Pearl In Deep
Passion to write

तेरे जैसा प्यार कहाँ part – 10

उधर रात को आन्या की भी अपनी मौसी से बात करते करते , उनकी गोद में ही सर रखकर रोते रोते ही नींद लग गयी थी। और मौसी भी वही बैठे बैठे सो गयी थी।
सुबह के ६ बजे , जब उसकी नींद खुलती तो वो खुद का सर मौसी की गोद में पाती है , रात की सारी बातें याद करके आन्या दुखी होकर धीरे से उठती है और कमरे से निकल जाती है। घर में एक दम सन्नाटा है।।। ध्रुव और मौसाजी भी शायद अभी भी सो रहे है सोच कर वो नीचे आती है और गेट खोलती है , बाहर की ठंडी हवा का झोका उसके गालो से टकराता है। वो अंदर तक सिहिर जाती हैं। वो कुछ देर के लिए एक दम ठहर सी जाती है फिर लॉन्ग कोट उठा कर पहनती है और बाहर निकल जाती है।
उसका मन बैचैन है और मन में हजारो सवाल जिनके जवाब भी उसके पास नहीं है। आँखों में नमी लिए बस पैदल चलती रहती है और वही पहुंच जाती है जहा कल इन्दर का एक्सीडेंट हुआ था।
“यहाँ तो कोई भी नहीं , इंस्पेक्टर ने तो बोला था सुबह शुरू करेंगे ढूढ़ना। वो लोग अभी तक आये क्यों नहीं , रवि भी नहीं है और इन्दर का कोई घरवाला भी नहीं है , किससे पूछू कि क्या हुआ है ? “, वो चारो और निगाह दौड़ाती है सब जगह सन्नाटा है अभी आस पास की इक्का दुक्का चाय की दुकान भी नहीं खुली है। वो कुछ पूछे भी तो किससे पूछे। वो अपना हाथ चेहरे पर रख कर सिसकने लगती है।
इतना लाचार खुद को उसने कभी महसूस नहीं किया था , न उसके पास रवि का नंबर था न ही कोई और साधन जिससे वो इन्दर के बारे में पूछ सके।
उसके मन में गलत गलत ख्याल आने लगते है और वो पास पड़े पत्थर पर बैठकर जोर जोर से रोने लगती है और खुद से ही बाते करने लगती है। “तुम कहा हो इन्दर ,तुम ठीक तो हो ना ? एक बार बस एक बार कैसे भी तुम्हारी कोई खबर मिल जाये। क्या करू मैं , मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। “, कहकर हिचकिया ले ले कर रोने लग जाती है।
कुछ देर ऐसे ही बैठी रहती है फिर हिम्मत करके उठती है , खुद को संभालती है और खाई के पास पहुंच कर, जहा से इन्दर कि जीप मिली थी , इन्दर को पुकारने लगती है इस उम्मीद से कि शायद उसे इन्दर का कोई जवाब मिल जाये, “इन्दर–र -रर-रर-रर-रर इन्दर–र -रर-रर-रर-रर , कहाँ-आ-आ-आ हो तुम-म-म–म” , मगर कोई आवाज नहीं आती।
आन्या निराश हो कर वापिस घर कि तरफ चल देती है।

उधर मौसी कि आँख खुलती है और आन्या को वहाँ न पाकर वो उसे देखने नीचे आती है। घर का गेट खुला था और आन्या का कोट भी वहाँ नहीं था , “पता नहीं सुबह सुबह कहाँ चली गयी ये लड़की , बताके तो चली जाती कम से कम “, आन्या की मौसी वही खड़े होकर बुदबुदाती है। तभी उन्हें सामने से आन्या आती दिखाई देती है तो वो भाग कर उसके पास जाती है।

“इतनी सुबह सुबह कहाँ चली गयी थी आन्या”

