथ छीना झपटी में उसका फ़ोन गिर जाता है और उससे बैटरी निकल कर गिर जाती हैं। )
उनमें से किसी के भी दिमाग में ये नहीं आया था के आन्या पार्किंग एरिया में भी हो सकती हैं। उनको तो यही लगा रहा था कि आन्या अपनी शॉपिंग करने के लिए थोड़ी देर के लिए इधर उधर हो गयी हैं , ढूढेंगे तो मिल जाएगी।
उधर इन्दर भी अपनी बहिन को होटल रूम में छोड़ कर वापिस अपने दोस्तों के पास निकल पड़ता हैं। उस बेचारे ने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी सी देर में वहाँ आन्या के साथ क्या क्या हो चुका है। वो तो अपने इश्क़ की खुमारी में , फाइनली अपनी आन्या से मिलने की धुन में गाने गुनगुनाता हुआ चला आ रहा है।
आन्या नीचे बैठे बैठे कुछ देर तक यू ही सिसकती रहती हैं।
मानव आकर आन्या के पैरो के पास ही अपने घुटनो पर बैठ जाता है और उसके हाथ पकड़ते हुए , “मैंने अब तक जो किया उसके लिए माफ़ कर दो आन्या , मगर प्लीज मेरे से शादी कर लो। “
मगर आन्या उसका हाथ झिड़क देती है और अपना हाथ पीछे खींचते हुए , “तुमको समझ क्यों नहीं आ रहा, ये नहीं हो सकता मानव। ये तुम्हारा प्यार नहीं बस एक जिद है , तुम्हारा जूनून है ये और कुछ नहीं।
(हाथ जोड़ते हुए ) प्लीज……प्लीज तुम मुझे माफ़ कर दो , मगर मैं वाकई किसी और से प्यार करने लगी हूँ। प्लीज मानव प्लीज मेरी लाइफ से चले जाओ।”,
आन्या का इंकार सुनकर मानव की ऑंखें गुस्से से लाल होने लगती हैं। वो गुस्से में अपने जबड़े और मुट्ठिया भींच लेता हैं। आन्या उठ कर वहाँ से जाने लगती हैं तो मानव भी तेजी के साथ उठता है और उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचता हुआ तेजी से उसे पीछे धकेलते हुए कार से सटाते हुए चीखता हैं
“कहाँ जा रही हो , अभी कही नहीं जाओगी तुम, समझी”
और यह कहकर कार के शीशे पर बहुत जोर से हाथ मारता है तो शीशा फूट जाता है , मानव के हाथ में बहुत चोट लगती है और खून निकलने लगता हैं। ये देख कर आन्या सहम जाती हैं। मानव के हाथ से खून टपक रहा हैं और आन्या निःशब्द सी खड़ी उस खून को टपकते हुए ऐसे देख रही हैं जैसे किसी ने उसे सुन्न कर दिया हो।
ये सब इतना जल्दी हुआ था कि आन्या के सोचने समझने की शक्ति ही गुम हो गयी थी। उसे तो उम्मीद ही नहीं थी कि मानव उसके लिए इस हद तक भी पहुंच सकता हैं।
कांच टूटने की आवाज सुनकर मानव का दोस्त धीरज (जोकि पार्किंग से बाहर की साइड ये नजर रखने के लिए खड़ा हुआ था कि कोई इस बीच पार्किंग की साइड ना जा सके। ) वहाँ पहुंच जाता हैं और दोनों की हालत देखकर हक्का बक्का रह जाता हैं। चारो तरफ ख़ामोशी हैं दोनों एकदम सुन्न खड़े हैं ।
मानव के हाथ से खून टपक रहा हैं , मगर उसकी नजर सिर्फ और सिर्फ आन्या पर हैं , मानव लगातार आन्या को अपनी नम सुर्ख आँखों से घूरे जा रहा हैं , उसे अपनी चोट का जरा भी एहसास नहीं हैं , इसे उसका पागलपन नही कहा जायेगा तो और क्या कहा जायेगा।
उधर आन्या खामोश खड़ी डर से भरी आँखों से अपलक उसके हाथ से टपकते खून को देखे जा रही हैं उसका दिमाग शून्य हो चुका है उसे भी कोई खबर नहीं कि यह हुआ क्या ?
