“इश्क़ में सुना था हद से गुजर जाते है लोग,
कही इस हद का मतलब, किसी की जान लेना तो नहीं।।”
आर्य मेंशन, मोहाली
सुबह के ११ बजे है। तभी धीरज घर में प्रवेश करता है। उसकी निगाहे किसी को ढूढ़ रही है , वो चारो तरफ देखता है।
आरती (जीने से उतरते हुए) – आओ बैठो धीरज बेटा, मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी।
धीरज (हाथ जोड़ कर ) – नमस्ते आंटी , आपने मुझे कॉल करके तुरंत आने के लिए कहां , कुछ जरुरी बात है क्या ? मानव कहां है ? वो आ गया क्या ?
आरती – यही पूछने के लिए तो हमने तुम्हे बुलाया है कि मानव कैसा है ? जब से गया है एक बार भी फ़ोन नहीं किया, कैसा है क्या चल रहा है हम कुछ नहीं जानते। तुम्हारा सबसे पक्का दोस्त है वो , तुमको तो कुछ न कुछ मालूम ही होगा, क्यों ? , हम्म
(सोफे पर बैठते हुए ) हम जानना चाहते है।
धीरज – आंटी मुझे भी नहीं पता कुछ। मुझे लगा शायद वो वापिस आ गया है , मैंने कॉल भी किया था उसे पर उसने अटेंड नहीं किया एक बार भी।
आरती – वो अचानक मनाली क्यों चला गया ? वो भी अकेले। इससे पहले तो वो तुम्हारे बिना कही नहीं गया बाहर। तुम तो खास दोस्त हो न उसके।।
धीरज – वो—वो —आंटी बात दरअसल—-(फिर बात बदलते हुए ) परेशान था न वो आंटी तो चला गया होगा अकेले घूमने। (हसकर बात छुपाते हुए )
आरती (धीरज को घूरते हुए)- हमे ये नहीं, वो जानना है धीरज, जो तुम हमसे छुपा रहे हो। ऐसा क्या है जो हमको नहीं पता। हम्म
धीरज – वो आंटी बात दरअसल ये है कि मैंने पहले आपको पूरी बात नहीं बताई थी। वो उस दिन जब मानव आन्या से मिलने कॉलेज गया था ना तब वहाँ ——(सारी बात आरती को बताता है —) मानव आन्या का हाथ नहीं छोड़ रहा था और फिर गुस्से में आन्या ने मानव को एक थप्पड़ मार दिया था।
आरती (आश्चर्य से उठते हुए ) – “क्या ?, और ये सब तुम अब हमे बता रहे हो ?”
(फिर गुस्से में टहलते हुए ) “उसकी इतनी हिम्मत उसने हमारे बेटे को , हमारे बेटे को थप्पड़ मारा ,
(गुस्से में धीरे से बुदबुदाते हुए ) ये माँ तुमको इस बात के लिए कभी माफ़ नहीं करेगी आन्या , तुमको इसकी सजा भुगतनी बढ़ेगी और वो सजा हम तुमको देंगे , समझी तुम”
(फिर धीरज से) इतना सबकुछ होने के बाद भी , मानव अभी भी उस लड़की से शादी करना चाहता था ?
वो तो अच्छा हुआ हमने उसे मनाली जाने दिया नहीं तो वो तो यहाँ अपनी जिंदगी ही ख़राब कर लेता।
धीरज (हकलाते हुए , आँखे भीचते हुए एक ही सांस में ) – वो वो आंटी मानव आन्या के लिए ही मनाली गया है। आन्या इस वक़्त मनाली में ही है।
आरती (गुस्से में घूरते हुए) – “व्हाट ?”
धीरज (सर झुकाये हुए) – सॉरी आंटी , वो मानव ने मना किया था।
आरती (खुद पर काबू करते हुए ) – हम्म , हम चाहते है कि तुम अभी के अभी मनाली जाओ मानव के पास , उसको अपने दोस्त की जरुरत है। पर मुझे उसके पल पल की खबर चाहिए ,
(थोड़ा रुक कर धीरज की तरफ देखते हुए ) तुमसे , समझे धीरज ?