“इन्दर को ढूढ़ने —-“, कहकर आन्या आंसू भरी नजरें उठा कर मौसी की तरफ देख कर बोलती है।
उसकी ऐसी हालत देखकर मौसी बिना कुछ कहे उसे अपने सीने से लगा लेती है। अब तो मौसी भी अपने आंसुओ को नहीं रोक पाती।
फिर किसी तरह खुद को सम्भालती है और आन्या को उसके कमरे तक लेके जाती है और उससे बोलती है , “तुम यहाँ बैठो आन्या मैं तुम्हारे लिए चाय लाती हूँ , कल से कुछ नहीं खाया है तुमने। “
नीचे आकर आन्या के लिए चाय बनाती है। सुबह के ८ बज रहे है। चाय लेके आन्या के कमरे में जाती है और चाय का कप आन्या को पकड़ा देती है।
आन्या के सर पर हाथ फेरते हुए उसे तसल्ली देते हुए कहती है – “लो आन्या थोड़ा चाय ले लो , चिंता मत करो सब ठीक होगा। थोड़ी देर में मैं उसके बारे में पता लगवाने की कोशिश करती हूँ , नहीं तो फिर हम लोग पुलिस स्टेशन चलेंगे। ठीक है। वहाँ तो उसके बारे में जरूर पता लग ही जायेगा। “
आन्या एक उम्मीद भरी नजर से अपनी मौसी की तरफ देखती है फिर ख़ामोशी से चाय की घूँट भरने लगती है। मगर चाय पीते पीते भी उसकी आँखों से उसके गालो पर लुड़कते आंसू उसके अंदर की व्यथा को साफ़ साफ़ बया कर रहे थे।


उधर इन्दर अपनी मम्मी पापा के साथ मानव के फार्महाउस से होटल की ओर निकल चुका है। —-

पूरा रास्ता इन्दर अपनी माँ के कंधे पर सर रख कर खामोश बैठा रहता है और प्रिया दूसरे हाथ से उसका लगातार सर सहला रही है।
कोई भी स्थिर दिखाई नहीं दे रहा है सभी के दिमाग में लगातार कुछ न कुछ चल रहा है। इन्दर के साथ घटी इस घटना ने अनायास ही सबको हिला कर रख दिया है।
इन्दर खामोश जरूर बैठा है मगर उसका दिमाग भी शांत नहीं है उसके दिमाग में अब तक हुई सारी घटनाये एक के बाद एक घूम रही है। मन में आन्या के बारे में विचार आते ही उसके माथे पर चिंता की रेखाएं उमड़ आती है।
“काश! मैं एक बार आन्या से मिल पाता। उसे बता पाता कि मैं ठीक हूँ और उसे कितना चाहता हूँ। मगर अभी उसके पास भी नहीं जा सकता। रवि को जो काम दिया है पता नहीं वो सबकुछ कर भी पायेगा या नहीं। ” , इन्दर मन ही मन बुदबुदाता है।

“इतना शांत क्यों है इन्दर ? अपनी माँ से बात नहीं करेगा ? ” , माँ की आवाज ने इन्दर का ध्यान तोड़ दिया।
“कितने दिन हो गए थे तुझे देखे हुए और तू मिला भी तो ऐसे। तू नहीं जानता कल रात की बातों को याद करके अभी तक मेरा दिल काँप जाता है। वो तो शुक्र है भगवान का कि बला आई और चली गयी। “, इन्दर की माँ ने उसके सर पर हाथ फेरते फेरते कहा।

“मैंने आप सबको बहुत परेशान कर दिया ना , माँ। मैं तो आपको कॉल भी नहीं कर पाया था। माँ हमेशा हर मुसीबत में अपने बच्चो के साथ होती है , उनकी हर गलती को माफ़ कर देती है। आप भी मेरे साथ थी माँ , तभी तो देखो मुझे कुछ भी नहीं हुआ। आप भी मुझे माफ़ कर दो ना माँ। “, कहकर इन्दर अपनी माँ से लिपट जाता है।

“अरे बुद्धू मैं तुझसे कोई नाराज नहीं हूँ , मैं भला क्यों नाराज होने लगी अपने बच्चे से। हाँ बस थोड़ा डर गयी थी , पर अब सब ठीक हो जायेगा , तुम भी होटल चल कर आराम करना और आज मैं तुमको अपने हाथ से खाना खिलाऊंगी, समझे”, प्रिया ने प्यार से उसके गलो पर हाथ फेरते हुए कहा।

“हाँ माँ खिला देना , खुश “, इन्दर ने हसकर कहा।
“हाँ और फिर हम लोग तुमको लेकर आज रात ही चण्डीग़र के लिए निकल जायेंगे। “, प्रिया ने कहाँ।
“मुझे लेकर, आज ही माँ ?” इन्दर ने हैरान परेशान हो कर पूछा।
“हाँ आज ही। और अब मुझे कुछ नहीं सुनना। वहाँ जाकर तुमको किसी अच्छे से डॉक्टर को दिखाएंगे और तुम रेस्ट करना वही, समझे। ” , कहकर प्रिया इन्दर की ओर देखती है।
इन्दर सुनकर थोड़ा परेशान हो जाता है मगर अभी कुछ कहना ठीक नहीं समझता और चुप रहता है।

