दोपहर का १ बजा है।।।
उधर रवि उसी होटल में पहुंच जाता है जिसका ओपन टैरेस इन्दर ने बुक किया हुआ था। वहां की तैयारियों को देखकर उसका मुँह खुला का खुला रह जाता है।
“वाह बेटा इतना कुछ इंतजाम कर लिया था और मुझे बताया भी नहीं था अब क्या खाक तैयारी देखूँ , सब कुछ तो तैयार ही है ।।।”, रवि अपने मन ही मन कहता है।
“बस आन्या को यहाँ तक कैसे भी ले आउ। ऊपर से अंकल जी से बचाकर इन्दर को भी तो यहाँ लाने की तरकीब सोचनी है जो की सबसे कठिन काम है। इन्दर भी न कमाल करता है बस एक मिनट में कह दिया जा वहाँ ले आ आन्या को।। जैसे आन्या तो कोई छोटी बच्ची है कि उठा के ले आऊंगा और खुद कैसे आएंगे जनाब इतनी तो चोट है कौन आने देगा ऐसे में, ऊपर से कमीने ने उल्टा मुझे भी फसा दिया , अब जब होटल पहुँचूँगा अगर अंकल जी ने कुछ पूछ लिया तो क्या बोलूंगा उनसे” , अपने सर पर हाथ रख कर रवि ये सब सोच ही रहा था कि तभी मैनेजर उसके पास आकर
“सर, जैसे जैसे सर ने कहाँ था वैसे वैसे सारी तैयारियां हो चुकी है , इन्दर सर किस टाइम तक पहुंचेंगे। मैं अपने स्टाफ को बता देता हूँ , वो लोग उसी के अनुसार यहाँ उपस्थित रहेंगे। “
रवि होटल के नंबर पर इन्दर को फ़ोन मिलाता है , “लो खुद ही बात कर लो मैनेजर से। ” और फ़ोन मैनेजर को पकड़ा देता है।
मैनेजर बात करके फ़ोन रवि को देता है। और वहाँ से चल जाता है।
रवि (खीजकर ) -“हाँ बोल ! अब क्या है ? सब तैयार तो है यहाँ , आन्या की मौसी से बोला है उसको लाने के लिए , पर पता नहीं वो उसे लाएंगी या नहीं ? “
इन्दर – ” तू इतना खीज क्यों रहा है पहले तो ये बता ?”
रवि – तो और क्या करू। अंकल जी के बारे में सोचता हूँ तो जान निकल कर हथेली पर आ जाती है। ऊपर से तूने अपनी हालत देखी है, कैसे आएगा बोल ?
(खुद पर हंसकर पसीना पोछते हुए) और अगर मौसी आन्या को लेके आ भी गयी तो उसे बोलूंगा क्या ये भी बता दो, और तुम यहाँ कैसे आओगे ये भी बता दो , और मैं अंकल जी से कैसे बचूंगा ये भी बता देना मुझे। “
इन्दर (हॅसते हुए ) – “कितनी टेंशन ले रहा है तू , हां हां हां ।।।। तू जा आन्या को ले आ वहाँ बस वही काफी है , बाकि सब मुझपर छोड़ दे और थोड़ा चिल कर।।। कुछ नहीं होगा तुझे।। और सुन ४ बजे से पहले पहुंच जाना आन्या को लेकर। “, कहकर फ़ोन रख देता है।
रवि एक बार फिर आन्या की मौसी को फ़ोन मिलता है।। “हेलो आंटी , आप आ रही है न आन्या को लेकर। “
“हाँ ४ बजे पहुंच जाउंगी तुम वही रहना। “, दूसरी तरफ से जवाब आता है।
सुनकर रवि राहत की सांस लेता है। और इन्दर के पास होटल की तरफ निकल पड़ता है।
उधर होटल रूम में इन्दर की माँ , इन्दर को अपने हाथ से खाना खिला रही होती है।
“अभी कैसा लग रहा है बेटा , दर्द में कुछ आराम है ?”, भावुक होकर वह इन्दर से पूछती है।
“हाँ माँ ! काफी देर सो गया था और दवाई भी ली थी तो पहले से बहुत बेहतर हूँ। “, इन्दर ने मुस्कुराते हुए कहाँ।
“आज तो मुझे ठीक होना ही है कैसे भी”, इन्दर अपने मन में बुदबुदाता है फिर अपना मोबाइल उठा के टाइम देखता और फिर मोबाइल रख देता। आन्या से मिलने के ख्वाब से ही उसकी खुशी सातवे आसमान पर थी , शरीर और चोटों का दर्द क्या होता है वो हवा में रफूचक्कर हो चुका था। बस कैसे भी यहाँ से निकल जाऊ , सोचते हुए उसने दुबारा मोबाइल देखा।
“ये तू बार बार मोबाइल में क्या देख रहा है? “, इन्दर की माँ प्रिया ने पूछा। “किसी का फ़ोन आने वाला है क्या ?”
