“तेरे यादों के समुन्दर में डूबे है हम
तेरे नजदीकियों के एहसास का सहारा काफी है “
रात के ११ बजे है। इन्दर अपने कमरे में बैठा खिड़की से चाँद को निहार रहा है , नींद का नामोनिशान नहीं है। शाम की मदहोशियाँ अभी तक फिजाओ में बह रही है और खयालो में साथ बिताये पल।
“काश ! तुमसे तुम्हारा नंबर भी पूछ पाता ? मगर उस पल तो जैसे कोई होश ही नहीं था। कितनी मासूम और खूबसूरत लग रही थी तुम। अभी तक मेरी आँखों के आगे से तुम्हारा वो शरमाया हुआ चेहरा हट नहीं रहा है , जब मैंने तुमको अपनी बाँहों में भरा था, और तुम शरमा कर , सकुचा कर मेरी बाँहों में सिमट गयी थी…..काश! थोड़ा और वक़्त हम साथ बिता पाते। “, इन्दर मन ही मन ये सब सोचते हुए मुस्कुरा रहा था।
तभी रवि कमरे में आते हुए ,”कहा खोये हो जनाब, चाँद को कब तक निहारोगे, अब तो इस चाँद को बक्श दो… दया करो इसपर …. इसे अभी मेरे भी बहुत काम आना है …हे हे हे ….”
इन्दर – “इतनी बकवास दिमाग में लाता कहा से है , जो मिलेगी तुझे वो भी सर पकड़ लेगी अपना”
रवि-(हंसकर ) हे हे हे ! अपने पास बहुत है कोई कमी नहीं बकवास की…..वैसे कोई पहले मिले तो सही… भाभी जी से ही बोलूंगा मेरे लिए भी ढूढ़ दे …..”
“वैसे इस चाँद को देख देख कर इतना मुस्कुरा काहे रहे थे , ऐसा क्या कह दिया भाभी जी ने , हम्म “
इन्दर मुस्कुराकर रवि की तरफ देखता है। और फिर से चाँद को देखने लगता है
रवि (उसे मुस्कुराता देख पास आ कर उसके कंधे पर मारते हुए ) – “अरे वाह! ये तो कमाल हो गया— मतलब जनाब आज मेरे भाभी जी कहने पर भी नहीं चिड़े , लगता है मामला काफी आगे बढ़ चुका है। “
इन्दर – “हम्म , बस यही समझ ले। आज उसके दिल की बात भी जान ही ली मैंने। “
रवि – “ओह्हो इन्दर बाबू , बधाई हो आपको। आज तो आप किला फतह करके लौटे है। ये नाचीज आपकी और कोई मदद कर सकता है?”
इन्दर (खयालो में खोये खोये) – “काश उसका नंबर ले पाता। पता नहीं वो इस वक़्त क्या कर रही होगी। क्या उसका भी यही हाल होगा जो मैं महसूस कर रहा हूँ। “
रवि (छेड़ते हुए )- अरे ,मियाँ अब क्या सोचने लगे। बड़े शांत बैठे हो।।।। नंबर वम्बर नहीं लिया क्या भाभी जी का। बात सात करो भई।
इन्दर (चिढ़ते हुए )- “अरे क्यों जले पर नमक छिड़क रहा है ? वही तो भूल गया मैं। “
रवि (मुस्कुराते हुए ) अपनी जेब से फ़ोन निकलता है और इन्दर की ओर देखते हुए , “कोई बात नहीं तुमको बात नहीं करनी तो हम किये लेते है भाभी जी से बात “
इन्दर तुरंत रवि की ओर देख कर (आश्चर्य से ) – “अबे तेरे पास कहा से आया नंबर , चल ला दे मुझे “
रवि – (फ़ोन को थोड़ा छुपाते हुए चेहरे पर शैतानी हंसी लाते हुए ) – न न न —- ऐसे नहीं दूंगा।
बस फिर तो आगे आगे रवि ओर पीछे पीछे इन्दर।।।। पूरे कमरे में उनकी धमाचौकड़ी मच जाती है।
इन्दर रवि की टांग खींच कर उसे नीचे गिरा देता है और उसे पैरो के नीचे दबाकर उसके ऊपर चढ़ के बैठ जाता है। (और हसते हुए उसके हाथ से मोबाइल छीनते हुए ) – ला दे मोबाइल
रवि – नहीं दूंगा
इन्दर – दे
मोबाइल छीन लेता है और थोड़ा दूर जाकर कांटेक्ट लिस्ट देखने लगता है।। “आन्या–ा-ा-ा- हम्म हम्म —–, अरे इसमें तो कोई नंबर नहीं दिख रहा। “
रवि (पास आकर फ़ोन छीनते हुए ) – हे हे हे।।।। नहीं मिला न ….(भोये चढ़ा के चिढाते हुए )…. भाभी जी के नाम से है , रुक देता हूँ।
रवि इन्दर को आन्या का नंबर निकाल के दे देता है। , “ले जा जीले अपनी जिंदगी —–“
इन्दर (रवि को गले लगते हुए ) – “साले, कमाल कर दिया तूने , तेरे पास कहाँ से आया ?”