“अगर तुम माँ – बेटे का प्यार हो गया हो तो कोई हमे भी पूछ लो। “, आगे से इन्दर के पिता आकाश की आवाज आई।

“पापा , इतने दिनों से माँ आपके साथ ही तो थी। अब थोड़ा प्यार उनको मुझपर भी लुटा लेने दो। “, इन्दर ने खुद को नार्मल दिखाते हुए मजाकिया आवाज में कहा।
“ये अचानक रवि वहाँ से कहाँ गायब हो गया ? फार्महाउस तक तो हमारे साथ ही था। “, आकाश ने प्रश्न भरी नजरो से पीछे मुड़कर इन्दर से पूछा।

इन्दर (थोड़ा सकपका कर ) – गया होगा कही किसी काम से ,आ जायेगा न होटल पर ही सीधा। हम भी वही तो चल रहे हैं ना—-

“अजीब लड़का है , वही से गायब हो गया। एक बार बता के तो चला जाता। बड़ो का तो कोई लिहाज ही नहीं रहा है आजकल “, आकाश थोड़ा गुस्से में बोला।

तभी एक झटका लगता है और इन्दर दर्द से करहा उठता है।

“गाड़ी आराम से चलाओ ड्राइवर। दिख नहीं रहा इन्दर को चोटे लगी हुई है , ध्यान कहा है तुम्हारा ?”, आकाश ड्राइवर को थोड़ा डांट कर कहता हैं।
“सॉरी सर !”, कहकर ड्राइवर कार होटल की ओर मोड़ देता है।

“देख कितनी चोट लगी है तुझे , कितना दर्द है तुझे ,और एक तू है कि मैं ठीक हूँ ठीक हूँ कर रहा है। “, प्रिया गुस्से से बोली।
इन्दर कुछ नहीं कहता बस मुस्कुरा देता है।

कार होटल के गेट पर पहुँचती है , इन्दर कि दोस्त मीता और आलिया पहले से वहाँ खड़ी होती है जिनको रवि ने फ़ोन करके सब कुछ बता दिया था।
दोनों कार का गेट खोल कर इन्दर को उतरने में हेल्प करती है। ” नमस्ते अंकल जी , नमस्ते आंटी जी “
प्रिया – खुश रहो।

“कैसे हो इन्दर और ये एक ही रात में तुमने क्या क्या करवा लिया और हमे तो कुछ पता ही नहीं था। वो तो रवि ने थोड़ी देर पहले फ़ोन करके बताया तो पता चला। “, दोनों एक साथ बोलती है।
आकाश – “कहाँ है रवि ?”
मीता – “पता नहीं अंकल जी, वो तो उसने इन्दर के बारे में बताया और फ़ोन रख दिया। हम तो सुनकर ही घबरा गए थे फिर यहाँ चले आये। “
इन्दर – “अब तुम बाते ही बनातीं रहोगी या रूम तक जाने में मदद भी करोगी ?”

आलिया – “ओह सॉरी , हाँ करते है ना”

सब इन्दर को सहारा देकर रूम में पहुंचा देते है।

इन्दर बिस्तर पर लेटते हुए। “माँ , पापा अब आप लोग भी थोड़ा आराम कर लीजिये काफी थक गए है कल रात सो भी नहीं पाए। “

“ठीक है बेटा , अभी तुम भी आराम करो। ” , कहकर इन्दर के मम्मी पापा अपने कमरे में चले जाते है जो इन्दर के कमरे से थोड़ी दूरी पर था।

इन्दर (मीता और आलिया से ) – तुम लोग कहा थी कल पूरा दिन ? जो तुमको मेरी कोई खबर ही नहीं लगी।

मीता – अब तुमको अपनी कैफ़े वाली से फुर्सत मिले तो तुम हमे कुछ घुमाओ, तो हमने सोचा हम खुद ही थोड़ा घूम लेते है। इसीलिए कल हम लोग आस पास के एरिया देखने के लिए निकल गए थे। वहां से देर से लौटे और थक कर सो गए इसीलिए तुम्हारे कमरे में भी नहीं आ पाए जो हमे कुछ पता चल जाता। खैर अब तुम भी आराम करो। हम भी चलते है।

इन्दर ( दोनों से ) – रुको एक मिनट। मेरा कुछ काम है करोगी।
आलिया (हंसकर) – हाँ बोलो। पूछ तो ऐसे रहे हो जैसे अगर हम मना कर देंगी तो तुम हमसे वो काम बिना कराये मान जाओगे।
इन्दर (हंसकर ) – काम ही ऐसा है कि तुम सुनकर मना कर सकती हो इसीलिए पूछा।
मीता – अरे ! अब ऐसा क्या काम आ गया।

