क्या फल मिलता है-
मेरी कलम से
सरहदो के उस पार एक वतन है ,
सरहदों के इस पार एक वतन है
रहते है जब इंसा ही दोनों तरफ तो, कैसे पहचाने क्या अंतर है
मत लड़ो तुम, मत कटो तुम,
मत करो जमी से मक्कारी
तुम लोगो के झगड़ो में, मेरी जन्नत(कश्मीर) देखो हारी…
क्या फल मिलता है हम सबको, इस कौम की लड़ाई में
जहाँ कटते है इंसा इंसा कश्मीर की जुदाई में,
भारत बोले ये मेरा है , पाकिस्तानी बोले ये मेरा,
जहाँ हर पल होती नई जिहाद, क्या मिलता है इस कारवाही में,
जहाँ कटते है इंसा इंसा कश्मीर की जुदाई में…
क्यों टूटे है सपने सबके, क्यों इन्सा हर पल है रोता,
क्या नहीं जानता पाकिस्तानी, वह अपना भाई ही खोता,
अब नहीं बचा है कुछ प्यारे, इस जंग लगी कढ़ाई में ,
लुटता देखा कश्मीर सारा, इस जिल्लत भरी लड़ाई में ,
जहाँ हर पल होती नई जिहाद, क्या मिलता है इस कारवाही में,
जहाँ कटते है इंसा इंसा कश्मीर की जुदाई में…
-रूचि जैन
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