रवि – (थोड़ा इतराते हुए कॉलर हिलाते हुए ) ऐसी वैसी मामूली चीज समझा है क्या हमे , हम्म , शाम ही ले लिया था मैंने आन्या की मौसी से। पता था तेरे बसकी ना है ….आन्या को देखकर आधा बेहोश तो तू वैसे ही हो जाता है …हे हे हे “
“अब मैं मौसी का नंबर ढूढ़ के निकाल सकता हूँ तो भाभी जी का नंबर लेना कौन सी बड़ी बात है।
इन्दर रवि को दुबारा गले लगा लेता है। , “साले ! वाकई तू है पहुंची वी चीज , तू कैसे भी करके लास्ट में मेरे ऊपर कोई न कोई एहसान चढ़ा ही देता है , आज आन्या को मुझसे मिलवाने के लिए भी शुक्रिया। “
रवि (गुस्सा दिखाते हुए ) – “ला चल नंबर इधर दे , कोई जरुरत नहीं रखने की , शुक्रिया बोलता है दोस्त को , हद है।।। “
इन्दर (हॅसते हुए ) – चल चल नौटंकी बंद कर।।।। नंबर तो अब वापिस नहीं होगा। हाँ तेरा मन हो तो एक बार और गले लग जा।
फिर दोनों एक साथ हस पड़ते है और गले लग जाते है।
रवि – चल भाई मैं तो चला सोने ! कल से तूने मेरी नींद हराम की हुई थी। तू जा और बतिया अपनी मैडम जी से। ओके बाय बाय गुड नाईट
कहकर रवि बिस्तर पर गिर जाता है और एक मिनट में ही खर्राटे भरने लगता है। इन्दर उसे देख कर एक बार फिर हँसता है और फिर हंसके सर हिलता हुआ बालकनी में आ जाता है।
मोबाइल पर हल्का म्यूजिक चला लेता है और थोड़ी देरतक नंबर को ऐसे ही देखता रहता है और सोचता रहता है ,”फ़ोन मिलाऊ या नहीं “
“जो हाल दिल का इधर हो रहा है —
वो हाल दिल का उधर हो रहा है —
जाने जा दिलो पे प्यार का ,
अजब सा असर हो रहा है —-“
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उधर आन्या के दिल की बैचनी भी कुछ कम नहीं थी। वो २ दिन से ढंग से नहीं सो पाई थी फिर भी उसकी भी आँखों में नींद का एक क़तरा नहीं था। वो बैचनी से कमरे में इधर उधर टहल रही थी और मन ही मन मुस्कुराये जा रही थी। तभी मौसी उसके कमरे में प्रवेश करती है
मौसी (मुस्कुराते हुए कॉफ़ी टेबल पर रखते हुए )- आन्या सोई नहीं अभी ? कॉफ़ी लाई हूँ , पिओगी ? सोचा देख कर आउ तुम कैसी हो अब।
आन्या – हाँ! मौसी बस नींद नहीं आ रही थी।
मौसी (हंसकर कॉफ़ी पकड़ाते हुए ) – वो तो मुझे पता है , लो कॉफी पीओ थकान उतर जाएगी। मुझे तो ये सबसे बेस्ट लगता है। (फिर हसकर ) मेरी फेवरेट है ये और देखो कॉफी पीते पीते मैंने अपना कैफ़े ही खोल लिया।
आन्या (मुस्कुराकर ) – और आपके इसी कैफ़े में इन्दर मुझसे टकरा गए।
मौसी – ओफ्फो मतलब कॉफ़ी हमारे साथ और खयालो में , अभी भी इन्दर
आन्या (शरमाकर) – मौसी !
