Pearl In Deep
Passion to write

तेरे जैसा प्यार कहाँ part – 17

हम दोनों है आज आमने सामने
फर्क बस इतना सा हैं
हमने शिद्दत से चाहा उनको ,
और तुमने शिद्दत से हमसे नफरत की

आर्य मेंशन –

आरती के मोबाइल पर एक मैसेज आता है।
आरती मैसेज खोलकर पढ़ती है।

“आन्या शॉपिंग के लिए मार्किट गयी है और मानव आन्या को मिलने वही गया है ,
एड्रेस नीचे लिखा है। “

मैसेज पढ़कर (मन ही मन ) मैं तुम्हे उससे ऐसे तो मिलने नहीं दूंगी।  फिर आरती किसी को फ़ोन करती हैं और उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ जाती हैं।
“समझ गए न तुम , क्या करना है ? इस बार काम होना चाहिए, समझे तुम,,,,”, आरती फ़ोन पर किसी को ये बोलते हुए तिरछा हंसी।
उसके चेहरे की कुटिल मुस्कान बता रही थी कि वो कितनी शातिर है और उसके दिमाग में कुछ अच्छा तो नहीं ही चल रहा है।

फ़ोन रख कर वो बैचनी से इधर उधर घूमने लगाती है,  और मन ही मन बड़बड़ाती रहती है ,
“पता नहीं और कब तक , कब तक ये सब चलेगा। मानव पागल हो गया है क्या जो उसके पीछे पीछे वहां तक चला गया , और मुझे देखो , मुझे तो कुछ पता भी नहीं , वाह, बहुत बढ़िया , मगर बस बहुत हुआ।  अब उस लड़की का मनहूस साया मैं मेरे बच्चे पर नहीं पड़ने दूँगी। एकलौता बेटा है मेरा , मैं मेरे बेटे को अपनी जिंदगी उसके लिए तबाह नहीं करने दूंगी। “

तभी मानव के पापा मिस्टर प्रकाश वहां आते है , अब उनको क्या पता आरती के दिमाग में क्या क्या कबाड़ चल रहा है, आरती को इस तरह बैचैन इधर उधर घुमते देख कर वो आरती के पास जाते है और उनको थोड़ा छेड़ते हुए मुस्कुराके बोलते है ,
“अरे! आरती जी यहाँ वहां कहा घूम रही हैं आप , देखिये हम आ गए , आप हमारी ही रह देख रही थी ना”

आरती पलट कर मिस्टर प्रकाश को देखती है और बेमन के हल्का सा मुस्कुराकर , “जी , जी आपका ही इन्तजार कर रही थी , अच्छा हुआ आप आ गए। “
फिर किचन की तरफ आवाज लगा कर , “सुशीला जी, जरा २ कप चाय भिजवा दीजिये बाहर, साहब आ गए है। “

“आपकी बात हुई मानव से ?, कब आ रहा हैं वो ?”, मिस्टर प्रकाश ने सोफे पर बैठते हुए कहाँ।

ये सुनकर बिना कुछ जवाब दिए आरती पास आकर सोफे पर बैठ जाती हैं और एक लम्बी सांस भरती हैं फिर प्रकाश की तरफ देखते हुए कहती हैं , “आ जायेगा वो , मैंने धीरज को भेजा हैं ना वहाँ,,,, फिर मन ही मन कुछ सोचते हुए कहती हैं,”अगर जरुरत हुई तो हम भी चले जायेंगे वहां”
“अरे! आप , आप चली जाएँगी मतलब ?”, प्रकाश जी ने पूछा तो आरती जी मुस्कुराते हुए बात बदलते हुए बोली –
“क्यों हम जा नहीं सकते क्या घूमने, हम्म ?”

