मैं वीर खड़ा हूँ सरहद पर , आँखों में शोले धधक रहे
दुश्मन के पूरे दस्ते पर , मैं भारी पड़ने वाला हूँ
कोई खौफ नहीं मेरे दिल में , बढ़ता जाऊ अग्निपथ पर
अपने पाषाण से सीने पर, मैं गोली खाने वाला हूँ
दृण निश्चयी हूँ , मतवाला हूँ , हिम्मत मुझमें है भरी पड़ी
इन पथरीली राहो पर, मैं नग्गे पाँव भी चलने वाला हूँ
जज्बे का मेरे कोई तोड़ नहीं , थामी बंदूके हाथो में है
कोई रोक सके तो आ हिम्मत कर , दुगनी शिद्दत से भिडने वाला हूँ
निश्चल हूँ मैं , निष्काम हूँ मैं , तिरंगे में लिपटा भी शान हूँ मैं
जो लग जाये आ मौत गले, मैं खुशी से वतन पर मर मिटने वाला हूँ …
जय हिन्द , जय भारत ….
रूचि जैन