“हाँ माँ रवि का वेट कर रहा हूँ। “, इन्दर ने बात बदलते हुए कहाँ।
“कहाँ है वो? सुबह से ही गायब है –“
“ये रहा मैं आंटी जी , लो आ गया। “, कहते हुए रवि कमरे के अंदर प्रवेश करता है।
इन्दर रवि को देख कर भोचक्का रह जाता है , “तू यहाँ क्यों आ गया ?”
प्रिया (आश्चर्य से) – अरे अभी तो तू उसका वेट कर रहा था ? अब बोल रहा है क्यों आ गया ?
इन्दर (हड़बड़ाते हुए बात बदलता है ) – माँ मेरा मतलब था फ़ोन का वेट कर रहा हूँ मैं। ये एक दम से आ गया न तो मेरे मुँह से निकल गया। फिर रवि की तरफ इशारा करता है।
रवि उसे इशारे से समझाता है के आन्या वहाँ खुद आ जाएगी।
प्रिया – हम्म चलो अच्छा है तुम आ गए। तुम्हारे अंकल जी सुबह से तुमको पूछ रहे है। जाओ उनसे मिल आओ वो अपने कमरे में ही है।
अंकल जी का नाम सुनते ही रवि के तोते उड़ने लगते है। ,”आंटी थोड़ी देर में मिलता हूँ न अंकल जी से भी , पहले इन्दर से तो मिल लू “
“कैसा है तू अब ?” कहकर रवि इन्दर के पास बैठ जाता है।
प्रिया – चलो अब तुम लोग बातें करो मैं चलती हूँ।।तुम्हारे पापा अकेले होंगे।
इन्दर – माँ , सुनो , आपसे एक बात कहूं आप मना तो नहीं करोगी।
प्रिया (उसके सर पर हाथ फेरते हुए ) – हाँ बोल ना
इन्दर – माँ मैं अभी चण्डीग़र नहीं जाना चाहता। मेरे दोस्त भी यही है। मैं कुछ और टाइम यहाँ रुक जाऊ माँ ? प्लीज मेरी प्यारी माँ आप समझो ना।
प्रिया – “तेरे पापा इस बात केलिए बिलकुल नहीं मानेगे।। और तू ऐसा कह भी कैसे सकता है इन्दर, चोटें देख अपनी , तुझे क्या लगता है हम तुझे ऐसी हालत में यहाँ छोड़कर चले जायेंगे। “
इन्दर – माँ आप लोग भी यही रुक जाओ कुछ दिन।
प्रिया – नहीं इन्दर ये भी नहीं हो सकता , तेरे पापा को वहाँ का काम देखना होता है। हम तो सब छोड़ छाड़ कर यहाँ भागे चले आये थे , न किसी को कुछ कह पाए थे न बता पाए थे। और फिर संध्या भी कल आ जाएगी हॉस्टल से , उसकी छुट्टिया पड़ गयी है , उसे तो हमने अब तक कुछ बताया भी नहीं तेरे बारे में , कम से कम अपनी छोटी बहिन के बारे में तो सोच।
तभी इन्दर के पापा कमरे में प्रवेश करते हुए कहते है , “कौन किसके बारे में सोच रहा है ? हम्म , क्या हुआ प्रिया?”
