Pearl In Deep
Passion to write

तेरे जैसा प्यार कहाँ part -16

इन्दर आन्या को लेकर कैफे पहुँचता है।
“आन्या, अब ठीक हो तुम ?”, इन्दर ने जीप रोकते हुए आन्या की तरफ देख कर पूछा।
“हाँ ठीक हूँ “, आन्या ने बहुत ही हल्के स्वर में उत्तर दिया। उसकी आवाज में डबडबाहत और डर अभी भी झलक रहा था , जो उसकी आँखों में आंसू बन कर उसके गलो पर लुढ़क जाता हैं।
“ओफ्फो आन्या , सम्भालो खुद को , अगर तुमको ऐसे देखकर मौसी पूछेंगी कि क्या हुआ तो क्या बताओगी उनको”, इन्दर ने आन्या के हाथो पर हाथ रखते हुए कहा।
” मैं चाहता हूँ कि अभी तुम इस बात का जिक्र किसी से ना करो। और फिर पुलिस तो है ही , मगर पहले मैं इस बारे में पापा से बात कर लू , वो पता करवाएंगे ना अपने तरीके से। ठीक है ?”
“हम्म ” , कहते हुए आन्या अपने आंसू पूछ लेती है।
“अब तुम थोड़ा रिलैक्स हो जाओ , ऐसे रोती हुई अच्छी नहीं लगती तुम , समझी कुछ “, इन्दर ने मुस्कुरा कर उसकी नाक को हल्का सा हिलाते हुए कहा तो आन्या मुस्कुरा जाती है।
तभी इन्दर की दोस्त आलिया और मीता का कॉल आ जाता है। इन्दर फ़ोन पिक करता है।
इन्दर – “हेलो”
दूसरी साइड से (मीता ) – कहा तो तुम लोग? हम सब तो आज मिलने वाले थे ना ?
इन्दर (आन्या को देखते हुए) – हाँ ! मगर अब हम कल मिलेंगे , आज नहीं।
मीता (मुँह बनाते हुए )- मगर क्यों ? तुम्हारी रोमांटिक डेट अभी तक ख़तम नहीं हुई क्या ? हम्म
इन्दर (हसकर ) – तुझे बड़ी फ़िक्र हो रही है , हम्म , कल मिलते है ना , तेरी शॉपिंग भी करा देंगे, ठीक?
मीता (हसकर ) – ओके ओके , चल आन्या को मेरी हेलो बोल देना। बाय
कहकर मीता फ़ोन रख देती है।

“क्या हुआ ?” , आन्या ने इन्दर से इशारे से पूछा तो इन्दर हसकर
“कुछ नहीं , वो आज मीता शॉपिंग के लिए बोल रही थी तो मैंने मना कर दिया। अब हम कल चलेंगे। “

” तुम भी आ रही हो ना”, इन्दर ने आन्या की तरफ देख कर पूछा।
“हम्म चलूंगी , मगर—“, आन्या ने इन्दर की और मुस्कुराकर देखते हुए कहा।

“मगर —क्या ?”

“मगर —तुमको मुझे गोलगप्पे खिलाने पड़ेंगे।”, कहकर आन्या जीप से उतरते हुए जोर से हंस पड़ती है। तो इन्दर भी उसके साथ उसे हँसता हुआ देखकर हॅसने लगता है।
“तुमने तो मुझे डरा ही दिया था। हा हा हा “
“चलो फिर मिलते है कल , तैयार रहना , और अपना धयान रखना , ओके “, इन्दर आन्या को बड़े प्यार से निहारते हुए कहता है।
आन्या सुनकर, मुस्कुराकर पलके झपकाती है। और फिर इन्दर भी वहां से निकल जाता है।

******
उधर , धीरज मनाली के लिए निकल चुका था। पूरे रास्ते उसके दिमाग में मानव की मम्मी की कही बातें ही घूम रही थी।

“मानव ये तूने मुझे कहा फंसा दिया यार, तेरी बात छुपाऊ तो आंटी नहीं छोड़ेगी और अगर तेरी बात बताऊ तो तू पता नहीं मेरे साथ क्या करेगा, मुझे माफ़ कर देना यार , मैंने आंटी को तेरे मना करने के बाद भी सब कुछ बता दिया। मगर आंटी को सबकुछ पता है ये अब मैं तुझे नहीं बता सकता। “, धीरज मन ही मन ये सब सोच रहा था।

तभी उसकी कार आर्य फार्महाउस के बाहर आकर रूकती है।
वो कार से उतर कर फार्महाउस में अंदर जाता है। मानव अचानक उसे वहां आया देख कर चौक जाता है।