तभी धीरज की नजर कार के मिरर में दिखते किसी अजनबी पर पड़ी जो कि उसके ठीक पीछे की साइड, मगर थोड़ा दूरी पर था और कार के मिरर में उसको दिखाई दे गया था , उसके मुँह पर कपडा लिपटा था और वो इधर ही निशाना साध रहा था।
धीरज भागकर आननफानन में दोनों को एक साइड धक्का दे देता है , अचानक हुए धक्के से मानव और आन्या हड़बड़ा कर नीचे गिर जाते है , इससे पहले कि उनको कुछ समझ आता , सननन–न-न से एक गोली कार पर आकर टकराती हैं और शीशे में छेद करती हुई पार निकल जाती हैं और शीशा बिखर जाता हैं।
आन्या चिल्लाकर अपना सर अपने घुटनो में छुपा लेती हैं और मानव किंकर्तवयविमूढ़ सा पड़ा कभी आन्या को तो कभी कार के बिखरे शीशे को देख रहा था।, (मन ही मन ) “मतलब आन्या सच कह रही थी।”
उन दोनों को ऐसे ही पड़ा छोड़ धीरज अजनबी की तरफ उठ कर भागता हैं मगर तब तक वो अजनबी वहाँ से गायब हो चुका था। धीरज वापिस मानव और आन्या की तरफ आता हैं। तभी उसे किसी के कदमो के आने की आवाज सुनाई देती है तो वो फटाफट मानव के हाथ पर रुमाल लपेटता है और चुपचाप उसे खींचता हुआ वहाँ से ले जाता हैं।
आन्या अभी भी डर के मारे अपना सर घुटनो में छुपाये वहीं बैठी थी। तभी इन्दर के दोस्त भी आन्या को ढूढ़ते हुए पार्किंग में आ जातें हैं।
रवि (घबराये हुए) – चलो अलग अलग ढूढो , आलिया तुम उधर जाओ , मीता तुम उधर देखो, मैं इधर देखता हूँ।
और वो लोग उसे वहाँ आवाज लगाते हुए अलग अलग ढूढ़ने लगते हैं।
चारो तरफ टपके खून और इस तरह से बैठी आन्या को देखकर आलिया की चीख निकल जाती हैं। आलिया की चीख सुनकर रवि और मीता वहाँ भागकर आते है।
मीता आन्या के कंधे पर हाथ रखकर उसे झकझोरती है,”आन्या—या–या”, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। आन्या की हालत अभी भी ठीक नहीं थी और वो बस मुँह उठाकर उन तीनो को खामोशी से देखे जा रही थी।
तभी इन्दर भी वहाँ पहुंच जाता हैं और दूर से उन सबको वहाँ देखकर मुस्कुराता उनके पास पहुंच जाता है , “अरे तुम सब यहाँ——–“, वहाँ का नजारा देख कर इन्दर के शब्द उसके गले में ही अटके रह जाते हैं।
वो नीचे झुककर आन्या के करीब ही बैठ जाता हैं और उसके चेहरे को अपने दोनों हाथो में भरकर अपनी तरफ करता है तो एक पल को तो पहले आन्या घबरा जाती हैं फिर इन्दर को सामने देखकर बिना कुछ कहे उससे कसकर लिपट कर जोर जोर से रोने लगती हैं। उसकी मानसिक मनोदशा बहुत दर्दनीये थी।
उस वक़्त का मंजर ऐसा था मानों धरती आसमान सब एक साथ रो रहे हो। आन्या के रोने में आवाज कम और चीत्कार ज्यादा थी जो उसके डर और उसके दुःख को बयान कर रही थी।
उन चारो में से किसी से भी उसका दर्द देखा नहीं जा रहा था मगर सब शून्य थे कि हुआ क्या यहाँ। मगर ये सवाल करने की हिम्मत उनमें से किसी में नहीं थी। आन्या की हालत भी ऐसी नहीं थी कि उससे कुछ पूछा जा सके।
इन्दर भी सब समझ रहा था और बिना कुछ कहे उसके बालो को सहला रहा था। आन्या लगातार सिसकिया ले ले कर रोये जा रही थी।
इन्दर इस वक़्त खुद को बहुत लाचार और असहाय महसूस कर रहा था , उसकी आँखें नम थी और उसका दिल ये सब देख कर अंदर तक बहुत दुखी था , “काश ! मैं तुम्हारे दुःख को थोड़ा भी कम कर पाता “, इन्दर खुद से ही मन ही मन बोला।
मगर उसे तो कुछ पता ही नहीं था वो करे भी तो करे क्या ?