मौसी (मुस्कुरा कर ) – अरे! छेड़ रही हूँ तुझे , खुश तो है न तू। मैंने बोला था न देख तेरे से , अब बता क्या देगी मौसी को इनाम
आन्या (मौसी के गाल पर किस करते हुए ) – एक प्यारी सी पप्पी
मौसी (हँसते हुए )- तुझे पता है तेरे मौसा जी और मैं भी इन्ही वादियों में मिले थे। मेरा कॉलेज का टूर आया हुआ था और ये तो यहाँ रहते ही थे।
आन्या (आश्चर्य से )- सच्ची मौसी , मगर आपकी तो अरेंज मैरिज है न फिर वो कैसे।
मौसी (अपनी भोहे मटकाते हुए ) – राज की बात है ये बताना मत किसी को।।।। आज तुझे बता रही हूँ।
आन्या (एक्साइटेड होकर ) – हाँ बताओ न मौसी प्लीज —
मौसी – अच्छा सुन !
तेरे मौसा जी और मेरी मुलाक़ात यही मनाली में हुई थी। ये यहाँ जॉब करते थे और मैं कॉलेज के टूर से यहाँ आई हुई थी।
घूमते घूमते मैं इन वादियों में इतनी गुम हो गयी कि ये भी धयान नहीं दिया कि मेरी बस छूट गयी है।
शाम का टाइम हो चला था और मेरा मोबाइल और पर्स भी बस में ही रह गया था। किसी से कांटेक्ट करने का भी कोई साधन नहीं था आस पास …. मैं खुद को बहुत लाचार महसूस कर रही थी, कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करू , कैसे किसी को बताऊ , फिर मैं अकेली पहाड़ी से शहर की ओर जाने लगी जिस साइड हमारे कॉलेज के स्टूडेंट रुके हुए थे।
मैं पैदल चले जा रही थी न तो रास्ता पता था और कोई साधन भी नहीं मिल रहा था। मैं यहाँ के बारे में कुछ जानती भी नहीं थी। डर के मारे मेरी आँखों से आंसू गिरने लगे। तभी तुम्हारे मौसा जी की कार वहां से गुजरी। मुझे उस अनजान रास्ते पर अकेले चलते देखकर इनको खटका लगा।
इन्होने कार रोक दी। कार को रुकता देख मैं घबरा गई। ये निकल कर मेरे पास आये और मुझे मदद करने के लिए पूछा।
एक तो ये मेरे लिए अनजान थे ऊपर से मैं काफी डरी हुई थी तो मैंने रोना शुरू कर दिया। मुझे रोता देख ये घबरा गए और मुझे चुप कराने लगे।
फिर मैंने इनको पूरी बात बताई तो इन्होने मुझे मदद करने का आश्वासन दिया और मुझे मेरे कॉलेज वाले होटल पर भी छोड़ा।
उसके बाद जितने दिन हम यहाँ रुके , ये मुझसे मिलने २-३ बार और आये। हमने नंबर भी एक्सचेंज किया। फिर कुछ टाइम बाद इन्होने अपने घर पर कहकर हमारे घर पर रिश्ता भिजवा दिया और बाये चांस ये सबको पसंद आ भी गए और बस हो गयी हमारी शादी।
आज भी उन लम्हो को याद करती हूँ तो सिहर जाती हूँ। अगर उस दिन इनकी जगह कोई मौका परस्त इंसान मिल जाता तो क्या होता मेरा।
पर वो कहते है न भगवन जो करते है अच्छा करते है। उस दिन इनसे मिलना था शायद इसीलिए ही बस छूट गयी थी मेरी। कहकर मौसी हंसने लगती है।
आन्या (आँखे चमकाते हुए ) – “वाओ , मौसी गजब , आप तो छुपी रुस्तम निकली। “
मौसी हंसने लगती है , “अब तू न ये सब बस सीक्रेट ही रखना ओके !”