“धीरज तू “, कॉल पर बात कर रहे मानव ने धीरज को देखकर कॉल काटते हुए आश्चर्य से कहाँ ।

“अरे यार , तू तो बिना कुछ कहे गायब हो गया वहां से , तो तुझे ढूढ़ता हुआ आ गया मैं”, धीरज ने हसकर बात बदलते हुए मानव के गले लगते हुए कहाँ।

“चल अच्छा हुआ तू आ गया , अब तू करेगा मेरी मदद”, मानव ने उसकी पीठ पर थपथपाते हुए कहाँ तो धीरज के चेहरे के भाव थोड़ा बदल गए।
“कैसी मदद , मानव”, धीरज ने मुस्कुराकर कहाँ।

“आन्या से मिलने में, उससे मिल नहीं पाया हूँ अभी तक। अब तू मिलवाएगा हमे , ठीक कहाँ ना “, मानव धीरज की और देखते हुए शैतानी मुस्कान के साथ बोला तो धीरज ने कोई जवाब नहीं दिया बस मुस्कुरा दिया।
मगर उसके तो दिल और दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। वो मानव को कैसे बताये कि आज वो केवल उसका दोस्त नहीं बल्कि उसकी मॉम के हाथो की कठपुतली बनकर मनाली आया है।
मगर अपने मन के भावो को बहुत बारीकी से छुपाते हुए वो मानव के गले लग जाता है। “हाँ हाँ क्यों नहीं मेरे दोस्त !”

*****
अगली सुबह –

जैसे जैसे सर्दिया नजदीक आ रही है , मौसम की ठंडक अपनी पकड़ बना रही है , अब तो सुबह सुबह अच्छी धुंध भी दिखने लगी है।
आन्या अपनी बालकनी में बैठी सुबह की चाय का आनंद ले रही थी और साथ साथ ही अपनी माँ से हुयी बातें भी सोच रही थी।
“कितनी जल्दी है सबको मेरी शादी की , मगर कैसे समझाऊ सबको कि अभी मैं शादी नहीं करना चाहती। माँ ही नहीं सुन रही है तो बाउजी से तो क्या ही बोलूंगी। (थोड़ी देर कुछ सोचती है) मौसी से ही बोलती हूँ शायद वो ही कुछ मदद कर दे। “

“कहाँ खोई है आन्या ?”, मौसी की आवाज ने उसका ध्यान खींचा। (मौसी भी अपनी चाय का कप लेकर ऊपर ही आ गयी थी )

वो उसकी बराबर वाली कुर्सी सरकाकर उस पर आकर बैठ जाती है।
“अरे वाह! देख आज मौसम कितना अच्छा है , और तेरे साथ बैठकर कितने दिन बाद चाय पी रही हूँ आज। (चाय की सिप लेती हैं ) आजकल तो मुझे फुरसत ही नहीं मिलती। और फिर ठण्ड का सीजन तो हमारा पीक सीजन होता है।
वैसे भी यहाँ मनाली में ठण्ड का भी अपना ही एक अलग मजा है। अब कुछ टाइम बाद जब बर्फ गिरनी शुरू होगी तब देखना यहाँ भीड़ “, मौसी ने चाय के कप में सिप भरते भरते कहाँ।

मौसी हंसकर मनाली के बारे में मुझे बता रही थी। और मेरे मन में अपने ही ख्याल चल रहे थे।

“मौसी , वो कल माँ का कॉल आया था। वो वापिस बुला रही है मुझे। बोल रही थी बाउजी अर्थ को भेजने वाले है मुझे लेने। “, आन्या ने थोड़ा उदास लहजे में मौसी को देखते हुए कहाँ।
“और तुम अभी जाना नहीं चाहती , हम्म , यही बात है ना ?”, मौसी चाय का कप एक साइड रखते हुए बोली।
“हाँ मौसी , मगर वजह वो नहीं जो आपको लग रही है। “, आन्या ने भी अपना कप साइड में रखते हुए कहाँ।
“फिर ?”
“वो , माँ बोल रही थी कि बाउजी मेरी शादी की बात —-(२ सेकंड के लिए चुप हो जाती है फिर )———-इसीलिए —“, आन्या बोलते बोलते बीच में ही रुक जाती है।
(थोड़ा रुक कर ) “मैं अभी शादी के बारे में कैसे सोच सकती हूँ मौसी, आप तो सब जानती है ना, आप प्लीज माँ से बात करिये ना। “