(मन ही मन सोचते हुए) बाकि सब हमपर छोड़ दो हम सब देख लेंगे। वो लड़की हमारे घर की बहु नहीं बनेगी किसी भी हल में।
(धीरज की तरफ देखते हुए) जाओ तैयारी करो। तुमको २ घंटे बाद ड्राइवर तुम्हारे घर से पिक कर लेगा।
धीरज चला जाता है और आरती किसी को फ़ोन मिला कर कुछ कहती है और फिर एक कुटिल मुस्कान उनके चेहरे पर आ जाती है।
****
मनाली
आज एक तो मौसम बहुत आशिकाना है और ऊपर से २ प्यार करने वाले साथ हो तो आशिकी चारो ओर खुद ही महसूस होने लगती है
ठण्ड का आगाज होने वाला है , अक्टूबर का महीना चल रहा है।
ऐसे सुहाने मौसम में तो वैसे ही दिल चहक उठता है और मतवाला होकर नाचने गाने लगता है। यही हाल आन्या और इन्दर का भी था।
मौसी की परमिशन लेकर इन्दर आन्या को अपने साथ ले जाता है।। कुछ देर , सुकून से अपने प्यार की छाँव में बैठने के लिए।
जीप मनाली से थोड़ा बाहर की ओर भागी जा रही है और आन्या शांत बैठी मौसम के नजारो का लुफ्त ले रही है और इधर इन्दर मिरर से आन्या के चेहरे को बार बार निहार रहा है।।। उसकी हवा में उड़ती जुल्फे बार बार उसके चेहरे पर आ जा रही है तभी आन्या की नजर अपने आप को निहारते इन्दर पर पड़ती है। पहले तो वो झेंपकर मुस्कुरा जाती है फिर
आन्या (कटाक्ष करते हुए) – इधर क्या देख रहे है ? हम्म , सामने देखकर गाड़ी चलाइये। लगता है चोट ठीक हो गयी है आपकी ? हम्म
इन्दर (हसकर ) – हा हा हा , वैसे , आपको देख कर तो मैं पूरा ही ठीक हो जाता हूँ। मगर फिर भी आपको बता दूँ कि अभी दर्द बाकि है सर की चोट में — समझी आप 🙂
आन्या – (हस कर ) अच्छा जी , लग तो नहीं रहा —- (कुछ देर रुक कर सोचते हुए ) डर नहीं लगता आपको ?
इन्दर – तुम साथ हो तो कैसा डर , हम्म
आन्या (आश्चर्य से ) – अभी इतना बड़ा एक्सीडेंट हुआ था , कुछ भी हो सकता था , फिर भी कोई डर नहीं ?
इन्दर (आन्या की आँखों में देखते हुए ) – डर लगा था ना , तुम्हे खोने का—
आन्या शरमाकर आँखे झुका लेती है —
इन्दर (सहज हो कर ) – अच्छा बताओ कहां चले
आन्या – कही भी , मेरे लिए तो सबकुछ ही नया है। (फिर हंसकर ) और ये जीप भी —– 😉
इन्दर (हॅसते हुए ) – हाँ ! मैंने तोड़ दी थी ना रवि की, तो पापा ने दी उसे ।।।
आन्या – (हसतें हुए ) और आपने फिर ले ली तोड़ने के लिए , हम्म —-
दोनों हॅसने लगते है –
इन्दर एक लेक के किनारे जीप रोक देता है।
आन्या जीप से उतरते हुए , “वाओ , सो ब्यूटीफुल , कितनी खूबसूरत जगह है ” तभी हलकी हलकी २-४ बूंदे भी पड़ने लगती है तो आन्या अपने दोनों हाथ फैलाकर चारो ओर खुशी से घूमने लगती है। आन्या को इतना ख़ुश देख कर, जीप पर टिके टिके इन्दर उसे खड़ा हुआ निहारता रहता है
“मेरी हसरतों को मिली ख़ुशी तुमसे
अब तो बस पाने की तुझे चाहत है।
कितनी मासूम है तू , कितनी बेफिक्र है तू
तुझे अपनी जिंदगी में बसाने की ख्वाइश है।।”
आन्या इन्दर का हाथ पकड़ कर , अरे आओ न तुम भी, देखो तो कितना अच्छा और रोमांटिक मौसम है।
मगर इन्दर आन्या का हाथ पकड़ कर अपनी और खींचे हुए , “और इस रोमांटिक मौसम में तुम और भी खूबसूरत और मासूम लग रही हो। “
आन्या शरमाकर पलके झुका लेती है और अनायास ही उसके होंठो पर एक मुस्कान बिखर आती है।
फिर खुद हो छुड़ाते हुए , “बस बस आज ये सब नहीं , समझे , आओ लेक साइड बैठते है”, कहकर आन्या इन्दर का हाथ पकड़कर खींचते हुए अपने साथ ले जाती है और दोनों एक बड़े से पत्थर पर टिक कर बैठ जाते है।
आन्या का सर इन्दर के कंधे पर होता है और हाथ उसके हाथो में—- दोनों बहुत देर तक ऐसे ही एक दूसरे के साथ बैठे वादियों , मौसम और लेक का आनंद लेते रहते है।
आन्या – मुझे तो कभी कभी यकीन ही नहीं होता इन्दर
इन्दर – क्या ?