“अरे अरे, क्यों नहीं जा सकती आप ,,,,,बोलिये कब चलना हैं , जब कहेंगी तब चल पड़ेंगे , वह इतना बड़ा फार्महाउस लेके डाला हुआ है वो आपके लिए ही तो हैं , कब काम आएगा ,,,,,”, प्रकाश जी ने मुस्कुराते हुए कहाँ।

(सुशीला जी चाय भिजवाती हैं —–)
आरती झूठी मुस्कराहट के साथ ,”हाँ ! सही कह रहे है आप , कब काम आएगा , लो अब बेटा कर तो रहा है उसे इस्तेमाल ,,,,
लीजिये पहले आप चाय पीजिये ,,,(चाय का कप उठा कर मिस्टर प्रकाश को देती है और फिर मन ही मन बड़बड़ाती हैं) ये तुम सही नहीं कर रहे मानव , तुम हमे मजबूर कर रहे हो वो सब करने के लिए जो हम नहीं करना चाहते।”
और फिर दोनों चाय पीने लगते हैं।

*****

उधर मानव आन्या से मिलने के लिए फार्महाउस से निकल पड़ता है और अपनी कार मनाली वाले रास्ते पर मोड़ देता हैं जहाँ इन्दर की बहिन लिफ्ट लेने के लिए सड़क की साइड खड़ी हुयी है।

काफी सारी गाड़िया उधर से गुजरती है मगर संध्या को अभी तक लिफ्ट नहीं मिल पाई थी , अब वो परेशान होकर वापिस अपनी कार के पास आती हैं और फिर से ड्राइवर से पूछती है , “अरे ! कब तक ठीक होगी गाड़ी , लिफ्ट भी नहीं मिल रही हैं , जल्दी कीजिये न भैया।”

तभी उसे दूर से मानव की कार आती दिखाई देती है तो इस बार वो झुंझलाहट में सड़क के बीच आकर खड़ी हो जाती हैं और कार को रोकने का इशारा करती हैं।

मानव अचानक से उसे सामने आया देख हड़बड़ा जाता है और जोर से ब्रेक मरता है , कार संध्या के बेहद करीब आकर रूकती है।
मानव गुस्से में कार से उतर कर संध्या के पास आता है , “हेलो , मैडम ,,, कुछ अलक वकल नहीं हैं क्या? मरने के लिए मेरी ही कार मिली थी क्या ? जो सामने आकर खड़ी हो गयी। हम्म “, और फिर ऑंखें तरेर कर संध्या को देखने लगता हैं।

“यू,,,,,,,, हाउ डेयर यू टू टॉक मी लाइक डेट , मैं क्यों मरूंगी हम्म , लिफ्ट चाहिए मुझे , समझे। “, संध्या ने फुँकारते हुए कहाँ।

“अरे वाह! लिफ्ट मांग रही हो या आर्डर दे रही हो ,,, टाइम नहीं मेरे पास , काम हैं मुझे।।।। “, कहते हुए मानव वापिस अपनी कार में जाकर बैठने लगता हैं तो संध्या उसे जाता देखकर थोड़ा शांत होकर मन में सोचती हैं , “अकडू लगता है , मगर संध्या बेटा,,,,,,,अगर अभी काम निकलवाना हैं तो गधे को भी बाप बना ले , (फिर मन ही मन हसते हुए ) वैसे गधा वर्ड सूट नहीं करता इसपर, देखने में तो बड़ा हैंडसम हैं , अच्छे घर का भी लगता हैं , पर्सनालिटी भी अच्छी ही हैं।  “