“हम्म (सोचती है फिर हंसकर) बस इतनी सी बात—ठीक मैं मैं बात करुँगी। अब तू अपना ये प्यारा सा चेहरा मत लटका समझी, मुस्कुराता हुआ ही अच्छा लगता है। “, मौसी ने हसकर आन्या को देखते हुए कहाँ तो आन्या सुनकर मुस्कुरा देती है।

“मौसी , मैं आज शॉपिंग पर जाऊ ? थोड़े गरम कपडे भी ले लूँगी।”, आन्या ने आशा भरी नजरो से मौसी की तरफ देखते हुए कहाँ।

“नहीं , मैं आज बिलकुल फ्री नहीं , किसी और दिन चलेंगे। “, मौसी ने आन्या की चुटकी लेते हुए कहाँ तो आन्या झिझकते हुए धीरे से बोली

“मौसी , वो इन्दर और उसके दोस्तों के साथ —-(२ सेकंड रुकर मौसी की और देखते हुए )— जाऊ ?”

मौसी सुनकर आन्या को घूर के देखती है और फिर जोर से हस पड़ती है। “हा हा हा , आन्या तू सच्ची कितनी क्यूट लग रही थी अभी पूछते हुए”
आन्या झेप जाती है।
“जा चली जा”, “हा हा हा मेरी तो हसी ही नहीं रुक रही , शक्ल तो देखते इसकी , हा हा हा “, मौसी हॅसते हुए अपने हाथो की ताली मरती है।

“क्या मौसी आप भी ना”, कहकर आन्या भी जोर जोर से हसने लगती है और फिर मौसी के गले लग जाती है। “लव यू सो मच मौसी :)”

*****

उधर मानव धीरज को आन्या पर नजर रखने का काम पकड़ा देता है।
“देख धीरज मुझे आन्या से आज किसी भी हाल में मिलना है , तू नजर रख उस पर , और जैसे ही तुझे लगे की वो अकेली है और मुझसे मिल सकती है तो मुझे बता देना ओके, मैं पहुंच जाऊंगा— मगर ध्यान से , इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं लगना चाहिए।
रुक मैं तुझे उसके घर का एड्रेस अभी देता। ” और फिर मानव एक पेपर पर कुछ लिखने लगता है।

“कितना यकीन है ना तुझे मुझ पर , मगर अफ़सोस , मुझे तेरी सब खबर आंटी को देनी ही पड़ेगी मानव , मुझे माफ़ कर देना मेरे दोस्त “, धीरज मन ही मन ये सोच रहा था कि मानव ने एक पेपर उसके हाथ में पकड़ा दिया और वहां से चला गया।
फिर धीरज भी सारी इनफार्मेशन लेकर वहां से निकल गया।

*****

आन्या तैयार होकर मौसी के साथ कैफे पहुंच जाती है। आज उसने येलो एंड रेड कलर का सूट पहना है , खुले बाल , माथे पर छोटी सी बिंदी और बहुत लाइट मेकअप उसके ऊपर बहुत अच्छा लग रहा था।
अब तो हर नई सुबह , उसकी जिंदगी में एक नया उजाला लेकर आ रही थी। तो उसकी खूबसूरती और उसके चेहरे के नूर को दिन पर दिन बढ़ा रहा था। आन्या अब फिर से चहकने लगी थी , फिर से जीने लगी थी। अब तो हर पल उसका दिल इन्दर की राह ताकता था और उसका मन इन्दर के लिए ही सजता सवरता था।
जो खूबसूरत पल वो आजकल मनाली में इन्दर के साथ जी रही थी , इतने खूबसूरत पलों की कल्पना तो वो मोहाली में कर भी नहीं सकती थी।

“कितना खूबसूरत मौसम है और आज फिर तुम्हारा साथ , डर लगता है इन्दर , कही किसी की बुरी नजर ना लग जाये “, आन्या मन ही मन कुछ कुछ सोच रही थी। उसके खूबसूरत से शांत चेहरे पर अलग अलग भाव बार बार आ जा रहे थे।
“मगर माँ को मौसी कैसे मनाएगी बस ये बात उसको बार बार परेशान कर रही थी। “, वो इन्ही सब उधेड़बुन में थी कि तभी जीप के हॉर्न की आवाज से उसका ध्यान टूटा।