इन्दर – मुझे ४ बजे कही पहुंचना है , मुझे यहाँ से निकलने में तुम दोनों की मदद चाहिए।
दोनों (घबराकर) एक साथ – यहाँ से निकलने में मतलब ? अंकल जी और आंटी जी से छुप कर ?
इन्दर – हाँ !
आलिया – इन्दर ये तुम हमको कहा फ़सा रहे हो। ये कैसे होगा ? जब वो लोग थोड़ी देर में यहाँ आएंगे और तुम नहीं होंगे तो क्या होगा।
इन्दर – वो सब तुम मुझपर छोड़ दो बस जो बोलता हूँ वो करो। कहकर इन्दर धीरे से उनसे कुछ बड़बड़ाता है।
समझ गयी ना , बस ऐसा ही करना जैसा कहा।

फिर मीता और आलिया भी वहां से चली जाती है। इन्दर दवाई लेकर लेट जाता है और उसकी आँख लग जाती है।


आन्या कि मौसी का घर –

वक़्त सुबह के १० बजे। मौसी सबके लिए नाश्ता बना रही है। आन्या अभी भी अपने रूम में ही है। तभी मौसी के फ़ोन की घंटी बजती है।
“हेलो! कौन ?”, मौसी ने फ़ोन उठाकर पूछा।

“आंटी मैं रवि”, दूसरी साइड से रवि की आवाज आती है।
“कौन रवि ? मैं आपको नहीं जानती।”, मौसी उसे एक दम से पहचान नहीं पाती। और फ़ोन काट देती है।

दुबारा फ़ोन की घंटी बजती है।

“हेलो , कौन “, मौसी फिरसे फ़ोन उठती है —

“आंटी मैं इन्दर का दोस्त रवि बोल रहा हूँ , प्लीज फ़ोन मत काटियेगा , आपका नंबर बहुत ही मुश्किल से पता चल पाया है। “, रवि इस बार एक साँस में ही पूरी बात बोल जाता है।

“तुम -म-म ?”, थोड़ा हैरान होकर श्रद्धा बोलती है। चारो तरफ देखती है और फिर धीरे से , “इन्दर का कुछ पता चला ?”
“(ख़ुशी से ) हाँ आंटी इन्दर मिल गया , वो ठीक है , चोटें है काफी पर बच गया। मैंने यही बताने के लिए कॉल किया था और आपसे एक काम भी था। “

“थैंक गोड! (धीरे से ख़ुश होकर ) कैसा काम रवि। देखो अभी मैं घर पर हूँ और आन्या के मौसाजी भी यही है इसीलिए मैं फ़ोन पर ज्यादा बात नहीं कर पाऊँगी। तुम जल्दी बोलो क्या काम है। फिर मैं आन्या को भी ये खुश खबर दे दू।।। उसका बहुत बुरा हाल है। “, आन्या की मौसी ने ख़ुशी जताते हुए कहाँ।

“नहीं नहीं आंटी अभी आप आन्या को मत बताना , इन्दर उससे खुद मिलना चाहता है शायद उससे अपने मन की बात बोलना चाहता हो। मुझे आपसे यही काम था क्या आप आन्या को लेकर गोल्डन वेळी होटल आ सकती है ४ बजे, प्लीज प्लीज आंटी मना मत कीजियेगा अगर आज इन्दर अपने दिल की बात नहीं बोल पाया तो फिर शायद ही बोल पाए। आप भी तो यही चाहती है न “

“ठीक है मैं कोशिश करती हूँ। “, कहकर मौसी फ़ोन रख देती है।
भगवान के मंदिर में जाकर हाथ जोड़ती है और शुक्रिया अदा करती है।
फिर मन ही मन , “आन्या तू नहीं जानती मेरी बच्ची आज मैं तेरे लिए कितना ख़ुश हूँ , रवि ने पता नहीं क्यों मना कर दिया बताने के लिए।। पता नहीं ४ बजे तक मैं कैसे छुपा पाऊँगी तुझसे , तेरी हालत मेरे से नहीं छुपी है मेरी बच्ची।। “

श्रद्धा ये सब सोच ही रही थी की तभी आन्या के मौसा जी “रमन” वहाँ आ जाते है।

“कहाँ खोई हो श्रद्धा , नाश्ता लगा दो , क्या बात है आज तुम अभी तक कैफे नहीं गई , १०:३० बजने वाले है आज तो , और तुम मुझे तैयार भी नहीं दिख रही। क्या बात है ? सब ठीक ? और ये आन्या कहाँ है कल से नहीं दिखी। “, मौसाजी ने चेयर पर बैठते हुए पूछा।