” हेलो मैडम , क्या सोच सोच के मुस्कुरा रही हैं आप , बाद में सोच लेना जो भी सोच रही हो , चलिए हटिये सामने से , मुझे जाना है “, मानव ने हॉर्न बजाने के बाद खिड़की से झाकते हुए कहाँ। तो संध्या भागकर कार की खिड़की के पास जाती हैं।
“एक मिनट एक मिनट , देखिये मिस्टर हैंडसम , आप मनाली जा रहे हैं न , मुझे भी वही जाना हैं , मगर मेरी गाड़ी ख़राब हो गयी हैं , मैं यहाँ नयी भी हूँ , तो आप प्लीज मदद कीजिये ना , इतना तो बनता हैं ना , मुझे मेरे होटल तक छोड़ दीजिये ना प्लीज,,,,,ज ,,,ज  “, संध्या थोड़ा मक्खन लगाते हुए मुस्कुरा कर बोलती हैं।
मानव कुछ सोचता हैं फिर संध्या को एक बार ऊपर से नीचे तक देखता हैं और फिर पलट कर उसकी ख़राब हुई गाड़ी को देखता हैं , फिर मन ही मन मुस्कुराते हुए –
“चल बेटा मानव कर देते है हेल्प , दिखने में भी अच्छी खासी हैं , इम्प्रैशन ज़माने का भी अच्छा मौका हैं और रास्ता अच्छा कट जायेगा। “
फिर संध्या की तरफ देखते हुए , “ओके , ओके , ठीक हैं आइये।,,,”, मानव अपने अंदर की कुटिल मुस्कान छुपाते हुए बोला।

संध्या जाकर कार से अपना पर्स उठती हैं और बाकि सामान वही छोड़कर , मानव की कार में आगे की सीट पर बैठते हुए ड्राइवर से बोलती हैं
“ड्राइवर भैया , मैं इनके साथ होटल जा रही हूँ , आप कार और सामान लेकर सीधे होटल ही आ जाना। ओके “

“जी , मैडम”, ड्राइवर ने जवाब दिया।

मानव की कार संध्या को लेकर निकल जाती हैं।
“तो किस होटल में जाना है आपको ?,,,,,,,,,मैडम “, मानव कार चलते हुए संध्या की तरफ देखते हुए बोलता हैं।

“अरे , प्लीज अब तो मैडम मत कहिये ,,,, संध्या , संध्या नाम हैं मेरा। ।”, संध्या ने मानव की ओर देखकर मुस्कुराते हुए कहाँ।

“हम्म , इस नाचीज को मानव कहते है “, संध्या की बात सुनकर मानव ने भी अपना परिचय दिया।

“थैंक यू सो मच मिस्टर मानव ,,,, मैं बता नहीं सकती आपने कितनी मदद की है आज ,,,,”, संध्या ने बातें बनाते हुए कहाँ।

“इट्स माय प्लेजर डिअर,,,,वैसे आपने होटल का एड्रेस नहीं दिया अभी तक “, मानव ने थोड़ा स्टाइलिंग अंदाज में कहाँ तो संध्या हॅसने लगती हैं और मानव को होटल का एड्रेस देती हैं।

मानव संध्या को होटल एंटेरन्स पर छोड़ कर कार वापिस बाहर की और मोड़ देता है । संध्या उसे जाते हुए बहुत देर तक देखती रहती हैं और मन ही मन मुस्कुराते हुए –
“कुछ तो बात हैं बन्दे में ,,,,,,, (फिर धीरे से नाम लेते हुए ) मानव,,,,,,, हम्म ,अच्छा नाम है ,,,,, वैसे थैंक यू मिस्टर मानव लिफ्ट के लिए ,,,, होप जल्दी ही दुबारा मुलाक़ात हो। (और मुस्कुरा देती हैं  )”

उसी समय इन्दर अपनी जीप से होटल गेट में अंदर दाखिल होता हैं मगर एंटर और एग्जिट गेट अलग अलग होने के कारण वो लोग एक दूसरे को देख नहीं पाते।

इन्दर गेट पर संध्या को देख , जीप गार्ड के पास पार्किंग में लगाने के लिए छोड़ देता है और खुद उतर कर संध्या के पास आकर, उसे पीछे से धप्पी करता है , “सरप्राइज मोटी “
संध्या पलट कर इन्दर को देखती हैं फिर भाई भाई करते हुए उसके गले लग जाती हैं , और फिर झूट मूट का मुँह बनाते हुए कहती हैं , “क्या सरप्राइज भाई , वो तो मुझे देना था और उल्टा आपने ही मुझे दे दिया।” 😏😏