नजरे उठा के देखा तो सामने इन्दर और उसके दोस्त उसका वेट कर रहे थे। उनको देखकर वो मुस्कुरा जाती है। और मन ही मन गुनगुनाती , मुस्कुराती जीप की ओर चली जाती है।
आज आन्या इतनी प्यारी लग रही थी कि कुछ देर इन्दर आन्या को देखकर उसी में गुम सा हो जाता है।
“चले !”, आन्या ने मुस्कुराते हुए जीप के पास पहुंचकर इन्दर से कहाँ।
इन्दर का ध्यान टूटा तो सब हॅसने लगे। इन्दर झेप जाता है।
इन्दर अपना हाथ बढ़ाकर आन्या को जीप में अपने नजदीक बिठा लेता है। और फिर वो लोग शॉपिंग के लिए निकल पड़ते है।



थोड़ी देर बाद वो लोग मार्किट पहुंच जाते है। इन्दर पार्किंग में जीप लगा रहा होता है कि तभी उसकी माँ प्रिया का कॉल आ जाता है।
“तुम लोग चलो , मैं बात करके आता हूँ। “, इन्दर ने सभी की ओर देखते हुए कहाँ तो रवि बोला –
“नहीं तू बात कर ले फिर साथ चलते है , इतने हम सभी यही वेट करते है। “

इन्दर फ़ोन पिक करता है और एक साइड में जाकर बात करने लगता है।
इन्दर -“हेलो माँ !”
प्रिया (प्यार से )- “कैसा है अब तू बेटा”
इन्दर – “मैं बिलकुल ठीक हूँ माँ , आप इतनी चिंता क्यों करती हो। “
प्रिया (गुस्से से ) – तुझे उस हाल में छोड़ आये थे तो चिंता नहीं करुँगी क्या ?, तुम बच्चे भी ना।
इन्दर – हम्म , मेरी प्यारी माँ नाराज मत हो। (फ़ोन पर किस करता है )
प्रिया (हंसकर )- अच्छा, अब बस कर बदमाश !!!!, अब सुन मैंने ये बताने के लिए तुझे कॉल किया है कि संध्या (इन्दर की बहिन ) मनाली के लिए बहुत देर पहले ही निकल चुकी है और अब तो वो कभी भी वहाँ पहुंच जाएगी।
इन्दर (आश्चर्य से ) – “क्या —या –या ? और आप अब बता रही हैं। “
प्रिया – “सॉरी बेटा , एक्चुअली वो तुझे सरप्राइज देना चाहती थी इसीलिए बताने के लिए मना किया था उसने, मगर फिर मुझे लगा के तुझे बता देती हूँ , नई जगह है अनजान रास्ता और ऊपर से ड्राइवर को लेके अकेले ही निकल गयी, तो तुझे तो पता होना चाहिए ना “
इन्दर – “हाँ ! ठीक किया माँ जो मुझे बता दिया। मैं तो अभी होटल पर भी नहीं हूँ।”, (फिर मन ही मन ) सरप्राइज तो अब भी दे ही दिया तूने संध्या , मोटी, नालायक आ तू जरा फिर बताता हूँ।
प्रिया – “फिर तू अभी चला जा होटल, और सुन, उसे बोलना मत कि मैंने तुझे बता दिया। “
इन्दर – “ठीक हैं माँ पहुँचता हूँ “, कहकर फ़ोन रख देता है।
((मन ही मन ) – अब इन सब से क्या कहूंगा , और आन्या को क्या बोलू , हे भगवान आज तूने कहाँ फॅसा दिया। )

कुछ कुछ बड़बड़ाता हुआ दोस्तों के पास पहुँचता है और परेशान सा रवि से – “यार वो संध्या आ रही हैं , कभी भी होटल पहुँचती होगी , माँ ने अभी बताया। अब क्या करू यार , होटल के लिए निकलना ही पड़ेगा। “
“क्या ?”, सारे एक साथ बोले।
“दिस इज नॉट फेयर इन्दर “, मीता इन्दर को घूरते हुए बोली।
इन्दर ने आन्या की और देखा। आन्या भी बेचारी नजरो से उसे ही देख रही थी। ये देखकर इन्दर ने अपने कान पकड़कर “सॉरी” बोलने का इशारा किया।
मीता (गुस्से से) – “कोई सारी वोरी नहीं चलेगा इन्दर , ये बहुत गलत किया तुमने , खासकर आन्या के साथ , देखो तो उसका चेहरा”
इन्दर – मुझे खुद अच्छा नहीं लग रहा यार मगर मैं क्या करू , तुम लोग ही बताओ।
रवि – अच्छा सुन ऐसा करते हैं , मैं और इन्दर निकल जाते हैं और तुम लोग शॉपिंग पूरी कर लो। फिर तुम लोग , आन्या को उसके घर छोड़ते हुए होटल आ जाना। क्यों ?
वैसे भी औरतो की शॉपिंग , बाप रे आलरेडी कितनी बोरिंग होती हैं ना। (रवि मुँह बनाते हुए बोला )
मीता (चिल्लाते हुए) – “ओये ! कानखजूरे , तूने औरत किसे बोला हम्म !”
रवि (चिल्लाते हुए) – तुझे , और तू है कानखजूरी—-
मीता (रवि को मुक्का दिखते हुए )- “तेरी तो— “