आन्या – “ओके मौसी “
फिर आन्या चुप होकर कुछ सोचने लगती है , उसे चुप देखकर मौसी छेड़ते हुए , “क्या हुआ आन्या कहाँ खो गयी ? हम्म “
आन्या (मासूमियत से )- इन्दर भी सबको पसंद आएंगे न मौसी ?
मौसी (मुस्कुरा कर ) – “अभी से ये सब भी सोच लिया हम्म , अरे जोड़ियां ऊपर से बन कर आती है समझी , अगर तेरी किस्मत में इन्दर ही है तो तुमको कोई अलग नहीं कर सकता समझी। चल अब सो जा। २ दिन हो गए ढंग से सोये हुए। मैं भी जाती हूँ अब। बाये गुड नाईट कहकर मौसी कमरे से चली जाती है।
आन्या गेट लॉक करती है और बिस्तर पर आकर लेट जाती है। और अपनी शाम की मुलाक़ात के बारे में सोचने लगती है।
तभी आन्या का फ़ोन बजने लगता है —
आन्या – (अनजान नंबर देखकर) “इस समय किसका कॉल है ?”
कुछ सेकंड सोचती रहती है फिर अचनाक इन्दर का नाम दिमाग में आते ही मुस्कुरा जाती है —“अच्छा जी तो आप है, मेरा नंबर भी ढूढ़ लिया , शैतान”
कॉल अटेंड करके कान पर फ़ोन लगाती है और धीरे से मुस्कुराकर , “हेलो ,कौन “
दूसरी साइड से एक अनजान आवाज आती है , “हेलो आन्या, मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ। कई दिन से पीछा कर रहा हूँ मगर तुम मिलती ही नहीं। “
सुनते ही आन्या घबरा कर कॉल काट देती है। इतनी ठंडक में भी उसके माथे पर पसीने की बूंदे साफ़ दिख रही थी।
कुछ देर तक उसके हाथ कपकपाते रहते है , समझ नहीं आता ये अचानक हुआ क्या ? कौन है ये जो उसके पीछे पड़ा है।
वो आँखें बंद करके बैड पर टेक लगा कर बैठ जाती है और अपना सर थोड़ा पीछे को टिका लेती है।
तभी दुबारा मोबाइल की घंटी बजती है , आन्या मोबाइल बजता देख कर फिर से घबरा जाती है , मोबाइल की रिंग पूरी बजकर बंद हो जाती है मगर वो डर के कारण फ़ोन ही नहीं उठा पाती।
मोबाइल दुबारा बजता है , इस बार आन्या डर डर के फ़ोन उठा लेती है और अपने कान से लगाती है , “हेलल-लो-लो—“, उसकी आवाज डर से लड़खड़ा जाती है।
“हेलो! आन्या , क्या हुआ ? इन्दर बोल रहा हूँ। कहाँ थी ? सो गयी थी क्या मैडम ? “, उधर से इन्दर की दिलकश आवाज आन्या के कानो में पड़ी।
इन्दर की आवाज सुनकर आन्या की जान में जान आती है और वो आँखें बंद करके एक गहरी सांस लेती है , “हम्म्म्म्म “, मगर उसके आँखों के भीगे कोरे उसकी घबराहट और उसके डर को साफ़ साफ़ बयान कर रहे थे।
“आन्या —यही हो ना?”, इन्दर ने कोई जवाब न मिलने पर दुबारा पुकारा।
“हाँ यही हूँ , आप नहीं सोये ?”, आन्या ने धीमी से आवाज में पूछा।
“युहुन्–न -न , नींद ही नहीं आ रही। और तुम ? तुम भी तो नहीं सोई ? “, इन्दर ने मुस्कुराकर पूछा।
आन्या बेड पर उल्टा लेटते हुए , “मुझे भी नींद नहीं आ रही।”
इन्दर – “क्यों ?”