प्रिया – जी कुछ नहीं बस इन्दर अभी वापिस नहीं जाना चाहता , रुकने की जिद कर रहा है तो उसे ही समझा रही थी।
आकाश – क्यों बरखुरदार क्या हुआ ? इतना कुछ हुआ क्या वो काफी नहीं जो अभी भी रुकने की जिद कर रहे हो। यहाँ तुम्हारा ध्यान कौन रखेगा ?
“हम अंकल जी”, कहते हुए मीता और आलिया कमरे में आ जाती है , रवि भी खड़ा हो जाता है “जी अंकल जी “
आकाश (रवि की तरफ देखकर ) – तुमसे तो मैं बाद में बात करूँगा।
रवि सुनकर घबरा जाता है और इन्दर की ओर देखता है।
इन्दर – पापा वो रवि डॉक्टर के पास गया था। मनाली का बहुत अच्छा डॉक्टर है वो।
आकाश – अच्छा , वहाँ क्या करने गया था ? और बता कर भी तो जा सकता था ना।
रवि (बात घुमाते हुए)- सॉरी अंकल जी , वो उस वक़्त बस परेशानी में निकल गया था इसीलिए ध्यान नहीं रहा बताना।
आकाश – हुम्म्म , और गए क्यों थे ?
इन्दर (रवि को बचते हुए ) – मेरे लिए ही पता करने गया होगा पापा। अपॉइंटमेंट लेके आया है ४ बजे का। है न रवि (रवि की तरफ इशारा करता है )
रवि (हकलाकर ) – जी जी अंकल बस मैं बताने ही वाला था।
प्रिया – ४ बजे डॉक्टर के जाना है ? अरे २ तो बज भी गए। मैं भी चलूंगी साथ। पूछ भी लूंगी की हम तुमको यहाँ से ले जा सकते है क्या ?
इन्दर (घबराकर ) – आप ? आप वहाँ जाकर क्या करोगी माँ ? ये तीनो है न मुझे ले जाने के लिए। बस समझो यू गए और यूँ आये।
मीता – हाँ आंटी आप बेकार ही परेशान होगी। फिर आपको निकलने की तैयारी भी तो करनी है। और प्लीज आप इन्दर को कुछ दिन और रहने दीजिये न यहाँ , हम लोग तो कुछ घूमे ही नहीं।।।
आलिया – इन्दर के बिना मन भी नहीं लगेगा। फिर हम सब तो है ही यहाँ इसका ख्याल रखने के लिए। और रोज आपको फ़ोन भी करते रहेंगे। और सब खबर देते रहेंगे इसकी।
इन्दर – हाँ माँ मान जाओ न ! और फिर अभी मैं इतना सफर भी नहीं कर पाउँगा। मैं बिलकुल ठीक हूँ आप निश्चिंत रहिये।
प्रिया आकाश की ओर देखती है।
आकाश – “ओके ठीक है मगर अपना ध्यान रखना और कोई भी दिक्कत हो तो तुरंत कॉल कर देना ओके , जिस दिन आने का मन हो बता देना मैं ड्राइवर को भेज दूंगा गाड़ी लेकर , अब तुम कुछ टाइम ड्राइविंग नहीं करोगे समझे। “
इन्दर – “जी पापा “
“ये एएए–ये य-य -ये —–“, सारे दोस्त एक साथ खुशी से चिल्ला पड़ते है।
आकाश (प्रिया की और देखते हुए ) – “चलो फिर तुम पैकिंग कर लो, हम लोग एक घंटे में निकल जायेंगे। अभी २:३० बजे है। “
“ओके पतिदेव “, कहकर प्रिया अपने रूम में चली जाती है। पीछे पीछे आकाश भी निकल जाता है।
उनके जाते ही सारे कूदने लग जाते है और हवा में हाथ उछलते हुए इन्दर से हाय-५ करते है।
रवि – हीरो चल तू भी तैयार हो जा। आज तो तेरा ही दिन है। अंकल आंटी के जाते ही निकल पड़ेंगे।
इन्दर रवि , आलिया और मीता को थैंक्स बोलता है।
मीता – क्या थैंक्स यार ! दोस्ती में कुछ भी चलेगा।
रवि (मीता और आलिया से ) – चलो फिर तुम लोगो से कल मुलाकात होगी।
इन्दर (रवि की ओर देख कर )- अरे अरे क्यों भाई ! तू कहाँ जा रहा है ?