बस यही आकर तो वो प्यार , प्यार से भी बहुत ऊपर उठ जाता हैं जब चोट एक को लगती है और दर्द दूसरा महसूस करता है , जब रोता एक है और आंसू दूसरे के निकलते है, जब दिल अन्दर ही अन्दर ये कहे कि काश! तेरे सारे दुःख मुझे मिल जाते। बस तभी तो इस दिल से बस एक ही आवाज निकलती है —-“तेरे जैसा प्यार कहाँ”
अब तक आन्या भी थोड़ा शांत हो चुकी थी मगर उसकी हल्की हल्की सिसकिया अभी भी सुनाई दे रही थी। इन्दर ने अपना रूमाल उसके माथे की चोट पर बांध दिया और उसका सर अपने सीने से लगा लिया। फिर आन्या से बिना कुछ पूछे प्रश्न भरी नजरो से रवि , मीता और आलिया को देखने लगा मानों आखों ही आखों में उनसे पूछ रहा हो “कि ये सब क्या हैं ? मैं तो अपनी आन्या को ठीक ठाक तुम्हारे साथ छोड़कर गया था ना ?”
उसको अपनी और ऐसे देखते देख तीनो अपनी नजरें झुका लेते है। किसी से नजर मिलाते नहीं बन पड़ रहा था और न ही किसी के पास उसके सवालो के जवाब थे , वो तो खुद आन्या से जानना चाहते थे कि ये सब कैसे और क्या हुआ —–
इन्दर आन्या को अपने सीने से लगाए लगाए हुए ही धीरे से खड़ा करता है और रवि को इशारा करता हैं , रवि शायद इन्दर का इशारा पहले ही समझ गया था और वो फटाफट जाकर जीप ले आता है।
इन्दर आन्या के साथ जीप में बैठ जाता हैं , रवि जीप ड्राइव कर रहा हैं और आलिया , मीता भी जीप में बैठ जाते हैं।
रवि जीप आन्या के घर की तरफ मोड़ देता हैं।
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उधर संध्या होटल रूम में बिस्तर पर उल्टा लेटी अपने ही ख़यालों में गुम, गाने गुनगुना रही है , उसे बार बार मानव और सुबह की बातें याद आ रही हैं। वो मुस्कुराते हुए उसके बारे में ही सोच रही होती हैं।
“मिस्टर मानव, आपने तो हमे एक ही मुलाक़ात में अपना कायल बना दिया। अब तो लगता हैं आपसे जल्द ही दूसरी मुलाक़ात करनी पड़ेगी।”
इधर धीरज मानव को लेकर फार्महाउस पहुंच चुका है , वो उसके हाथ पर फस्टेड करता हैं। मानव चुपचाप बैठा हैं उसका कोई रिएक्शन नहीं है।
“पड़ गयी शांति तुझे , मना किया था ना, मगर तुमको तो कुछ सुनना नहीं हैं बस अपने मन की करनी हैं , देख लिया अंजाम —ये,,,,ये देख अपना हाथ , और क्या मिला तुझे ये सब करके, हम्म “, धीरज ने उसके हाथ पर पट्टी बांधते हुए गुस्से में कहा तो मानव ने कोई रिप्लाई नहीं दिया।
“तू कल ही मेरे साथ वापिस मोहाली चलेगा , आंटी वहाँ वेट कर ——–“, धीरज ने मानव की तरफ देखते हुए कहा तो मानव बीच में ही बात काटते हुए बोला-
“आन्या किसे पसंद करती हैं मुझे पता करके बता।”, मानव ने धीरज की ओर घूरते हुए कहा।
“तुझे अभी भी ये जानना है , सीरियसली—- , तेरा तो दिमाग चल चुका हैं , एक तरफ तू बोलता है कि तू उसे बहुत पसंद करता है और दूसरी तरफ तू ही उसे तकलीफ दे रहा हैं —–क्यों ? और वो गोली किसने चलाई —–हम्म “
“अगर मैं समय पर नहीं आता तो पता नहीं क्या हो जाता आज, तू समझता हैं इन सबका मतलब , कोई मामूली बात नहीं है ये , पुलिस इसमें पड़ी तो तेरा नाम भी ले सकती हैं आन्या , समझा तू “
“हाँ जानता हूँ , मगर यकीन मान मेरा , गोली मैंने नहीं चलवाई धीरज , मैं इतना भी नहीं गिरा हूँ कि उसकी जान ले लू। “, बोलते हुए मानव ने धीरज की तरफ देखा।
“बस…..अब तो मुझे भी जानना हैं कि अब ये कौन आ गया जो आन्या को मारना चाहता हैं और क्यों ? और ये पता किये बिना मैं यहाँ से नहीं जाऊंगा।”, मानव ये बोलते बोलते अपने रूम की खिड़की पर जाकर बाहर की ओर देखने लगा।
क्रमशः
-Ruchi Jain
🤩🤩 Rating and sameeksha ki prateeksha rahegi…..🥰