आन्या – यही कि तुम और मैं — (कहकर आन्या मुस्कुरा जाती है )
इन्दर (हाथो को कसकर पकड़ते हुए और उसकी आँखों में देखते हुए )- मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ आन्या
आन्या (आँखों में डूबते हुए ) – कितना ?
इन्दर (उसके चेहरे को हाथो में पकड़ते हुए) – इतना कि जिसकी कोई हद नहीं
कहकर इन्दर अपने होंठ , उसके चेहरे के करीब लाने लगता है , आन्या शरमाकर आँखे झुका लेती है।, तभी आन्या का फ़ोन बजने लगता है–
दोनों हड़बड़ा जाते है।
इन्दर (मुस्कुराकर ) – आन्या तुम्हारा फ़ोन है —
आन्या (सहज होते हुए ) – हुम्म्म —
दोनों एक दूसरे की तरफ देखते है फिर जोर से हस पड़ते है।
आन्या – “घर से है “, कहकर फ़ोन पिक करती है।
इन्दर (मन ही मन हसकर ) – ये हमेशा गलत टाइम पर फ़ोन ससुराल से ही क्यों आता है।
आन्या (हॅसते हुए ) – “हेलो माँ , कैसी हो आप ?”
माँ (साध्वी) – मैं ठीक हूँ बेटा , तुम कैसी हो , और मौसी कैसी है ? क्या बात है बड़ा खिलखिला रही है आज तो हमारी बिटिया
आन्या (हॅसते हुए ) – हाँ माँ , बस आज बहुत खुश हूँ मैं
माँ – ये तो बहुत ख़ुशी की बात है कि तुम अब संभल गयी हो। और बहुत खुश भी हो।
आन्या (हॅसते हुए ) – हाँ माँ , बहुत ख़ुश, बहुत बहुत ख़ुश , और आज तो यहाँ मौसम भी बहुत सुहाना है।
सुनकर इन्दर उसके कमर पर हाथ रखता है तो वो उसके स्पर्श से चिहुँक उठती है , “आह –ह–ह-“
माँ – क्या हुआ बेटा , ठीक हो ?
आन्या (हसकर इन्दर का हाथ हटते हुए ) – हाँ माँ , वो चींटी थी
माँ – चींटी ?
आन्या (हसकर) – चींटी नहीं माँ , चींटा , वो भी बहुत बड़ा।
माँ – अरे ! कांटा तो नहीं
आन्या – नहीं माँ , इरादा तो काटने का ही था मगर मैंने काटने नहीं दिया। (हंसकर इन्दर की तरफ जीभ दिखती है )
इन्दर आन्या को आँख दिखता है और वहाँ से उठकर थोड़ा दूर जाकर अपना फ़ोन मिलाने लगता है।
माँ (हसकर )- हा हा हा , तू भी ना , अच्छा कोई बात नहीं , ये बता तू वापिस कब आ रही हैं , तुम तो वहाँ जाकर हमको भूल ही गयी हो। याद नहीं आती माँ की ?
आन्या (थोड़ा ) – नहीं माँ ! ऐसा नहीं है। बहुत याद आती है आपकी , बस कॉल ही नहीं कर पाई। (मन ही मन सोचते हुए – कैसे बताऊ माँ , जब से आई हूँ न जाने यहाँ क्या क्या चल रहा है मेरी लाइफ में )
माँ – तेरे बाउजी अब दुबारा से तेरी शादी के लिए बोल रहे है। तो जब तू आएगी तभी तो बात आगे बढ़ाएंगे।
सुनकर आन्या थोड़ा हड़बड़ा जाती है और इन्दर की ओर देखते हुए – “नहीं माँ , अभी नहीं प्लीज “
इन्दर आन्या के चेहरे के भावो को पढ़ते हुए इशारे से “क्या हुआ ?”