रवि – तेरे साथ
इन्दर – हाँ तो छोड़ने ही तो जा रहा है उसके बाद क्या करेगा ? कबाब में हड्डी ?
रवि – हसकर।।। हे हे हे
इन्दर – मीता और आलिया जाओ तैयार हो जाओ।। मुझे छोड़ने के बाद तुमको मनाली रवि घुमायेगा आज।
सारे हसने लग जाते है और रवि का मुँह इतना सा हो जाता है। हंसकर , “अच्छा फ़साया इन्दर तूने, तुझे तो मैं देख लूंगा। “
सारे अपने अपने कमरों में तैयार होने के लिए चले जाते है।
उधर आन्या (मौसी से) – मौसी हम पुलिस स्टेशन कब चलेंगे ?
मौसी – तुम हो गयी रेडी ?
आन्या – जी मौसी , मैं ठीक हूँ इसमें तैयार क्या होना। पुलिस स्टेशन तक ही तो जाना है। और मेरा मन भी नहीं चेंज करने का।
मौसी आन्या के रूम में आती है , आन्या ने ब्लू जीन्स पर ब्लैक टॉप डाली होती है।
“हम्म ये नहीं चलेगा , ऐसे जाएगी बाहर ?, हम वही से मार्किट भी जायेंगे।।। ध्रुव जिद कर रहा है घूमने की ” , मौसी बहाना बनाते हुए कहती है।
फिर कुछ देर खड़े होकर उसकी अलमारी खोल कर देखती है और उसमें से एक मैरून रंग का सुन्दर सा सूट निकाल कर उसे देती है जिसके साथ सफ़ेद पटियाला और दुपट्टा होता है।
“मौसी ये सूट पहनू ? घूमने जाने के लिए ?”, आन्या ने बुझे मन से कहाँ।
“हाँ , यही पहनो तुम पर बहुत अच्छा लगेगा और हल्का सा फेस भी ठीक कर लेना। इसकी ज्वेलरी नीचे आओ तब मैं देती हूँ। “, मौसी ने मुस्कुरा कर कहाँ।
“पर मौसी मेरा ये पहनने का बिलकुल मन नहीं , और आपको हो क्या गया है , आपको तो सब पता है न फिर भी आप मुझे इतना सजने सवरने को बोल रही हो ? जबकि आपको पता है की मेरा मन कितना दुखी है। “, आन्या ने अचरज भरी नजरो से मौसी को देखा।
“तेरा मन अच्छा करने के लिए ही ले जा रही हूँ पगली, चल अब देर मत कर तैयार हो जा।।। ३ बज चुके है “, मौसी ने कहाँ और नीचे आ गयी।
आन्या बुझे मन से तैयार होकर नीचे आती है , मौसी उसे एक सुन्दर सा पेंडंट और एयरिंग्स पहनने को देती है।
“बहुत सुन्दर लग रही है आन्या किसी की नजर न लगे तुझे बस थोड़ी सी स्माइल की जरुरत है फिर परफेक्ट “, मौसी ने अपनी एक ऊँगली से उसका फेस ऊपर करते हुए कहाँ।
“मौसी अब चले ?”, आन्या का तो सारा दिमाग जल्दी से जल्दी पुलिस स्टेशन पहुंचने में था उसे मौसी की कोई भी बात बिलकुल समझ नहीं आ रही थी और न उसका बहुत ज्यादा धयान इस बात पर गया की मौसी ऐसे क्यों कर रही है।
वो लोग वहाँ से निकाल पड़ते है।
उधर इन्दर के मम्मी पापा का सामान गाड़ी में लोड हो रहा है और इन्दर और इन्दर के दोस्त उनको छोड़ने नीचे तक आते है।
“इन्दर अपना ख्याल रखना “, कहते हुए प्रिया और आकाश गाड़ी में बैठते है और गाड़ी चण्डीग़र के लिए निकाल पड़ती है।
इन्दर और उसके दोस्त भी “गोल्डन वेळी ” होटल जाने के लिए निकाल पड़ते है।
