मन में उठ रहे प्रश्नो का क्या जवाब लिखूँ
तेरी बेपनाह मोहब्बत का क्या हिसाब लिखूँ…
मेरी धड़कने, मेरी आरजू, मेरे जज्बात का क्या हाल लिखूँ
तेरी बेपनाह मोहब्बत का क्या हिसाब लिखूँ…
मेरे अंतरंग को झंझोरती मन की बातें
आंसू के पयमाने छलकाती मेरी आँखें
मेरे मन में चल रहे द्वन्द का क्या हाल लिखूँ
तेरी बेपनाह मोहब्बत का क्या हिसाब लिखूँ…
मेरे मन में क्यों ऐसा ये सैलाब उठा
मैं सोचती हूँ पल पल अपने मुकद्दर को
मेरे दिल की हर आरजू को तूने पूरा किया
फिर क्यों टटोलती हूँ प्यार के समुन्दर को
दिल भारी है, प्यार लब पर है , नम आँखों का क्या हाल लिखूँ
तेरी बेपनाह मोहब्बत का क्या हिसाब लिखूँ…
नहीं कोई भी ऐसी तोल इस दुनिया में
तेरी मोहब्बत को जो तोल सके
वक़्त बेवक़्त तूने मेरा साथ दिया
तेरे कदम भी तुझको न रोक सके
फिर क्यों हो जाता है जरुरी जताना इस प्यार को
क्यों न मानूँ, क्यों इस बात का मैं इन्तजार करुँ
तेरी बेपनाह मोहब्बत का क्या हिसाब लिखूँ…
मन में उठ रहे प्रश्नो का क्या जवाब लिखूँ
तेरी बेपनाह मोहब्बत का क्या हिसाब लिखूँ…
-रूचि जैन
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बहुत खूबसूरत कविता 👌💐👍
thank u janab 🙂