श्रद्धा – “हाँ मैं ठीक हूँ। बस आज मन नहीं किया कैफ़े जाने का , सोचा आज मैनेजर ही देख लेगा। चाहे तो आज आप चक्कर लगा आना ऑफिस से आते हुए।”
रमन – “ओके ठीक है , आन्या को भी बुला लो नाश्ते के लिए “
श्रद्धा – “वो आन्या ऊपर अपने कमरे में है सो रही होगी , कोई बात नहीं उसे और ध्रुव को बाद में करा दूंगी नाश्ता, पहले आप कर लीजिये। आपको लेट हो रहा होगा। ” कहकर श्रद्धा नाश्ता परोसती है।
“सुनिए मैं सोच रही थी आज आन्या को लेके शाम को शॉपिंग चली जाऊ , इतने दिन हो गए उसे आये मुझे टाइम ही नहीं मिला उसे कही घुमाने का, उसके लिए कुछ खरीद भी लूंगी। “

रमन – ओके ठीक है चली जाना। वैसे भी मैं आज लेट हो जाऊंगा थोड़ा। फिर तुम्हारे कैफ़े भी तो जाना है।
श्रद्धा मन ही मन ख़ुश हो जाती है
रमन नाश्ता करके निकल जाता है।
श्रद्धा ध्रुव को नाश्ता कराती है फिर अपना और आन्या का नाश्ता लेकर उसके रूम में चली जाती है।
आन्या बालकनी में खड़ी है कहने को दोपहर का समय है घडी में १२ बजे है मगर आज धूप का नमो निशान नहीं। मनो सूरज भी लुका छिपी खेल रहा हो। बाहर चल रही ठंडी हवाओ में उसके उड़ते बाल बार बार उसकी आँखों को ढक लेते थे जैसे वो भी उसकी आँखों में छाई उदासी को छुपाने की कोशिश कर रहे हो।।। हवा काफी तेज और ठंडी थी और वो भी कुछ सुकुड़ी सी चुपचाप खड़ी कुछ सोच रही थी।
तभी मौसी की आवाज ने उसका ध्यान तोडा और वो बालकनी से कमरे में वापिस चली आई।

आन्या (उदासी से मौसी को देखती है और फिर नाश्ते को)- मौसी मेरा मन नहीं कुछ भी खाने का।
मौसी – बस अब बहुत हुआ कल रात की भूखी हो तुम।।। कुछ नहीं खाओगी तो कमजोरी आ जाएगी। तुमको इन्दर को ढूढ़ने जाना है मेरे साथ कि नहीं? और अगर बेहोश ही हो जाओगी तो जाओगी ही कैसे बोलो ? ” मौसी ने माहौल को थोड़ा नार्मल बनाने के लिए मजाकिया अंदाज में कहाँ।
आन्या सुनकर मौसी कि तरफ देखती है और फिर चुपचाप एक टुकड़ा तोड़कर मुँह में रख लेती है। मौसी उसको नाश्ता करते देख थोड़ा आस्वस्त होती है कि चलो जैसे भी सही कुछ तो खाया। फिर खुद भी नाश्ता करने बैठ जाती है।

आन्या – मौसी इन्दर ठीक तो होगा न? , मिल तो गया होगा न ? , सुबह जब मैं वहाँ गई वहाँ कोई भी नहीं था ? पता नहीं क्या चल रहा होगा ?

“इतने सारे सवाल एक साथ — चिंता मत करो वो एक दम ठीक होगा। हो सकता है वो रात ही मिल गया हो इसीलिए पुलिस सुबह वहाँ नहीं आई हो , हम थोड़ी देर में पुलिस स्टेशन चलते है न “, मौसी ने अपने मन के भावो को छुपाते हुए कहाँ।

नाश्ता करने के बाद मौसी आन्या को तैयार होने के लिए बोल कर नीचे आ जाती है।

क्रमशः

प्रिये दोस्तों
उम्मीद है आपको कहानी पसंद आ रही होगी , त्रुटियों को क्षमा कीजियेगा और सुझाव जरूर दीजिये …..
इतनी कंजूसी भी ठीक नहीं ,  😉 पार्ट अच्छा लगे तो उत्साहवर्धन के लिए लाइक और कमैंट्स जरूर दे 🙏

-रूचि जैन

Leave your valuable Comment

error: Content is protected !!