इन्दर की तो आज जैसे खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं है उसने वाइट टी शर्ट , ब्लू जीन्स और उसके साथ ब्लू जैकेट पहनी हुई है जिसमें वो बहुत ही स्मार्ट लग रहा है। वो बात अलग है की सर पर पट्टी बंधी है मगर वो भी चार चाँद ही लगा रही है।
इन्दर (मन ही मन ) – आज मैं अपने दिल की बात तुमसे कहकर ही रहूँगा आन्या। तुमको बहुत इंतजार करवाया है न मैंने , आज वो सारे इन्तजार ख़तम हो जायेंगे।
आज सिर्फ तुम और मैं और तीसरा कोई नहीं—- न जाने कब से मैं इस दिन का इंतजार कर रहा था और आज वो दिन आ ही गया। आज ही वो हसीं शाम होगी जब तुम मेरे सामने होगी और मैं उस चाँद के आगे अपने इस चाँद का दीदार करूँगा और उससे अपने दिल की बात कहूंगा।
“आज महफ़िल है आज समां है हसीं ,
मेरे मेहबूब का दीदार होने वाला है
तू जाके छुपजा किसी बादल में कही
मेरा मेहबूब सा एक चाँद आने वाला है”
“मौसी गाड़ी रोको , स्टेशन पीछे निकाल गया “, आन्या ने घबरा कर मौसी से कहाँ।
पर मौसी कुछ कहे बिना गाड़ी चलाती रहती है और एक बहुत खूबसूरत सी जगह आकर गाड़ी रोक देती है। चारो तरफ का नजारा बेहद ही खूबसूरत और रोमांचित करने वाला है। सामने पहाड़ो पर बर्फ गिरी हुए साफ़ नजर आ रही है। सूरज भी डूबने के कगार पर है इसीलिए मौसम और भी सुहाना और खूबसूरत लग रहा है , सामने ही “गोल्डन वेळी” होटल दिखाई देता है।
“आओ आन्या “, मौसी ने कार से उतरते हुए कहाँ।
“मौसी हम यहाँ क्यों आये है ?”, आन्या ने चारो तरफ अपनी नजर घुमा कर पूछा।
तभी उसकी नजर रवि , मीता और आलिया पर पड़ती है और वो भाग कर उनके पास पहुंच जाती है।
“रवि तुम यहाँ , इन्दर कहाँ है वो मिला ?”, आन्या उम्मीद और प्रश्नो से भरी नजर से रवि से पूछती है।
जवाब में रवि सर झुका लेता है।
आन्या को कुछ समझ नहीं आता। “तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो रवि ? “, आन्या भर्राई आवाज में पूछती है।
“आप पहले मेरे साथ चलो आपको कुछ दिखाना है। “, रवि ने बात को राज रखते हुए कहाँ।
“कहाँ ?”
“आप मेरे साथ चलिए तो सही “, पर पहले ये बांध लीजिये कहकर रवि आन्या की आँखों पर पट्टी बांध देता है।
आन्या को कुछ समझ नहीं आ रहा वो बस रवि के साथ चले जा रही है।
“रवि मुझे बहुत डर लग रहा है , तुम मुझे कहाँ ले जा रहे हो और इन्दर कहाँ है ?”
रवि कोई जवाब नहीं देता , “न जाने क्या होने वाला है”, सोचकर आन्या के दिल की धड़कने बहुत तेजी से बढ़ जाती है।
रवि उसे सबसे ऊपर छत पर ले आता है जहाँ इन्दर पहले से एक चेयर पर बैठ हुआ उसका इंतजार कर रहा था , वो आन्या को देख कर खड़ा हो जाता है और रवि उसे छोड़ का नीचे चला जाता है …
क्रमशः
पार्ट अच्छा लगे तो उत्साहवर्धन के लिए लाइक एंड कमैंट्स जरूर दे 🙏
-रूचि जैन