आन्या इशारे से सर हिला कर “कुछ नहीं “
माँ – देख बेटा आज नहीं तो कल करनी तो है ही , तेरे बाउजी अर्थ को मनाली भेजने को बोल रहे है , तुझे लेने।
आन्या – क्या —या –या
माँ – हाँ, मैं तेरी मौसी से भी बात कर लूँगी।।। चल रखती हूँ फ़ोन ठीक है बेटा , ध्यान रखना।
आन्या – ठीक है माँ , बाय
कहकर फ़ोन रख देती है। अभी थोड़ी देर पहले खिलखिलाती आन्या के चेहरे की हसी एक सेकंड में ही काफूर हो चुकी थी। उसे समझ नहीं आ रहा था के अब वो क्या करेगी। इन्दर को भी इतनी जल्दी शादी के लिए कह नहीं सकती वो। क्या सोचेगा वो। वैसे भी आन्या शादी से पहले एक दूसरे को थोड़ा और जानना और समझना चाह रही थी।
यह सब कुछ सोचती हुई आन्या को ये नहीं मालूम था कि उसकी जिंदगी की मुश्किलें अभी कम नहीं हुई है बल्कि और अधिक बढ़ने वाली है। कोई है जिसकी नजर उसकी तरफ लगी हुई है और जो दुनाली लिए उस पर कही दूर से निशाना साध रहा है।
उसे चुपचाप सोच में डूबा देख इन्दर आन्या के करीब आकर उसके हाथ को अपने हाथो में लेकर सहलाने लगता है। , “क्या हुआ ?”
“कुछ नहीं ” कहकर आन्या इन्दर के कंधे पर झुकती है , उसी सेकंड एक बन्दूक की गोली उसके करीब से गुजरती हुई पास के पत्थर पर जा लगती है।
जोरदार फायरिंग की आवाज होती है मगर निशाना चूक जाता है।
आवाज सुनकर आन्या इन्दर से लिपट जाती है। सब कुछ एक सेकंड के अंदर होता है किसी को कुछ समझ नहीं आता। इन्दर चारो तरफ देखता है उसे कोई नजर नहीं आता। वो आन्या का हाथ पकड़कर जीप की तरफ भागता है और जीप फटाफट मनाली की तरफ दौड़ा देता है।
आन्या अभी भी सदमें में है उसे कुछ समझ ही नहीं आया हुआ क्या ? वो बार बार पीछे मुड़ कर देख रही थी।
इन्दर – सॉरी आन्या ये सब मेरे कारण हुआ। न मैं तुमको यहाँ लेके आता और न ये सब होता।
आन्या (घबराकर) – मगर वो था कौन और उसने हम पर फायरिंग क्यों की ?
इन्दर – ये तो मैं भी नहीं जानता। तुम पर कोई फायरिंग क्यों करेगा ? मुझे तो लगता है ये मेरे लिए थी , हो सकता है कोई बिज़नेस रईवेल हो। तुम चिंता मत करो , मैं पता लगवा के ही रहूँगा इस बारे में। चलो मैं तुमको घर छोड़ देता हूँ।
इन्दर की बात सुनकर आन्या कुछ पल के लिए शांत तो हो जाती हैं मगर उसके दिमाग में तो कुछ और ही घूम रहा था। शायद वो लेटर और शायद वो अनजान साया।
(मन ही मन ) इन्दर ये गोली तुम्हारे लिए नहीं शायद मेरे लिए ही थी। मगर क्यों ? और ये है कौन जो मुझे मरना चाहता है।
क्रमशः
*******
प्यारे दोस्तों,
कहानी में सस्पेंसेस की शुरुवात हो चुकी है, परन्तु एक रिक्वेस्ट है आप प्लीज धीरज बनाये रखे।।। अब रोज ही आपको कहानी में कुछ कुछ नया मिलेगा जो जिज्ञासा को बढ़ाएगा। आप कहानी को मेरे साथ साथ पढ़ते चले , आशा है आप निराश नहीं होंगे , बल्कि आपको मजा आएगा।
लेकिन इसके बदले aapke likes और comments का इन्तजार रहेगा। 😊
आपका प्यार मेरे लिए एक ऊर्जा है इसीलिए बिना likes और comments के blog बंद मत कीजियेगा 😀😃😁
धन्यवाद
रूचि जैन