आन्या कोई जवाब नहीं देती बस मुस्कुरा देती है।
“कितना शरमाती हो तुम ? ” , इन्दर ने थोड़ा रोमांटिक होते हुए बोला।
“तो मेरा नंबर भी मालूम कर लिया आपने ? कहाँ से मिला ? हम्म “, आन्या ने बात बदलते हुए कहाँ।
(अब तक आन्या थोड़ा सहज हो गयी थी , इन्दर से बातें करते करते एक पल को वो उस अजनबी कॉल के बारे में ही भूल गयी थी। )
“बस लग गया पता , तुमसे बात जो करनी थी। तुमने तो दिया ही नहीं था —“, इन्दर ने कहा
“आपने पूछा ही नहीं “
“आपने पूछने का मौका ही कहाँ दिया मैडम “, इन्दर ने थोड़ा रोमांटिक लहजे में कहाँ
सुनकर आन्या शाम की बातें याद आते ही शरमा जाती है। बात पलटते हुए , “चलिए चलिए अब सो जाइये कितनी रात हो गयी है।”
” अच्छा सुनो , पहले वो कहो ना”
“क्या”
“वही जो आज शाम कहाँ था “
“मुझे कुछ नहीं कहना , चलो चुपचाप सो जाओ, बाई गुड नाईट”, कहते हुए आन्या हंस पड़ती है और फ़ोन काट देती है।
तभी इन्दर का मैसेज आता है , टू… टू ..
आन्या मैसेज खोल कर पढ़ती है , “तुमने बिना कुछ कहे फ़ोन क्यों रख दिया “
आन्या मुस्कुराते हुए उत्तर लिखती है , “मुझे नींद आ रही थी “
…..टू… टू .. , ” अच्छा बहाना है , फिर अभी तक सोइ क्यों नहीं ♥”
“बस जा रही हूँ सोने मिस्टर , आप भी सो जाओ …”
…टू ….टू ….., “कल मिलोगी ?”
“पता नहीं “
….टू…टू….., “मैं कैफे पर लेने आऊंगा”
“मैं इंतजार करुँगी , बाये गुड नाईट”
….टू …..टू …., “बाये गुड नाईट…..आन्या….आई लव यू…. , और एक दिन तुमसे भी कहलवा ही लूंगा देखना …..”
आन्या पढ़कर दिल ही दिल में मुस्कुरा जाती है और अपने ही ख्यालो में खो जाती है ।
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आर्य फार्महाउस –
मानव अपने रूम में एक साइड बने छोटे से खूबसूरत बार में बैठा ड्रिंक कर रहा है …
पूरे फार्महाउस पर सन्नाटा है …चारो और बस हल्की झींगुरो की आवाज खिड़की से आती सुनाई दे रही है … मानव एक के बाद एक गिलास खाली करता जा रहा है … उसकी आँखें सुर्ख लाल है और एक दम गुस्से से भरी है….
उसके एक हाथ में एक फोटो है और दूसरे हाथ में गिलास …वो लगातार उस फोटो को घूर रहा है और ड्रिंक पर ड्रिंक करता जा रहा है …अचानक गिलास उठा कर जोर से जमीन पर फैक कर मारता है (पूरे कमरे में कांच कांच बिखर जाता है ….) और जोर से चिल्लाता है , “तुमने मेरा फ़ोन काटा , मेरा फ़ोन , मानव आर्य का फ़ोन “
“मुझसे बच कर कही नही जा पाओगी तुम….समझी …झी.. झी..”
“हां…हां..हाँ…हाँ .”, एक शैतानी हसी हंसते हुए …
“मानव आर्य जिस चीज पर हाथ रख देता है , वो उसकी हो जाती है……., नहीं तो वो उसको छीन लेता है ….हां हां हां …..”
क्रमशः