“तूने दिया या मैंने दिया एक ही बात हैं मोटी, आ चल रूम में चलते हैं “, कहकर इन्दर इधर उधर देखने लगता हैं।
“क्या देख रहे हो भाई ?”, संध्या ने इन्दर के कंधे पर थपथपाते हुए पूछा।🤔
इन्दर – “सामान कहाँ हैं तेरा ?”
संध्या (मुस्कुराते हुए ) – “गाड़ी में “
इन्दर – “और गाड़ी कहाँ हैं ?”
संध्या (मुस्कुराते कर पलकें झपकाते हुए ) – सड़क पर 🤭

इन्दर (गुस्से में ) – “अब ये क्या पहेली बूझा रही हैं , ढंग से नहीं बता सकती। मोटी कही की “

संध्या – 🤭”क्या भाई, हर टाइम मोटी मोटी करते रहते हो , गाड़ी ख़राब हो गयी इसीलिए वो ड्राइवर बाद में लेकर आएगा , मैं किसी के साथ लिफ्ट लेके आई। “

इन्दर (गुस्से से ) -🤨 “क्या?,,,,,,, लिफ्ट?,,,,,,, किससे साथ ?, तू पागल हैं क्या , ऐसे अकेले लिफ्ट क्यों ली , कोई ऐसा वैसा इंसान होता तो , मुझे फ़ोन नहीं कर सकती थी क्या ? अगर माँ को पता चला तो कितना गुस्सा करेंगी वो तू जानती नहीं क्या ? फिर भी ?”

संध्या (कान पकड़ते हुए ) – “सॉरी भाई , अब दुबारा नहीं करुँगी ऐसा , माँ को मत बताना प्लीज—ज—–ज , वैसे वो बुरे इंसान नहीं थे , अच्छे थे,  मुझे कितने अच्छे से यहाँ छोड़कर चुपचाप चले गए। “

इन्दर – “ओके ओके ठीक हैं , चल रूम में चल अब”
कहकर वो लोग होटल के अंदर चले जाते हैं।

*****

उधर मानव शॉपिंग एरिया पहुंच जाता है और पार्किंग में अपनी कार लगा कर आन्या को इधर उधर ढूढ़ने लगता हैं।
फिर वो धीरज को कॉल मिलाता है , “हाँ , कहाँ है तू, मैं पार्किंग में खड़ा हूँ , तू आन्या को कैसे भी यहाँ भेज, मैं वहां नहीं आ सकता , मुझे पहचानती है वो मगर तुझे नहीं पहचानती वो”

मानव की बात सुनकर धीरज मानव को समझते हुए कहता है , “मानव अब भी सोच ले भाई, भूल जा उसे, क्यों तू उसके लिए अपनी लाइफ ख़राब कर रहा हैं।……..”
“तुझे जितना कहाँ, तू चुपचाप उतना कर ना , बाकि मुझपे छोड़ दे। “, मानव ने धीरज की बात बीच में काटके बोला तो धीरज ने फिर कुछ कहना ठीक नहीं समझा अरे, “ठीक है कोशिश करता हूँ।” कहकर फ़ोन रख दिया और मन ही मन सोचने लगा –

“मानव तुम्हारे और तुम्हारी मॉम के बीच, मैं पीसकर रह गया हूँ , समझ नहीं आ रहा क्या करू , तुम मुझे मजबूर कर रहे हो आंटी की बात मानने के लिए। इसमें उस बेचारी आन्या की क्या गलती हैं। तुम्हारी ये जिद और जूनून सब कुछ बर्बाद कर देगा।”

ये सब सोचते हुए उसकी आँखों में नमी आ जाती है।  फिर वो कुछ देर के लिए अपनी आँखे बंद करके एक लम्बी साँस लेता है और फिर आन्या की तरफ चल पड़ता हैं।