इन्दर (गुस्से में ) – अरे यार अब बस भी करो तुम लोग , जगह तो देख लिया करो।
मीता (रवि को देख कर ) – हुनन—न
रवि (मीता को देख कर ) – हुनन—न
फिर दोनों शांत हो जाते है।

इन्दर – हो गया तुम लोगो का तो मैं अब कुछ बोलू ?
दोनों एक साथ – हाँ बोल !
इन्दर – मैं जाता हूँ होटल ओके और तुम सब लोग यही शॉपिंग करो। संध्या को होटल रूम में पहुंचाकर मिलता हूँ तुम लोगो से यही थोड़े टाइम बाद। ओके ! और अगर लेट हो जाऊ तो रवि तुम आन्या को घर छोड़ देना। ठीक ?
सब एक साथ – ठीक है
आन्या (धीरे से इन्दर को देखते हुए ) – जल्दी आना
“हम्म, और तुम ध्यान रखना “, कहकर इन्दर आन्या के गाल पर हाथ रखता है और फिर जीप लेकर होटल के लिए निकल जाता है और बाकि सब शॉपिंग के लिए चले जाते है।

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मनाली से कुछ किलोमीटर पहले एक गाड़ी सड़क के एक साइड खड़ी हैं। और ड्राइवर बोनेट खोलकर उसे ठीक करने की कोशिश कर रहा है।
एक खूबसूरत , स्टाइलिश लड़की कार का गेट खोल कर बाहर निकलती है। ब्लू जीन्स , (ऑफ वाइट ) ऑफ शोल्डर टॉप , बूट्स , कंधे तक आते स्टाइलिश बाल और आँखों पर गोगल्स।
“कितना टाइम और लगेगा ड्राइवर भैया ?”, उसने कार से बाहर निकलते हुए पूछा।
“थोड़ा टाइम लगेगा संध्या मैडम”, ड्राइवर ने गाड़ी ठीक करते करते ही मुँह उठा कर कहाँ।
“ओह शिट, इसे भी अभी ख़राब होना था क्या , अब तक तो मैं पहुंच भी जाती “, कहते हुए पैर जोर से गाड़ी पर मरती हैं।
“आउच आउच आउच “
“क्या हुआ मैडम “, ड्राइवर ने पूछा।
“कुछ नहीं , तुम जल्दी गाड़ी ठीक करो “, संध्या ने मुँह बनाते हुए कहाँ।
(मन ही मन सोचते हुए )”भाई को कॉल करू क्या , नहीं नहीं , सारा सरप्राइज ख़राब हो जायेगा, (कुछ देर सोचते हुए ) लिफ्ट ले लेती हूँ किसी से, (फिर खुश होकर ) हाँ , ये मस्त रहेगा। “
और फिर रोड के एक साइड लिफ्ट लेने के लिए खड़ी हो जाती है।

****

उधर मानव अपने फार्महाउस से निकलते हुए , उसका फ़ोन उसके कान पर लगा है और वो किसी से बात कर रहा है।
मानव – “हाँ पता चला कुछ ? कहाँ है वो ? नजर रखने को बोला था ना —“
दूसरी साइड से – “हाँ ! अभी अभी अपने दोस्तों के साथ शॉपिंग करने आई है। मैं एड्रेस मैसेज करता हूँ। ” और फ़ोन कट जाता है।
मानव गाड़ी स्टार्ट करता है तभी एक मैसेज उसके फ़ोन पर आता है , मानव वो मैसेज पढता है और उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ जाती है , “हम आ रहे है स्वीटहार्ट !”
और मानव अपने फार्महाउस से निकल जाता है।

*****
आर्य मेंशन –

आरती के मोबाइल पर एक मैसेज आता है।
आरती मैसेज खोलकर पढ़ती है।

“आन्या शॉपिंग के लिए मार्किट गयी है और मानव आन्या को मिलने वही गया है ,
एड्रेस नीचे लिखा है। “

मैसेज पढ़कर (मन ही मन ) मैं तुम्हे उससे ऐसे तो मिलने नहीं दूंगी। फिर आरती किसी को फ़ोन करती हैं और उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ जाती हैं।

क्रमशः

comments and likes ki pratiksha rahegi…..

– रूचि

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