उधर आन्या अपने सभी दोस्तों के साथ अभी भी वही मार्किट में थी , मीता एक बड़ी सी दुकान के अंदर खरीदारी कर रही थी , रवि और आलिया भी उसके साथ ही थे और आन्या भी दुकान में घुमते हुए अपने घरवालों के लिए सामान देख रही थी , तभी एक चाय देने वाला लड़का आन्या के पास आकर बोलता है , “दीदी आपको कोई भैया वहां बुला रहे है “,
“कौन भैया?” , आन्या ने उस लड़के की तरफ देखते हुए कहाँ और फिर बाहर की ओर देखने लगी।
“कहाँ? मुझे तो कोई नहीं दिख रहा। “, आन्या ने फिर से लड़के की तरफ देखते हुए कहाँ।
“यहाँ नहीं दीदी , वहां बाहर पार्किंग में बुलारे हैं , आप खुद जाकर देख लो ना।”, लड़के ने कहाँ और फिर बाहर की ओर भाग गया।
आन्या सुनकर दुकान से बाहर की ओर आई और फिर इधर उधर देखने लगी फिर कुछ सोचने लगती है , “कही इन्दर तो नहीं आ गए वापिस और इनसब से दूर मिलने पार्किंग में बुला रहे हो “, ये सोच कर वो पार्किंग की तरफ कदम बढ़ा देती हैं।

पार्किंग में पहुंच कर आन्या इधर उधर इन्दर को ढूढ़ती है मगर उसे इन्दर कही दिखाई नहीं देता, पार्किंग एरिया काफी खाली पड़ा था , ना ज्यादा लोग थे ना गाड़िया।
आन्या को थोड़ा अजीब भी लग रहा था और साथ में कोई दोस्त भी नहीं था।
तो उसके मन में एक अजीब सी बैचनी होने लगती है , ” क्यों आ गई मैं यहाँ , मुझे अकेले नहीं आना चाहिए था , मैंने तो उनको बताया भी नहीं के मैं यहाँ आई हूँ। वैसे ही आजकल कुछ ठीक नहीं हो रहा मेरे साथ…..मगर…मगर इन्दर तो यहाँ कही भी नहीं दिख रहे और उनकी जीप भी नहीं है।।। फि..फिर…..मुझे यहाँ बुलाया किसने ?”, ये सोचते सोचते आन्या की आँखों में डर दिखाई देने लगता है और वो वहाँ से वापिस जाने के लिए मुड़ती है।
तभी कोई एक दम से पीछे से आकर उसका हाथ पकड़ कर खींचता है और एक गाड़ी की ओट में ले जाता है , डर के मारे आन्या आँख बंद कर लेती है और जोर से चिल्लाने को होती है तो वो उसके मुँह पर अपना हाथ रख देता है….
“उन,,,न,,,,उन,,न,,,”, उसके मुँह से ठीक से आवाज भी नहीं निकल पा रही थी।
आन्याआन्या बुरी तरह से छटपटा जाती है….और खुद को छुड़ाने की कोशिश करती है….फिर अपनी आँख खोलती है और उस बन्दे की तरफ देखती हैं तो उसकी आँखें आश्चर्य और डर से बड़ी हो जाती हैं और मन ही मन ,
“म….मा….मानव…व..व……………यहाँ ?”

आन्या मानव को वहां देख कर सहम जाती है और दुबारा उससे खुद को छुटाने की कोशिश करती है। मगर मानव ने उसके दोनों हाथ कस कर पकडे हुए थे और उसे कार से सटाया हुआ था।  मानव उसके मुँह से हाथ हटाता है तो वो छटपटाकर बोलती है , “तुम , यहाँ , छोड़ो मुझे , जाने दो , तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? मुझे ऐसे रोकने का क्या मतलब हैं ?”
ऐसा बोल कर उसे जोर से धक्का देने की कोशिश करती है और इस बार कामयाब भी हो जाती हैं मगर मानव फिर से उसका रास्ता रोक देता है।
“ऐसे नहीं जाने दूंगा आज तुमको स्वीटहार्ट , ना जाने कब से पीछे पीछे फिर रहा हूँ , मगर तुम मिलती ही नहीं। ” मानव ने शैतानी मुस्कराहट के साथ आन्या का हाथ और कसकर पकड़ते हुए कहाँ।
आन्या दर्द से बिलख जाती है , “आह , छोडो , मुझे दर्द हो रहा हैं मानव…. मानव अपनी पकड़ थोड़ी ढीली कर देता है…आन्या को अब , सब पुरानी बातें ध्यान आने लगती हैं , वो खुद को थोड़ा संभालती है और मानव की तरफ घूरते हुए कहती है –
“अच्छा तो तुम थे वो जो मेरा पीछा कर रहा था , हम्म , मगर क्यों ? जब मैंने मना कर दिया कि मुझे तुमसे नहीं मिलना और न ही कोई रिश्ता जोड़ना है तो मेरा पीछा क्यों नहीं छोड़ देते तुम।।। “, आन्या ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहाँ।

“चुप , एक दम चुप , चिल्लाओ मत , समझी तुम , तुमको क्या लगा तुम मानव आर्य को मना कर दोगी और चांटा भी मार लोगी और वो तुमको कुछ भी नहीं कहेगा , हम्म”


ये सब बोलते मानव की आँखों में जैसे खून तैर रहा था।  जिसे देख कर आन्या डर जाती है और थोड़ा ढीली पड़ जाती हैं।
फिर वो दुबारा खुद को थोड़ा सा शांत करती हैं और मानव से दयानात्मक तरीके से बोलती है , “मानव मुझे माफ़ कर दो प्लीज , मगर मुझे जाने दो, प्लीज प्लीज मानव 🥺 “, कहते कहते उसकी आँखों से आंसुओ की फुआर निकल पड़ती है।😭

उसे रोता देख कर मानव अजीब तरीके से हसने लगता है जैसे उसके दिल को कोई सुकून मिला हो, “हा हा हा , आज कितनी बेचारी लग रही हो तुम , देखो, देखो आन्या, ऐसे ही मैं हो गया  था उस दिन , तुम्हारे पूरे कॉलेज के सामने।
तब तुमने सोचा था?
ख़ैर, रात गयी बात गयी , चलो मैंने तुमको माफ़ कर दिया, मिसेज मानव आर्य “
उसकी लास्ट की लाइन सुनकर आन्या आश्चर्य से उसकी और देखते हुए , “ये क्या बकवास है , मैंने बोल दिया ना मैं तुमसे शादी नहीं करुँगी तो नहीं करुँगी….तुम क्यों नहीं समझ रहे …..और अब तो वैसे भी मैं किसी और से प्यार करती हूँ। “
जैसे ही आन्या ये बोलती है उसकी बात पूरी होने से पहले ही मानव गुस्से में अपना हाथ उसी कार पर दे मारता हैं और आन्या को हाथ से पकड़कर तेजी से आगे को खींच कर कार पर दे के मारता है तो उसका माथा कार से जा के टकराता हैं , “आह…ह…ह  ” , आन्या दर्द से चीख उठती है और उसके माथे से हल्का खून आने लगता है , वो अपना हाथ माथे पर रखती है, दर्द के कारण आन्या की आँखों में आंसू आ जाते है और वो रोने लग जाती हैं…..
उसे रोता देख कर मानव अपने दोनों हाथो को अपने सर पर रखकर , “ओह शीट ये क्या किया मैंने , …..सॉरी आन्या….सॉरी, मैं ये सब नहीं करना चाहता था मगर वो तुमने बोला ना कि तुम किसी और से———- तो , तो गुस्सा आ गया मुझे”
आन्या डर और दर्द के कारण बुरी तरह सहम गयी थी।
मानव का जूनून थोड़ा शांत होता है तो वो उसकी ओर बढ़ता है तो वो पीछे की ओर बढ़ती है , “ये क्या कर रहे हो मानव , मेरे पास मत आओ,  देखो मुझे जाने दो , क्यों….. क्यों कर रहे हो ये सब , मुझसे इतनी नफरत हो गई तुमको कि मेरी जान तक लेना चाही तुमने।”

क्रमश:

-Ruchi Jain

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